चैतन्य |
चैतन्य
चीज़ों से, बातों से
ऊब जाने का
तुम्हारा स्वभाव
नित नया पाने का भाव
बड़ा प्रबल है
तुम से जुड़ा कुछ भी
तुम्हारी निर्बलता नहीं बनता
ना ही उपजती है आसक्ति
तुम्हारे मन में
कुछ नहीं बांधता तुम्हें
मन से, विचार से, पूर्णतः स्वतंत्र
कितने ही आसुरी भावों से दूर
संतुष्टि भरी सोच और
भीतर का ठहराव लिए
तुम्हारे ऊर्जामयी मन में
न नकारात्मक वृत्ति है
न ही कोई भय
स्वयं को लेकर पूर्णता है
तुम्हारा अपना एक मार्ग है
जिस पर ना परम्पराएं हैं
ना विवशताएँ
तुम्हारे पास है
मन की कहने और करने
का असीम सामर्थ्य
बाल मन की ये तटस्थता
हर दिन एक नया पाठ पढ़ाती है
एक माँ के मन को
जीवन का सही अर्थ बताती है
नई चेतना जगाती है
62 comments:
मां का बच्चे के प्रति विशेष भाव प्रकट करती कविता पर ध्यानाकर्षण इसमें है कि 'हर दिन का नया पाठ एक मां के मन को रोज अगर जीवन का सही अर्थ' बता रहा है चेतना दे रहा है। अत्यंत सुंदर और यशोदा मैया का बालकृष्ण के साथ अंतर्मन से संवाद।
बहुत ही अच्छे भाव!
प्रिय चैतन्य को जन्म दिन की अशेष शुभकामनाएँ!
सादर
बहुत ही सुंदर और प्रेरक.
रामराम.
आज कल इस बाल मन पर बाहरी प्रभाव बहुत जल्दी और ज्यादा पड़ता है , ये बाल मन सदा मासूम ही रहे यही कामना । अच्छी कविता ।
अत्यंत सुंदर.माँ का बच्चे के प्रति विशेष भाव लिए रचना.
अच्छी है
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (23-11-2013) "क्या लिखते रहते हो यूँ ही" चर्चामंच : चर्चा अंक - 1438” पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
कल 23/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
सुन्दर संवेदित भाव।
वात्सल्य रस से आपको यूं ही चैतन्य सराबोर करते रहे ।
आपकी यह रचना बार-बार बुलाती है और अपने साथ कुछ देर 'पढ़ने का खेल' खेलने को कहती है। गज़ब है आपकी रचना क्षमता।
सच! जिसे देखकर थोड़ा सा बचपन हम भी पा लेते हैं..
परमेश्वर का रूप कहा जाता बालक को इसी तटस्थता के चलते योग की स्थिति है यह।
तुम्हारे पास है
मन की कहने और करने
का असीम सामर्थ्य
बाल मन की ये तटस्थता
हर दिन एक नया पाठ पढ़ाती है
एक माँ के मन को
जीवन का सही अर्थ बताती है
नई चेतना जगाती है
सुन्दर भावों की सुन्दर प्रस्तुति
bahut sundar ma ke man aur bachhon ke man dono ek dusre ko samjhate hai ye sahi ki nit navinta bachhon ko bahut hi bhati hai...............
बहुत बढ़िया बाल सुलभ मन की रचना!
बच्चे के मन को माँ से बेहतर कौन पढ़ सकता है आखिर वह माँ का ही एक हिस्सा है।
तस्वीर भी चैतन्य की मासूमियत को दर्शा रही है।
बालमन का सुंदर चित्रण।
God Bless.
सच है ! जीवन जीने का सही नज़रिया तो बच्चों के पास ही होता है।
चैतन्य से जागी चेतना को सलाम !
इतने प्यारे अल्फाज़ !!!! कहाँ मिले :)
बच्चे बहुत कुछ सिखाते हैं।
मातृत्व का यह गौरव यूँ ही बना रहे !
निष्कलंक अकलुषित स्निग्ध बालमन
कोमल एहसास लिए है आपकी रचना ... बच्चे नित पल कुछ सीखें, आत्मविश्वास बने, कुछ सीखने की प्रबल इच्छा रहे उनके अंदर ... इससे ज्यादा एक माँ बाप चाहते भी क्या हैं ... भावमय रचना ...
कोमल भाव लिए बहुत ही सुन्दर रचना....
बेहतरीन...
:-)
बाल मन की ये तटस्थता
हर दिन एक नया पाठ पढ़ाती है
एक माँ के मन को
जीवन का सही अर्थ बताती है
नई चेतना जगाती है
....बहुत कुछ सीख सकते हैं हम बच्चों से...कोमल अहसासों से आपूर बहुत भावमयी रचना...
One word- Beautiful !!
तुम्हारा अपना एक मार्ग है
जिस पर ना परम्पराएं हैं
ना विवशताएँ.....
बचपन सी बिंदास अवस्था कोई नहीं होती। बहुत खूब
पवित्र बालमन का असीम सामर्थ्य
हर दिन कुछ नया सीखने को मिलता है, अगर हम अपने आस-पास हर चीज़ को सजग भाव से देखें-समझें तो...
बहुत सुंदर मोनिका जी!
~सादर!!!
बहुत सुन्दर |
भावमय करते शब्दों का संगम ....
चैतन्य के लिये अनंत शुभकामनाएं
आज से कुछ सालों बाद जब चैतन्य इन पंक्तियों को पढ़ेगा ..समझेगा ...वह उसकी ज़िन्दगी का कितना खूबसूरत..समृद्ध पल होगा ...!!!
ना विवशताएँ
तुम्हारे पास है
मन की कहने और करने
का असीम सामर्थ्य
बाल मन की ये तटस्थता
हर दिन एक नया पाठ पढ़ाती है
एक माँ के मन को
जीवन का सही अर्थ बताती है
नई चेतना जगाती है
ऊर्ध्वगामी बनाती है चेतना को बालमन की अन्वेषण वृत्ति।
बालपन ऐसा ही उन्मुक्त होना चाहिए...
बहुत सुन्दर। लगा जैसे यशोदा मईया कन्हैया से कह रही हों!
चैतन्य को ढेर सारा आशीष।
सादर
मधुरेश
मन को छूती कोमल रचना
बाल मन की ये तटस्थता
हर दिन एक नया पाठ पढ़ाती है
एक माँ के मन को
जीवन का सही अर्थ बताती है
नई चेतना जगाती है-------
मन से निकली सच्ची अनुभूति
बहुत सुंदर अनुभूति
सादर
जानने की इच्छा बलवती है, उसे ऊर्जा दिये रहें।
बाल मन की ये तटस्थता
हर दिन एक नया पाठ पढ़ाती है
एक माँ के मन को
जीवन का सही अर्थ बताती है
नई चेतना जगाती है
sachchi baat jo shayad har ma anubhav karti hai
sunder
rachana
शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का समाज सापेक्ष लेखन का आपके।
शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का सुन्दर सामाजिक लेखन का।
इस चैतन्य रूपी चित्त को बस प्रेरणा देते रहिये !
बहुत सुन्दर रचना है !
संवेदित भावलिए सुन्दर रचना..चैतन्य को ढेर सारा आशीष।
bahut hi sunder prastuti. manovaigyanik vivechan
उत्तम...इस प्रस्तुति के लिये आप को बहुत बहुत धन्यवाद...
नयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
उन नासमझी के दिनों में फिर घूम आने को जी चाहता है...सुंदर अभिव्यक्ति।।।
सुंदर प्रस्तुति।।।
बेहद स्तरीय लेखन कर रहीं हैं आप अभिनव सामाजिक विषयों पर। शुक्रिया आपकी प्रेरक -उत्प्रेरक टिप्पणियों का।
वाह !!! बहुत सुन्दर .....माँ बेटे के रिश्ते जैसी निर्मल रचना
सच ... बच्चो से कितना कुछ सीखने को मिलता है
बहुत सुंदर रचना में आपने जो ये बात बाँधी है .... मन मोह लिया
यही तो बाल मन और बचपन है
काश हम भी सीख पाते ...
आपकी सद्य प्रेरक टिप्पणियों का शुक्रिया।
संतुष्टि भरी सोच और
भीतर का ठहराव लिए
तुम्हारे ऊर्जामयी मन में
न नकारात्मक वृत्ति है
न ही कोई भय
स्वयं को लेकर पूर्णता है
तुम्हारा अपना एक मार्ग है
जिस पर ना परम्पराएं हैं
ना विवशताएँ
सकारात्मक अवलोकन एवं विष्लेश्णात्मक अभिव्यक्ति
आपको नववर्ष 2014 की मंगल कामनाएं...
बहुत खूबसूरत रचना।
नववर्ष की ढेरों मंगल कामनाएँ
आपको भी नव वर्ष 2014 के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ
एक माँ के मन को
जीवन का सही अर्थ बताती है
नई चेतना जगाती है sahi bat hai jivan ka arth kai bar bacche anjaane me hamen sikha jaate hain ..sundar abhiwayakti ....
बहुत सुंदर----
उत्कृष्ट प्रस्तुति
नववर्ष की हार्दिक अनंत शुभकामनाऐं----
एक माँ अपने बच्चे की सच्ची दृष्टा होती है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
बहुत बढ़िया प्रस्तुति.
चैतन्य का कोना भी पढ़ा मैंने............बेहद अच्छा लगा :-)
तभी तो बच्चे भगवानजी का रूप माने जाते हैं !!
amazing post.
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