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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

07 May 2013

विस्मृति का सुख


विस्मृति की अनिवार्यता
के अर्थ वो ही समझता है
जो प्रतिदिन जाता है
उन पगडंडियों तक
जिन पर सुखद स्मृतियाँ
बिखरी पड़ी हैं और
प्रतीक्षारत खड़े हैं
दुखद क्षण भी
जो मिटते ही नहीं
न ही धुंधले होते हैं
बीतते समय के साथ
कभी यथार्थ के कठोर धरातल
तो कभी कल्पनाओं में बुना
अपना ही संसार
कुछ भी भुलाना सरल नहीं
बिसरा देने के प्रयास तो
और विस्तार देते जाते हैं
बीती बातों और आघातों को
गहरी चोट करते हैं
वर्तमान पर
जीवन की गति
धीमी कर देता है
स्मृतियों का ये भार
जो बाधित करता है
आज का विस्तार
सच, जीवन धारा के
 निर्बाध बहाव हेतु
कितना आवश्यक है
विस्मृति का सुख

53 comments:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वास्तव में ही, कुछ भी भुलाना इतना भी सरल नहीं होता

सुज्ञ said...

स्मृति का बोझ असहनीय हो जाता है.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

स्मृति और विस्मृति एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. सुन्दर भाव हैं कविता में.

अज़ीज़ जौनपुरी said...

smritio ke anchal se jahlkti kabhi n bhool jane vali smritiya, bahut sundar rachna ,badhayee

ताऊ रामपुरिया said...

यदि विस्मृति का गुण प्रकृति हमें ना देती तो जीवन बहुत ही मुश्किल हो जाता. फ़िर भी कुछ ऐसी दुखद घटनाएं हर एक के साथ घटी होती हैं जिनका दंश जीवन भर झेलना पडता है. बहुत ही सार्थक कविता. शुभकामनाएं.

रामराम.

ओंकारनाथ मिश्र said...

बिलकुल सही कहा. कुछ ऐसे पन्ने होते हैं जो मन की किताब से सदा के लिए हट जाए तो बेहतर.

Archana Chaoji said...

बहुत जरूरी है विस्मॄति का होना ....

Ranjana verma said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति!! विस्मृति न हो तो मनुष्य असंतुलित हो जाय ,भूलने का प्रयास और विस्तार देता है.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

वाह !!! बहुत सुंदर भावपूर्ण सार्थक प्रस्तुति,,,आभार

RECENT POST: नूतनता और उर्वरा,

कालीपद "प्रसाद" said...

भूलने की शक्ति देकर भगवान ने सबसे बड़ा वरदान दिया अन्यथा आदमी पागल हो जाता,

latest post'वनफूल'

Amrita Tanmay said...

अति सुन्दर कहा है..

प्रतिभा सक्सेना said...

प्रसाद भी एक बार कह उठे थे-
विस्मृति आ,अवसाद घेर ले ,नीरवते बस चुप कर दे ,
चेतनता चल जा,जड़ता से आज शून्य मेरा भर दे !

Rajendra kumar said...

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,इश्वर हमे भुलाने की शक्ति देकर बहुत ही उपकार कियें है.

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत कुछ भूलना आवश्यक भी है..

Madan Mohan Saxena said...

बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको

विभा रानी श्रीवास्तव said...

जीवन धारा के
सहज-सरल निर्बाध बहाव हेतु
कितना आवश्यक है
विस्मृति का सुख
बिलकुल सच !!
बहुत ज्यादा जरुरत होती है पिछला भूल जाना
हार्दिक शुभकामनायें

दिगम्बर नासवा said...

बिसरा देने का प्रयास विस्तार देता है ...
सच ही तो कहा है ... दरअसल समय ही होता है जी विस्मृत करा सकता है ... चाहे सुख हो या दुख ...
चाने से कहां कुछ हुआ है ...

shikha varshney said...

जान चली जाती है पर याद कहाँ जाती है ...

Ramakant Singh said...

विस्मृत होना नहीं भावों के अंकन के रिक्त और सिक्त होना ज़रूरी है ...जीवन के बहुत करीब ज्ञान विज्ञान और मानव मन के करीब दिल को छूने वाली

समय मिले तो तथागत की टैरेस गार्डन http://rajeshakaltara.blogspot.in/2013/05/blog-post.html का आनंद भी लें

गिरधारी खंकरियाल said...

बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले।

Maheshwari kaneri said...

विस्मृति और स्मृति गाडी के दो पहियो की तरह जिन्दगी को संतुलित करते है..बहुत सुन्दर भाव..

Yashwant R. B. Mathur said...

आपने लिखा....हमने पढ़ा
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 09/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!

Smart Indian said...

सच कहा, विस्मृति का सुख अनन्य है।

Arvind Mishra said...

मैंने स्नायु विज्ञान पर कई लेख पढ़े हैं जिनके अनुसार मनुष्य मस्तिष्क खुद ही अप्रिय स्मृतियों को भुलाने को सक्रिय रहता है -और यह बहुत जरुरी है . आपकी कविता से यह बात याद हो आयी -कहा भी गया है कि टाईम इज बेस्ट हीलर

Jyoti Mishra said...

annoying habit of our mind, remembering things it shouldn't

वाणी गीत said...

कमजोर स्मरण शक्ति किसी मायने में बहुत मददगार होती है , जो भूल नहीं पाते उनके लिए जीवन मुश्किल हो जाता है :)
कविता के निहितार्थ गूढ़ है , सरल भी !

मन्टू कुमार said...

Kuchh bhi bhula dena aasan nhi hota aur shayad isiliye aapki ye kavita is jadojahad ke lie hai...

Sadar

Tanuj arora said...

विस्मृति का सुख
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
बिना विस्मृति के शायद जीवन में आने वाले सुनहरे लम्हों का आनंद ही न उठा पायें..

Dr (Miss) Sharad Singh said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. ....

kavita verma said...

sundar abhivyakti..

Vandana Ramasingh said...

सच कहा आपने

Suman said...

बिलकुल सही कहा है सटीक लगी यह रचना !

P.N. Subramanian said...

सुन्दर रचना विस्मृति सुखदायी होती है ऐसा मैं भी मानता हूँ परन्तु लिखते समय जब तत्सम शब्द नहीं मिलते तो भय का संचार भी होता है.

सदा said...

सार्थकता लिये सशक्‍त रचना ...

virendra sharma said...

विस्मृति का सुख वर्तमान को भी संपुष्ट करता है .जीवन तो निरंतर आगे और आगे की ओर ही है .भूतकाल का चिंतन आदमी को भूत ही बना देता है .भविष्य ब्लेक होल की तरह एक बतं लेस पिट है .शाश्वत है सत्य है वर्तमान .

जयकृष्ण राय तुषार said...

बहुत ही सुन्दर कविता |

आनन्द विक्रम त्रिपाठी said...

यादें कभी हौसला देती हैं तो कभी प्यार भरी थपकी | सुंदर और सशक्त प्रस्तुति |

Neeraj Neer said...

बहुत ही सुन्दर एवं सशक्त प्रस्तुति,

virendra sharma said...

स्मृतियों का व्यापार जो बाधित करता है हमारा आज ...लेकिन क्यों ?क्यों व्यतीत की छाया वर्तमान पर मंडराए ?

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

अच्छी रचना बहुत सुंदर..


ए अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
मां ने आंखे खोल दी घर में उजाला हो गया।

समय मिले तो एक नजर इस लेख पर भी डालिए.
बस ! अब बक-बक ना कर मां...
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/05/blog-post.html?showComment=1368350589129

Rajput said...

बहुत खूबसूरत और सार्थक रचना

rashmi ravija said...

विस्मृति का सुख एक वरदान है ..
सुन्दर रचना

Kailash Sharma said...

पर कहाँ संभव है यादों को विस्मृत करना...काश मिल पाता विस्मृति का सुख...बहुत सशक्त अभिव्यक्ति..

Unknown said...

sundar evam sarthak rachna

ashokkhachar56@gmail.com said...

सटीक रचना,बहुत सुन्दर बहुत सुन्दर ! कविता बहुत गूढ़ है बहुत गूढ़,और सरल भी !शुभकामनायें

Jyoti khare said...

विस्मृति का सुख----मन के भीतर पल रहे अनकहे प्रेम,पीड़ा
को व्यक्त करती गहन अनुभूति है
आपने बहुत खूब शब्द चित्र खींचा है
सुंदर रचना
बधाई

Dr. Shorya said...

यादें याद आती है , बहुत खूब कहा आपने ,शुभकामनाये

Monika Jain said...

so true

Safarchand said...

लिखने की भूख,विस्मृति का सुख.विचारों का प्रवाह -- वाह वाह ! लेकिन कभी "मौन" हो के विचारशून्यता का सफर का मज़ा लीजिए....लिखिए कम, पढ़िए ज्यादा..यादो में फिर से लौटा के ले आने के लिए धन्यवाद तथा, सारगर्भित लेखन के लिए साधुवाद.

Unknown said...

एकदम सही कहा आपने । सुन्दर एवं सशक्त रचना । बधाई । सस्नेह

Asha Joglekar said...

जरूरी है विस्मृति वरना कितनी अनचाही यादें बार बार आती रहेंगी .

Tarang Sinha said...

Beautiful poem!

I was wondering if you like to read Hindi Mythological novel & would you like to review the book on your blog? My brother Nilabh Verma is the author of a novel Swayamvar, based on a very complex relationship of Bheeshm & Amba. As these days Hindi reading has declined drastically, and mythology is quite in demand and it's a nicely written book (I'm not being biased, it really is!:)), I want people to know about this book. If it interests you and if you have time then please write to me with your postal address so that I can send the book to you. Thanks!:)

Naveen Mani Tripathi said...

bahut hi sundar badhai sharma ji

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