My photo
पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

02 August 2019

अन्तरिक्ष विज्ञान में सिरमौर

पाँच साल पहले मार्स ऑर्बिटर मिशन  'मॉम' की इस सफलता के बाद अख़बारों, न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया तक,   सहज और साधारण सी दिखने-लगने वाली असाधारण प्रतिभा वाली  स्त्रियों की तस्वीरें दुनियाभर में छा गईं थीं |  ये सभी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की महिला वैज्ञानिक थीं, जो   भारत  के  प्रथम मंगल अभियान की टीम का अहम् हिस्सा रहीं |  भारत को अंतरिक्ष में मिली  मंगल मिशन की ऐतिहासिक सफलता में महिला वैज्ञानिकों की भूमिका को वैश्विक स्तर पर  रेखांकित किया था | गौरतलब है कि  मार्स आर्बिटर मिशन  की  कामयाबी के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने  वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए मार्स आर्बिटर मिशन को मातृत्व के संदर्भ में 'मॉम' कहा था |  इसरो के इस अंतरिक्ष  प्रोजेक्ट की यूनिट में कई महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियों को महिला वैज्ञानिकों ने बखूबी निभाया था | इस यूनिट में क़रीब डेढ़ सौ से दो सौ महिला वैज्ञानिकों ने कई मोर्चों  अहम् भागीदारी निभाई  थी | जिनमें 8  आठ महिलाओं की बड़ी भूमिका रही थी |  हाल ही सफलतापूर्वक लांच किये गए चंद्रयान -2 अभियान में भी  इसरो की दो महिला वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है | अपने देश के  सपनों को आकार देने वाले  चंद्रयान-2 प्रोजेक्ट में ऋतु करिधाल अभियान निदेशक और एम. वनिता  परियोजना निदेशक हैं | सुखद है कि भारत का अंतरिक्ष में फतेह पाने का  यह सिलसिला विज्ञान की दुनिया में देश की आधी आबादी की भूमिका भी पुख्ता कर रहा है |  

 ख़ास प्रतिभा की धनी आम सी महिलाएं  
विज्ञान के क्षेत्र में स्त्रियों की भागीदारी  बढ़ना सामजिक-पारिवारिक स्तर भी बड़ा बदलाव लाएगी | वैज्ञानिक चेतना और तकनीकी जागरूकता  स्त्री जीवन से जुड़ी कई रूढ़ियों से भी मुक्ति दिला सकती है | आज ज़िंदगी के हर मोर्चे पर महिलाएं बराबरी से शामिल हैं | खेल का मैदान हो, राजनीति का अखाड़ा हो या फिर अंतरिक्ष से जुड़े अनुसन्धान की दुनिया |  हालांकि हमारे यहाँ कई कारणों से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लड़कियों और महिलाओं की संख्या कम रही है  | यही वजह है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लैंगिक असमानता को कम करने और आधी आबादी का प्रतिनिधित्‍व बढ़ाने के लिए प्रशासनिक ही नहीं सामाजिक-पारिवारिक स्तर पर भी सहयोगी वातावरण बनाना जरूरी है | ताकि बड़ी संख्या में युवा महिलाएं  विज्ञान की दुनिया में अपनी मौजूदगी दर्ज करवा सकें | सुखद है कि इस मोर्चे पर भी  धीरे-धीरे स्थिति बदल भी  रही है |  विज्ञान और अनुसन्धान की दुनिया में न  केवल महिलाओं की  हिस्सेदारी बढ़ रही है, बल्कि वे नेतृत्वकारी भूमिका में भी अपना अहम् योगदान दे रही हैं |  ( हाल ही में दैनिक हरिभूमि में प्रकाशित लेख का अंश )  

No comments:

Post a Comment