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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

25 August 2016

सृजनशील जीवन की सीख देते कृष्ण

चित्र - आनन्द सिंह कविया जी फेसबुक वॉल से 
भगवान् कृष्ण का जीवन जितना रोचक है उतना ही मानवीय और मर्यादित । इसीलिए आम इंसान को बहुत कुछ सिखाता समझाता है  नंदगांव के कन्हैया से लेकर अर्जुन के पार्थ तक उनका चरित्र  जीवन जीने के अर्थपूर्ण संदेश संजोये हुए है | जो हर तरह से मानव कल्याण और जन सरोकार के भाव लिए हैं | बालपन से लेकर कुटुम्बीय जीवन तकउनकी हर बात में जीवन सूत्र छुपे हैं। तभी तो सामाजिक, धार्मिक,दार्शनिक और राजनीतिक हर क्षेत्र में सारथी  की भूमिका में सच्चे हितेषी कहे जाते हैं कृष्ण । 

इंसान के  विचार और व्यवहार स्वयं उनके ही नहीं बल्कि  राष्ट्र और समाज की भी दिशा तय करते हैं । कृष्ण के सन्देश  इन दोनों पक्षों के परिष्करण पर बल देते हैं । एक ऐसी जीवनशैली सुझाते हैं जो सार्थकता और संतुलन लिए हो । समस्याओं से जूझने की ललक लिए हो । गीता में वर्णित उनके सन्देश जीवन रण में अटल विश्वास के साथ खड़े रहने की सीख देते हैं । महान दार्शनिक श्री अरविंदो ने कहा कि भगवद्गीता एक धर्मग्रंथ व एक किताब न होकर एक जीवनशैली हैजो हर उम्र को अलग संदेश और हर सभ्यता को अलग अर्थ समझाती है। दुनिया के जाने माने  वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी कहा है कि 'श्रीकृष्ण के उपदेश अतुलनीय  हैं । '   कृष्ण से जुड़ी हर बात हमें जीवन के प्रति जागृत होने का सन्देश देती है मानव मन और जीवन के कुशल अध्येता कृष्ण यह कितनी सरलता और सहजता से बताते हैं कि जीवन जीना भी एक कला है |उनके चरित्र को जितना जानो उतना ही यह महसूस होता है कि इस धरा पर प्रेम का शाश्वत भाव वही हो सकता है जो कृष्ण ने जिया है यानि कि सम्पूर्ण प्रकृति से प्रेम यही अलौकिक प्रेम हम सबको  को आत्मीय सुख दे सकता है और इसी में समाई है  जनकल्याणकारी चेतना भी  राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी कहा है कि जब मुझे कोई परेशानी घेर लेती हैमैं गीता के पन्नों को पलटता हूं।हम सब जानते हैं कि बापू भी  मानवीय सोच और जनकल्याण के पैरोकर रहे हैं । कृष्ण का जीवन प्रकृति के बहुत करीब रहा प्रकृति के लिए उनके मन में जो अपनत्व रहा वो समाज और राष्ट्र के सरोकारों से भी जोड़ने वाला है ।  कदम्ब का पेड़ और यमुना का किनारा उनके लिए बहुत विशेष स्थान रखते थे प्रकृति का साथ ही उनके   विलक्षण चरित्र को आनन्द और उल्लास का प्रतीक बनाता है शायद यह भी  एक कारण है कि कान्हा का नाम लेने से ही मन में  उल्लास और उमंग छा जाती है। उन्होनें कष्ट में भी चेहरे पर मुस्कुराहट और बातों में धैर्य की मिठास को बनाये रखा। कोई अपना रूठ जाए तो मनुहार कैसे करनी है ?  किस युक्ति से अपनों को मनाया जाता है यह तो स्वयं कृष्ण के चरित्र से ही सीखना चाहिए। वसुधैव कुटम्बकम के भाव को वासुदेव कृष्ण ने जिया है। मनुष्यों और मूक पशुओं से ही नहीं मोरपंख और बांसुरी से भी उन्होनें मन से प्रेम किया। कई बार तो ऐसा लगता मानो कृष्ण ने किसी वस्तु को भी जड़ नहीं समझा। तभी तो आत्मीय स्तर का लगाव रहा उन्हें हर उस वस्तु से भी जो उस परिवेश का हिस्सा थी जहाँ वे रहे |  वैसे भी  पेड़  पौधे हों या जीव जन्तु सम्पूर्ण प्रकृति की चेतना से जुड़ना ही सच्ची मानवता है। कान्हा का गायों की सेवा और पक्षियों से प्रेम यह बताता है कि जीवन प्रकृति से ही जन्म लेता है और मां प्रकृति ही इसे विकसित करती हैपोषित करती है।  सच में कभी कभी लगता है कि हम सबमें इस चेतन तत्व का विकास होगा तभी तो आत्मतत्व जागृत हो पायेगा। प्रकृति से जुड़ा सरोकार का ये भाव मानवीय सोच को साकार करने वाला है । यही वजह है कि   विचारव्यवहार और अपनत्व का यह भाव आज के जद्दोज़हद भरे जीवन में सबसे ज़रूरी है ।

कर्म के समर्थक कृष्ण सही अर्थों में जीवन गुरु है। क्योंकि हमारे कर्म ही जीवन की देश और दिशा तय करते हैं ।  कर्म की प्रधानता उनके संदेशों में सबसे ऊपर है । यही वजह कई वे ईश्वरीय रूप में भी आम इंसानों से जुड़े से दीखते हैं । मनुष्यों  ही नहीं संसार के समस्त  प्राणियों के लिए उनका एकात्मभाव देखते ही बनता है।  सच भी है कि आज के दौर में  भी नागरिक ही किसी देश की नींव सुदृढ़ करते हैं ।  वहां बसने वाले लोगों की  वैचारिक पृष्ठभूमि  और व्यवहार यह तय करते हैं कि उस देश का भविष्य कैसा होगा ?  मानवीय व्यवहार और संस्कार की शालीनता बताती है कि वहां जनकल्याण को लेकर कैसे भाव हैं । अधिकतर समस्याओं का हल  देश के  नागरिकों  के विचार और व्यवहार पर ही निर्भर है । ऐसे में कृष्ण कर्मशील होने का सन्देश  सृजन की राह सुझाता है । संकल्प की शक्ति देता है । कर्मठता का भाव पोषित  करता है । यही शक्ति हर नागरिक के लिए  अधिकारों सही समझ और कर्तव्य निर्वहन के दायित्व की सोच की  पृष्ठभूमि बनती है ।कृष्ण  की दूरदर्शी सोच समस्या नहीं बल्कि समाधान ढूँढने की बात करती है । जो कि राष्ट्रीय और  सामाजिक समस्याओं के सन्दर्भ में भी लागू होती है । तभी तो  भाग्य की बजाय कर्म करने पर विश्वास  करने सीख देने वाला मुरली मनोहर का दर्शन आज के दौर में सबसे अधिक प्रासंगिकता रखता है । कर्ममय जीवन के समर्थक कृष्ण जीवन को एक संघर्षों से भरा मार्ग ही समझते हैं । हम  मानवीय मनोविज्ञान के आधार पर समझने की कोशिश करें तो पाते हैं कि अकर्मण्यता जीवन को दिशाहीन करने वाला बड़ा कारक है ।यही बाते बताती हैं कि  कृ ष्ण का जीवन हर तरह से एक आम इंसान का जीवन लगता है। तभी तो किसी आम मनुष्य के समान भी वे दुर्जनों के लिए कठोर रहे तो सज्जनों के लिए कोमल ह्दय।  उनका यह व्यवहार भी तो प्रकृति से प्रेरित ही लगता है और कर्म की सार्थकता लिए है । 
आप  सभी  को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं | 

http://www.nationalistonline.com/2016/08/25/krishna-thoughts-give-direction-in-lifes-all-aspects/
नेशनलिस्ट ऑनलाइन  और  सन्मार्ग में प्रकाशित 


30 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (26-08-2016) को "जन्मे कन्हाई" (चर्चा अंक-2446) पर भी होगी।
--
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

राज 'बेमिसाल' said...

सुंदर प्रस्तुति

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर सामयिक प्रस्तुति
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!

कविता रावत said...

बहुत अच्छी सामयिक प्रस्तुति
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!

सदा said...

Bht steekta se kanha ko vykt kiya hai aapki lekhni ni....... Jai shri krishna !

डॉ. मोनिका शर्मा said...

हार्दिक आभार आपका

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 'युगपुरुष श्रीकृष्ण से सजी ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

आभार आपका

दिगम्बर नासवा said...

शायद इसलिए कृष्ण को युग पुरुष, योगिराज, मायावान और पता नहीं क्या क्या गया है .... पैदा होने के साथ से शुरू हो कर अंतिम समय तक कुछ न कुछ जीवन सन्देश देते हैं कृष्ण ... मनेजमेंट गुरु से लेकर दर्शन से होते हुए जितने प्रासंगिक कृष्ण और उनका जीवन है ऐसा कोई पात्र नहीं है जीवन में ...

संध्या शर्मा said...

विष्णु अवतारों में मेरे सबसे प्रिय आराध्य श्रीकृष्ण ... उन्होंने कर्मव्यवस्था को सर्वोपरि माना, जीवन के हर रंग को स्वीकार किया। सार्थक आलेख के लिए बधाई व शुभकामनाएं

प्रतिभा सक्सेना said...

श्रीकृष्ण का जीवन संदेश सही अर्थों में न समझ कर उन्हे शृंगाररस का आलंबन बना कर रसिया के रूप में प्रस्तुत कर उनकी भक्ति का दम भरते हैं, लोग -मंदिरों में उनकी सजावट और भोजन-व्यवस्था पर ध्यान केन्द्रित कर सारा अर्थ ही बदल देते हैं .

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

श्रीकृष्ण का जीवन चरित हम जितना समझाने की चेष्टा करते हैं, उतनी ही परतें हमसे छिपी रह जाती है. मात्र छः वर्ष पहले तक मैं स्वयं को नास्तिक मानता था, लेकिन कृष्ण को थोड़ा सा जो भी समझा सका उसने मुझे रूपांतरित कर दिया.
बहुत ही सार्थक आलेख!!

महेन्‍द्र वर्मा said...

प्रेरणादायी विवेचना।

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

बेहतरीन सामयिक प्रस्तुति.....बहुत बहुत बधाई.....

Amrita Tanmay said...

कृष्ण पूर्णतः क्षणजीवी हैं इसलिए उनकी आवश्यकता हमें क्षण - क्षण होती है । सुंदर कहा है ।

Unknown said...

प्रभावी और सार्थक विवेचन
सादर

Kailash Sharma said...

कृष्ण का जीवन एक बहुआयामी व्यक्तित्व से परिपूर्ण था, इस लिए वह आज भी आकर्षण और प्रेरणा का स्त्रोत है.

HindIndia said...

बहुत ही उम्दा ..... Very nice collection in Hindi !! :)

Unknown said...

अति सार्थक आलेख ।

रश्मि प्रभा... said...

http://bulletinofblog.blogspot.in/

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

कृष्ण तो कर्मयोगी ही रहे ... आपका यह लेख बहुत कुछ समेटे हुए है .... देर से आना हुआ ....कोशिश करुँगी नियमित हो सकूँ ..

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

जय श्री कृष्ण ......

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

जय श्री कृष्ण।

राज 'बेमिसाल' said...

जो प्रेम से भरा है वही तो अन्याय को सहन नहीं कर पाता....जहाँ कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठा कर लोगों को उसके नीचे सुरक्षित किया..वहीँ कालिया नाग को मौत के घाट उतार कर जनता को सुरक्षित किया...कान्हा ने कहीं भेदभाव नहीं दिखाया... चाहे फिर उसके अपने मामा कंस की ही बात क्यों न थी.. यही बातें कान्हा को कान्हा बनाती रही...

Jyoti Dehliwal said...

सुन्दर प्रस्तुति।

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सटीक विवेचन मोनिका जी

HindIndia said...

बहुत ही उम्दा ..... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .... Thanks for sharing this!! :) :)

Unknown said...

दीपावली की शुभकामनाएं .

Jyoti Dehliwal said...

बहुत बढ़िया प्रस्तुति।

Vocal Baba said...

श्रीकृष्ण के विषय में बहुत ही मेहनत से तैयार की गया लेख बहुत अच्छा लगा। बहुत कुछ सीखने को मिला है।

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