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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

03 March 2011

ठगों.....जालसाजों का शिकार बनती महिलाएं.........


ना हथियार की आवश्यकता हैं और न ही जोर जबरदस्ती की........... जालसाजों का खेल कुछ ऐसा होता है कि जिसमें लोगों को ठग जाने के बाद अहसास होता है कि उन्हें छला गया है। ठग विद्या में पारंगत ये जालसाज आए दिन नई तरकीबें खोजते हैं और कभी भी किसी भी इंसान को अपना शिकार बना लेते हैं। अफसोस की बात है कि ठगी की अधिकतर घटनाओं का शिकार महिलाएं बनती हैं। ये ऐसे असामाजिक तत्व हैं जो अपने जाल में घर बैठी महिलाओं तक को फांस लेते हैं। कई बार तो ऐसी अनहोनी के वक्त पूरा परिवार ही नहीं आस-पङौस की सखी सहेलियां भी उनके साथ ही होती हैं

रूमाल में झुमकी बांध कर कुकर में रख दे............ दो दिन बाद दो जोङी झुमकी निकलेंगीं।

बच्चे को नजऱ लगी है..... एक चमत्कारी बाबा चुटकी में ठीक कर देंगें।

बैंक में पैसे जमा करने गईं हैं ...... कोई गिनने में मदद करने के लिए कहता है और दस मिनट बाद कांउंटर पर पंद्रह हजार रूपये कम निकलते हैं।

खास किस्म के पाउडर से गहने चमकाने के बहाने........... नकली जेवर थमा दिए।


महिलाओं का मनोविज्ञान ही कुछ ऐसा होता है कि वे इन जालसाजों का आसान शिकार होती हैं। आमतौर पर देखने में आता है कि महिलाएं सीधे सपाट शब्दों में किसी बात का विरोध नहीं कर पाती, ना नहीं कह पातीं । इसी के चलते कभी लालच में फंसकर तो कभी बहकावे में आकर वे आए दिन इन जालसाजों का शिकार बनती हैं। आमतौर पर भरी दुपहरी में घर की घंटी बजाने वाले इन जालसाजों का निशाना गृहणियां बनती हैं। पर अफसोस की बात यह है कि कई बार पढी लिखी समझदार महिलाएं भी इनके झांसे में आ जाती हैं।


ऐसे छलावों का शिकार होने के बाद कई बार तो महिलाएं घर के सदस्यों को भी नहीं बता पाती । क्योंकि उन्हें यह अपने ही बुने जाल में फंसने जैसा लगता है और यह महसूस होता है मानो स्वयं ही स्वयं को ठग लिया।

आज के दौर में भी कभी झाङ फूंक से जीवन की हर समस्या का हल खोज लेने की चाहत तो कभी धन और गहनों को दुगुना करवा लेने की सोच के चलते को महिलाएं इन ठगों के जाल में इस कदर फंस जाती हैं कि कई बार तो ब्लैकमेलिंग तक की नौबत आ जाती है। ये जालसाजी लोग भी उनकी आंखों में धूल झोंककर अपना खेल खेलते हैं। कई बार तो परिवार की जीवन भर की जमा पूँजी हङपकर चंपत हो जाते हैं।

कभी शब्दों का जाल तो कभी आंखों का धोखा। अखबारों और टीवी चैनल्स में आए दिन ऐसी खबरें सुर्खियां बनती हैं पर फिर भी ठगी का यह खेल जारी है। छोटे बङे शहरों से लेकर गांवों तक आए दिन ऐसी घटनाएं होती हैं। ऐसे में महिलाओं को इन बातों को समझना चाहिए। चाहे गृहणी हों या कामकाजी अपनी सुरक्षा के लिए सतर्क रहना चाहिए। इन ठगों की बातों में आने के बजाए इन्हें सख्ती से मना करें । सबसे ज्यादा जरूरी है कि लालच के इस फेर में पङने से बचें ।

78 comments:

OM KASHYAP said...

aapne sahi kaha
yahi hakikat he

Yashwant R. B. Mathur said...

बिलकुल सही बात कही है आपने...इस तरह के ठगों के चंगुल से बचने की आवश्यकता है.

सादर

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

आद. मोनिका जी,
आपने आज ऐसे विषय को उठाया है जो हमारे आस पास कहीं न कहीं हमेशा मौजूद रहता है !
आये दिन ऐसे समाचार पढ़कर मन में यह भी प्रश्न उठता है कि इस तरह की ठगी का शिकार अधिकतर भोली भाली महिलायें ही क्यों होती हैं !
विचारणीय लेख के लिए आभार !

Satish Saxena said...

बहुत बढ़िया काम का लेख ! शुभकामनायें !

Shalini kaushik said...

bahut sahi bat kahi hai monika ji aapne kintu main gyanchand ji ki is bat se sahmat nahi hoon ki bholi bhali aurten inki shikar banti hain.mene dekha hai ki jo aurten jyada lalchi hoti hain ya khud ko jyada hoshiyar samjhti hain ve inke jal me fans jati hain...

Sushil Bakliwal said...

बेशक इनके झांसे में महिलाएँ अधिक आती है. किन्तु पुरुष भी कम लपेटे में नहीं आते और इन झांसेबाजों का तो मूलमंत्र ही यही रहता है कि जब तक मूर्ख लोग जिन्दा हैं हम जैसे दिमागबाजों का तर मार हर हाल में सुरक्षित है । इसलिये-
ऐ भाई, जरा देखके चलो...

anshumala said...

आप ने जिन ठगी के तरीको को बताया है उनमे वास्तव में महिलाए ही ज्यादा फसंती है किन्तु ऐसा नहीं है की ठगी सिर्फ महिलाओ के साथ ही होती है पुरुष उनके मुकाबले कही ज्यादा ठगे जाते है और बड़ी रकम की चपत उन्हें लगाती है | महिलाए हो या पुरुष अक्सर हमारा लालच और दूसरो पर बिना जाँच पड़ताल किया गया हमारा विश्वास हमें ठगी का शिकार बनाता है |

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बैठी ठाली गपशप करती महिलाएं ठगों के चंगुल में फ़ंस ही जाती है।

ठगों से बचना चाहिए।
उम्दा लेख
आभार

सदा said...

बिल्‍कुल सही विषय उठाया है आपने ..इस तरह की घटनायें होना आम बात हो गई है और लोग बड़ी आसानी से इस छलावे में आ जाते हैं ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

Anonymous said...

सबसे बड़ी आवश्यकता इस बात है की आज महिलाओं को अपने आप को इस तरह के जालसाजों बचाना चाहिए. होता यह की घर पर किसी परेशानी के समाधान के लिए इन के चक्कर में पड़ जाती है... अच्छा विषय चुना

अरुण चन्द्र रॉय said...

एक बहुत ही प्रासंगिक विषय को छुआ है आपने.. महिलायें वास्तव में भावुक होती हैं और गहने उन्हें बहुत प्रिय होते हैं.. अधिकांश ठगी गहने से सम्बंधित होती हैं...

naresh singh said...

आपने बहुत बढ़िया बात बताई है | पिछले दिनों की घटना है हमारे एक परिचित के घर पर एक अपरिचित आया खुद को उनके पुत्र जो कि भारतीय सेना में है उसका दोस्त बताया | उनकी पुत्र वधु के पहने हुए गहनों की तारीफ़ करता हुआ कहने लगा कि इन गहनों को थोड़ी देर के लिए वह सुनार को डिजाइन दिखाने के लिए ले जाना चाहता है | घरवालों ने मना किया लेकिन वह जिद्द करता हुआ गहने लेकर चम्पत हो ग्या | उन्होंने पुलिस थाणे में रपट दर्ज करवाई ठग महाशय पकडे भी गए लेकिन गहनों के बारे में साफ़ मुकर गए | पुलिस वालो ने भी मानवधिकार का भय दिखा कर लाचारी जाहिर कर दी |

Shikha Kaushik said...

मोनिका जी -आपने सही कहा है आपसे पूरी तरह सहमत हूँ .इस समस्या से छुटकारा तभी मिल पायेगा जब महिलाओं में जागरूकता बढेगी .सार्थक पोस्ट लेखन के लिए हार्दिक शुभकामनाये .

Anonymous said...

मोनिका जी,

एक सटीक लेख एक सार्थक विषय पर.....आपसे सहमत हूँ कहीं न कहीं हम खुद ही ज़िम्मेदार होते हैं ऐसी घटनाओ के पीछे....वजह वही लालच.....ऐसे में लालच को मिटाना और सावधानी रखने से ही ऐसी समस्याओं से निपटा जा सकता है......बहुत सुन्दर ढंग से लिखा है आपने....शुभकामनायें|

vandana gupta said...

बढिया आलेख्।

वाणी गीत said...

भोलापन और लालच , दोनों ही कारण है ऐसी ठगी के..
सावधान तो रहना ही चाहिए !

shikha varshney said...

आमतौर पर भरी दुपहरी में घर की घंटी बजाने वाले इन जालसाजों का निशाना गृहणियां बनती हैं
सच कहा एक बार ऐसे ही एक आदमी हर महीने किराये की मेगजीन देने का कह कर पैसे एंठ ले गया था मजे की बात रसीद भी देकर गया था :(

रंजू भाटिया said...

अच्छा विषय ,संभल कर हर बात को समझना चाहिए ..धोखा देने को तो दुनिया मौजूद है ..फिर चाहे स्त्री हो या पुरुष

vijai Rajbali Mathur said...

जब समाज में धन का महत्त्व है और जो लोग उसमें शीघ्र लाभ उठाना चाहते है ,वे स्त्री हों या पुरुष ठगी का शिकार हो जाते है.अतः कबीर की वाणी पर ध्यान देकर ठगी से बचना चाहिए.:-
रूखा-सूखा खायके,ठंडा पानी पीव.
देख परायी चुपड़ी,मत ललचावे जीव..a

Amit Chandra said...

सोचने वाली बात है। आखिर क्या वजह है कि ज्यादातर महिलाएॅ ही ऐसे जालसाजों के चंगुल में आती है।

Atul Shrivastava said...

ऐसे ठगों और ठगी की खबरें आए दिन अखबारों में आते रहती हैं लेकिन उसके बाद भी लोग नहीं चेतते। खासकर महिलाएं। वे ऐसे ठगों का शिकार बन जाती हैं।
अच्‍छी और गंभीर पोस्‍ट।

Unknown said...

आप ने ठीक कहा ठगी का शिकार महिलाये ही होती है मेरी समझ से उसके प्रमुख कारण है, महिलाओ की भावुकता, संवेदनशीलता एवं अशिक्षा, घर को जोड़ने के लिए, भावुकता में बहकर और अशिक्षित रहने से वो गलत सही समझ ही नहीं पाती और धूर्तो का शिकार हो जाती है ठगों की ही नहीं अपनी भावुकता और संवेदनशीलता के कारण महिलाये छली जाती है हमेशा, एक अच्छे विषय के लिए बधाई

VIVEK VK JAIN said...

aapne sahi kaha....

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

बड़े काम की बातें बताई हैं मोनिका जी !

आपका लेख हमें जागरूक करता है |

Arvind Jangid said...

आदरणीय मैडम जी आपकी बात बिलकुल सही है, इसमें एक बात और जोड़ना चाहता हूँ. आजकल टीवी पर भी ऐसे ही बाबाओं का राज है. एक बाबा आएगा और नजर रक्षा कवच बेचने लगेगा, ये बाबा खुद ही क्यों नहीं पहन लेता इसको, जो बचने की जरुरत ही ना पड़े. देखिए इस प्रकार के विज्ञापन आते भी उसी समय हैं जब सास बहु वाले कार्यक्रम चल रहे हों. आज के इस उन्नत युग में भी अपने कार्य और व्यवहार की कमियों के कारण पैदा हुए तनाव और झगडों का हल अगर हम किसी माला या ताबीज में ढूंढे तो क्या कहा जा सकता है. अब एक सास अगर ये सोचे की एक हजार का ताबीज बहु को पहनाने से बहु ठीक हो जायेगी तो क्यों नहीं उसको एक शो रूम में ले जा कर बढ़िया सी ड्रेस दिलाइ जाए, फिर देखिए वो सास का ध्यान रखती है या नहीं.

शिक्षाप्रद आलेख हेतु आपका साधुवाद.

palash said...

very good issue you select.
i hope some people must learn something from here

News And Insights said...

सिर्फ़ महिलाऐं ही नही समाज के हर तबके के लोग इसके शिकार बनते हैं| महिलाएं ज्यादा शिकार हैं यह बात ज़रूर है|
गिरिजेश कुमार

कुमार राधारमण said...

खुद महिलाओं की ठगी के क़िस्से भी बहुत होते हैं क्योंकि अमूमन उनसे ऐसी अपेक्षा नहीं होती। परन्तु,चूंकि महिलाएं अपनी परवरिश और मौलिकता के कारण सहज विश्वास का भाव रखती हैं,इसलिए ज्यादातर मामलों में उनके ही ठगे जाने अथवा शोषण के प्रकरण सामने आते हैं।

सुधीर राघव said...

सही बात कही है आपने

केवल राम said...

सच में यह जालसाज बहुत चतुर होते हैं , आपने एक विचारणीय बात की तरफ हम सबका ध्यान आकर्षित किया है ...आपका आभार

Dr (Miss) Sharad Singh said...

सच...जालसाजों का खेल कुछ ऐसा होता है ... जो इनके चक्कर में न पड़े वही सुरक्षित रहता है।
अच्छा आलेख...बधाई।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अरे कभी कभी तो ऐसी महिलाएं भी फंस जाती हैं जो अपने को बहुत होशयार समझती हैं ...अच्छा लेख

मनोज कुमार said...

आंखें खोलने वाली रचना।

डॉ महेश सिन्हा said...

लालच

Dr Xitija Singh said...

बहुत आम बात है की महिलाएं ही इन ठगों की जादा शिकार होती हैं ... इतने उधारण रोज़ सुनने को मिलते हैं फिर भी न जाने क्यों इनसे सबक नहीं लेतीं ... बहुत अच्छा लेख मोनिका जी

राज भाटिय़ा said...

हम फ़ंसते तभी हे जब हमे लालच हो... ओर आज लालच ही इन ठगो का हथियार हे,इस लिये हमे अपने आप ओर बच्चो को आदत डालनी चाहिये कि कभी भी लालच ना करे.
बहुत सुंदर लेख लिखा आप ने धन्यवाद
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये

RAJNISH PARIHAR said...

क्यूंकि महिलाएं थोड़ी ज्यादा भावनात्मक सोचती है ,इसलिए वे जल्दी शिकार बन जाती है ! बहुत ही अच्छी पोस्ट !!!मेरी शुभकामनायें .

ashish said...

आपकी सामजिक दृष्टिकोण वाली रचनाये सचमुच आपके अलग ढंग की सोच की ओर इंगित करती है . जालसाजी की शिकार महिलाएं ज्यादा होती इसमें दो राय नहीं है ओर जरुरत है उनको शिक्षित ओर जागरूक होने की .

दर्शन कौर धनोय said...

हम महिलाए ही इसके लिए जुम्मेदार हे --क्यों हम ऐसे लालच में फंस जाती हे ? आजकल देखो तो सफेद पोश गुरुओ के पास आपको महिलाए ही दिखाई देगी --हम महिलाओं को ही समझने की जरूरत हे

शानदार पोस्ट के लिए धन्यवाद मोनिका जी !

देवेन्द्र पाण्डेय said...

नहीं कहना चाहिए...लालच में नहीं फंसना चाहिए ये तो सभी जानते हैं..मगर फिर भी फंस जाते हैं। किन परिस्थितियों में क्या-क्या सावधानी बरती जानी चाहिए, इसका भी उदाहरण देकर उल्लेख होता तो पोस्ट और भी बेहतर लगती।

Asha Joglekar said...

लालच ही तो है जो हम छग लिये जाते हैं एक बात तय कर लीजिये कि आप दरवाजे पर आ कर चीजें बेचने वालों से कुछ नही खरीदेंगी किसी मांगने वाले को कुछ नही देंगी । काफी समस्यायें इससे सुलझ सकती हैं । सर्वकालीन लेख ।

Suman said...

sahi kaha rahi aap....
mahilaonko jagruk karti post

प्रवीण पाण्डेय said...

लालच में फँस जाते हैं लोग।

Kunwar Kusumesh said...

सही कहा और ठगों से सावधान रहने की बेहतरीन सीख दी आपने.

संध्या शर्मा said...

बहुत ही प्रासंगिक विषय को चुना है आपने..बहुत बढ़िया लेख..शुभकामनायें.......

amit kumar srivastava said...

only one reason :ILLITERACY

Patali-The-Village said...

आंखें खोलने वाली रचना। इस तरह के ठगों के चंगुल से बचने की आवश्यकता है|

Creative Manch said...

चाक़ू-छूरा या बन्दूक दिखाकर कोई लूट ले तो भुक्तभोगी से हमदर्दी होती है. किन्तु इस तरह लूटे-ठगे गए लोगों के प्रति मेरे मन में हमदर्दी नहीं उभरती.
एक कहावत कहीं सुनी थी :
मूर्ख रहें जब तक जिन्दा
चतुर भूखा मरे क्यूँ

सजगता और जागरूकता बहुत आवश्यक है

Manjit Thakur said...

ठगी से बचने के लिए जागरुकता फैलाना जरुरी है। आजकल तो पढ़े लिखे ठग रहे है पढे लिखे ठगे जा रहे हैं..

G.N.SHAW said...

बहुत अच्छी जानकारी आप ने दी है ! हर ब्लोगेर से दूर ..आप की सोंच और जुगाड़ का जबाब नहीं ! धन्यवाद !

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

महिलायें थोड़ा अधिक संख्या में बनती हैं... बनते तो पुरुष भी हैं...

संतोष पाण्डेय said...

बढ़िया लेख. लेकिन ठग कौन है? हमारा लोभ ही हमें भटकाता है. आनन्-फानन में बिना मेहनत बहुत कुछ पा लेना चाहते हैं और बाद में चिल्लाते हैं कि किसी ने ठग लिया. महिलाये चूँकि ज्यादा सरल होती हैं इसलिए आसानी से झांसे में आ जाती है. लेकिन पुरुष भी खूब बेवकूफ बनते हैं.

Gopal Mishra said...

Very useful write-up..Hope it reaches the right audience...the innocent women...!!

जयकृष्ण राय तुषार said...

बेहद सुंदर और सावधान करता हुआ आलेख |मोनिका जी आपको बहुत बहुत बधाई |

Shabad shabad said...

अच्छा विषय
बढिया आलेख !

Anurag Anant said...

hakikat shabdon mein kh diya aapne ,
jo mishkil tha asaani se kar diya aapne ,

Anurag Anant said...

hakikat kh diya aapne ,
jo kathin aasani se kar diya aapne ,

Anurag Anant said...

hakikat kh diya aapne ,
jo kathin aasani se kar diya aapne ,

Anurag Anant said...

hakikat kh diya aapne ,
jo kathin aasani se kar diya aapne ,

Anurag Anant said...

hakikat kh diya aapne ,
jo kathin aasani se kar diya aapne ,

Anurag Anant said...

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jo kathin aasani se kar diya aapne ,

Anurag Anant said...

hakikat kh diya aapne ,
jo kathin aasani se kar diya aapne ,

महेन्‍द्र वर्मा said...

सही मुद्दा उठाया है आपने।
मेरे पड़ोस में इस तरह की ठगी हो चुकी है।
ज्यादा लालच अच्छा नहीं होता।

Rajesh Kumar 'Nachiketa' said...

स्त्रियाँ स्वभाव से भोली होती हैं इसलिए इन ठगों की दाल गलती है....जागरूकता फैलाने वाला लेख है.

Sawai Singh Rajpurohit said...

आदरणीय डॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
नमस्कार
बिलकुल सही बात है ठगी की अधिकतर घटनाओं का शिकार महिलाएं बनती हैं!

Sawai Singh Rajpurohit said...

अक्‍सर महिलाओ के साथ ऐसा होता है!

दिगम्बर नासवा said...

सच कहा .. लालच ही जड़ है ... अगर थोडा समझदारी से काम लिया जाए ... और अपने पर अंकुश रखा जाए तो इससे बचा जा सकता है ...

पूनम श्रीवास्तव said...

monika ji
bahut sarthak aalekh likh hai aapne .waqai yah saty hai ki anpadho ko to chhodiye jo padhe -likhe log hai vo bhi inke jhanson me fans kar rah jaate hain.
aurte to swbhavtah hoti aise hin isi liye aise thag log din ka hi samay jyada chune jab purush ghar par na ho .ab iska kaya karen ki samjhdaar aurten bhi inke btaye jaal me aasani se fans jaati hai shayad thoda dar vthoda man ka chnchal hona dono hi baate iska karan ho sakti hain. inthago ki baate aesi dig-bhrmit karne wali hoti hai us samay yahi lagta hai ki samne jo baitha hai bilkul saty kah raha hai fir apni buddhi luptpray ho hi jaati hai.
bahut hi prabhav-shali avam sateek baat kahi hai aapne.
bahut bahut badhai-----
poonam

अनामिका की सदायें ...... said...

sateek vishay aur sunder/vichaarneey lekh.

निवेदिता श्रीवास्तव said...

मोनिका जी ,
सच लिखा है आपने । इन बातों को हम सब जानते हैं । विडम्बना सिर्फ़ इतनी सी है कि ये ठगों का शिकार बन जाने के बाद ही याद आती हैं ।

Dinesh pareek said...

बहुत ही सुन्दर और रोचक लगी | आपकी हर पोस्ट
आप मेरे ब्लॉग पे भी आये |
मैं अपने ब्लॉग का लिंक दे रहा हु
http://vangaydinesh.blogspot.com/

डॉ. मोनिका शर्मा said...

आप सबके अर्थपूर्ण विचारों और प्रतिक्रियाओं के लिए हार्दिक आभार

Rakesh Kumar said...

बहुत सावधानी और ध्यान की जरुरत है.लालच से तो हर हाल में ही बचना चाहिए .बहुत सार्थक लेख है आपका .

Smart Indian said...

आमतौर पर देखने में आता है कि महिलाएं सीधे सपाट शब्दों में किसी बात का विरोध नहीं कर पाती, ना नहीं कह पातीं।

सही बात है। बुरे लोग अक्सर विरोध करने में झिझक का पूरा फायदा उठाते हैं।

Gagan singh said...

achhi baat kahi..........kuchh aisa hi aur likhne ki jaroorat hai

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

aapki yah sundar post kal charchamanch par hogi ... aapka aabhaar yah hoshiyaari kee seekh dene vala aur lalach kaa tyaag jaisee bate batna vale lekh ati uttam...

Udan Tashtari said...

सतर्कता तो आवश्यक है...

Roshi said...

sabhi rachnayein bahut hi khubsoorat hai ''''''''
holi ki hardik badhayein

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