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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

21 December 2023

व्याधियों का जाल




छोटे-छोटे बच्चों से लेकर उम्र की थकान से जूझते बुज़ुर्गों तक, लोग भयंकर बीमारियों के जाल में फँस रहे हैं | आए दिन ऐसे किसी समाचार से सामना हो जा रहा है कि हैरान-परेशान होने से ज़्यादा कुछ नहीं किया जा सकता |

अधिकतर व्याधियाँ ऐसी हैं कि लंबा चलने वाला इलाज घर-बार को हर तरह से रीता कर दे | सचमुच लगता है कि कुछ नहीं धरा बहसबाजी या किसी की मीनमेख निकालने में | जितना संभव हो किसी को सहारा दिया जाए | कम से कम मन की सुन ली जाए और जद्दोजहद तो किसी क़ीमत न बढ़ायी जाए |

मन की उलझनों के दौर में किसी को अकेलापन घेर रहा है तो किसी की शारीरिक व्याधियाँ दो-चार दिन के इलाज में ठीक हो जाने जैसी नहीं हैं | एकल परिवारों में अकेलापन भी बढ़ा है | साथ होते हुए भी कहने-सुनने के हालत न के बराबर हैं | ऊपर से अगर कोई लंबी बीमारी आ धमके तो जीवन की गाड़ी ही पटरी से उतर जाती है | ऐसे में थोड़ी सजगता और संवेदनाएं सबकी झोली में होनी ही चाहिएँ ........ और हाँ- ज़रूरतें जुटाने की आपाधापी है तो जूझना ही होगा पर स्मार्ट गैजेट्स ही समय खा रहे हैं तो कृपया इस वक़्त को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने में लगाइए | आर्थिक रूप से सक्षम हैं तो समय-समय पर जाँच करवाइए | सेहत को लेकर सजग रहिए | खान-पान पर ध्यान दीजिए | बीमारी के घेरे में स्याह पड़ते शरीर और मन को क्लिक भर में स्वस्थ कर लेने के कोई 'फ़िल्टर' नहीं होते

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