स्मृतियाँ चाहे अनचाहे मन की चौखट पर दस्तक दे ही देती हैं । अधिकार जताती हैं और हमारे समय और ऊर्जा को लेकर स्वयं को पोषित करती हैं । इन्हें तो हमारा दखल भी बर्दाश्त नहीं । जितना उपेक्षित करो उतनी ही दृढ़ता मन के द्वार खटखटाती हैं । यादों के आगे मन की विवशता भी देखते ही बनती है । जब चाहकर भी इनकी अवहेलना नहीं की जा सकती । बिना झाड़ -पौंछ ही ये नई सी रहती हैं, इन्हें विस्मृत किया ही नहीं जा सकता ।
शाम ढले अँधेरे में बैठे बैठे यूँ ही किसी का मन बीते दिनों को यात्रा पर निकल पड़ता है तो कोई यात्रा करते हुए जीवन की स्मृतियों में डूब जाता है । कभी हकीकत का कड़वा घूँट और कभी कल्पना से भी परे एक मिठास । स्मृतियाँ कुछ विशिष्ट होती हैं । हमारी सफलता असफलता के साथा ही दृढ़ता और समझौते सभी कुछ सहेजे यादें पुरानी नहीं पड़तीं । कभी कभी लगता है जीवन जिस गति से आगे बढ़ता है बीता समय उसके साथ इतना तालमेल कैसे बनाये रखता है । कितने ही दर्द कितनी ही पीड़ाएं जाने कल ही बात हों । सदा जीवंत रूप में साथ चलती हैं । कितने ही सुख, कितनी ही खुशियां मन को घेरे रहती हैं ।
स्मृतियाँ दुःख को समेटे हों या सुख को । एक बात हमेशा देखने में आती है कि इन्हें सहेजना हमें एक सुखद अनुभूति देता है । जीवन का ऐसा बहुत कुछ जो देखा-जिया हो, हम स्वयं से छूटने नहीं देना चाहते । चाहे उसमे पीड़ा हो या प्रेम । स्मृतियों के रूप में बीते जीवन को जीना और याद करना हर मन को सुहाता है । स्मृतियों के सागर में उठते गिरते रहने का भी अपना आनंद है । तभी तो कभी यूँ बैठकर यादों का पिटारा खोल अपनों से बतियाना कितना आनंददायी लगता है ।
स्मृतियाँ प्राणवान होती हैं । जीवंत और अनमोल। हमें जीना-सोचना सिखाती हैं । हमारे अपने ही जीवन को सम्बोधित यादें बीते कल का प्रतिबिम्ब बन हर क्षण हमारे सामने रहतीं हैं । स्मृतियाँ बारम्बार यह आभास करवाती हैं कि न तो इन्हें भुलाया जा सकता है और न ही बिसराना कभी सम्भव हो पाता है । ये तो साथ चलती हैं जीवन भर । तभी तो स्मृतियों के ये बिखरे सूत्र हमें सदैव बांध कर रखते हैं, अपने आप से । सम्भवतः इसीलिए हम उन्हें कभी विदा नहीं कर पाते और ये स्वयं तो विदा लेना ही नहीं चाहतीं ।
67 comments:
सुन्दर पोस्ट |अतीत के चलचित्र वाकई अद्भुत होते हैं |
अनमोल
स्मृतियों का खजाना और कीमत उम्र बढ़ते बढ़ती जाती है। पन्ने पलटते कई बार अहसास होता है कि उस समय जिये जाने वाले सुख और दुःख आपस में अपना स्थान बदल चुके होते हैं !
हम सब की जमा-पूंजी ये स्मृतियां ही होती हैं, इन्हें ही स्मरण करके हम जीवन में आनन्द ढूंढते हैं।
कुछ स्मृतिया अपने आप गायब हो जाती है और उनकी जगह नहीं आ जाती है तो कभी कभी जब हम उन्हें भुलाने की चेष्टा करते है तो वो न जाने की जिद्द पर आ जाती है , कुछ सहेज के रखे जाने वाली होती है तो कुछ सदा के लिए हटा दी जाने लायक ।
स्मृतियाँ सुखद हो या दुखद हरपल हम उन्हें साथ रखना चाहते है.....स्मृतियों से रुबरु कराती..सच से अवगत कराती सुन्दर पोस्ट...
:-)
स्मृतियाँ ही अपने द्वारा किये सही गलत निर्णयो का भान कराती है और गलतियों से सिखने कि राह बनाती है। बहुत सुन्दर लेख।
स्मृतियाँ ही अपने द्वारा किये सही गलत निर्णयो का भान कराती है और गलतियों से सिखने कि राह बनाती है। बहुत सुन्दर लेख।
स्मृतियाँ ताउम्र हमारे साथ रहती हैं.कुछ स्मृतियों को तो हम संजोकर रखना चाहते हैं.उम्र के पड़ाव में कौन सी स्मृति दस्तक देने आ जाय,पता नहीं !
स्मृतियों का खजाना वक़्त के साथ बढ़ता जाता है । कुछ विस्मृत भी होता है लेकिन फिर भी ये सच है कि यादों में हम पूर्व समय को जी लेते हैं ।
we are sum total of our past...स्मृतियाँ ही हमें हम बनातीं हैं...
कहीं पढ़ा था ... अतीत कितना ही दिखाद हो उनकी स्मृतियाँ हमेशा मधुर होती हैं .. और ये बातें तो दिल के करीब रहती हैं ..
आपके एक एक शब्द से सहमत हूँ ......
bahut achchi lagi......
सच कहा आपने स्मृतियाँ सुख -दुख में साथ देती ,हमे अपने आप से जोड़ती हैं ....!!
यह स्मृतियाँ ही तो हैं जो सदा साथ निभाती है।
puri tarah sahmat hoon ......jo wyatit hua wahi to atit hai use kaise bhool sakte hain ......
puri tarah sahmat hoon ......jo wyatit hua wahi to atit hai use kaise bhool sakte hain ......
आपकी इस प्रस्तुति को आज की कड़ियाँ और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
यादें ही तो हैं जिनमे हम जब जी चाहे अपने गुज़रे पल को जी सकते हैं, कभी आँखे नम कर जाती हैं कभी होंठो पर मुस्कान ले आती हैं ये खट्टी - मीठी सी यादें !
"स्मृतियाँ चाहे अनचाहे मन की चौखट पर दस्तक दे ही देती हैं । अधिकार जताती हैं और हमारे समय और ऊर्जा को लेकर स्वयं को पोषित करती हैं । इन्हें तो हमारा दखल भी बर्दाश्त नहीं । जितना उपेक्षित करो उतनी ही दृढ़ता मन के द्वार खटखटाती हैं । यादों के आगे मन की विवशता भी देखते ही बनती है । जब चाहकर भी इनकी अवहेलना नहीं की जा सकती । बिना झाड़ -पौंछ ही ये नई सी रहती हैं, इन्हें विस्मृत किया ही नहीं जा सकता । "
बहुत सुन्दर भाषाप्रवाह रहता है मोनिका जी आपका और सार्थक चिंतन तो सदैव ही
स्मृतियाँ आहार भी देती हैं और विवश पाकर प्रहार भी करती हैं।
स्मृतियाँ तो हमेशा ही साथ बनी होती है...कुछ को एक बार फिर जी लेने को जी चाहे और कुछ को छलांग लगा,आगे बढ़ जाने को
कहा आप ने स्मृतियाँ सुख -दुख में ,हमे अपने आप से जोड़ती हैं ....!! बहुत सुन्दर..
स्मृतियाँ प्राणवान जीवंत और अनमोल होती है । हमें जीना-सोचना सिखाती हैं ।
RECENT POST -: पिता
स्मृतियों के बिना जीवन कितना नीरस हो जाएगा...
सुन्दर आलेख !
~सादर
हाँ एकदम सही कहा आपने....बिलकुल मेरी मन की बात कही है आपने ! :)
स्मृतियों से रुबरु कराती..... सुन्दर पोस्ट..
स्मृतियाँ कभी नहीं मिटती | दुःख और सुख को समेटे ये अचेतन मन में कहीं बहुत गहरे सदा के लिए डेरा जमा लेती हैं | बहुत अच्छा लेख |
@स्मृतियाँ दुःख को समेटे हों या सुख को । एक बात हमेशा देखने में आती है कि इन्हें सहेजना हमें एक सुखद अनुभूति देता है ।
इसीलिए तो कवि कहता है-
दुख के अंदर सुख की ज्योति
दुख ही सुख का ज्ञान.....
शानदार प्रस्तुति से साक्षात्कार हुआ । मेरे नए पोस्ट "सपनों की भी उम्र होती है "पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है।
स्मृतियाँ प्राणवान होती हैं । जीवंत और अनमोल। हमें जीना-सोचना सिखाती हैं । हमारे अपने ही जीवन को सम्बोधित यादें बीते कल का प्रतिबिम्ब बन हर क्षण हमारे सामने रहतीं हैं । स्मृतियाँ बारम्बार यह आभास करवाती हैं कि न तो इन्हें भुलाया जा सकता है और न ही बिसराना कभी सम्भव हो पाता है । ये तो साथ चलती हैं जीवन भर ।......
sach kaha aapne
हमारे होने का यही प्रमाण भी है..
स्व्प्न बनकर भी चली आती हैं साथ चलती हैं स्मृतियाँ। सुन्दर है भावाभिव्यक्ति।
स्व्प्न बनकर भी चली आती हैं साथ चलती हैं स्मृतियाँ। सुन्दर है भावाभिव्यक्ति।
प्रस्तुति प्रशमसनीय है। मेरे नरे नए पोस्ट सपनों की भी उम्र होती है, पर आपका इंजार रहेगा। धन्यवाद।
Nothing but endless dream of human being.
स्मृतियाँ तमाम उम्र साथ चलती रहती हैं...बहुत प्रभावी आलेख...
बहुत सुन्दरता से दिखा गए आप स्मृतियों वाला ख़ज़ाना.. :-)
हमारे इस कंप्यूटर की भांति ही है हमारा मष्तिष्क अनंत स्मृतियों का संग्रह !
बहुत सुन्दर विमर्श उन स्मृतियों का !
स्मृतियाँ जीवन की जमा-पूँजी बन जाती हैं ,और कुछ तो हम सदा साथ रख भी नहीं सकते ,ये मन का साथ
निभाती हैं.
स्म्रतियां सहारा हैं जीवन का !!
अतीत चाहे कितना भी कड़वा क्युं न हो, उसकी यादें हमेशा मीठी होती है..सुंदर प्रस्तुति।।
सुन्दर प्रस्तुति , आभार !
Exceptionally good. I have visited your blog for the first time and impressed by your writing style. Keep it up!!
स्मृतियां तो जीवन के हर लम्हे में संबल बनाये रखती हैं .....
बहुत ख़ूब
स्मृतियां का सुन्दर विवेचन ....
हमें अपनी स्मृतियों को सजोकर रखना चाहिए। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।
अपने बीते कल की ओर मुड़कर देखने की चाह हर मन में होती है । तभी तो यादें हमारे ह्रदय में स्थान पातीं हैं । जीवन का सहारा बनती हैं। खट्टी हों या मीठी स्मृतियाँ सदा अपनी सी लगती हैं । बैठे बैठे कभी मन ही जीवन के संस्मरण दोहराने लगता है तो कभी मस्तिष्क जन (जान बूझकर )
बूझकर उन यादों की गहराई तक ले जाता है जो पीछे छूट गयीं हैं । जाने ह्रदय के कौन से कोने में इतना स्थान खली (खाली )
पड़ा रहता है हर स्मृति को स्थान मिल जाता है । कितने ही चरित्र और घटनाएं हमारे भीतर जीवंत बनी रहती हैं । कभी कचोटती हैं तो कभी मुस्कुराहटें बिखेर देती हैं । स्मृतियाँ यह सिखाती समझाती हैं कि जीवन आगे बढ़ता है पर पीछे कुछ नहीं छूटता ।
सुन्दर मनोहर व्यतीत का झरोखा
बहुत अच्छा लिखती हैं आप और जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वो है संतुलित भाषा, और संयमित विचार।
समय के साथ संवाद करती आपकी यह प्रस्तुित काफी सराहनीय है। मेरे नए पोस्ट DREAMS ALSO HAVE LIFE पर आपके सुझावों की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी।
.......... तमाम उम्र साथ चलती रहती हैं स्मृतियाँ
काफी समय बाद कुछ पुरानी नन्हीं स्मृतियाँ मुझे यहाँ खींच लायीं, आपको फेसबुकिया पार्टी में अपने कुछ अन्य परिचितों के साथ देखा तो मन हुआ घर ही चला जाए.
सच है ... घर पर बैठकर तसल्ली से बातें करने का सुख अन्यत्र नहीं! यहाँ तो नयी पुरानी सभी स्मृतियों से वास्ता है.
युवाओं का मोबाइल, वाट्सएप और फेसबुक पर लगातार रहना उनकी सामाजिकता को ख़त्म किये दे रहा है. बड़ी विचित्र बात देखने को मिलती है - आस-पास के लोगों की परेशानी पर उनका ध्यान नहीं जाता लेकिन मैसेज द्वारा मिली सूचनाओं पर रिप्लाई मैसेज से तुरंत रिएक्ट करते हैं. अगर वो ऐसा न करें तो उन्हें अफ़सोस करते भी देखा गया है. दुःख-दर्द से भरे मानवीय संवेदनाओं से जुड़े मैसेज उन्हें अँसुआते जरूर हैं लेकिन वे अपने आस-पास के समाज से मुख फेरे कान बंद किये खड़े रहते हैं . मुझे बीस वर्ष पहले के अक्सर वे पल याद आते हैं जब कॉलिज के युवाओं से आते-जाते दूसरे मुसाफिर भी बातें कर लिया करते थे. विविध विषयों पर चर्चा कर लिया करते थे. अब ऐसा देखने को नहीं मिलता. आज स्कूल-कॉलिज का हर किशोर-युवा और नौकरी पर जाता हुआ व्यक्ति भी मोबाइल में लगा रहता है. पीठ पर लदा मोटा बैग जो दूसरे यात्रियों को धकियाता है और कान में लगा इयरफोन उनकी कराह तक नहीं सुनता .
स्मृतियाँ चाहे अनचाहे मन की चौखट पर दस्तक दे ही देती हैं ।-very true
स्मृतियां वाकई जीवन को दिशा देती हैं...बहुत विचारपूर्ण सार्थक लेख ....
यथार्थ का दर्पण होतीं हैं स्मृतियाँ हमारे कल के यथार्थ का अजो अब व्यतीत बन चुका है बढ़िया भाव व्यंजना आभार आपकी टिप्पणियों का
यादें याद आती है ......... :)
beautifully written , cohesive and engaging enough .. regards ma'm
स्मृतियां वाकई जीवन को दिशा देती हैं...बहुत विचारपूर्ण सराहनीय है लेख ....
Recent Post शब्दों की मुस्कराहट पर ….अब आंगन में फुदकती गौरैया नजर नहीं आती
बहुत खूब लिखा हैं मैम :-)
स्मृतियों को संजोता मन बड़े ही सलीके से ....👍👍
आपकी लिखी रचना सोमवार 26 दिसंबर 2022 को
पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
आपकी लिखी रचना सोमवार 26 दिसंबर 2022 को
पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
बहुत सुंदर रचना...वाकई में स्मृतियां साथ चलती हैं...
स्मृतियां वाकई बड़े अधिकार से आती जाती रहती हैं हम आगे बढ़कर जैसे स्मृतियों को ही जीवन भर संजोते रहते हैं धरोहर की तरह ।
स्मृतियाँ उस बिताये गये समय से कहीं बेहतरीन लगती हैं यही सच है।बिछड़ गये अपने लोग, जगहें, चीजेँ और समय हमारे भीतर सजीवता से विद्यमान रहता है सदा-सर्वदा।सुन्दर लेख के लिए आभार 🙏🙏🌹🌹
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