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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

08 November 2012

उनसे जीवन में आलोक


नारी हर रूप में आलोकित 
करती है आँगन को 
सजाती है दीपमालाएँ 
बिखेर देती है प्रकाश 
छत-मुंडेरों पर 
और दमक उठता है 
सबका जीवन 

 माँ के हाथों 
प्रकशित हुआ दीपक 
देता है अंधकार में 
सजग हो चलने की सीख 
जिसकी लौ की उजास से 
विस्तार पाती है हमारे 
जीवनपथ पर फैली रौशनी 


बहन के हाथों से 
जगमग आँगन के दीपक 
कभी रीतने नहीं देते 
स्नेह और संबल की गठरी
जिसमें भरी होती हैं 
उजली मंगलकामनाएं 


पत्नी के हाथों 
प्रज्वलित दीये की ज्योति 
देती  है साथ जीवन भर 
सुखद क्षणों की साक्षी बनकर  
और व्यथित पलों में  
स्नेह का उजास लिए
 जीवन मार्ग को 
प्रकाशवान करते हुए 


 बिटिया जो संजोती है 
उस दीये की ज्योति-धार में 
बह जाते है जीवन के 
दुःख दर्द 
और आँगन को आलोकित 
कर देती है उसकी 
टिमटिमाती  मुस्कुराहट 




72 comments:

जयकृष्ण राय तुषार said...

पूरी कविता ही सुन्दर रंगो भावो से सजधजकर मन को प्रकाशमय कर रही है |आपको भी दीप पर्व पर बधाई और शुभकामनायें |

वाणी गीत said...

दीप से दीप जलाती नारी भर देती है आलोक हर रिश्ते के पथ पर !
शुभकामनायें !

Unknown said...

दीपावली की हार्दिक शुभकामना
sundar prastuti, nari mahatv ko aalokit karti-नारी हर रूप में आलोकित करती है आँगन को सजाती है दीपमालाएँ बिखेर देती है प्रकाश छत-मुंडेरों पर और दमक उठता है सबका जीवन
माँ के हाथों प्रकशित हुआ दीपक देता है अंधकार में सजग हो चलने की सीख जिसकी लौ की उजास से विस्तार पाती है हमारे जीवनपथ पर फैली रौशनी

सुज्ञ said...

नारी प्रत्येक रूप मेँ हर रिश्ते मेँ जीवन प्रकाशमान करती है.

सुन्दर भावोँ का सँयोजन, आभार!!

प्रतिभा सक्सेना said...

उजास से दीपत नेहभरी बाती अपना अँधेरा तल में छिपाये रखती हैं !

virendra sharma said...

jag ujiyaaraa karti hai vividh roopaaa naari dvaaraa aalokit deeye kee lau .

virendra sharma said...

विविध रूपा नारी द्वारा आलोकित दीप हर दम जग उजियारा .

पी.एस .भाकुनी said...

सुंदर भावाभियक्ति ! बेहतरीन रचना ! स:परिवार दीपावली की ढेरों बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं.......

राजन said...

बहुत सुंदर भाव!

Ramakant Singh said...

पिता, पति, बेटा, भाई, इस दिया में तेल डालते हैं उसे सजाते संवारते है और उसे आधियों से बचाते भी हैं ताकि जग रौशन हो सके और आप रौशन राहों पर निर्भीक चल सकें .शुभकामनाओं सहित.

virendra sharma said...

Happy journey ,thanks for your comments and Happy Diwali celebrations.

Dr.NISHA MAHARANA said...

bahut accha vishleshan ....sundar bhaw..

Madan Mohan Saxena said...

बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको

मनोज कुमार said...

दिए की ज्योति की तरह इस कविता के भाव मन को पुलकित करते हैं।
आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

केवल राम said...

नारी हर रूप में जीवन को नए आयाम देती है ....बेहतर भावाभिव्यक्ति ...!

अरुन अनन्त said...

बेहद खूबसूरत प्रस्तुति, उम्दा भावोँ का सँयोजन

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

उम्दा भावोँ का सँयोजन

उजलापन यह कह रहा,मन में भर आलोक
खुशियाँ बिखरेगी सतत,जगमग होगा लोक.,,,,

RECENT POST:..........सागर

इमरान अंसारी said...

बहुत ही सुन्दर एक स्त्री हर रूप में घर द्वार को रोशन करती है.....आपको भी दीपावली को अग्रिम शुभकामनायें ।

Supriya Asopa Saxena said...

atyant sundar ji. someone else is also reading it who i have told about u. if they ask for your articles, wl u write for them? free. supriya.

सदा said...

अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने इस अभिव्‍यक्ति में ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

जीवन को प्रकाशित कराते नारी के विभिन्न रूप ... बहुत सुंदर ...

दीपावली की शुभकामनायें

रश्मि प्रभा... said...

नारी - दीया भी , बाती भी,तेल भी .... रौशनी भी

surenderpal vaidya said...

सही कहा, नारी अर्थात मातृशक्ति के प्रकाश से ही तो यह सारा जग आलोकित है ।
सुन्दर प्रस्तुति ।

प्रवीण पाण्डेय said...

जो जीवन प्रकाशमय करे, वही दीवाली का उपहार..

ऋता शेखर 'मधु' said...

सुंदर भाव...दीपावली की ढेरों शुभकामनाएँ!!

विभूति" said...

मन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....आपको भी दीपावली की बहुत शुभकामनायें।

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत ही सुन्दर भाव लिए रचना...
सुन्दर प्रस्तुति...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
:-):-) :-):-) :-):-) :-):-) :-)

अशोक सलूजा said...

खुबसूरत भावनाएँ ....
दीवाली की शुभकामनायें!

kshama said...

Bahut,bahut sundar.
Deewalee bahut mubarak ho!

Madhuresh said...

बहुत सुन्दर चित्रांकन .. नारी सृष्टि का आधार है, और इसीलिए सदा नमनीय।
आपको भी दीपावली की बहुत शुभकामनाएं!!
सादर,
मधुरेश

Arvind Mishra said...

हर पल छिन दिन दीवाली -शुभकामनाएं!

समयचक्र said...

bahut sundar rachana prastuti ... vaidya ji ki teep se bhi sahamat ... abhaar

Karupath said...

dipawali mubarak ho

Asha Joglekar said...

बहुत सुंदर,मोनिका जी, नारी का हर रूप आलोकित करता हा घर आंगन ।

शारदा अरोरा said...

bahut sundar kavita..

Amrita Tanmay said...

बहुत सुंदर.. आप और आपके समस्त परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं..

Vaanbhatt said...

तमसो मा ज्योतिर्गमय...शुभकामनाएं दीपावली की...

Asha Lata Saxena said...

बहुत भावपूर्ण रचना |दीपावली पर हार्दिक शुभ कामानाए|
आशा

Unknown said...

sundar abhivyakti,shubh deepawali

Suman said...

दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !
sundar rachna ...

गिरधारी खंकरियाल said...

नारी से ही जीवन प्रकाशमय रहता है।

G.N.SHAW said...

इसीलिए नारी सर्वोगुनी है | दीपावली और गोबर्धन की बधाई मोनिका जी |

अनुभूति said...

सम्पूर्ण कविता भावों का अनूठा समंदर है ...बेहद कोमल और ह्रदय स्पर्शी अभिव्यक्ति के लिए आपका हार्दिक आभार एवं शुभ कामनाएं !!!!

ASHOK BIRLA said...

lakshami kisi b rup me padhare andhera to dur ho hi jata hai. . Bahut sundar sabdsanynjan.

Dr ajay yadav said...

दीपावली कि शुभकामनाये ,सुंदर रचना .......

जयकृष्ण राय तुषार said...

बिलकुल अलग ढंग से रची गयी एक सुंदर कविता |

Anonymous said...

Beautiful Poem

Anupama Tripathi said...

नारी की सार्थकता रिश्तों के दीप प्रज्ज्वलित करते रहने मे ही है ....!!आपकी यात्रा सफल हो ....शुभकामनायें .....!!

महेन्‍द्र वर्मा said...

नारीशक्ति से ही सृष्टि में उजियारा है।
शुभकामनाएं।

उपेन्द्र नाथ said...

nari ke har rup ka sunder varnan... sunder prastuti.

dinesh gautam said...

मन को भी जगमग आलोकित कर दिया आपने अपनी रचना से।

dinesh gautam said...

अच्छी रचना! दीप पर्व की शुभकामनाएं!

Pallavi saxena said...

देर से आने के लिए माफी ...सुंदर भावों से जगमगाती भावपूर्ण रचना...

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

रिश्ते के दीपों के महत्व को परिभाषित करती सुंदर दीपमाला.एक दीप नव वधू के नाम भी...

नववधू के हाथों प्रज्जवलित दीप
अल्पना के रंगो को
परिवार में बिखेरे
अन्न्पूर्णा के आँचल से
स्वास्थ्य मणि बटोरे
लक्ष्मी के पद चिन्ह
मुख्य द्वार से लेकर
पूजा कक्ष तक
सतत् उकेरे

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

Aditya Tikku said...

unda-***

Rajeev Panchhi said...


Your poem is really very nice.
I wish u all the best.


http://nriachievers.blogspot.in/

Ankur Jain said...

सुंदर, सार्थक प्रस्तुति।
मेरे ब्लॉग पर स्वागत है।

Anonymous said...

नव वर्ष 2013 की हार्दिक शुभकामनाएं

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति..
नव वर्ष 2013 की हार्दिक शुभकामनाएं,,,,,

बहुत दिनों से आप पोस्ट पर नही आई,,आइये स्वागत है,,,मोनिका जी,,,

recent post: वह सुनयना थी,

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...



♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥




नारी हर रूप में आलोकित करती है

सर्वमान्य सत्य है !
आदरणीया डॉ. मोनिका जी
सुंदर रचना के साथ सुंदर पोस्ट के लिए आभार !


आशा है आपकी यात्राएं सुचारु रूप से सम्पन्न हो रही होंगी …
आपकी वापसी की प्रतीक्षा है सारे हिंदी ब्लॉगजगत को …
:)
हार्दिक शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति..

virendra sharma said...

शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .जिस घर में औरत नहीं होती कहतें हैं वहां भूत का डेरा होता है उसका होना ही उजास फैलाता है .शुभ वर्ष 24 x7x365.

virendra sharma said...

शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .जिस घर में औरत नहीं होती कहतें हैं वहां भूत का डेरा होता है उसका होना ही उजास फैलाता है .शुभ वर्ष 24 x7x365.

ram ram bhai
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बुधवार, 9 जनवरी 2013
सेहतनामा

http://veerubhai1947.blogspot.in/

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत ही सुंदर बात कही आपने, नारी हर रूप में आधार है, बिना नारी के जीवन की कामना ही आधारहीन है. बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

Praharsh Prasoon said...

nice poem...

tbsingh said...

achchi rachana aapne naari ke har roop ko ekdam sahi prastut kiya hai

विभा रानी श्रीवास्तव said...

मंगलवार 22/01/2013को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं .... !!
आपके सुझावों का स्वागत है .... !!
धन्यवाद .... !!

ओंकारनाथ मिश्र said...

बहुत खूबसूरती से आपने स्त्री के हर रूप से पेश किया है.

Dr. sandhya tiwari said...

नारी का हर रूप सभी को कुछ न कुछ देता है पर बदले में उम्मीद कुछ भी नहीं करता

रश्मि शर्मा said...

सुंदर भावाभियक्ति ! बेहतरीन रचना !

कविता रावत said...

सच कहा आपने नारी दीया, बाती,तेल और रौशनी सभी तो है ..
बहुत बढ़िया रचना

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