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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

06 March 2018

कोलाहल





विचार साझा करने के हर माध्यम ने
संवेदनाओं की ओट में हमें
बना दिया बेहद असंवेदनशील
भुला दिया अंतर घटना और दुर्घटना का
मिटा दी लकीर सूचित करने  शोर मचाने के मध्य
कहना  कोलाहल बन गया
आवाज़ उठाने  के माध्यम
बन गए ऊँचे मचान
जिनपर चढ़कर
स्वयं को हर क्षेत्र का विशेषज्ञ समझ
सार्थक कहने  नाम पर
हम अपने ही शब्दों को अर्थहीन बना रहे  |






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