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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

08 November 2010

निजता का मोल....!

हमारे देश में सेलिब्रिटी होना अपने आप में बहुत खास है और उससे भी ज्यादा खास हैं इस सेलिब्रिटी स्टेटस को बनाये रखने के हथकंडे। हमारा देश इस लिए कह रही हूँ क्योंकि होता तो ऐसा दुनिया भर में है पर भारत में तो किसी टीवी सीरियल के दो एपिसोड में काम करके भी लोग लोकप्रियता के फलक छूने लगते हैं। अखबार के पन्नों में इन्हें विशेष जगह मिल जाती है और सारे ज़रूरी या गैर ज़रूरी मुद्दे छोड़ न्यूज़ चेनल्स इन्हें प्राइम टाइम के मेहमान बनाने लगते हैं। अगर मामला सेलिब्रिटी की शादी, अफेयर या तलाक का हो तो तमाशा बड़ा खास होता है। फिर कोई शो हो , सीरियल हो या न्यूज़ चैनल सब उसे भुनाने के खेल में शामिल हो जाते हैं।

आजकल चल रहे रियलिटी शो बिग बॉस में लड़ाई झगड़े और घर में रह रहे लोगों के बीच आपसी विवादों के अलावा जो चीज़ सबसे ज्यादा बिक रही है वो है निजता। हर कोई अपनी ज़िन्दगी से ऐसे कुछ ऐसे किस्से ज़रूर साथ लाया है जो उनके निजी जीवन से जुड़े हैं। जिस अनुपात में यह व्यक्तिगत मुद्दे कभी रो कर तो कभी हंसकर कार्यक्रम के ज़रिये दुनिया तक पहुंचाए जा रहे हैं उसी अनुपात में चेनल का मुनाफा भी बढ़ रहा है। गौर करने की बात यह है की यहाँ कोई और नहीं बल्कि ये चर्चित चेहरे स्वयं अपनी निजता का अतिक्रमण कर रहे हैं। यक़ीनन इस निजता का मोल तो ज़रूर तय हुआ होगा वरना क्यों कोई नेशनल टीवी पर अपनी बीवी से ना बनने की बात करेगा और क्यों कोई अपनी शादी ही बिग बॉस हाउस में करना चाहेगा.....?


जी हाँ सारा खान तो इस शो में शादी ही करने जा रही हैं। यानि अपने जीवन के सबसे निजी पलों जिन्हें परिवार या दोस्तों के साथ बांटा जाता है उनका ही सौदा कर डाला। खबर तो यह भी है की अली ने शो में शादी करने के लिए मोटी रकम वसूली है। यानि शादी तो करार में ही तय हो गयी थी। तीन महीने पहले से एक जाने माने डिजाइनर इनके कपड़े डिजाइन कर रहे हैं। इन सब के बावजूद यह एक रियलिटी शो है यानि ना इसकी स्क्रिप्ट है और ना कल क्या होगा इसका अंदाज़ा। तभी तो देखिये ना सारा के साथी जिनसे वो नेशनल टीवी पर शादी करने जा रही हैं अचानक कार्यक्रम का हिस्सा बन जाते हैं और बात बात में झगड़ने वाली डॉली खुद दूसरों के व्यक्तिगत किस्से छेड़ने में ही व्यस्त रहती है। अब इस शो में क्या और कितना रीयल है इसका अंदाज़ आप खुद लगा सकते हैं।


सभी में एक होड़ लगी है अपने जीवन हर घटना का जिक्र कर अपना पक्ष प्रस्तुत करने की। हर कोई अपने किस्से सुनाकार जनता से सहानुभूति और निर्माताओं से धन वसूलने में लगा है। यह निजता उनकी अपनी है जिसे वे मुहमांगे मोल बेच रहे हैं। और ना जाने क्यों लोगों को भी यह सब बहुत लुभा रहा है । ऐसा हो भी क्यों नहीं टीआरपी के लिए आडम्बर रचने का यह खेल दर्शकों के मनोविज्ञान के मुताबिक ही तो खेला जाता है। इसी का परिणाम है कि निजी जीवन की कुछ निधियां जो कभी अनमोल हुआ करतीं थीं उन सब रिश्तों- नातों का बाजारीकरण के इस दौर में तयशुदा मोल है..........


एक समय में सेलिब्रिटीज़ की सबसे बडी इच्छा यही हुआ करती थी कि मीडिया उनके निजी जीवन तक ना पहुंचे। आजकल सब उल्टा हो रहा है। जनता जरा चेहरा पहचानने लगती है कि अपने मेकअप के गुरों से लेकर जीवन साथी तक हर भले-बुरे पहलू का बखान सेलिब्रिटीज़ खुद करने लगते हैं। ऐसा होने की वजह भी साफ़ है व्यवसायीकरण की दौड़ और टीआरपी की होड़। हर आंसू.... हर लफ्ज़..... के दाम अच्छे मिल जाते हैं।

40 comments:

ABHISHEK MISHRA said...

सत्य है ,
पर टी. आर. पी. के भूखे चैनल और पंचायती जनता इस के लिए कुछ काम उत्तरदाई नही है . हमारी नई पीढ़ी जो उन का अनुसरण करने की कोसिस करती है क्या सीख रही है उन से ?????????????????
किसी ने सत्य ही कहा है टेलीविजन यानि शैतान का डिब्बा

abhi said...

बिलकुल सही ..
रियलिटी शो फिक्स ही होते हैं..
वैसे तो मैं टी.वी देखता ही नहीं, लेकिन कभी कोई कोई शो देख ही लेता हूँ...
बिग बॉस भी एक दो बार देखा है...
लेकिन सच्चाई यही है की अधिकतर शो फिक्स रहते हैं...कब क्या होना है, सब स्क्रिप्ट में तय होता है.....

Yashwant R. B. Mathur said...

आप यकीन नहीं मानेंगी पर ४ कम्प्यूटर होने के बावजूद मेरे पास टी.वी.नहीं है.और यदि होता भी तो बिग बॉस जैसे कार्यक्रम मैं नहीं पसंद करता.

वैसे आप के लेख की सभी बातों से अक्षरशः सहमत हूँ.हर चीज़ बिकाऊ है फिर चाहे वह निजता हो या आत्मसम्मान.

बहुत सही प्रकाश डाला आपने.

सादर

प्रवीण पाण्डेय said...

यश धन का माध्यम है, कैसे भी अर्जित किया गया हो। चिन्तनीय होड़ भस्मासुरी आत्मदाहों की।

Dr Xitija Singh said...

बिलकुल सही कहा आपने मोनिका जी ... और मैं हैरान हूँ की जनता ऐसे कार्यक्रम देखना पसंद करती है ... मैं तो बहुत कम देखती हूँ टीवी ... अगर लगता भी है तो ... मेरे बेटे के लिए कार्टून नेटवर्क ... पर मुझे लगता है की ऐसे शोज़ देखने से तो कार्टून देखना कहीं बेहतर है ... :)..:)

Pawan Kumar said...

निजता के प्रति जिस तरह सिने सेलिब्रिटी अब निसंकोच हैं वो सब बाजारीकरण का प्रभाव है......बहरहाल बहुत शानदार आलेख कोटिश: बधाई.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सही लिखा है ..आज कल निजता बेच कर पैसे कमाए जा रहे हैं ...सब फिक्स होता है फिर भी लोंग देखते हैं ...

संजय भास्‍कर said...

मोनिका जी बिलकुल सही कहा आपने

अजित गुप्ता का कोना said...

यह कार्यक्रम हम देखते नहीं, लेकिन मुझे तो इन लोगों को सेलेब्रिटी कहना ही पसन्‍द नहीं है। इनके लिए कई शब्‍द हो सकते हैं लेकिन प्रत्‍येक शब्‍द की सीमाएं और मर्यादाएं हैं लेकिन इनके लिए कोई सीमा और मर्यादा नहीं है, इसलिए शायद इनपर कोई भी शब्‍द या सम्‍बोधन लिखना उस सम्‍बोधन की तौहीन करना जैसा ही है। चाहे वह सम्‍बोधन समाज में कितना ही तिरस्‍कृत क्‍यों ना हो।

उस्ताद जी said...

5/10

अच्छा मुद्दा / सार्थक पोस्ट
आज का मीडिया 'पीपली लाईव' ही है. आप ने देखा ही होगा किस तरह जेड गुडी की मौत का भव्य तमाशा आयोजित किया गया था.

Coral said...

TRP रेट के लिए आज TV पे जाने क्या क्या दिखा देते है .... गलती तो हमारी ही है जो हम इनको बढ़ावा देते है !

vijai Rajbali Mathur said...

Vastutah aisa sirf PAISE kii pooja ke karan hai.Jiske pas pais hai ,vah kahan se -kaise aaya ise jaane bagair use maan diya jaata hai,usi sab ka by -product hai yah.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

मोनिका जी, हर चीज की कीमत तो चुकानी ही पडती है, फिर चाहे वह गरीबी हो सेलिब्रिटी।

---------
ब्‍लॉगर पंच बताएं, विजेता किसे बनाएं।

anshumala said...

जितने भी रियल्टी शो होते है सभी में स्क्रिप्ट पहले से ही तय होती है चाहे वो बिग बास जैसे शो हो या कोई नाच गाने के | जज का आपस में लड़ना झगड़ना भी तय होता है | सभी कुछ एक दर्शक वर्ग को ध्यान में रख कर बनाया जाता है और वो उसे पसंद भी करते है ये सब आप के और हम जैसे लोगों के लिए नहीं बनता है |

रही बात इनके निजी जीवन की बात करने की तो कई बार मीडिया द्वारा जो बाते इनके बारे में उड़ाई जाती है उनकी सीधे अपने द्वारा सफाई देने का इनके पास मौका होता है तो कई बार वो भी टी आर पी के लिए होता है | अगर लोग ऐसी बातो को सुनने में रस लेना बंद कर देंगे तो सारे शो भी बंद हो जायेंगे जब दर्शक ही वही देखना चाह रहा है तो उन्हें वही दिखाया जायेगा |

सदा said...

बहुत ही सही कहा आपने ....।

shikha varshney said...

मोनिका जी! मैंने इस शो की एक किश्त देखि थी निहायत ही घटिया कार्यक्रम है और आश्चर्य तो इस बात का है कि जनता भी सब समझती है घटिया कहती है फिर भी देखती है और ऐसे कार्यक्रम लोकप्रिय होते जाते हैं.इन रिअलिटी शो में कुछ भी रियल नहीं होता सब कुछ स्क्रिप्टेड होता है.
सार्थक आलेख लिखा है आपने..

महेन्‍द्र वर्मा said...

टेलीविज़न में दिखाए जाने वाले सेलिब्रिटी तो फैशन की उपज हैं, इस कारण सेलिब्रिटी का अर्थ अब पहले की तुलना में निम्नतर हो गया है।

बाल भवन जबलपुर said...

क्या करें
बेचारे इनके अपराधों को कौन रोकेगा समझ नही आता
भाग्य

संगीता पुरी said...

मैने तो कब से टी वी देखना ही छोड दिया है .. अब इसमें मनोरंजन और ज्ञानवर्द्धन के नाम पर रहता ही क्‍या है ??

केवल राम said...
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केवल राम said...

आपने एक जरुरी बात की तरफ ध्यान आकर्षित किया है , जो लोग कला के लिए जीते हैं वो कला के साथ मजाक नहीं करते. फिर वो किसी भी फील्ड का व्यक्ति हो, पर आजकल तो इसके उल्ट हो रहा है ..आपने सही कहा ..थोड़ी सी पहचान ...और मीडिया द्वारा प्रचार ...मुझे कई बार मीडिया की ऐसी हरकतों पर गुस्सा भी आता है, हमारे देश में कई ऐसे लोग भी हैं ..जो वास्तविकता में प्रचार के हकदार हैं , पर उनकी तरफ किसी का ध्यान ही नहीं जाता..न मीडिया का ना प्रशासन का ...सुंदर पोस्ट .सार्थक विचार..शुभकामनायें

Dorothy said...

रियल्टी शोज की वाकई यही हकीकत है. यह तो दर्शकों की बदनसीबी है, कि मनोरंजन की आड़ में उन्हें बेहूदे घटिया और भदेस कार्यक्रम परोसे जा रहे हैं, जो उनके जीवनों में उच्चतर मूल्यों की रचना करने की बजाय उनकी भावनाओं से खिलवाड़ करके, अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं. जीवन की विसंगतियों और विडंबनाओं से उपजे अंतर्विरोधों को सुलझाने के प्रयासों के बजाए, अपने मन की विकृतियों को जनसाधारण ( जो कि उन की captive audience है, जिसके पास इन सब के अलावा कोई चारा नहीं है) पर थोपकर और उस सब को उनकी पंसद बताकर, महज अपने स्वार्थसिद्धि में लगे हुए है, चाहे जो कुछ भी क्यों न करना पड़े. ऐसे लोगो के लिए सिर्फ़ पैसा ही सर्वोपरि है. अब और क्या कहा जाए इसे जो बाजारवाद के नाम पर सिर्फ़ मुनाफ़ा कमाने की होड़ में लगे हुए है. सुंदर आलेख. आभार
सादर,
डोरोथी.

Shikha Kaushik said...

kahi n kahi hum sab bhi iske liye jimmedaar hai .hume khud is tarah ke karykramo ki upesha karni hogi anytha ye aise hi bikte rahenge.

अनामिका की सदायें ...... said...

पैसा बोल रहा है...निजता के दाम मिल रहे हैं. और आम के आम गुठलियों के भी दाम वाली बात है...निजता के दाम के साथ ती.आर.पी बढ़ रही है फेम बढ़ रही है..और क्या चाहिए...फिर निजता न होते हुए भी निजता करार दिया जाता है..

अच्छा मुद्दा उठाया है.सुंदर प्रस्तुति.

उपेन्द्र नाथ said...

सब पैसे का खेल है. चैनेल तो बड़े बड़े कार्पोरेट घरानों के हाथो बिक चुके है.सारे चैनेल तो एक ही तरह के है. हाथ मे रिमोट पकड़ो तो क्या देखा जाय समझ मे नहीं आता . मजे की बात तो ये है मै बिग बस नहीं देखता सिर्फ खबरों के माध्यम से मजे ले रहा हूँ.... हा हा हा.......

वन्दना अवस्थी दुबे said...

सही है. ये लड़ाई भी तो प्रायोजित ही है, केबीसी का टीआरपी कम करने के लिये.

Satish Saxena said...

सिर्फ कूड़ा परोस रहे हैं यह टीवी शो ! शुभकामनायें !

Sunil Kumar said...

बहुत सही लिखा है गलती तो हमारी ही है जो हम इनको बढ़ावा देते है !

ZEAL said...

.

इस तरह के सीरियल , हमारे नैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक पतन की तरफ इशारा करते हैं।

.

निर्मला कपिला said...

सहमत हूँ। ये समाज को टी बी के रोग की तरह खाये जा रहे हैं हमारे चैनल। आभार।

Arvind Mishra said...

सुचिंतित विचार प्रस्तुति ....स्क्रिप्ट की जरूरत क्या है जब इतने बुद्धिमान और सुन्दर काया लोग एक साथ हों :)

Manoj K said...

हमें सेल्स में एक बात सिखाई जाती थी --

जो दीखता है वह बिकता है

तो यहां पर दिखाने का और उसे बेचने का खेल चल रहा है. निजता भी दिखाई जा रही है और बेचीं जा रही है.

इसे अगर बंद करवाना है तो इसे देखें ही नहीं. शायद कहीं हम ही लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं, देखेंगे तो निर्माता बनायेंगे..

अनुपमा पाठक said...

sthitiyan patan ki or hi agrasar hain...!
saarthak post!
regards,

Shabad shabad said...

अच्छा लिखा है आपने !
एकदम सच !

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

इस दौर में लोग सब कुछ बेचने पर अमादा हैं ! हम अपनी जड़ों से कितना टूट गए हैं इसका अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है ! आपने बहुत सामयिक विषय को उठाया है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

रंजू भाटिया said...

सही लिखा आपने अजीब तमाशा बन के रह गया है यह शो .....

वीरेंद्र सिंह said...

मोनिका जी ..आपने बिलकुल सही लिखा है.
मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ.

Swarajya karun said...

आपने एक ज्वलंत सामाजिक समस्या की ओर ध्यान दिलाया है. वास्तव में यह तथा कथित रियलिटी शो के नाम पर काले धन पर पलने वाले भ्रष्ट और बेईमान किस्म के कुछ लोगों की मानसिक विलासिता का ऐसा कार्यक्रम है जो हमारे देश और समाज को पतन की राह पर ले जा रहा है. कहाँ है हमारा तथा कथित सेंसर बोर्ड ? समझदार लोग ऐसे फूहड़ कार्यक्रमों के कारण अब टी. व्ही. देखना बंद कर रहे हैं.अपने आस-पास नज़र डालें तो मालूम होगा कि निट्ठल्लों के सिवाय पहले की तरह कोई भी अब टेलीविजन के परदे को टकटकी लगा कर नहीं देखता. फिर भी अश्लील, असामाजिक ,अशोभनीय और अमर्यादित प्रसारणों का विरोध ज़रूर होना चाहिए.क्योंकि ये हमारी कई पीढ़ियों को बर्बाद कर देंगे.देश को आज जितना ख़तरा बाहरी दुश्मनों से है , उससे कहीं ज्यादा खतरा ऐसे फूहड़ कार्यक्रमों के प्रसारकों, उनके निर्माताओं और उनमे किरदार बनने वालों से है .

Kunwar Kusumesh said...

सही विषय उठाया है आपने.ये रियलिटी शो मानवतावाद पर प्रहार है.इससे समाज को सिर्फ नुकसान होना है,और चैनल्स पैसा कमा रहे हैं.इसे बंद होना चाहिए. संस्कृति तार तार हो रही है.

डॉ. मोनिका शर्मा said...

आप सभी की इस विषय पर दी गयी अर्थपूर्ण टिप्पणियों और विश्लेषण के लिए हार्दिक आभार

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