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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

12 March 2019

बेटियों की जिंदगी सहेजने के लिए विदेशी दूल्हों पर सख्ती जरूरी

 जनसत्ता  में प्रकाशित 

दरअसल, पंजाब ही नहीं अन्य राज्यों से भी ऐसे हजारों अनिवासी भारतीय परिवार हैं, जो दूसरे देशों में जाकर बस गए हैं | विशेषकर कनाडा,अमेरिका, ब्रिटेन और  ऑस्ट्रेलिया जैसे दशों में अनिवासी भारतीय बड़ी संख्या में बसे हुए हैं | इनमें से कई परिवार आज भी अपने बेटों की शादी करने के लिए दुल्हन तलाशने भारत आते हैं | ऐसे वैवाहिक रिश्तों  का सबसे दुखद पक्ष यह है कि जीवन भर के लिए जुड़ने वाले इस रिश्ते को लेकर  कई भावी दूल्हों और  उनके परिवार की मंशा शुरुआत से ही गलत होती है | नतीजतन ऐसे अनगिनत मामले सामने आ चुके हैं जिनमें विदेशों में जा बसे लड़के भारतीय लड़कियों से शादी तो करते हैं लेकिन शादी के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को लेकर अक्सर गंभीर नहीं होते। इस जुड़ाव को निभाने की नहीं बल्कि अपने फायदे के लिए भुनाने की सोच रखते हैं | शादी के सालों बाद तक दुल्हन यहाँ इतजार करती रहती है  लेकिन वे उनकी खोज-खबर तक नहीं लेते | ( लेख का अंश ) 

10 comments:

दिगम्बर नासवा said...

सहमत हूँ आपकी बात से ... इतने वर्षों से विदेश में हूँ और कई कई बार ऐसा देखने को मिलता है ...
परिवारों को भी सचेत रहने की जरूरत है ... विदेश का खिचाव कई बार ठीक नहीं होता ...

ब्लॉग बुलेटिन said...

आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की २३५० वीं बुलेटिन ... तो पढ़ना न भूलें ...

तेरा, तेरह, अंधविश्वास और ब्लॉग-बुलेटिन " , में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

मन की वीणा said...

सटीक प्रेरणा लेने योग्य।

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर और जरूरी लेख।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

आभार आप सभी का

Jyoti Dehliwal said...

विचारणीय आलेख।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (15-03-2019) को दोहे "होता है अनुमान" (चर्चा अंक-3275) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Atoot bandhan said...

बहुत जरूरी मुद्दा उठाया है आपने मोनिका जी , एक परिचित की बेटी धोखे का शिकार हो चुकी है ...माता -पिता को इस मामले में पूरी तहकीकात करके ही आगे बढ़ना चाहिए

गिरधारी खंकरियाल said...

अत्यन्त संवेदनशील विषय है, समाज को जागरूक होना आवश्यक है।सरकार ने भी संज्ञान लेकर कानून बनाया है।

Anu Shukla said...

बेहतरीन
बहुत खूब!

HindiPanda

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