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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

01 September 2011

परिवार और समाज को जोड़ती हमारी उत्सवधर्मिता...!


हमारे पर्व त्योंहार हमारी संवेदनाओं और परंपराओं का जीवंत रूप हैं जिन्हें मनाना या यूँ कहें की बार-बार मनाना, हर साल मनाना हर भारतीय को  अच्छा लगता है। पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जहां मौसम के बदलाव की सूचना भी त्योंहारों से मिलती है। इन मान्यताओं, परंपराओं और विचारों में हमारी सभ्यता और संस्कृ ति के अनगिनत सरोकार छुपे हैं। जीवन के अनोखे रंग समेटे हमारे जीवन में रंग भरने वाली हमारी उत्सवधर्मिता की सोच मन में उमंग और उत्साह के  नये प्रवाह का जन्म देती है। 

आजकल तो गणेश उत्सव की धूम है। बच्चे बङे सभी बप्पा की मान मनवार में जुटे इस उत्सव का हिस्सा बने नजर आ रहे हैं। हम भारतीय स्वाभाव से ही उत्सवधर्मी हैं | तभी तो पूरे मन से इन उत्सवों का हिस्सा बनते हैं | सच कितना कुछ बदल जाता है त्योहारों की दस्तक से हमारे जीवन में । दिनचर्या से लेकर दिल के विचारों तक। इन पर्वों की हमारे जीवन में क्या भूमिका है इसका अंदाज इसी बात से लगा लीजिये कि ये  त्योंहार हमारे जीवन को प्रकृति की ओर मोड़ने से लेकर घर-परिवारों में मेलजोल बढाने तक, सब कुछ करते हैं और हर बार यह सिखा जाते हैं कि जीवन भी एक उत्सव ही है। 

हमारा मन और जीवन दोनों ही उत्सवधर्मी है | मेलों और मदनोत्सव के इस देश में ये उत्सव हमारे मन में संस्कृति बोध भी उपजाते हैं | हमारी उत्सवधर्मिता परिवार और समाज को एक सूत्र में बांधती है। संगठित होकर जीना सिखाती है। सहभागिता और आपसी समन्वय की सौगात देती है । 


दुनियाभर के लोगों को हिन्दुस्तानियों की उत्सवधर्मिता चकित करती है | आज भी घर से दूर जा बसे परिवार के सदस्य तीज त्योहारों पर ज़रूर मिलते हैं | उत्सवी माहौल में एक दुसरे से जुड़ते हैं | हमारी ऐतिहाहिक विरासत और जीवंत संस्कृति के गवाह ये त्योंहार विदेशी सैलानियों को भी बहुत लुभाते हैं| हमारे सरस और सजीले सांस्कृतिक वैभव की जीवन रेखा  हैं हमारे त्योंहार, जो हम सबके जीवन को रंगों से सजाते हैं | 

सभी को गणेश उत्सव की हार्दिक शुभकामनायें....

133 comments:

अरुण चन्द्र रॉय said...

बढ़िया आलेख..उत्सवों और त्योहारों का सामाजिक महत्वा घट रहा है नई अर्थव्यवस्था में...

डॉ. मोनिका शर्मा said...
This comment has been removed by the author.
डॉ. मोनिका शर्मा said...

@अरुण चन्द्र राय जी..

जिस तरह उत्सवों के रंग फीके पड़ रहे हैं ... समाज और परिवारों में विघटन भी हो रहा है ..दूरियां भी आ रही हैं.....

Sunil Kumar said...

मोनिका जी अब त्यौहार मनाये नहीं निभाए जाते है यह हमारा दुर्भाग्य है अच्छा आलेख
गणेश उत्सव की हार्दिक शुभकामनायें...

जयकृष्ण राय तुषार said...

सुंदर और भक्तिमय आलेख आपको भी बधाई और शुभकामनाएं

प्रवीण पाण्डेय said...

श्री तिलक ने गणेशोत्सव को इतना लोकप्रिय बनाया।

Shalini kaushik said...

aapko bhi ganesh utsav kee hardik shubhkamnayen.
फांसी और वैधानिक स्थिति

Arvind Mishra said...

उत्सव प्रिय मानवाः कहा ही गया है ..आपको भी गणेसोत्सव पर बहुत बहुत शुभकामनाएं!

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

सुन्दर

Saru Singhal said...

Our country has such rich heritage. i am feeling so good today as I saw lot of Indian kids in traditional Indian costumes in Boston. Even on Janmashtmi I went to ISKCON and I loved the fact that Indian kids(Born and brought up in US) were chanting slokhas. These things bind us no matter which part of the world we are live in...
Lovely Post...

Anupama Tripathi said...

हमारे सरस और सजीले सांस्कृतिक वैभव की जीवन रेखा हैं हमारे त्योंहार, जो हम सबके जीवन को रंगों से सजाते हैं |

बिलकुल सही लिखा है ...गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें..

Kunwar Kusumesh said...

आपको भी गणेश उत्सव की हार्दिक बधाई.
आपका लेख पढ़ना अच्छा लगता है. पढ़ने में लेट-लतीफी के लिए क्षमा करियेगा.

Rajesh Kumari said...

aapko bhi ganesh chaturthi ki dheron badhaaiyan.bahut achcha aalekh.aabhar.

कमलेश खान सिंह डिसूजा said...

गणेश उत्सव की हार्दिक बधाइयाँ :)
बहुत सुन्दर लेख :
अपना देश कहें तो त्योहारों का देश है ये त्यौहार ही तो है जिसने अभी तक हम सबको आपस में जोड़ रखा है, ये त्यौहार ही तो है जिसके बहाने गरीब भी चार पल के लिए खुश हो लेता है|

अजित गुप्ता का कोना said...

यह उत्‍वसधर्मिता ही हमें परिवार-संस्‍था को मजबूत करने में सहायक होती है।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

@हमारा मन और जीवन दोनों ही उत्सवधर्मी है

उत्सव ही जीवन है ....

डॉ. मनोज मिश्र said...

सही कह रही हैं,आपको भी बहुत शुभकामनायें,आभार.

Smart Indian said...

सुन्दर आलेख। हम भाग्यशाली हैं जो उत्सव-उलास की दीर्घ परम्परा के वाहक हैं। अन्य संस्कृतियाँ तो अभी भी अपने लिये नित नये उत्सव खोज रही हैं।

रश्मि प्रभा... said...

बढ़ती दूरियों के मध्य इन त्योहारों का महत्व आज भी कायम है .... यही जोड़ेगा , शुभकामनायें

Yashwant R. B. Mathur said...

गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

सादर

रेखा said...

उत्सव के रंग में रंगा हुआ सुन्दर आलेख .......आपको भी गणेश उत्सव की शुभकामनाएँ

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

त्योहारों के महत्त्व को बताता अच्छा लेख ..गणेश चतुर्थी पर आपको और आपके परिवार को बहुत बहुत शुभकामनायें

Anonymous said...

गणेशोत्सव की बधाई तथा मंगल कामना

वीरेंद्र सिंह said...

सही बात है! आपसे सहमत हूँ !
आप को श्रीगणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

रूप said...

सभी को गणेश उत्सव की हार्दिक शुभकामनायें....

आपको भी मोनिका जी !

RAJESH KUMAR said...

good presentation.

रंजू भाटिया said...

उत्सव दिलो की उमंग को बढ़ा देते हैं ....अच्छा लगा यह लेख गणेश उत्सव की बधाई

kshama said...

Aapko bhee anek shubh kamnayen!

virendra sharma said...

हमारा मन और जीवन दोनों ही उत्सवधर्मी है | मेलों और मदनोत्सव के इस देश में ये उत्सव हमारे मन में संस्कृति बोध भी उपजाते हैं | हमारी उत्सवधर्मिता परिवार और समाज को एक सूत्र में बांधती है। संगठित होकर जीना सिखाती है। सहभागिता और आपसी समन्वय की सौगात देती है ।
दुनियाभर के लोगों को हिन्दुस्तानियों की उत्सवधर्मिता चकित करती है | आज भी घर से दूर जा बसे परिवार के सदस्य तीज त्योहारों पर ज़रूर मिलते हैं | उत्सवी माहौल में एक दुसरे से जुड़ते हैं |कृपया दूसरे कर लें "दुसरे "को .
तीज त्यौहार जीवन की जड़ता ,रिजिड रूटीन को भी तोड़तें हैं ,जीवन को ऊर्ध्वगामी बनातें हैं निस्संदेह
ब्लॉग पर आपकी दस्तक के लिए शुक्रिया !

वाणी गीत said...

आपको भी बधाई और शुभकामनाएं!

Dr Varsha Singh said...

गणेश उत्सव को आपने एक नए दृष्टिकोण से व्याख्यायित किया है....लेख बहुत अच्छा है। आपको बहुत-बहुत बधाई !

shikha varshney said...

सच है त्यौहार हमें आपस में जोड़ते हैं. पर दुर्भाग्य हम उन्हें ही छोड़ते जा रहे हैं.

संध्या शर्मा said...

इन उत्सवों ने ही हमारी परंपराओं को जीवित रखा है... आपको गणेश उत्सव की हार्दिक शुभकामनायें...

Dr (Miss) Sharad Singh said...

डॉ॰ मोनिका शर्मा,
भारत से दूर....भारतीय उत्सवधर्मिता पर केन्द्रित बढ़िया आलेख...
आभार एवं हार्दिक शुभकामनायें...

Shah Nawaz said...

सहमत हूँ आपसे...

गणेश उत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएँ!

सदा said...

बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ..शुभकामनाएं ।

vandana gupta said...

आपको भी गणेश उत्सव की शुभकामनाएँ ।

Patali-The-Village said...

सही बात है| गणेश उत्सव की हार्दिक शुभकामनायें|

दर्शन कौर धनोय said...

बहुत सुंदर पोस्ट मोनिका जी ...गणेश उत्सव सभी जाती धर्म के लोग मनाते हें ..बोम्बे में तो इसका मज़ा ही अलग होता हें ..

Anupama Tripathi said...

आपकी किसी पोस्ट की चर्चा शनिवार ३-०९-११ को नयी-पुरानी हलचल पर है ...कृपया आयें और अपने विचार दें......

Maheshwari kaneri said...

सुंदर और भक्तिमय सार्थक आलेख ...आपको गणेशोत्सव की हार्दिक बधाई तथा मंगल कामना...

सुज्ञ said...

उत्सवधर्मीता मानव की स्वभाविक प्रतिक्रिया है।
आनन्द और उल्हास ही मानव की खोज रहा है।
यह निकटता के सूत्र है!! शुभकामनाएं!!

Shikha Kaushik said...

सटीक बात कही है आपने .उत्सव-विहीन जीवन की कल्पना भी कोई भारतीय कर सकता है क्या ? सार्थक पोस्ट हेतु हार्दिक शुभकामनायें .

ashish said...

मुंबई में गणेश उत्सव की गहमागहमी में भागीदार हूँ इनदिनों . उत्सवधर्मिता भारतवंशियों का सुखद पक्ष है .

Suman said...

सच कहा आपने जीवन भी एक उत्सव है
हमारे त्योहार यही सिखाते है !
प्यारी पोस्ट ......

केवल राम said...

यह उत्सव और त्यौहार हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है , यह सामाजिक सरोकारों को मजबूत करने और सामाजिक सद्भाव को बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ....लेकिन बदलते परिप्रेक्ष्य में इनकी भूमिका और भी बदल गयी है ...!

दिवस said...

आपको भी गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं|
क्षमा करें, थोडा देरी से आया|

" इन पर्वों की हमारे जीवन में क्या भूमिका है इसका अंदाज इसी बात से लगा लीजिये कि ये त्योंहार हमारे जीवन को प्रकृति की ओर मोड़ने से लेकर घर-परिवारों में मेलजोल बढाने तक, सब कुछ करते हैं और हर बार यह सिखा जाते हैं कि जीवन भी एक उत्सव ही है।"
सौ प्रतिशत सहमत...

Anonymous said...

मोनिका जी ...........काफी दिनों बाद दिखी आपकी पोस्ट..............पर शानदार लिखा है उत्सवों की महिम को बखान करती ये पोस्ट लाजवाब है...........आपको भी बधाई|

Amrita Tanmay said...

आपका आलेख प्रासंगिक होता है. आभार

अशोक सलूजा said...

सब सच है ....
खुश और स्वस्थ रहें !

shabdnidhi said...

आपका ब्लोग पढा पह्ली बार में ही आपके लेखन की मुरीद हो गई। और लेखन भी साधारण नहीं बल्की उच्च कोटि का आगे भी आप से जुडे रहना चाहुगीं

shabdnidhi said...

आपका ब्लोग पढा पह्ली बार में ही आपके लेखन की मुरीद हो गई। और लेखन भी साधारण नहीं बल्की उच्च कोटि का आगे भी आप से जुडे रहना चाहुगीं
tyohar dilon ko jodte hai insaan ko dukh men bhi khush rahne ki himmat aur shakti dete hai .ye baat alag hai ki aaj sare tyohar fb par jyada manaye jate hai

virendra sharma said...

ये संसद उत्सवी कब होगी जहां रोज़ स्यापा और नौटंकी होती है ,चप्पल चलतीं हैं सदनों में (सन्दर्भ राजस्थान विधान सभा ....पूर्व में तमिलनाडु विधान सभा में जै ललिता का चीड हरण हो चुका है,करुणा और निधि हीन डॉ केलागन ,कंमौजी के पिताजी की ....रात के अँधेरे में घर से भी उठाई हो चुकी है ,यू पी में माइक चल चुकें हैं ......)
आप की बोलोगिया दस्तक हमारे लिए महत्वपूर्ण है .शुक्रिया !
जन आक्रोश आर हर शू मुखरित है .शुक्रवार, २ सितम्बर २०११
शरद यादव ने जो कहा है वह विशेषाधिकार हनन नहीं है ?
"उम्र अब्दुल्ला उवाच :"

virendra sharma said...

एक अस्पष्ट कोलाज़ हो गया हूँ मैं "
बड़े कैनवास की परिवेश प्रधान ,आंतरिक कुन्हासे को प्रतिबिंबित करती रचना .आप की ब्लोगिया दस्तक हमारे लिए महत्वपूर्ण है .शुक्रिया !
जन आक्रोश आर हर शू मुखरित है .शुक्रवार, २ सितम्बर २०११
शरद यादव ने जो कहा है वह विशेषाधिकार हनन नहीं है ?
"उम्र अब्दुल्ला उवाच :"

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

हम भारतीय स्वाभाव से ही उत्सवधर्मी हैं...

एकदम सत्य... और यह उत्सवधर्मिता हमें आपस में जोडती भी है... बढ़िया आलेख...
गणेशोत्सव की आपको भी सपरिवार सादर बधाईयाँ....

G.N.SHAW said...

" संगठित होकर जीना सिखाती है। सहभागिता और आपसी समन्वय की सौगात देती है ।" - बहुत ही सुन्दर ! भारत ही तो है जहाँ कई तरह के उत्सव भाई - चारे के साथ मनाये जाते है !

G.N.SHAW said...

आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!

राजन said...

भारत में त्योहारो के दो पक्ष होते है एक आध्यात्मिक और दूसरा खेल पक्ष.यही कारण है कि नास्तिकों तक को भारतीय संस्कृति की यह अनूठी विशेषता लुभाती है.मुझे तो वो महीना ही फीका सा लगता है जिनमें कोई त्योहार नहीं होता.एक त्योहार जाता है फिर दूसरा आ जाता है.हम भारतीय त्योहारों के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते.इस मामले में निश्चित रूप से भारत एक अनूठा देश है.सुंदर लेख के लिए आभार.

अनामिका की सदायें ...... said...

ये उत्सवों का महत्व यूँ ही बना रहे और हमारी नयी पीडी भी इसका सम्मान करे तभी ये सन्स्क्र्ती बची रह सक्ती है.

सार्थक लेख.

Sushil Bakliwal said...

उत्सवप्रिय भारत में सभी उत्सव अपने-अपने समुदायों में मेल-मिलाप के विशेष माध्यम बनकर ही आते हैं ।
गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाओं सहित...

Unknown said...

dr.monika ji lamabe antaral ke baad sri ganesh kiya.bahut hi achhi posting rahi .ganesh chouth ki mangal kamanayen aapako va poore pariwar ko.

सु-मन (Suman Kapoor) said...

bilkul sahi kha aapne...ganesh ji sabhi ke kary sidh karen...

P.N. Subramanian said...

बहुत ही सुन्दर पोस्ट. गजानन की आप पर कृपा बनी रहे.

महेन्‍द्र वर्मा said...

हमारा देश तो उत्सवों का देश है। मेले, त्योहार, उत्सव और परम्पराएं हमें एकता के सूत्र में बाधे रखती है।

महत्वपूर्ण आलेख।

Vaanbhatt said...

यदि सब मिल-जुल के रहे तो जीवन ही उत्सव बन जाए...

मदन शर्मा said...

मोनिका जी नमस्ते!!! मैं समय न मिलने और कुछ व्यक्तिगत कारणों से
बहुत ही कम लिख पा रहा हूँ
कृपया देर से आने के लिए क्षमा करें
बड़ी गहरी और सामयिक बात कह दी आपने...
बीते हुए हर पर्व-त्यौंहार सहित
आने वाले सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ......

मदन शर्मा said...

मोनिका जी नमस्ते!!! मैं समय न मिलने और कुछ व्यक्तिगत कारणों से
बहुत ही कम लिख पा रहा हूँ
कृपया देर से आने के लिए क्षमा करें
बड़ी गहरी और सामयिक बात कह दी आपने...
बीते हुए हर पर्व-त्यौंहार सहित
आने वाले सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ......

Jyoti Mishra said...

Happy ganesh chaturthi..
nice write up !!!

रचना दीक्षित said...

अच्छा आलेख.गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें..

Anonymous said...

सही कह रही हैं आप..
आपको गणेसोत्सव पर बहुत बहुत शुभकामनाएं!

virendra sharma said...

इस पोस्ट के लिए ,पोस्ट पर टिपियाने के लिए आभार !

संजय भास्‍कर said...

सुन्दर आलेख सहमत हूँ....बहुत ही सुन्दर पोस्ट

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

देस मेरा रंगीला....
आशीष
--
मैंगो शेक!!!

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

भारत के उत्सव प्रकृति व उपज से जुड़े हैं.आपस में एक दूसरे से जोड़ते हैं.सामूहिक खुशियाँ बाँटने का कई बार अवसर उपलब्ध कराते हैं,इन्हीं से हमारी पहचान विशिष्ट बनी हुई है.सुंदर और सार्थक आलेख.

निवेदिता श्रीवास्तव said...

गणेश उत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.......

मनोज कुमार said...

बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

दिगम्बर नासवा said...

इन उत्सवों का समाज को एक करने में बहुत बड़ा हाथ हुवा करता है ... पर आज ये पहलू कहीं खत्म होता जा रहा है ...

Asha Joglekar said...

नयी जीवन शैली हमारे घरों में मनाये जाने वाले त्यौहारों का रूप बदल रही है । सार्वजनिक त्यौहार तो दादा लोगों की मौज मस्ती का साधन ज्यादा भक्ति का कम होते जा रहे हैं ।

Banti Nihal said...

बहुत ही खूबसूरती से आपने लिखा है. शुक्रिया

रंजना said...

Satya kaha...
Shubhkamnayen !!!!

ghughutibasuti said...

आपको भी शुभकामनाएँ.
घुघूती बासूती

आनन्द विश्वास said...

उत्सव वही होता है, जो उत्साह, उमंग और उल्लास के साथ, उन्मुक्त मन से मनाया जाये. न कि भय और आतंक के साये में. ऐसे में बस, श्री मती सुभद्रा कुमारी चौहान की याद आती है और मन पूछता है ' वीरों का हो कैसा वसंत ' . आलेख निश्चय ही सराहनीय है. साधुवाद.
आनन्द विश्वास.
अहमदाबाद

seema prakash said...

aapka parichay naman yogya hai. maa swayam mein paripurnata liye hue hai.

आपको साधुवाद है... बहुत अच्छा लिखा है।

kabhi kabhi hum bhi likhte hain, koi jagah bhi de deta hai, samay mile to hame bhi anugrah dijiyega
www. jan-sunwai.blogspot.com

जीवन और जगत said...

हिन्‍दुस्‍तान के बारे में एक कहावत कही जाती है कि यह त्‍योहारों का देश है। साल में 365 दिन होते हैं, और हमारे यहां 366 त्‍योहार होते हैं।

सुजाता said...

acchi bat kahi apne...

Kunwar Kusumesh said...

I like your post.It is always meaningful.
Happy ganesh chaturthi.

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत बढिया
गणपति बप्पा मोरिया

जन सुनवाई @legalheal said...

आभार...आपसे सहमत हूँ.
सुंदर आलेख, आपको बधाई और शुभकामनाएं.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

सही कहा आपने।

------
क्‍यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

उत्सव मनाना तो अच्छा है पर उत्सव के नाम पर भगवान को सड़क पर बिठाने के हम कायल नहीं है:)

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) said...

हमारी उत्सवधर्मिता ही तो हमारी पहचान है.विदेशों में बसने के बावजूद अपना समाज और अपना परिवार इसी के कारण अक्षुण्ण है.गणेश विसर्जन में आप सादर आमंत्रित हैण.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

सही बात है, उत्सव स्वाद बदल देते हैं जीवन का

Rohit Singh said...

इतने सारे त्यौहार ही हैं जो बिना किसी नोबेल पुरुस्कार पाए व्यक्ति की मदद से भारत की अर्थव्यवस्था को चलायमान रखते हैं..। पर विदेशी शिक्षा के अंधे अनुरकरण करने वालों को समझ में आएगा नहीं। पर त्यौहार का उत्सव खत्म नहीं होगा....आपको गणेश उत्सव की बधाई.

Ankit pandey said...

हकीकत बयान करती यह पोस्ट अच्छी लगी...शुभकामनायें !!

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर आलेख...ये त्यौहार ही परिवारों को जोड़े रखते हैं.

उपेन्द्र नाथ said...

आपके विचारों से सहमत..... सुंदर प्रस्तुति.
.
पुरवईया : आपन देश के बयार

Neelkamal Vaishnaw said...

Monika jee namaskaar
आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
आप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए...
BINDAAS_BAATEN कृपया यहाँ चटका लगाये
MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
MITRA-MADHUR कृपया यहाँ चटका लगाये

Nishant dixit said...

आपने भारतीय साहित्य और त्योहारो के बारे में बहुत सुंदर वाक्य लिखा है .

VIJAY PAL KURDIYA said...

अच्छी जानकारी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,धन्यवाद |

Suresh kumar said...

बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

sourabh sharma said...

मौसम के बदलावों की सूचना त्योहारों से। मुझे भी हमेशा से होली से सावन तक अजीब सी बोरियत लगती है उसके बाद त्योहारों का मौसम आता है और जीवन में सुंदर रंग भर जाते हैं।

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) said...

..आपको भी गणेश उत्सव की शुभकामनाएँ

Udan Tashtari said...

बढ़िया जानकारी...मैं कैसे रह गया यहाँ आने से...

shashi purwar said...

badhai ........ sudar prastuti ke liye aabhar ......!

meri nayi post par aapka intjar hai

समयचक्र said...

"त्योंहार, जो हम सबके जीवन को रंगों से सजाते हैं"
सुन्दर सारगर्वित अभिव्यक्ति.....

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह said...

sunder aalekh jo bharteeyata ko sahi sandarbho me paribhashit karta hai
dr.bhoopendra

हरकीरत ' हीर' said...

आपको भी गणेश उत्सव की हार्दिक शुभकामनायें...

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

धर्म और पर्व मनाना चाहिए... परंतु पर्यावरण का भी ध्यान रखना होगा॥

विनोद कुमार पांडेय said...

सामाजिक महत्व पर एक बढ़िया आलेख आज के परिवेश में ऐसे आलेख की बहुत ज़रूरत है ताकि लोग उत्सव का मायने ठीक से समझ सकें.....बधाई

!!अक्षय-मन!! said...

aapko bhi ganesh chaturthi ki khub sari badhaiyaan...

रजनीश तिवारी said...

त्यौहार और उत्सव हमारे जीवन में रंग भरते रहते हैं । जीवन क्लिष्ट , तेज, कठिन होता जा रहा है ।बदलते समय के साथ त्यौहार भी बदलते हैं । उत्सव मनाने के तरीके बदलते हैं पर उत्सव रूके नहीं हैं , नए उत्सव नए त्योहार नई संस्कृति भी है पर आस्था कहीं भी कम होती नज़र नहीं आती । बहुत अच्छा लेख ।

त्रिवेणी said...

बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ..शुभकामनाएं ।

abhi said...

यही बात तो हमें अलग करती है सारे विश्व से...मेरी पुरानी कंपनी में एक सज्जन थे जो की मार्केटिंग हेड थे और लन्दन के रहने वाले थे..उन्हें काफी आकर्षित करती थी हमारे हर त्यौहार...वो मुझसे पूछते भी थे की कौन सा त्यौहार क्यों मनाया जाता है और उसकी महत्ता क्या है..

Asha Joglekar said...

गणेश जी की कृपा आप पर सदा बनी रहे । हम भारतीयों को तो उत्सव का बहाना चाहिये । इस कारण हम जैसा भी है जितना भी है उसमें खुश रहते हैं या थे (?)

Suman Dubey said...

मोनिका जी नमस्कार्। सुन्दर आलेख है। मोनिका जी उत्सव में वो पहले जैसी रौनक अब नही क्योंकि समय किसके पास है। मैने इसी उत्सव पर आज अपने ब्लाग शब्द्कुन्ज पर पोस्ट लिखी है मौका मिले तो आपका स्वागत है।

Arvind Jangid said...

उत्सव जीवन्तता का प्रतीक हैं एंव कहीं न् कहीं हमें जोड़ने के लिए ही बने हैं...बहुत ही सुन्दर आलेख आपका आभार

संतोष पाण्डेय said...

उत्सवी माहौल में एक दुसरे से जुड़ते हैं
उत्सव हमें जीवन में उल्लास का संचार करते हैं और जीने की कला सिखाते हैं.
उत्सव आमार जाति, आनंद आमार गोत्र.
सारगर्भित लेख पर बधाई स्वीकार करें.

Suman Sinha said...

जब मैं फुर्सत में होता हूँ , पढ़ता हूँ और तहेदिल से इन भावनाओं का शुक्रगुज़ार होता हूँ ....

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

उत्सव और पर्व तो भारत की पहचान है॥

Prem Prakash said...

UTSAV HMARI PRAMPRA HA...YA PARMPRA JB TK JAARI RHEGI BHARTIYA SAMAJ KE RACHNA KA MAULIK TATVA BACHE RHENGA...! SUNDER POST...! BDHAI...!

anita agarwal said...

mujhae lagta hai ki ajkal tyohar or utsav ko kahin zyada bade scale par manaya jata hai... jisme bhavnao ki kami , maksad ki kami ho gayi hai...bus chamak damak badhti ja rahi hai...
ek achhae lekh ke liyae badhai...

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...



अच्छा आलेख ! आभार !

आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

-राजेन्द्र स्वर्णकार

Urmi said...

आपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

Unknown said...

आपको नवरात्रि की हार्दिक शुभ कामनाएं !!
सादर !!!

Unknown said...

सुन्दर आलेख ..उत्सवों और पर्वों के प्रति आत्मीयता , ब्यवसायीकरण की भेंट चद्ती जा रही है ऊपर से भाग दौड की जिंदगी के आदी होने से सामाजिक क्रियाकलापों में आत्मीय रूप से सम्मिलित भी नहीं होते केवल औपचारिक प्रतिभाग सामान्य प्रक्रिया बन चुकी है....
सादर !!!

सियाना मस्कीनी said...

आग कहते हैं, औरत को,
भट्टी में बच्चा पका लो,
चाहे तो रोटियाँ पकवा लो,
चाहे तो अपने को जला लो,

#vpsinghrajput said...

बढ़िया प्रस्तुति ||

बहुत-बहुत बधाई ||

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

बढ़िया लेख ...
बहुत अच्छा लगता है आपको पढ़कर |

Vibhor Bhatt said...

Main Apse se Sahmat hun! Apka blog bahut achha hai!


Apko navraatri ki shubhkaamnayen!

कुमार राधारमण said...

विघटित होते पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों के इस दौर में,उत्सवधर्मिता के भी क्रमशः औपचारिक रह जाने का ख़तरा बढ़ गया है।

pseudowriter said...

Greetings ,

Read urs blog its just Awosum.
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BTW Our magazine Blog address is www.ajaykiran.wordpress.com
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Anyways Have a nice day.

Regards,
Ankush Jain

Unknown said...

very nice

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