चैतन्य |
चैतन्य
तुम्हारा आना
जीवन में नई चेतना
ले आया है
उग आये हैं कुछ
नए विचार
मेरे ह्रदय के आँगन में
और
तुम्हारा आना
जीवन में नई चेतना
ले आया है
उग आये हैं कुछ
नए विचार
मेरे ह्रदय के आँगन में
और
मैं गर्वित हूँ
कि संवेदनशीलता से
फूटती ये वैचारिक कोंपलें
अपनी जड़ें जमा रही हैं
कि संवेदनशीलता से
फूटती ये वैचारिक कोंपलें
अपनी जड़ें जमा रही हैं
मनुष्यता की सीढियाँ
चढ़ते हुए
प्रकृति के समीप
ले आया है मुझे
प्रकृति के समीप
ले आया है मुझे
तुम्हारा साथ
लौट आयीं हैं मेरे
जीवन में तितलियाँ
और भवरों की गुंजन
फिर चला आया है
इन्द्रधनुष देखने का हठ
दृढ़ता पा गया है
अपनी हर बात साधिकार
कहने का आत्मविश्वास
लौट आयीं हैं मेरे
जीवन में तितलियाँ
और भवरों की गुंजन
फिर चला आया है
इन्द्रधनुष देखने का हठ
दृढ़ता पा गया है
अपनी हर बात साधिकार
कहने का आत्मविश्वास
फिर समेट लिए हैं मैंने
माटी के रंग
अपने आँचल में
माटी के रंग
अपने आँचल में
जो स्नेह और ममत्व के
अनगिनत प्रतिमान
गढ़ते हुए
मुझे सही अर्थों में
मानवी बना रहे हैं
तुम्हारे आ जाने से
माँ हो जाने से
चैतन्य
अनगिनत प्रतिमान
गढ़ते हुए
मुझे सही अर्थों में
मानवी बना रहे हैं
तुम्हारे आ जाने से
माँ हो जाने से
चैतन्य
मुझे संसार के
हर बच्चे से
प्रेम हो गया है
हर बच्चे से
प्रेम हो गया है
लौट आयीं हैं मेरे
ReplyDeleteजीवन में तितलियाँ
और भवरों की गुंजन
फिर चला आया है
इन्द्रधनुष देखने का हठ
वाह!
बहुत सुन्दर!
वाकई मातृत्व और वात्सल्य का सुख तो धरा पर स्वर्ग-सी अनुभूति है.. चैतन्य को मेरी तरफ से भी आशीष एवं शुभकामनाएं :)
ReplyDeleteअंतर्राष्ट्रीय बालदिवस के उपलक्ष्य मे 'चैतन्य' पर लिखी प्रेरणादाई कविता अच्छी है। चैतन्य को शुभकामनायें एवं आशीर्वाद।
ReplyDeleteअद्भुत अभिव्यक्ति, बालपन का चैतन्य प्रतीक..
ReplyDeleteतुम्हारे आ जाने से
ReplyDeleteमाँ हो जाने से
चैतन्य
मुझे संसार के
हर बच्चे से
प्रेम हो गया है - सहज स्वाभाविक एहसास
माँ होने की पुलक को मूर्त करती रचना .कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteram ram bhai
शनिवार, 2 जून 2012
साधन भी प्रस्तुत कर रहा है बाज़ार जीरो साइज़ हो जाने के .
गत साठ सालों में छ: इंच बढ़ गया है महिलाओं का कटि प्रदेश (waistline),कमर का घेरा
http://veerubhai1947.blogspot.in/
वात्सल्य रस जीवन को मायने देता है . चैतन्य को शुभाशीष .
ReplyDeleteलौट आयीं हैं मेरे
ReplyDeleteजीवन में तितलियाँ
और भवरों की गुंजन
फिर चला आया है
इन्द्रधनुष देखने का हठ
अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ...
बेहद उम्दा भाव ... प्रणाम !
ReplyDeleteसहज सुखद अहसास, भावपूर्ण चिंतन
ReplyDeleteदिल को छुते भाव ..........चैतन्य को आशीष ......बहुत आगे बढ़े........
ReplyDeleteममत्व का अद्भुत अहसास...बहुत सुन्दर... चैतन्य को मेरी शुभकामनायें एवं आशीर्वाद......
ReplyDeleteअपने आँचल में
ReplyDeleteजो स्नेह और ममत्व के
अनगिनत प्रतिमान
गढ़ते हुए
मुझे सही अर्थों में
मानवी बना रहे हैं
यही माँ का ममत्व है
RECENT POST .... काव्यान्जलि ...: अकेलापन,,,,,
ममत्व का अद्भुत अहसास...बहुत सुन्दर... चैतन्य को मेरी शुभकामनायें एवं आशीर्वाद......
ReplyDeleteवाह...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteतुम्हारा आना
ReplyDeleteजीवन में नई चेतना
ले आया है
उग आये हैं कुछ
नए विचार
मेरे ह्रदय के आँगन में
और
मैं गर्वित हूँ!!
माँ के लिए इससे बेहतर कुछ भी नहीं....!!
ख़ूब,
ReplyDeleteबच्चे हमको और परिपक्व करते जाते हैं, माता-पिता को, होना सीखा देते हैं.
बेहतरीन भाव
ReplyDeleteसादर
कल 03/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
चैतन्य के बहाने बचपन को फिर से जी लो,
ReplyDeleteचंदा मामा से मिलकर ,एक खिलौना ले लो !!
सचमुच मातृत्व पूर्णता का अहसास है.... चैतन्य को ढेर सारा स्नेह और आशीष...
ReplyDeleteबहूत हि सुंदर लिखा है
ReplyDeleteबहूत हि सुंदर ममता के रंग में रंगी बेहतरीन रचना...
:-)
सुंदर बहुत सुंदर वाह
ReplyDeleteप्रभाव में आ गया हूँ |
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत एहसास ....मातृत्व के रंग में रंगी सुन्दर रचना
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - दा शो मस्ट गो ऑन ... ब्लॉग बुलेटिन
ReplyDeleteसच कहा ..माँ बनाना अपने आप में गौरव् हैं ..एक नए जीवन का उदय ...नई परिभाषा का आगमन ...
ReplyDeleteतुम्हारे आ जाने से
ReplyDeleteमाँ हो जाने से
चैतन्य
मुझे संसार के
हर बच्चे से
प्रेम हो गया है
कितनी सुन्दर बात कही है...
चैतन्य को ढेरों आशीर्वाद
Kitni komal bhavnayen hain is rachana me!
ReplyDeleteमाँ हो जाना नारी की सम्पूर्णता है कायनात का मार्च पास्ट है . यकीन है यह सृष्टि यूं ही चलती रहेगी ,टेस्ट ट्यूब नहीं बनेगी माँ की कोख ,न धाय माँ ,सिर्फ माँ ,माम और माँ....
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारें -
साधन भी प्रस्तुत कर रहा है बाज़ार जीरो साइज़ हो जाने के .
गत साठ सालों में छ: इंच बढ़ गया है महिलाओं का कटि प्रदेश (waistline),कमर का घेरा
http://veerubhai1947.blogspot.in/
लीवर डेमेज की वजह बन रही है पैरासीटामोल (acetaminophen)की ओवर डोज़
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
इस साधारण से उपाय को अपनाइए मोटापा घटाइए
sahaj bhaav mamyaa ke ...
ReplyDeletebahut sundar..
बहुत सुन्दर! बच्चे वाकई ईश्वर की सुन्दरतम कृति हैं!
ReplyDeleteबच्चे माँ के जीवन को पूर्णता देते हैं !
ReplyDeleteकोमल सुखद एहसास !
मातृत्व पूर्णता का अहसास दिलाती है !
ReplyDeleteप्यारी रचना ....चैतन्य को बहुत सारा स्नेह !
इस पर कोई टिप्पणी भी छोटी और हलकी होगी | माँ-बेटे के प्यार को कब कौन अभिव्यक्त कर पाया है |
ReplyDeleteलाजवाब रचना |
सबल हुआ मातृत्व -चैतन्य को स्नेहाशीष!
ReplyDeleteमाँ तो माँ ही होती है।
ReplyDeleteलौट आयीं हैं मेरे
ReplyDeleteजीवन में तितलियाँ
और भवरों की गुंजन
फिर चला आया है
इन्द्रधनुष देखने का हठ
bahut pyari rachna Monika ji... khas taur par yah panktiyan to bas adbhut hi hain...
sadar
manju
चैतन्य का कोना से यह मातृत्व भरा प्यार संसार में जीने की शुरुवात है ! नए पुष्प हमेशा ही नए संचार करते है ! पुष्प और सुगंध सदैव बना रहे ! बहुत ही आशावान कविता ! आप को बधाई और चैतन्य को आशीर्वाद !
ReplyDelete"माँ" हो जाने से
ReplyDeleteचैतन्य............
मुझे संसार के
हर बच्चे से
प्रेम हो गया है...
सुन्दर पंक्तियाँ.....
सादर
बच्चे जीवन में जीने की लालसा जगा देते हैं ... खुशियों का रंग भर देते हैं ...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रक हना है प्रेम से सरोबर ..
माटी के रंग
ReplyDeleteअपने आँचल में
जो स्नेह और ममत्व के
अनगिनत प्रतिमान
गढ़ते हुए
मुझे सही अर्थों में
मानवी बना रहे हैं
तुम्हारे आ जाने से
माँ हो जाने से
चैतन्य
bahut sundar...
सौफी सदी सच्ची बात माँ हो जाने के बाद वाकई हर बच्चे से प्रेम हो जाता है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ममतामयी प्रस्तुति. माँ होने का सुख एक माँ ही समझ सकती है .
ReplyDeleteतितलियाँ कहीं न जाएँ, यूँ ही तन मन को महकाएं...
ReplyDeleteसुन्दर भाव भरी रचना....
लौट आयीं हैं मेरे
ReplyDeleteजीवन में तितलियाँ
और भवरों की गुंजन
फिर चला आया है
इन्द्रधनुष देखने का हठ
एक शिशु की मां होने के बाद मां के मन-हृदय में होने वाले कोमल परिवर्तन को आपने बहुत अच्छी तरह संजोया है।
तुम्हारे आ जाने से
ReplyDeleteमाँ हो जाने से
चैतन्य
मुझे संसार के
हर बच्चे से
प्रेम हो गया है .....
...बस यही है माँ की परिभाषा ...
तुम्हारे आ जाने से
ReplyDeleteमाँ हो जाने से
चैतन्य
मुझे संसार के
हर बच्चे से
प्रेम हो गया है .....
...बस यही है माँ की परिभाषा ...
ये जो बच्चा है जीवन में
ReplyDeleteबचाए रखना,कि जीवन रहे!
वात्सल्य की अद्भुत अभिव्यक्ति...चैतन्य को स्नेहाशीष !!!
ReplyDeleteमां की ममता और बच्चों के साथ ज़िन्दगी के कुछ हसीन लमहों को समेटने की चाहत या यूं कहें कि फिर से उसे जीने की तमन्ना इस कविता को एक अलग ऊंचाई पर ला खड़ा करता है।
ReplyDeleteवाह...मन प्रसन्न हो गया आपकी प्रस्तुति देखकर...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteवाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteलोरी रोज सुनाने लगती
ReplyDeleteममता भी तुतलाने लगती
सुंदर भाव.
मातृत्व की अनुभूति.....
ReplyDeleteचैतन्य को प्यार....
बहुत सुंदर । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteVery nice post.....
ReplyDeleteAabhar!
Mere blog pr padhare.
मातृ प्रेम की अद्भुत अभिव्यक्ति...शुभकामनायें !
ReplyDeleteSo touching.....!
ReplyDeleteमातृत्व की गहन अनुभूति को अभिव्यक्त करती रचना. मां की ममतामयी छाँव को प्रणाम.
ReplyDeleteअपने आँचल में
ReplyDeleteजो स्नेह और ममत्व के
अनगिनत प्रतिमान
गढ़ते हुए
मुझे सही अर्थों में
मानवी बना रहे हैं
वाह, भावभीनी ममत्वपूर्ण रचना ।
ममता की सहज अभिव्यक्ति साकार
ReplyDeleteयह दिन सहेज लीजियेगा ....
ReplyDeleteशुभकामनायें !
इसलिए तो माँ सार्वभौमिक हो जाती है...सुन्दर रचना..
ReplyDeleteएक तो इतना सुन्दर और प्यारा बच्चा है आपका....उस पर कितना सुन्दर उसका नाम चैतन्य.....इश्वर करे चैतन्य हमेशा यूँ ही फलता और फूलता रहे और आपको भी महकाता रहे.....आमीन ।
ReplyDeletesach me pyara sa khubsurat chaitanya aur uske liye shabd.. sab kuchh behtareen:)
ReplyDeleteआपका भी मेरे ब्लॉग मेरा मन आने के लिए बहुत आभार
ReplyDeleteआपकी बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना...
आपका मैं फालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,......
मेरा एक ब्लॉग है
http://dineshpareek19.blogspot.in/
bahut sunder rachna
ReplyDeletebahut umda rachna
ReplyDeleteस्नेह-नीर से सींच सोचती,पाकर होऊं धन्य
ReplyDeleteस्वप्न हुआ साकार अंक में आया जब चैतन्य!
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteआपको हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteसंतान की प्राप्ति का सुख माँ के लिए अमूल्य होता है. बहुत सुन्दर रचना. चैतन्य को बहुत आशीष. शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteek bachche ki kilkaari se saara ghar bhar jaata hai fir usi ke saath apna bachpan bhi lout aata hai.
ReplyDeletebahut hi sateek aur mamatv pura abhivykti
poonam
बेशक माँ होना नारीपन का शिखर है जहां उसके स्व :का लोप हो जाता है .शेष रह जाती है एक जननी .एक माँ .व्यष्टि का समष्टि में विलय शायद यही है .
ReplyDeleteमाँ होना जीवन की सम्पूर्णता है .कायनात का स्पंदन है . . .कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteram ram bhai
शनिवार, 9 जून 2012
स्ट्रेस से असर ग्रस्त होतें हैं नन्नों के नन्ने विकासमान दिमाग
http://veerubhai1947.blogspot.in/
चैतन्यमयी !
ReplyDeleteतुम्हारे आ जाने से
ReplyDeleteमाँ हो जाने से
चैतन्य
मुझे संसार के
हर बच्चे से
प्रेम हो गया है
मातृत्व और वात्सल्य सुख सर्वोपरि है.
सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.
बधाई.
चैतन्य
ReplyDeleteतुम्हारा आना
जीवन में नई चेतना
ले आया है
बहूत सुंदर लिखा है
बहोत अच्छे
ReplyDeleteHindi Dunia Blog (New Blog)
सुन्दर वात्सल्यमयी प्रस्तुति.
ReplyDeleteचैतन्य के आने की आपको अनेकानेक बधाई.
प्रिय चैतन्य को ढेरों शुभाशीष और शुभकामनाएँ.
शानदार ममतामयी प्रस्तुति के लिए आभार.
पंछी बन आकाश में उड़ने लगा है मन ,ऊंचाइयों को छूने लगा है ,
ReplyDeleteएक तारल्य से संसिक्त रहती हूँ हर पल ,प्रति -पल
तुम्हारे आने से काया कल्प हुआ है मेरा ,
नारी रूप पल्लवन भी .
शुक्रिया ब्लोगिया दस्तक के लिए ......
शुक्रिया आपकी ब्लोगिया दस्तक का ..
ReplyDeleteचैतन्य को शुभकामनायें एवं आशीर्वाद.
ReplyDeleteसुन्दर रचना .
bahut hi sundar kiha hai ane, shubhkamnayein......
ReplyDeletebahut hi sundar kiha hai ane, shubhkamnayein......
ReplyDelete