इस आलेख संग्रह में समाज की इस साझी ज़िम्मेदारी से जुड़े सवाल, समस्याएँ और सुझाव ही समाहित हैं। आशा है बच्चों के पालन-पोषण से जुड़े विचार अभिभावकों की उलझती सोच को सुलझाने और बालमन की किवाड़ी पर स्नेहपगी दस्तक देने में मददगार बनेंगे। अपना मन ना खोलने के मामले हों या तकनीक के फेर में दिशाहीन होती सोच | पारिवारिक दबाव की असहजता हो या ख़ुद को साबित करने की धुन में बिखरता बालपन | मन की मज़बूती पर पिछड़ने के हालात हों या आपराधिक घटनाओं तक में लिप्त होने का दुस्साहस | बच्चों के मन-जीवन को समझना एक पहेली बन गया है | देश, समाज और परिवार का भविष्य कहे जाने वाले बचपन को सहेजने-समझने वाले शब्दों को समेटती यह किताब अद्विक पब्लिकेशन से ..... इस आशा और विश्वास के साथ कि हम बालमन की किवाड़ी पर समय रहते दस्तक दें |
किताब मँगवाने की जानकारी और लिंक
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