विस्मृति की अनिवार्यता
के अर्थ वो ही समझता है
जो प्रतिदिन जाता है
उन पगडंडियों तक
जिन पर सुखद स्मृतियाँ
बिखरी पड़ी हैं और
प्रतीक्षारत खड़े हैं
दुखद क्षण भी
जो मिटते ही नहीं
न ही धुंधले होते हैं
बीतते समय के साथ
कभी यथार्थ के कठोर धरातल
तो कभी कल्पनाओं में बुना
अपना ही संसार
कुछ भी भुलाना सरल नहीं
बिसरा देने के प्रयास तो
और विस्तार देते जाते हैं
बीती बातों और आघातों को
गहरी चोट करते हैं
वर्तमान पर
जीवन की गति
धीमी कर देता है
स्मृतियों का ये भार
जो बाधित करता है
आज का विस्तार
सच, जीवन धारा के
निर्बाध बहाव हेतु
कितना आवश्यक है
विस्मृति का सुख
53 comments:
वास्तव में ही, कुछ भी भुलाना इतना भी सरल नहीं होता
स्मृति का बोझ असहनीय हो जाता है.
स्मृति और विस्मृति एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. सुन्दर भाव हैं कविता में.
smritio ke anchal se jahlkti kabhi n bhool jane vali smritiya, bahut sundar rachna ,badhayee
यदि विस्मृति का गुण प्रकृति हमें ना देती तो जीवन बहुत ही मुश्किल हो जाता. फ़िर भी कुछ ऐसी दुखद घटनाएं हर एक के साथ घटी होती हैं जिनका दंश जीवन भर झेलना पडता है. बहुत ही सार्थक कविता. शुभकामनाएं.
रामराम.
बिलकुल सही कहा. कुछ ऐसे पन्ने होते हैं जो मन की किताब से सदा के लिए हट जाए तो बेहतर.
बहुत जरूरी है विस्मॄति का होना ....
बहुत सुंदर प्रस्तुति!! विस्मृति न हो तो मनुष्य असंतुलित हो जाय ,भूलने का प्रयास और विस्तार देता है.
वाह !!! बहुत सुंदर भावपूर्ण सार्थक प्रस्तुति,,,आभार
RECENT POST: नूतनता और उर्वरा,
भूलने की शक्ति देकर भगवान ने सबसे बड़ा वरदान दिया अन्यथा आदमी पागल हो जाता,
latest post'वनफूल'
अति सुन्दर कहा है..
प्रसाद भी एक बार कह उठे थे-
विस्मृति आ,अवसाद घेर ले ,नीरवते बस चुप कर दे ,
चेतनता चल जा,जड़ता से आज शून्य मेरा भर दे !
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,इश्वर हमे भुलाने की शक्ति देकर बहुत ही उपकार कियें है.
बहुत कुछ भूलना आवश्यक भी है..
बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको
जीवन धारा के
सहज-सरल निर्बाध बहाव हेतु
कितना आवश्यक है
विस्मृति का सुख
बिलकुल सच !!
बहुत ज्यादा जरुरत होती है पिछला भूल जाना
हार्दिक शुभकामनायें
बिसरा देने का प्रयास विस्तार देता है ...
सच ही तो कहा है ... दरअसल समय ही होता है जी विस्मृत करा सकता है ... चाहे सुख हो या दुख ...
चाने से कहां कुछ हुआ है ...
जान चली जाती है पर याद कहाँ जाती है ...
विस्मृत होना नहीं भावों के अंकन के रिक्त और सिक्त होना ज़रूरी है ...जीवन के बहुत करीब ज्ञान विज्ञान और मानव मन के करीब दिल को छूने वाली
समय मिले तो तथागत की टैरेस गार्डन http://rajeshakaltara.blogspot.in/2013/05/blog-post.html का आनंद भी लें
बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले।
विस्मृति और स्मृति गाडी के दो पहियो की तरह जिन्दगी को संतुलित करते है..बहुत सुन्दर भाव..
आपने लिखा....हमने पढ़ा
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 09/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
सच कहा, विस्मृति का सुख अनन्य है।
मैंने स्नायु विज्ञान पर कई लेख पढ़े हैं जिनके अनुसार मनुष्य मस्तिष्क खुद ही अप्रिय स्मृतियों को भुलाने को सक्रिय रहता है -और यह बहुत जरुरी है . आपकी कविता से यह बात याद हो आयी -कहा भी गया है कि टाईम इज बेस्ट हीलर
annoying habit of our mind, remembering things it shouldn't
कमजोर स्मरण शक्ति किसी मायने में बहुत मददगार होती है , जो भूल नहीं पाते उनके लिए जीवन मुश्किल हो जाता है :)
कविता के निहितार्थ गूढ़ है , सरल भी !
Kuchh bhi bhula dena aasan nhi hota aur shayad isiliye aapki ye kavita is jadojahad ke lie hai...
Sadar
विस्मृति का सुख
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
बिना विस्मृति के शायद जीवन में आने वाले सुनहरे लम्हों का आनंद ही न उठा पायें..
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. ....
sundar abhivyakti..
सच कहा आपने
बिलकुल सही कहा है सटीक लगी यह रचना !
सुन्दर रचना विस्मृति सुखदायी होती है ऐसा मैं भी मानता हूँ परन्तु लिखते समय जब तत्सम शब्द नहीं मिलते तो भय का संचार भी होता है.
सार्थकता लिये सशक्त रचना ...
विस्मृति का सुख वर्तमान को भी संपुष्ट करता है .जीवन तो निरंतर आगे और आगे की ओर ही है .भूतकाल का चिंतन आदमी को भूत ही बना देता है .भविष्य ब्लेक होल की तरह एक बतं लेस पिट है .शाश्वत है सत्य है वर्तमान .
बहुत ही सुन्दर कविता |
यादें कभी हौसला देती हैं तो कभी प्यार भरी थपकी | सुंदर और सशक्त प्रस्तुति |
बहुत ही सुन्दर एवं सशक्त प्रस्तुति,
स्मृतियों का व्यापार जो बाधित करता है हमारा आज ...लेकिन क्यों ?क्यों व्यतीत की छाया वर्तमान पर मंडराए ?
अच्छी रचना बहुत सुंदर..
ए अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
मां ने आंखे खोल दी घर में उजाला हो गया।
समय मिले तो एक नजर इस लेख पर भी डालिए.
बस ! अब बक-बक ना कर मां...
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/05/blog-post.html?showComment=1368350589129
बहुत खूबसूरत और सार्थक रचना
विस्मृति का सुख एक वरदान है ..
सुन्दर रचना
पर कहाँ संभव है यादों को विस्मृत करना...काश मिल पाता विस्मृति का सुख...बहुत सशक्त अभिव्यक्ति..
sundar evam sarthak rachna
सटीक रचना,बहुत सुन्दर बहुत सुन्दर ! कविता बहुत गूढ़ है बहुत गूढ़,और सरल भी !शुभकामनायें
विस्मृति का सुख----मन के भीतर पल रहे अनकहे प्रेम,पीड़ा
को व्यक्त करती गहन अनुभूति है
आपने बहुत खूब शब्द चित्र खींचा है
सुंदर रचना
बधाई
यादें याद आती है , बहुत खूब कहा आपने ,शुभकामनाये
so true
लिखने की भूख,विस्मृति का सुख.विचारों का प्रवाह -- वाह वाह ! लेकिन कभी "मौन" हो के विचारशून्यता का सफर का मज़ा लीजिए....लिखिए कम, पढ़िए ज्यादा..यादो में फिर से लौटा के ले आने के लिए धन्यवाद तथा, सारगर्भित लेखन के लिए साधुवाद.
एकदम सही कहा आपने । सुन्दर एवं सशक्त रचना । बधाई । सस्नेह
जरूरी है विस्मृति वरना कितनी अनचाही यादें बार बार आती रहेंगी .
Beautiful poem!
I was wondering if you like to read Hindi Mythological novel & would you like to review the book on your blog? My brother Nilabh Verma is the author of a novel Swayamvar, based on a very complex relationship of Bheeshm & Amba. As these days Hindi reading has declined drastically, and mythology is quite in demand and it's a nicely written book (I'm not being biased, it really is!:)), I want people to know about this book. If it interests you and if you have time then please write to me with your postal address so that I can send the book to you. Thanks!:)
bahut hi sundar badhai sharma ji
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