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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

11 November 2010

इन्साफ से मौत....!


मेरी पिछली पोस्ट निजता का मोल में मैंने रियलिटी टीवी शोज की टीआरपी के लिए चैनल्स और उनमे भाग लेने वाले प्रतिभागियों के द्वारा अपनाये जा रहे हथकंडों की बात की। आप सभी की अर्थपूर्ण टिप्पणियों के ज़रिये मुझे यह लगा की इनकी चाल को हम सभी अच्छे से समझ रहे हैं ...... यह जानकर सुखद अनुभूति हुई ही थी कि..................
आज टीआरपी के खेल की एक और शर्मनाक खबर पढने को मिली। इन दिनों किसी चैनल पर ' राखी का इन्साफ ' नाम का एक कार्यक्रम दिखाया जा रहा है.... कौन सा चैनल इसकी मुझे जानकारी नहीं है क्योंकि यह प्रोग्राम अब तक मैंने नहीं देखा।
बहरहाल खबर यह थी की इस कार्यक्रम में राखी से अपने पारिवारिक झगड़े को सुलझाने और इंसाफ पाने की उम्मीद में आये एक युवक ने भद्दी टिप्पणियों से क्षुब्ध होकर अपनी जान दे दी..... उसे राखी ने कुछ ऐसे शब्द कहे की खाना पीना छोड़ वह अवसाद में चला गया..... और कल उसकी मौत हो गयी।

पहले तो यह कार्यक्रम नहीं देखा था पर इस समाचार को पढ़कर सोचा की जान ही ले ले ऐसा क्या शो है..... ? ज़रा देखा जाये। आप सबको जानकर यह बिल्कुल भी हैरानी नहीं होगी कि मैं इस भोंडे और फूहड़ता से भरपूर कार्यक्रम को दो मिनट भी नहीं देख पायी। निसंदेह यह बात ज़रूर समझ आ गयी कि इस शो में राखी जो भाषा और हावभाव रखती हैं वो किसी भी संवेदनशील इंसान की जान लेने के लिए काफी है।

उसी समय मन में कुछ भी सवाल आये...........!


ये कौन लोग हैं जो राखी सावंत से अपने घर के झगड़े सुलझाने की आशा लिए नेशनल टेलीविजन पर चले आते हैं..... या फिर दाम देकर बुलाये जाते हैं.......?

टीआरपी की होड़ में फूहड़ता परोसने की चाह रखने वाले निर्माताओं की सोच कैसी होगी......? जिन्होंने उस राखी सावंत के नाम के आगे इन्साफ जोड़कर शो रच डाला जिनके अपने जीवन की कोई आचार संहिता नहीं है.......!

आखिर वे कौन लोग हैं जिन्हें यह लगता है कि राखी उनकी किसी समस्या का समाधान कर सकती है....वो राखी जो खुद पूरे समाज के लिए किसी समस्या कम नहीं......?

33 comments:

निर्मला कपिला said...

सच कहूँ तो राखी वाला ये प्रोग्राम देख कर जी चाहता है किटी वी को तोड दूँ{{ मगर क्यों तोडूँ अभी नया लिया है} बस वो चैनल देखना बन्द कर दिया है। शर्म आती है कि इतने घटिया निर्माता हैं अपने?

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

मोनिका जी,
मैं आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

anshumala said...

सबसे पहले तो दो चीजे सुधार दू उसने ना तो आत्महत्या की है ओर ना ही वो अवसाद से मरा है उसने अत्यधिक शराब पी रखी थी ओर बीमार होने पर अस्पताल भी गया जहा उसकी मौत हो गई | ऐसा टीवी पर बताया गया |

आप बिल्कूल सही कह रही है ये सारे लोग दाम दे कर बुलाये जाते है चाहे ये शो हो या सच का सामना जैसे शो इनकी पूरी कहानी ही झूठी ओर बनावटी होती है अब तक जितने भी केश इसमे आये है वो सब के सब चटपटे और मशालेदार थे | देखती तो मै भी नहीं पर उस चैनल के साथ ही न्यूज चैनलों पर इन का इतना विज्ञापन आता है की सारी बात वही पता चल जाती है |

VIJAY PAL KURDIYA said...

बढिया,वो चैनल इमेजिन हे|

VIJAY PAL KURDIYA said...

बढिया,वो चैनल इमेजिन हे|

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सच कहा आपने ..आज कल न जाने क्या क्या दिखाना चाहते हैं टी० वी० पर ...राखी सावंत का कोई भी कार्यक्रम नहीं देखती हूँ ...आज कल बस ससुराल गेंदा फूल ही देखती हूँ ..बाकी कोई अच्छा नहीं लगता ...या फिर समाचार

अन्तर सोहिल said...

मैनें भी एक दिन थोडा सा एक एपीसोड देखा था। मुझे तो यही लगा कि ये लोग पैसा आदि देकर बुलवाये जाते हैं। वर्ना कौन है जो राखी से इंसाफ मांगेगा।
और वहां बैठे दर्शक भी फूहडता दिखा रहे थे। जैसे कि ये सब प्री-प्लान है।
चैनल वाले कह रहे हैं कि उस आदमी की मौत शराब पीने से हुई है और खुदकुशी नहीं है। ये भी हो सकता है और परिवार वाले पैसे के लिये आरोप लगा रहे हों। फिर भी खुद राखी, राखी का व्यवहार, डॉयलाग, कटाक्ष और प्रोग्राम महाघटिया है। खैर सच तो शायद ही सामने आयेगा।

प्रणाम

डॉ. मोनिका शर्मा said...

अनशुमालाजी इसी युवा के घर के लोगों का कहना है नेशनल टेलीविजन पर नामर्द कहकर पुकारे जाने के बाद ही उसने खुद को सबसे अलग थलग कर लिया था....... सबसे पहले तो मीडिया में यही ख़बरें आयीं थी ...... हाँ टीवी पर यह सब दिखाए जाने तक निर्माताओं ने ज़रूर कुछ कोशिश कर ही ली होगी यह कहलवाने की कि उसकी मौत उस वजह से हुई जो आप बता रही हैं.... :) खैर बात फिर वहीँ आ जाती है सब टीआरपी का चक्कर..... पैसे का खेल ...... जो लोग पैसे के लालच में शो का हिस्सा बन सकते हैं वो थोड़े और पैसे लेकर क्या वो वह नहीं कह सकते जो लोग कहलवाना चाह रहे हैं...... वैसे मीडिया में तो हर ओर यही खबर है की किसी ना किसी तौर राखी के ताने ही उसको मौत के मुह तक ले गए.....और मेरा मन तो इस बात को मानने को पूरी तरह तैयार है......

डॉ. मोनिका शर्मा said...

अंतर सोहिल जी..... आपकी यह बात काफी सही लगी की " चेनल वाले ऐसा कह रहे हैं.....और सच तो शायद ही सामने आ पायेगा........ " क्योंकि इस बेनर का अपना न्यूज़ चेनल भी है यक़ीनन वही दिखाया जायेगा जो उनके हित में होगा......बस अफ़सोस है इस फूहड़ता पर जो हदें पार कर रही है......

Shikha Kaushik said...

ek mahila hone ka jitna fayda aise mahilaye uthha rahi hai sochkar sharm aati hai.mahila shabd ka arth hai ''jo shreshthh hai'.par in jaisi titliyon ne to mahila ki garima ko mitti me hi mila dala hai.

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बिल्कुल सही कहा शिखा .......

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही सटीक बात कही आपने.आज सुबह जब मैंने भी अखबार में यह खबर देखी तो मेरे मन में भी वही सब सवाल आये जिनकी और आपने प्रकाश डाला है.
आज हर चीज़ का बाज़ार बन गया है चाहे वह हमारा चरित्र हो,शिक्षा हो,संस्कार हों या आत्मसम्मान हो.छद्म रूप से संमृद्ध और खुशहाल (????) इस देश में अब हर चीज़ बिकाऊ है;और खरीददारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि खुद को बेचने वाला मर रहा है की जी रहा है.कारण ..कीमत तो उन्होंने चुका ही दी है.फर्क सिर्फ और सिर्फ हमारे नैतिक मूल्यों पर पड़ रहा है जिन्हें हम पुरातनपंथी सोच कह कर नकार रहे हैं.

vijai Rajbali Mathur said...

Monikaji,
Aapne to pahle hee likh kar logon ko aagaah kiyaa tha, lekin jahan uddeshya yen -ken paisa kamaana ho vahan achchhee baton ka asar nahin hota hai.
Mai bhee logon ko likh kar savdhan karta rahta hun per log manenge nahin yah bhee jaanta hun.
Sambhavtah us yuvak ko apne grihon ke karan aise kuchakr me fasna pada hoga.

अरुण चन्द्र रॉय said...

आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ !

रंजू भाटिया said...

ऐसे प्रोग्राम देखे ही क्यों जाये ...? मैंने नाम सुना था पर देखा नहीं कभी ..देखने का दिल भी नहीं है ,जब पब्लिक देखेगी ही नहीं तो क्यों बनाएँगे ऐसे घटिया प्रोग्राम

अरुण चन्द्र रॉय said...

समूचा स्माल स्क्रीन दिवालिया हो गया है.. ऐसे में आप कुछ भी सार्थक उम्मीद नहीं कर सकते हैं... टी वी देखना छोड़ दीजिये यही हो सकता है... जैसा मैंने किया है... बस १०६.४ ऍफ़ एम् रेडियो सुनता हूँ... अखबार पढता हूँ... आप भी ऐसा करके देखिये...

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

मोनिका जी, उस प्रोग्राम में जिस तरह से लोगों को जलील किया जाता है, ऐसे में मौत होना कोई आश्‍चर्य का विषय नहीं।

---------
मिलिए तंत्र मंत्र वाले गुरूजी से।
भेदभाव करते हैं वे ही जिनकी पूजा कम है।

केवल राम said...

मोनिका जी , आपकी दूसरी पोस्ट को मैंने कई बार पढ़ा ..फिर सोचा क्या टिप्पणी करूँ ? जो बात मुझे समझ आई वो मैं वयान नहीं कर सकता , जिन चेनल्स को हम अपना कीमती समय देकर देखते हैं ,वो हमें क्या दिखाते हैं ..आप सब जानते हैं ...आज प्रसिधी के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाये जा रहे है ..आप कोई भी चेनल देख लो सब बकवास परोसते है (कुछ को छोड़ कर ) ..और हम फिर भी ..? ऐसी दशा में हम क्या करें ...मैं सच बताऊँ में इसी कारण टी .वी. नहीं देखता ..क्यूंकि कुछ कार्यक्रम देखकर बहुत बार मानसिक शांति भंग हुई है ...और जो लोग कार्यक्रम दिखाते हैं उन्हें नहीं ख्याल हमारी सभ्यता का, संस्कृति का ,आचार -व्यव्हार का , उनके लिए क्या है मर्यादा , शालीनता उनके लिए कोई चीज नहीं ...बस उनके सामने फूहड़ता और नग्नता है ..जिसे वो सब कुछ समझ बैठते हैं ..और लोगों के सामने परोसते हैं ....सार्थक पहल ...शुभकामनायें

Amrita Tanmay said...

मोनिका जी , मेरी समझ में नहीं आता कि लोग मनोरंजन वाया फूहड़ता पर कैसे चले जाते हैं ? हम सबों को ऐसे कार्यक्रमों को सिरे से नकारना चाहिए . जब दर्शक नहीं मिलेंगे तो टी.आर . पी . का सवाल ही नहीं उठेगा . वैसे संवेदनशील पोस्ट .............

Amrita Tanmay said...

मोनिका जी , मेरी समझ में नहीं आता कि लोग मनोरंजन वाया फूहड़ता पर कैसे चले जाते हैं ? हम सबों को ऐसे कार्यक्रमों को सिरे से नकारना चाहिए . जब दर्शक नहीं मिलेंगे तो टी.आर . पी . का सवाल ही नहीं उठेगा . वैसे संवेदनशील पोस्ट .............

Dr Xitija Singh said...

सुन कर बहुत हैरानी हो रही है की ऐसा भी कोई शो है ...सवाल सच में उठते है की वो क्या इन्साफ करती होगी और वो कौन लोग हैं जो इन्साफ के लिए आते हैं ... इसमें कोई शक नहीं सब पैसे का खेल है... बहुत शर्मनाक ...

ZEAL said...

राखी ने शर्मसार किया है सभी को। निश्चय ही एक मासूम की मौत की जिम्मेदार है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस सुन्दर पोस्ट की चर्चा चर्चा मंच पर भी है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/11/337.html

कुश said...

खोखले विचारों वाले लोग चैनल्स में जा बैठे है.. जिनके दिमाग में रचनात्मकता जैसी कोई चीज़ नहीं पायी जाती उन्हें ऐसे काम करने पड़ जाते है.. निंदनीय और शर्मनाक

वीरेंद्र सिंह said...

Really you are right. Moreover Rakhi sawant doesn't deserve to be a judge in any program whatsoever.

प्रवीण पाण्डेय said...

जिसका घर बसा हो उससे घर टूटने वाले झगड़े सुलझाये जाये जाना चाहिये।

कुमार राधारमण said...

अधिक संभावना यही है कि राखी सावंत ने ही मुंहमांगी रक़म देकर चैनल से वह टाइम स्लॉट ख़रीदा होगा। जिसने ख़ुद चैनल पर तमाम नखरे दिखाने के बाद शादी की और कुछ ही दिन बाद,पचास बहाने बनाकर साथ रहने से इनकार कर दिया,भगवान जाने वे कैसी बुद्धि वाले चैनल और लोग हैं जो ऐसों से पारिवारिक झगड़ा सुलझने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

सहज साहित्य said...

आपकी दो टूक बात अच्छी लगी । वास्तव में हम टी वी को अपने जीवन का आईना समझने की भूल कर बैठे हैं । यह ठीक वैसा ही है जैसा सन्निपात के रोगी से खुद का इलाज़ कराना ।आप सूत्रात्मक शैली में बहुत कुछ कह देती हैं । बहुत साधुवाद !
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

Meenu Khare said...

सवाल यह है कि क्या निजी चैनल होने के कारण इनके प्रसारण पर कोई कंट्रोल नही? जो चाहे प्रसारित कर सकते हैं यह लोग?

डॉ. मोनिका शर्मा said...

आप सबकी अर्थपूर्ण टिप्पणियों और विषय पर सटीक और बेबाकी से रखे विचारो के लिए हार्दिक आभार.......सभी को धन्यवाद

Anonymous said...

good achchha hai sahamat hai robo man

Unknown said...

► मोनिका ,,,
मुझे नहीं लगता कि इसमें रखी या उस चैनल की कोई गलती है... दरअसल गलती तो हमारी है जो ऐसे चैनल्स को देख-देख कर उनकी टी.आर.पी. बढ़ाये जाते हैं... बेहतर है कि उन पर इलज़ाम और लगाम लगाने के बदले हम खुद के नेत्रों और मन पर काबू पायें... फिर ये लोग बिना दर्शकों के इस तरह के प्रोग्राम्स बनाना आपने आप ही बंद कर देंगे...


अगर मौका मिले तो मेरा ब्लॉग भी है भ्रमण के लिए...
(मेरी लेखनी.. मेरे विचार..)



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daanish said...

जो आपने लिखा है ..
इस तरह के आलेख
आज की ज़रुरत हैं ....

अभिवादन .

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