छोटे-छोटे बच्चों से लेकर उम्र की थकान से जूझते बुज़ुर्गों तक, लोग भयंकर बीमारियों के जाल में फँस रहे हैं | आए दिन ऐसे किसी समाचार से सामना हो जा रहा है कि हैरान-परेशान होने से ज़्यादा कुछ नहीं किया जा सकता |
अधिकतर व्याधियाँ ऐसी हैं कि लंबा चलने वाला इलाज घर-बार को हर तरह से रीता कर दे | सचमुच लगता है कि कुछ नहीं धरा बहसबाजी या किसी की मीनमेख निकालने में | जितना संभव हो किसी को सहारा दिया जाए | कम से कम मन की सुन ली जाए और जद्दोजहद तो किसी क़ीमत न बढ़ायी जाए |
मन की उलझनों के दौर में किसी को अकेलापन घेर रहा है तो किसी की शारीरिक व्याधियाँ दो-चार दिन के इलाज में ठीक हो जाने जैसी नहीं हैं | एकल परिवारों में अकेलापन भी बढ़ा है | साथ होते हुए भी कहने-सुनने के हालत न के बराबर हैं | ऊपर से अगर कोई लंबी बीमारी आ धमके तो जीवन की गाड़ी ही पटरी से उतर जाती है | ऐसे में थोड़ी सजगता और संवेदनाएं सबकी झोली में होनी ही चाहिएँ ........ और हाँ- ज़रूरतें जुटाने की आपाधापी है तो जूझना ही होगा पर स्मार्ट गैजेट्स ही समय खा रहे हैं तो कृपया इस वक़्त को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने में लगाइए | आर्थिक रूप से सक्षम हैं तो समय-समय पर जाँच करवाइए | सेहत को लेकर सजग रहिए | खान-पान पर ध्यान दीजिए | बीमारी के घेरे में स्याह पड़ते शरीर और मन को क्लिक भर में स्वस्थ कर लेने के कोई 'फ़िल्टर' नहीं होते
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