
झुग्गी में अभावों के बीच परवरिश, पिता मजदूर, मां का काम घर-घर चौका बर्तन करना। स्कॉलरशिप से पढाई की और हरीश ने आईएएस में पहले प्रयास में सफलता अर्जित की.... !
हालांकि ये दोनों खबरें कुछ पुरानी हैं पर हमारे देश में तो हर दिन कोई न कोई कर्मठ युवा ऐसी ही कहानी गढ रहा है। अभावों के बीच जीने वाले ऐसे नौजवानों की परेशानियां भले ही सुर्खियां न बनें पर इनकी उपलब्धि यकीनन अखबारों और समाचार चैनलों के लिए हेडलाइन्स बनती हैं। पता नहीं क्यूं..........जब भी ऐसी कोई खबर जानने सुनने को मिलती है इन अनदेखे अनजाने चेहरों के लिए मन गौरान्वित हो उठता है और खुशी होती है यह सोचकर की न जाने कितने ही युवा इनसे प्ररेणा लेकर नया इतिहास रचने की राह पर चल पङेंगें। बस अफसोस होता है उन नौजवानों को लेकर जो सारी सुख-सुविधाएं पाकर भी कुछ ऐसे कृत्य करते हैं जो समाज और परिवार दोनों को शर्मिंदा करें। ऐसे में यह यकीन भी पुख्ता होता है कि जीवन की सही समझ के लिए अभाव यानि की कमियों के बीच जीना भी जरूरी है।
अभिषेक और हरीश जैसे कई युवा हर साल यह साबित करते हैं कि लालटेन की रौशनी में पढाई और उधार की किताबों वाली बातें सिर्फ फिल्मी कहानियों और किताबों के पन्नों तक सिमटी नहीं हैं। इतना ही नहीं आए साल देश के कई छोटे गांवों और कस्बों के होनहार कामयाबी की दौङ में नामी स्कूलों

बुनियादी सुविधाओं के अभाव के बीच भी अपनी इच्छाशक्ति को बनाये रखना आसान नहीं हैं। जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया और लक्ष्य को पाने की ललक बहुत आवश्यक है। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। शायद यही वजह है कि जमाना चाहे कितना ही बदल गया हो एक चीज कभी नहीं बदल सकती। वो यह कि कङी मेहनत और लगन से सफलता पाने की प्रतिबद्धता हो तो चमत्कार आज भी होते हैं और अभावों के अंधेरों से सफलता की रौशन राहें भी निकलती हैं।
अच्छी पोस्ट अभावो में भी तमाम कष्ट सहकर ही ऐसे हीरे निकलते है !
ReplyDeleteऐसा तो होता ही है, गरीबी में ही प्रतिभाएँ उभरती हैं साधन-सम्पन्न परिवारों की सन्तानें प्रायः अपने पिता जैसी उपलब्धियों तक भी नहीं पहुँच पाती । अपवाद हो सकते हैं किन्तु बडे प्रतिशत में मैंने तो यही निष्कर्ष देखे हैं ।
ReplyDeletemonika ji suruaati bhav nahi hai baki, sundar lekh hai,
ReplyDeleteओशो सिद्धार्थ ने इन्हीं भावों को इन शब्दों में व्यक्त किया हैः
ReplyDelete"जो जीवन दुख में तपा नहीं,
कच्चे घट-सा रह जाता है
जो दीप हवाओं में न जला,
वह जलना सीख न पाता है"
मुझे लगता है ऐसे में माता पिता और खुद बच्चों का आत्मबल बहुत काम आता है ... और अगर मेहनत दिल से की जाए तो सफलता ज़रूर मिलती है ... आशा और उमीद का संचार करती है आपकी पोस्ट ...
ReplyDeleteवो यह कि कङी मेहनत और लगन से सफलता पाने की प्रतिबद्धता हो तो चमत्कार आज भी होते हैं और अभावों के अंधेरों से सफलता की रौशन राहें भी निकलती हैं।
ReplyDeleteसही कह रही हैं मोनिका जी……………आपसे सहमत हूँ।
यद्यपि दुख की अपेक्षा हममें से कोई नहीं करता,हम सबको किसी न किसी रूप में उसका सामना करना ही पड़ता है। यह भी ज़रूरी नहीं कि दुख हो,तभी कुछ सीखा जाए मगर अफसोस,कि हममें से अधिकतर तभी सीख पाते हैं। शायद,व्यावहारिक अनुभव ही वास्तविक परिवर्तन के वाहक होते हैं। सिद्धार्थ के गौतमबुद्ध बनने की शुरूआत ऐसे ही प्रकरणों से हुई थी।
ReplyDelete... kadi mehanat rang hi laatee hai ... bahut sundar ... prasanshaneey post !!!
ReplyDeletebahut achchhi post.gareebi se nikle ye heere aur sabhi ke liye bhi ek udahran bante hai .
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट।
ReplyDeleteमुश्किलें ही जीवन में आगे बढ़ने की रहा दिखाती है बढ़िया पोस्ट .शुक्रिया
ReplyDeleteडा.मोनिका शर्मा जी,
ReplyDeleteविषम परिस्थितियों में भी कड़ी मेहनत और लगन से अपनी मंजिल पाई जा सकती है !
आपका लेख बहुत ही प्रेरणा दायक है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
जीवन में कुछ करने की सोच और सही दिशा में की गई मेहनत हमेशा सफलता दिलाती है | इस तरह के अभावों में जी कर सफलता पाने वालो से आशा है की सफलता पाने के बाद वो अपने जैसे को भूले नहीं उनके लिए भी कुछ करे तो और भी अच्छा लगेगा|
ReplyDeleteमोनिका जी,
ReplyDeleteआपकी सकरात्मक सोच और विभिन्न सार्थक विषयों पर लिखे आपके लेखों के लिए मैं आपको सलाम करता हूँ..........आपकी कही हर बात अक्षरश सत्य है और मैं इस से पूरी तरह सहमत हूँ........सच है कई बार आभाव भी जीवन को उन्नति की ओर उठाने के लिए आवश्यक हैं.....इस पोस्ट के लिए आपको ढेरों शुभकामनाये........खुदा आपको महफूज़ रखे....आमीन
अभावों से निकली प्रतिभा ही देश निर्माण में योगदान देती है.
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
बहुत सुन्दर और शानदार लेख लिखा है आपने! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है! उम्दा प्रस्तुती! बधाई!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
अक्षरश: सही कहा है आपने ...कुछ पाने की लगन हो तो फिर लाख कमियां हो मंजिल मिल ही जाती है .....सुन्दर लेखन ।
ReplyDeletesundar lekh !
ReplyDeleteबहुत सुंदर शुक्रिया आपका...
ReplyDeleteतमाम कष्ट सहकर ही ऐसे हीरे निकलते है !
ReplyDelete...............amarjeet ji ne sab kuch keh diya
मेहनत और लगन से सफलता की रौशन राहें भी निकलती हैं।
ReplyDelete.......................सही कह रही हैं मोनिका जी
आप की बातों से सहमत हूँ
ReplyDeleteएक बार फिर से आप ने एक सार्थक और प्रेरक विषय को चुना. बिलकुल सही लिखा है . राष्ट्रमंडल खेलों और उसके बाद हुए एशियाई खेलों में कई ऐसे
ReplyDeleteखिलाडियों ने स्वर्ण पदक जीते हैं जिन्हें कभी आधुनिक सुख- सुविधाओं का जीवन सपने में भी नसीब नहीं हुआ. उन्होंने अपनी तैयारी तमाम मुश्किलों से झूझते हुए की. लेकिन सफलता हासिल की. ऐसे लोगों को मेरा भी प्रणाम. इस पोस्ट के लिए आपका आभार.
सच कहा प्रतिभा को किसी सुविधा-सम्पन्नता की दरकार नहीं, ये साबित होता ही आया है हमारे देश के बेटे-बेटियों ने कई बार साबित किया है ...अच्छी पोस्ट
ReplyDeleteमोनिका जी, मैं अपने खुद आसपास में देख चूका हूँ ऐसे उदाहरण, नानी घर के पड़ोस कि एक पुष्पा मौसी हैं, उनके बेटे कि ही यही कहानी है, पिछले साल सुना था बारहवीं के परीक्षा में उसको ८०% अंक मिले हैं, वो भी बेहद साधारण से स्कूल में पढ़ कर और बिना कोई सुविधा के...एक ट्यूसन या कोचिंग तक नहीं...किताबों का भी शायद आभाव था...इंजीनियरिंग कि तैयारी करने वाला था वो...अभी क्या कर रहा है फ़िलहाल मुझे मालुम नहीं...बहुत दिन हुए उनकी कोई खबर नहीं मिली..
ReplyDeleteaise logon ko mera salam ....
ReplyDeleteek sher yad aa raha hai
kudi ko kuchh buland itana ........
khuda bande se khud puchhe bata teri raza kya hai ...
achchhi abhivyakti...
ReplyDeleteBilkul shi kha aapne............
ReplyDeleteअभावों से निकली प्रतिभा ही देश निर्माण में योगदान देती है|लेख बहुत ही प्रेरणा दायक है|
ReplyDeleteआपका लेख दिल को छूने वाला है,ग़रीबों और मेहनतकशों की मेहनत को तवज्जो आपने अपने लेख में दिया.काश सब ऐसा ही सोंचें.
ReplyDeleteआपकी सोंच और आपका कोमल ह्रदय प्रणम्य है.
मन में लगन हो तो क्या असम्भव है जीवन में।
ReplyDelete
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - पैसे का प्रलोभन ठुकराना भी सबके वश की बात नहीं है - इस हमले से कैसे बचें ?? - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
इसलिए ही लगता है की प्रतिभाएं तो प्रकृति प्रदत्त और जन्मजात होती है ,वे प्रारब्ध को लेकर अवतरित होती हैं !
ReplyDeleteसार्थक बोधदायक!!
ReplyDeleteअभावों में प्रतिभा निखरने की अधिक सम्भावनाएं होती है।
अच्छी पोस्ट
ReplyDeleteMonika sharma ji aapka blog padhkar to main apne aap ko ise follow karne se rok hi nahin paaya.
ReplyDeletejis asliyat ko aapne hamare aur logon ke aage rakha hai wo kabile taarif hai, uske liye main aapko badhai deta hoon.
aapne jo mochchi ke bete wala post apne blog par daala hai wo mujhe bahut hi achchha lage.
main blogger par naya hoon lekin thoda bahut likhne ki gustakhi kar leta hoon.
to plz aap mere blog Samratonlyfor.blogspot.com
and reportergovind.blogspot.com
par apne comment karke mujhe niranter likhne ke liye prerit karein.
thanx
sach kaha aapne....safalta ka koi shortcut nahin hota....
ReplyDeleteसुशील बाकलीवाल से सहमत हूँ ...हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteपर खोने के बाद जो परिंदे परवाज़ भरना सीख जाते हैं उनकी मिसाल कायम रहती है...लेकिन जब परिंदा आसमान को पैर टिकाने की जगह मानने लगता है तो क्या होता है...? कहीं वीर सांघवी और भ्रष्टाचारियों के कठपुतलों की जमात ऐसे ही तो नहीं खड़ी होती? जब इन होनहारों की उम्र ३० के ऊपर हो जाये तो ज़रा फिर से अखबारों की कतरनें ढूंढूंगा. यकीन नहीं आता कि संघर्ष के दिन उन्हें भ्रष्टाचार से लड़ने का जज्बा भी देते होंगे. व्यवस्था की एक चपत लगी नहीं कि कतार में खड़े मिलेंगे सब-के-सब!
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखती हैं आप. मेरे लिए टिपण्णी लिखने के बाद आपका ब्लॉग पढ़ा . आपकी लिखी 'माँ 'कविता बेहद प्रभावी है . यदि मेरे ब्लॉग फ़ाल्लो कर सकें तो आपका स्नेह मुझे प्राप्त होगा !
ReplyDeleteसही कहा आपने...
ReplyDeleteशब्दशः सहमत हूँ...
प्रेरणादायी इस सुन्दर पोस्ट के लिए आपका आभार !!!
very nice.
ReplyDeleteसकारात्मक सोच, कुछ बनने की, कर गुजरने की तीव्र उत्कंठा, मेहनत विश्वास और अपनों का साथ कुछ भी सम्भव है.आपसे सहमत हूँ।
ReplyDeletebahut prerk post
ReplyDeletesundar post,
ReplyDeleteaapse sahmat hoon,
गरीब घर के बच्चों को कुछ करने की तमन्ना रहती है जबकि अमीर घर के बच्चों को सभी कुछ स्वाभाविक रूप से ही मिल जाता है तब कुछ करने का जज्बा समाप्त हो जाता है।
ReplyDeleteBilkul sahi likha hai aapne pahli baar apke blog ko padha maine acha laga
ReplyDeletehonhar-veerwan ke hote chikane pat.bahut sundar aur jagaruk post monika ji.badhai ho.
ReplyDeleteKAMAL KEECHAD ME HI KHILTA HAI...
ReplyDeleteSONA TAPKAR AUR NIKHARTA HAI..
PRATIBHA SUVIDHAON KI MOHTAJ NAHI..
BAHUT HI ACHCHHI POST.
सहमत हूँ आपसे । विचारोत्तेजक आलेख के लिए बधाईयाँ ।
ReplyDeleteप्रतिभा किसी का मुहताज नहीं होती है और कंचन तपने के बाद ही चमकता है . मेहनत, और आत्मविश्वास फर्श से अर्श पर जाने के लिए जरुरी कारक है .
ReplyDeleteसहमत .
ReplyDeleteप्रेरक लेख.
बहुत सुन्दर रचना ....
ReplyDeleteआपकी लेखनी को सलाम !!
मोनिका जी, इस प्रेरणाप्रद पोस्ट के लिए बधाई स्वीकारें।
ReplyDelete---------
प्रेत साधने वाले।
रेसट्रेक मेमोरी रखना चाहेंगे क्या?
पूरी बातें तो सही हैं ही,अन्तिम पंक्तियों में वास्तविक यथार्थ बता दिया है ,लोगों को समझ लेना चाहिए.
ReplyDeleteआम आदमी के हित में आपका योगदान महत्वपूर्ण है।
ReplyDeleteसराहनीय लेखन....हेतु बधाइयाँ...ऽ. ऽ. ऽ
अच्छी पोस्ट..मोनिका जी !!..आज १७-१२-२०१० को आपकी यह रचना चर्चामंच में रखी है.. आप वहाँ अपने विचारों से अनुग्रहित कीजियेगा .. http://charchamanch.blogspot.com ..आपका शुक्रिया
ReplyDeleteबहुत ही खुब लिखा है आपने......आभार....मेरा ब्लाग"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ जिस पर हर गुरुवार को रचना प्रकाशित नई रचना है "प्रभु तुमको तो आकर" साथ ही मेरी कविता हर सोमवार और शुक्रवार "हिन्दी साहित्य मंच" at www.hindisahityamanch.com पर प्रकाशित..........आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे..धन्यवाद
ReplyDeleteprerak post!
ReplyDeleteaabhar!
poorna sahmat.
ReplyDeleteek paththar to tabeeyat se uchalo yaro.n.
सही कहा आपने-
ReplyDelete‘जीवन को समझने के लिए अभावों के बीच जीना जरूरी है।‘
उत्तम और प्रेरणादायी प्रस्तुति।
aapki post padh kar bas yahi yaad aaya
ReplyDeletejaise heera koi nikla ho koyale ki khan se.aapki post bahut hi prerak avam aaj ke yuuao ke liye nisandeh ekshi mayane me rasta dikhne me sxhm hai .
sach kahun to jab aise hohar bachcho ke baare me sunti hun todil se sachche man se unke liye duayn hi nikalti hain.josbke liye ek prerana shrotban jaate hain .
bahut bhut hi aachhi aur ek sandeshtmak aalekh.
poonam
मैंने यहाँ अपनी टिपण्णी की थी पता नहीं क्यू नहीं दिख रही है .. इस सकारात्मक आलेख के लिए आभार .
ReplyDeletesundar lekh, pad kar bahut acha laga..
ReplyDeletemere blog par bhi sawagat hai..
Lyrics Mantra
thankyou
जिनको सारी सुविधाएँ मिलती हैं वो समझ सकें यह बात ...कड़ी मेहनत ही रंग लाती है ...बहुत अच्छी पोस्ट .
ReplyDeleteठीक ही कहा है -परिश्रमी व्यक्ति के लिए सफलता कोई बडी चीज नही है।
ReplyDeleteप्रतिभा सुविधा और संसाधनों की मोहताज नहीं होती.....बहुत सही कहा आपने |
ReplyDeleteये तो मानसिकता पर है ... कुछ लोग गरीबी से हार जाते हैं तो कुछ गरीबी के बावजूद लड़ते हैं और जीतते हैं !
ReplyDeleteसुन्दर लेख!
नमस्कार जी,
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी,सुंदर प्रस्तुति
इस बार के चर्चा मंच पर आपके लिये कुछ विशेष
ReplyDeleteआकर्षण है तो एक बार आइये जरूर और देखिये
क्या आपको ये आकर्षण बांध पाया ……………
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (20/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
प्रेरक और अच्छी पोस्ट मोनिका , शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"
ReplyDeletesuccess ke liye shortcut nahi ho sakta , mehnat hi sab kuch hai ..
ReplyDeleteLyrics Mantra
Hindi Songs Music
bilkul satik kaha hai aapne...abhav me hi insaan sahi dang se aur anushasan me rahna sikhata hai...bhadhai....nice post
ReplyDeleteसही कहा आपने!
ReplyDeletegood post
ReplyDeleteमोनिका जी, बहुत गहरी बातें बताईं आपने, आभार।
ReplyDelete---------
आपका सुनहरा भविष्यफल, सिर्फ आपके लिए।
खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्या जानते हैं?
सही कह रही हैं मोनिका जी……………आपसे सहमत हूँ।
ReplyDeleteप्रेरणादायक पोस्ट
ReplyDeleteधन्य हैं इस तरह के गुदड़ी के लाल. प्रेरक और सराहनीय.
ReplyDeleteप्रेरणादायक आलेख .....प्रतिभा किसी सुख सुबिधा की मोहताज नहीं होती ...आपका आभार
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteक्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के
ReplyDeleteआशीषमय उजास से
आलोकित हो जीवन की हर दिशा
क्रिसमस के आनंद से सुवासित हो
जीवन का हर पथ.
आपको सपरिवार क्रिसमस की ढेरों शुभ कामनाएं
सादर
डोरोथी
बहुत ही सुन्दर पोस्ट .बधाई.नव वर्ष की शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteपत्थर को तराशकर ही हीरा बनाया जाता है। सुन्दर रचना के लिए साधुवाद!
ReplyDeleteसफल होने के लिए बुद्धि के साथ कड़ी मेहनत और लगन की भी जरूरत होती है जो प्रायःसाधन-सम्पन्न परिवारों की सन्तानो में कम देखने को मिलती है.किसी भी चीज़ का आभाव हमें उसे हासिल करने का हौसला देता है और परिश्रम करने की लगन भी....बहुत खूब लिखा आपने..
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteमोनिका जी प्रणाम!
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें .....
आपके लेख सदा ही ज्ञानवर्धक और मननीय होते है......आपका धन्यवाद.....
नव वर्ष 2011
ReplyDeleteआपके एवं आपके परिवार के लिए
सुखकर, समृद्धिशाली एवं
मंगलकारी हो...
।।शुभकामनाएं।।
नव वर्ष मुबारक
ReplyDeleteआप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं .
ReplyDeleteसादर
आपके जीवन में बारबार खुशियों का भानु उदय हो ।
ReplyDeleteनववर्ष 2011 बन्धुवर, ऐसा मंगलमय हो ।
very very happy NEW YEAR 2011
आपको नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें |
satguru-satykikhoj.blogspot.com
नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं
चुड़ैल से सामना-भुतहा रेस्ट हाउस और सन् 2010 की विदाई
आशा का उजास फ़ैलाती खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteअनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
धन्यवाद! इतने मूल्यवान विचारों का
ReplyDeleteसाझीदार मुझे बनाया।
नववर्ष की हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए!
सद्भावी--डॉ० डंडा लखनवी,
आपको और आपके परिवार को मेरी और मेरे परिवार की और से एक सुन्दर, सुखमय और समृद्ध नए साल की हार्दिक शुभकामना ! भगवान् से प्रार्थना है कि नया साल आप सबके लिए अच्छे स्वास्थ्य, खुशी और शान्ति से परिपूर्ण हो !!
ReplyDeleteआपको तथा आपके परिवार के सभी जनों को वर्ष २०११ मंगलमय,सुखद तथा उन्नत्तिकारक हो.
ReplyDeleteनूतन वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएं .
ReplyDeleteआदरणीय मोनिका शर्मा जी
ReplyDeleteसादर प्रणाम
बहुत दिनों से आपके दर्शन नहीं हुए ....आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ...आशा है नव वर्ष आपके जीवन में नित नयी खुशियाँ लेकर आएगा ..और आप ब्लॉग जगत में इस वर्ष भी अपनी प्रेरणादायी पोस्टों से हम सबको निर्देशित करती रहेंगी ....शुक्रिया
देर से आने के लिए क्षमाप्रार्थी.प्रेरक आलेख के लिए आभार.
ReplyDeleteअनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
dr.monikaji navvarsh ki hardik shubhkamnayen
ReplyDeleteजय श्री कृष्ण...आपका लेखन वाकई काबिल-ए-तारीफ हैं....नव वर्ष आपके व आपके परिवार जनों, शुभ चिंतकों तथा मित्रों के जीवन को प्रगति पथ पर सफलता का सौपान करायें .....मेरी कविताओ पर टिप्पणी के लिए आपका आभार ...आगे भी इसी प्रकार प्रोत्साहित करते रहिएगा ..!!
ReplyDeleteMonicaq ji .....
ReplyDeleteI wish you a very happy,prosperous, peaceful and rewarding new year.
Il semble que vous soyez un expert dans ce domaine, vos remarques sont tres interessantes, merci.
ReplyDelete- Daniel
achha lekh
ReplyDelete"अभावों के अंधेरों से सफलता की रौशन राहें भी निकलती हैं - १००% सहमति - बधाई
ReplyDeletenavarsh ki aseem shubhkamnayen dr.monikaji.have a nice day
ReplyDeleteबेहतर रचना! प्रेरक एवं वास्तविक।
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये .
ReplyDeletesunder lekh
ReplyDeleteis bar mere blog par
"main"
or
"mai aa gyi hu lautkar"
aapko nav varsh ki hardik badhyi
बहुत अच्छी पोस्ट मोनिका जी ... ये बात बिलकुल सही है की जहां चाह होती है वहीँ राह होती है ....
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ...
aapke blog par pehlee baar aaya. kaafi pasand aaya aapka blog.
ReplyDeletelikhnaa jaari rakhiye.
ravish kumar
naisadak.blogspot.com
सन २०११ के प्रारंभ में ही १११ टिप्पणी पाने की बहुत बहुत बधाई,मोनिका जी आपको.
ReplyDelete१११ बहुत शुभ गिनती देख कर मज़ा आ गया.
जिन बच्चों को जिंदगी से लड़ना आ जाये वे इसमें आनंद अंततः ढून्ढ ही लेते हैं ! हार्दिक शुभकामनायें !!
ReplyDeleteहम दूसरों की तकलीफ समझाने का प्रयत्न करते ही कहाँ हैं ...हकीकत है यह सब .... शुभकामनायें आपको
ReplyDelete........मोनिका.....!!तुम्हारी बातों से झांकता खुशनुमा सच.....बहुत से लोगों को सभी चीज़ों से लड़ते हुए जीतने को प्रेरित करता है....और इसके तुम्हे साधुवाद...!!
ReplyDeleteआई अग्री.
ReplyDeleteआशीष
---
हमहूँ छोड़ के सारी दुनिया पागल!!!
जय श्री कृष्ण...आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!
ReplyDeleteआपकी सकरात्मक सोच और विभिन्न सार्थक विषयों पर लिखे आपके लेखों के लिए मैं आपको सलाम करता हूँ..........आपकी कही हर बात अक्षरश सत्य है और मैं इस से पूरी तरह सहमत हूँ........सच है कई बार आभाव भी जीवन को उन्नति की ओर उठाने के लिए आवश्यक हैं.....इस पोस्ट के लिए आपको ढेरों शुभकामनाये...
ReplyDeleteआप अपने विचारों को बहुत सहज और स्पष्ट तरीके से व्यक्त करती हैं यह आपके लेखन की खूबी है !
ReplyDeleteमोनिका जी !!!आशाओं और उम्मीदों का संचार करती आपकी रचना ..विषम परिस्थितियों में मन को संबल प्रदान करने की संजीविनी समेटे हुए ...आपको कोटि कोटि शुभकामनाएं....
ReplyDeleteसादर !!!
डॉक्टर नूतन जी आपको प्रेरणादायी लेखन के आशावादी संसार से परिचित करने के लिए साधुवाद.....
मोनिका जी, गुदड़ी में ही तो लाल छिपे होते हैं.. प्रेरणादायी लेख
ReplyDeleteअभाव ही हमें जीने और लड़ने की ताकत देते हैं। इसलिए हमें आभावों को स्वीकार कर आभावों के खिलाफ जंग करनी चाहिए।
ReplyDelete