शक्ति को साधने का उत्सव है दुर्गापूजा। अपनी समस्त ऊर्जा का सर्मपण कर माँ से यह आव्हान करने का कि वो नई शक्ति और सोच का संचार करे। यह एक ऐसा महापर्व है जो हमें आस्था और विश्वास के ज़रिए अपनी ही असीम शक्तियों से परिचय करवाने का माध्यम भी बन सकता है। नारी की प्रखरता और शक्ति सार्मथ्य का नाम ही दुर्गा है | बस जिम्मेदारियों और सामाजिक बंधनों में जकड़ी महिलाएं अपने ही सार्मथ्य से अपरिचित रहती हैं। ऐसे में महिलाएं माँ का आव्हान कर आज के दौर में हर परिस्थिति से जूझने का साहस और संबल जुटायें तो संभवतः शक्ति पूजा को सही अर्थ मिलें |
कभी कभी लगता है कि महिलाओं के सामने घर के भीतर और बाहर जितनी भी परेशानियां आती हैं उनकी एक बड़ी वजह है उनका अपने ही अस्तितव के प्रति जागरूक ना होना। हर अच्छे बुरे व्यवहार के प्रति स्वीकार्यता का भाव हमारे चेतन अस्तित्व पर ही सवाल खड़े करता है। आज के दौर में ज़रूरी है कि हम महिलाएं इन जड़तावादी और रूढीवादी बंधनों से खुद को मुक्त करें और विवेक रूपी अस्त्र का प्रयेाग कर अपने जाग्रत अस्तित्व को समाज के सामने रखें। भगवती दुर्गा की उपासना का यह उत्सव वास्तव में ऐसी सोच को पुष्ट करने वाला पर्व है। सोच जो हर मनुष्य को यह आभास करवाती है कि उसमें जो शक्ति समाहित है उसे पहचाने और जागरूक बनने की चेष्टा करे तो हर मुश्किल से पार पा सकता है। महिलाओं का मन चेतनामयी हो तो जीवन में पग पग पर आने वाले अंर्तद्वदों पर उनकी जीत निश्चित है। यह चेतना स्त्री होने के नाते अपने अधिकारों की जानकारी रखने और नागरिक होने के नाते अपने कर्तव्यों से भी जुड़ी है। आज के दौर में नारीशक्ति की जीत को सुनिश्चित करने के लिए आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनना भी आवश्यक है। शक्ति उपासना के इस पर्व पर महिलाएं भी अंर्तमन की शक्ति को साधें और जागरूक बनें। एक चेतनासंपन्न स्त्री ही सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक सरोकारों के प्रति जागरूक हो सकती है। समाज में फैली कुप्रथाओं के खिलाफ के खड़ी होने का संबल जुटा सकती है। जो कि महलाओं के सशक्तीकरण के दिशा में पहला कदम है।
दुगापूर्जा पर्व नारी के सम्मान, सार्मथ्य और स्वाभिमान की सार्वजनिक स्वीकार्यता का पर्व है। इसमें नारी की मातृशक्ति की उपासना सबसे ऊपर है। एक स्त्री जो जीवन देती है। माँ के रूप में अपने बच्चों को मनुष्यता का पाठ पढाकर समाज को जिम्मेदार नागरिक देती है। वो स्वयं को कम क्यों आँके ? यही इस पर्व का संदेश है।शक्तिस्वरूपा माँ दुर्गा की आराधना ममता, क्षमा और न्याय का भाव भी लिए है। ये सभी भाव एक आम स्त्री के व्यक्तित्व में भी समाहित होते हैं। बस, ज़रूरत है इनको पहचानने की। यह समझने की कि जब ममता और क्षमा को समझा नहीं जाए तो न्याय के लिए लड़ना ही पड़ता है।
एक माँ, पत्नी, बेटी और बहन किसी भी रूप में स्त्री के बिना घर संसार की कल्पना ही अधूरी है। बावजूद इसके यह विडम्बना ही है कि अपनी देहरी के भीतर वो हर रूप में शोषण और छलावे का शिकार बनती है। दुर्गापूजा इसी शोषण का विरोध कर स्त्री के स्वाभिमान का गौरवगान करने का पर्व है। इसके लिए जरूरी है कि महिलाएं स्वयं भी गरिमा को कायम रखने के लिए लड़ें । माँ दुर्गा का रूप भारतीय स्त्री के असहाय नहीं बल्कि शक्ति और सजगता से दमकते चेहरे का प्रतीक है, जो अपने स्वाभिमान की रक्षा करने कर माद्दा रखती है।
78 comments:
तू ही शक्तिरूपा , तू ही दुर्गा, तू ही कल्याणी
"बस, ज़रूरत है इनको पहचानने की। यह समझने की कि जब ममता और क्षमा को समझा नहीं जाए तो न्याय के लिए लड़ना ही पड़ता है। "
सार्थक अभिव्यक्ति...
मानव समाज में महिला ही सर्वाधिक सम्मान की अधिकारिणी है !
अपनी ही शक्ति से अपरिचित हैं महिलायें। जागरुकता एवं सम्मान की आवश्यकता है।
मंगलवार 08/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी एक नज़र देखें
धन्यवाद .... आभार ....
बस खुद को जानने की जरुरत है.. बहुत सुन्दर आलेख..
दुगापूर्जा पर्व नारी के सम्मान, सार्मथ्य और स्वाभिमान की सार्वजनिक स्वीकार्यता का पर्व है।
-बिल्कुल सही कहा आपने
बहुत सुन्दर और सार्थल आलेख....
हम सभी पर सदा माँ की कृपा बनी रहे. नवरात्र शुभ हों !!!
अनु
नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (06-10-2013) के चर्चामंच - 1390 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
बहुत सुन्दर और सार्थक आलेख. नवरात्रि की शुभकामनाएँ .
नई पोस्ट : नई अंतर्दृष्टि : मंजूषा कला
नारी के सम्मान, और स्वाभिमान का पर्व ही सार्वजनिक दुगापूर्जा है।
नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-
RECENT POST : पाँच दोहे,
बहुत ही सार्थक आलेख ,,अपनी शक्ति को पहचान कर महिलाएं अपना अस्तित्व उजागर कर सकती है...अपनी गरिमा को गौरवान्वित करसकती है..
नवरात्री पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ :-)
भारितीय परिवेश में नारी सदैव शक्ति का पर्याय रही है...हनुमान को भी अपनी ताकत याद दिलानी पड़ती थी...आज की नारी पहले से ज्यादा जागरूक है और ज्ञान-शक्ति से संपन्न है...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार - 06/10/2013 को
वोट / पात्रता - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः30 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार - 06/10/2013 को
वोट / पात्रता - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः30 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
अधिकारों की जानकारी रखना और नागरिक होने के नाते अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना, ये सब नारी ही क्यों पुरुष के लिए भी होना चाहिए।
@ Vikesh Badola बिल्कुल, पुरुषों के लिए भी होना चाहिए , हर नागरिक के लिए होना चाहिए ..... यहाँ विशेष रूप से महिलाओं के सन्दर्भ में कहा है क्योंकि वे इस मामले में पुरुषों से भी पीछे हैं |
अपने सम्मान के लिए लड़ना ही चाहिए , साथ ही अन्य स्त्रियों के स्वाभिमान की लडाई में उनकी सहयोगी भी !
भारत में सदैव महिलाओं को आगे रखा है समानता का अधिकार दिया है... हाँ समय के साथ कुछ बुराईयाँ भी घर कर गयीं हैं... फिर से स्थिति सुधारने की जरूरत है... आओ मिलकर स्त्रियों के सम्मान और समानता का संकल्प लें...
आपको और आपके परिवार को नवरात्री की शुभकामनाएं....
राधा ,दुर्गा ,काली ,सीता ,सभी भगवान् की दिव्य शक्तियां हैं योगमाया हैं। बहुत सशक्त ,बढ़िया एवं उत्प्रेरक आलेख।
बहुत सुन्दर आलेख चैतन्य होना हम सभी के लिए जरूरी है
बहुत सुन्दर आलेख ....हम सभी के लिए चैतन्य होना जरूरी है
शक्ति को संचारित करता आलेख..अति सुन्दर ..
बहुत ही सटीक आलेख.
रामराम.
सटीक रचना. अब महिला अबला नहीं रही
सशक्त सार्थक आलेख ...!!
बहुत सुंदर लिखा है ....!!
नवरात्र की शुभकामनायें ....!!
बिल्कुल सही कहा आपने..............नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें.......................
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
satik aur sarthak lekhan yahi hai jo aapne likha hai aap bahut soch samjh kar likhti hai
badhai
rachana
satik aur sarthak lekhan yahi hai jo aapne likha hai aap bahut soch samjh kar likhti hai
badhai
rachana
सार्थक ....???
बहुत ही सार्थक आलेख,नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें.
बहुत ही सटीक और सार्थक
नव रात्र की हार्दिक शुभकामनायें ...
बिलकुल सही कहा आपने शक्ति तो सबके भीतर है बस ज़रूरत है तो उसे पहचानने की |
आपने सही रग पकड़ी है ... स्वाभिमान ... नारी को अपना असभिमान जगाना होगा ... अपनी पहचान, अपनी स्थिति का भान करना होगा ... अपने स्वरुप को पहचानना होगा तभी समाज ओर पुरुष समाज उसकी इज्ज़त करेगा ...
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें ....
सही कथ्य ... नारी को अपनी शक्ति पाने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए अपने भितरके बल को महसूस करना होगा ..सुन्दर आलेख .. बधाई एवेम सुभकामनाये
प्रेरक...
शक्ति स्वरूपा माँ का सुन्दर बखान ....
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें
संस्कृति का अध्याय है यह रचना।
स्वयं पर अभिमान करना ही सुखद त्योहार है।
भगवान् की शक्ति योग माया है दुर्गा ,राधा ,सीता आदि देवियाँ दुर्गा पूजा उसी की स्मृति है। स्त्री भोग्या नहीं है वसुंधरा है मातु शक्ति स्वरूपा है। शुक्रिया आपकी टिपण्णी का।
आदरणीया मोनिका जी बहुत सुन्दर बात ..काश सब नारियां इस शक्ति को जगा लें तो आनंद और आये
भ्रमर ५
प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच
sahi bat kahi aapne monika jee ...hamen apni shakti ko bhoolna nahi chahiye ....
बिलकुल सही कहा आपने। भारतीय पुरुष सत्तात्मक समाज में आज भी समाज की वास्तविक शक्ति (स्त्री शक्ति ) उपेक्षा की शिकार है। आवश्यकता इस बात की है की महिलाएं अपनी शक्ति को पहचानें और अपने बन्धनों की कारा से मुक्त हों।
दशहरा और विजयदशमी की शुभकामनाएं।
good , read and follow me also , i will .....
आपने सही तथ्य उजागर किया है , नारी को आसहाय समझने की भूल ना करे कोई ।
सार्थक रचना
विजयादशमी की अनंत शुभकामनाएं
बहुत सुंदर
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
आग्रह है- मेरे ब्लॉग में भी समल्लित हों
पीड़ाओं का आग्रह---
http://jyoti-khare.blogspot.in
bilkul sach kaha apne , vijaydashmi ki badgaiyan !
विस्मृत स्वरूप की याद दिलाई है आपने।
शुक्रिया आपकी टिपण्णी का,शक्ति प्रदायनी इस अभिव्यक्ति का ज़वाब नहीं उत्प्रेरक तत्वों का पूरा समावेश लिए है यह पोस्ट।
Mahila shakti par sundar vicharaniy abhivyakti ... abhaar
नारी की शक्ति को दिशा देता सुंदर लेख ....
माँ दुर्गा नौ रूप लिए,जलासन होकर कितना कुछ कह जाती हैं
फिर भी - अज्ञान के भंवर में स्त्री
@जब ममता और क्षमा को समझा नहीं जाए तो न्याय के लिए लड़ना ही पड़ता है।
नारी शकित के अदभुत स्वरूप को सही पहचाना है आपने।
नारी ,शोषण और छलावे की शिकार न बने ,इसके लिए हमारी पीढ़ी को ही प्रयास करने होंगे. अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा दें, आत्मनिर्भर बनाने में उनकी सहायता करें...तब जाकर नारी इन सबसे मुक्त हो सकेगी
बहुत सुन्दर आलेख है !
Mai bahut late se comment kar raha hoon... par wakai naari shakti ke baare me aapne jo varnan kiya hai aur usake swarup ko prakat kiya hai ...vicharniy hai ...
स्वस्थ मन - हर अच्छी उर्जा को बढाता है |
एक माँ, पत्नी, बेटी और बहन किसी भी रूप में स्त्री के बिना घर संसार की कल्पना ही अधूरी है। बावजूद इसके यह विडम्बना ही है कि अपनी देहरी के भीतर वो हर रूप में शोषण और छलावे का शिकार बनती है।
यही तो विडम्बना है
Diwali mubarak ho! Behad sundar aalekh!
well written.
दुगापूर्जा पर्व नारी के सम्मान, सार्मथ्य और स्वाभिमान की सार्वजनिक स्वीकार्यता का पर्व है। इसमें नारी की मातृशक्ति की उपासना सबसे ऊपर है। एक स्त्री जो जीवन देती है। माँ के रूप में अपने बच्चों को मनुष्यता का पाठ पढाकर समाज को जिम्मेदार नागरिक देती है। वो स्वयं को
कम क्यों आँके ? यही इस पर्व का संदेश है--------
नारी और नारी शक्ति पर सार्थक,अदभुत आलेख
नारी और उसकी शक्ति का सच यही है---
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर-----
आग्रह है---
करवा चौथ का चाँद ------
एक अछे स्त्री-विमर्श की शुरुयात आपके निबन्ध से हुई है ..मेरे भी ब्लॉग पर आपका स्वागत है ..
शुक्रिया आपकी अर्थ गर्भित टिप्पणियों का। दिवाली मुबारक।
उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
बेहतरीन....बेटे के क्या हैं??
bahut hi sundar lekh....sachchai kaa bayan!
समाज को अपनी सोच बदलने के साथ ही आवश्यकता है नारी को भी अपनी शक्ति पहचानने की....
दुगापूर्जा पर्व नारी के सम्मान, सार्मथ्य और स्वाभिमान की सार्वजनिक स्वीकार्यता का पर्व है। इसमें नारी की मातृशक्ति की उपासना सबसे ऊपर है। एक स्त्री जो जीवन देती है। माँ के रूप में अपने बच्चों को मनुष्यता का पाठ पढाकर समाज को जिम्मेदार नागरिक देती है। वो स्वयं को कम क्यों आँके ?
आपसे एकदम सहमत।
दीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...
बहुत अच्छी प्रस्तुति...दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@जब भी जली है बहू जली है
thik farmaya apne! Diwali mubarak
आधी दुनिया की अवहेलना अवमानना करने से ये भू लोक ही देर सवेर नष्ट हो जाएगा क्योंकि स्त्री भगवान् की योग माया शक्ति है।
मेरे ब्लॉग कि नयी पोस्ट आपके और आपके ब्लॉग के ज़िक्र से रोशन है । वक़्त मिलते ही ज़रूर देखें ।
http://jazbaattheemotions.blogspot.in/2013/11/10-4.html
शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का प्रेरक लेखन तत्व का।
सटीक आलेख!!
शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का।
शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का।
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