कभी चेतन कभी अवचेतन
मन के आँगन में.....!
कुछ शब्द जो समेट लाते हैं
भीतर का द्वंद और दर्द
स्वयं अपनी राह बनाते
कभी हंसाते कभी रुलाते
आशा और विश्वास जगाते
कुछ शब्द .........!
सोचती हूँ ....
ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
139 comments:
एकदम सच कहा. जरा इग्नोर करो इनको और बस ..रूठ जाते हैं.
सुन्दर अभिव्यक्ति.
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
शब्दों की दुनिया में शब्दों के कारीगरों के लिये कितनी सुंदर उपहार हैं ये स्वाभिमानी शब्द ।
nice one mem swabhimani sabd....
बहुत सुन्दर,मोनिका जी.
शब्द सच में स्वाभिमानी होते हैं.
पर भाव और विचारों से ऐसा प्रेम हैं
उन्हें कि अपना दर्शन करा ही देते हैं.
हाँ,उनका स्वागत तो करना ही होगा न.
वर्ना 'ढूंढते ही रह जाईयेगा जी '
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.
अक्षर तो अक्षर ही है, और उससे बने शब्द, क्या कहने!
एक रचनाकार और शब्द प्रेमी को इसलिए काफी सतर्क रहना चाहिए ..:)
सुन्दर अभिव्यक्ति ! दशहरा की शुभकामनाएं!
Expressing words in words is so beautiful. Profound post and last paragraph stands out.
शब्दों की महिमा ही निराली है।
शब्दों पर बहुत अच्छी पकड़ है आपकी .
सुन्दर रचना है.
शब्द ही तो सफलता की पूंजी होते हैं।
मैं तुरन्त ही इन शब्दों को सहेज कर रख लेता हूँ, भविष्य के लिये।
शब्दों की अपनी महिमा है ....शब्दों का है अपना संसार ..हम जो भी सोचते हैं शब्द उसे अभिव्यक्त करते हैं ...लेकिन थोड़ी सी भी बेरुखी इनके प्रति हो तो बस यह अपना रूप दिखा देते हैं.. सही कहा आपने शब्द स्वाभिमानी होते हैं ..!
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
बिल्कुल सही लिखा है कई बार ऐसा होता है की कुछ काम करते समय कोई अच्छा विचार, शब्द आता है पर उसे लिख नहीं पाते है और जब लिखते है तो वो विचार वो शब्द ही नहीं याद आते है |
bahut hi acchi post monika ji thanks
"ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए"
बेहद खूबसूरत कविता।
------
कल 06/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
पहली बार किसी नें शब्दों का अन्तर्मन भांपने का प्रयास किया है।
शब्द आज आपकी कलम से मुखर हुआ, और अपने स्वभाव से परिचय करवाया।
सुंदर शब्दों में ...एक स्वाभिमानी सच्चाई !!!
शुभकामनाएँ!
शब्द ही तो सफलता की पूंजी होते हैं|
मोनिका जी नमस्कार,
सही कहा आपने शब्द स्वाभिमानी होते हैं ..!
बहुत ही खुबसूरत रचना है |
शब्द स्वाभिमानी तो अवश्य है लेकिन धोखेबाज नहीं है। हमेशा साधक के आसपास ही बने रहते हैं।
शब्दों का स्वाभिमान हमारी लेखनी से है ,हम अपनी रचनाधर्मिता से उसे बनाये रखें तो शब्द भी चहक उठेंगे ....बहुत सुंदर रचना ....बधाई !
अतिसुन्दर
बिल्कुल सच, कहा आपने। शब्दों को वाकई अगर ठीक ठाक सत्कार ना मिले तो वो चले जाते हैं और फिर वापस मनाना आसान भी नहीं।
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
बहुत सुंदर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
कुछ शब्द.... ही तो हैं जो किसी के लिए प्रेरणाश्रोत तो किसी के विनाश का कारण बन जाते हैं !!
दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
एकदम सच कहा. ..सुन्दर अभिव्यक्ति ! दशहरा की शुभकामनाएं!
ये कुछ शब्द ...स्वाभिमानी शब्द ...
शानदार!
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
स्वाभिमानी शब्द ... बहुत सुन्दर संबोधन दिया है आपने इन्हें, सच है ये ऐसे ही होते हैं... सुन्दर अभिव्यक्ति
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
बिलकुल जैसे सबके मन की बात कह दी....
सार्थक अभिव्यक्ति
बिल्कुल सच ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
शब्दों का मान रखना जरूरी है ... ये शब्द ही आसमां रक् उठाते अहिं और जमीन पे भी गिरा देते हैं ...
स्वाभिमानी शब्द ....!
..सच है शब्दों का भी अपना एक व्यक्तित्व होता है...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
sahi kaha apne,
shabd bahut khatarnak hote hai,inka sahi upyog karna chahiye..
bahut hi sundr likhati hai aap
apko naman.
shabd ke bare me maine bhi apne blog par likha hai kabhi samay mile to padhiye...
पोस्ट अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है .धन्यवाद ।
बहुत दिनों बाद कोई पोस्ट आई आपकी पर शानदार.......
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
मेरे ब्लॉग की नयी पोस्ट आपके ज़िक्र से रोशन है......जब भी फुर्सत मिले ज़रूर देखें|
इन शब्दों का क्या कहना ...ये तो निराले ही होते हैं
बहुत बहुत सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति ...वास्तव में ये स्वाभिमानी शब्द भावों कभी ना लौटने के लिये चले जाते हैं जबतक कागज़ पर नहीं लेते हैं उतार....आभार
लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
बिलकुल सही कहा आपने!शब्दों का संसार ही निराला होता है.....
विजयादशमी पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
ऐसा भी होता है …………सुन्दर व्याख्या
वाह बहुत खूब एकदम बढ़िया और सच बात कही है आपने जो न हो इंका स्वागत सत्कार लौट जाते हैं फिर कभी ना आने के लिए यह शब्द स्वाभिमानी.... सार्थक अभिवक्ती
समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/
sahi kaha apne shabdo ka istemal sahi tarah se kiya jaye to hi accha hai.
bahut hi accha kikhti hai aap,
aapko sadar naman
shabdo ke vishay me maine bhi kuch likha hai ,samay mile to jarur dekhiye..
मैम, आप की ये पंक्तियाँ बहोत ही खूबसूरत हैं...
सुन्दर लिखा है.शुभकामना...
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
और उपरोक्त भावमय प्रस्तुति हेतु आभार........
एवं आपको स:परिवार विजय दशमी की हार्दिक शुभकानाएं प्रेषित करता हूँ ,
'शब्द' पर लिखी रचना बहुत अच्छी लगी है! आपको विजयदशमी की बधाईयाँ!
ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
शब्दों को नई दृष्टि से देखना बहुत अच्छा लगा।
सचमुच, शब्द स्वाभिमानी होते हैं।
sach kaha ye shabd kayi baar kitne swabhimani aur hathi ho jate hain jo baar baar bulane par bhi nahi aate.
sunder abhivyakti.
Very nice Written Monika Ji..
Happy Durga Puja...
यह कविता बताती है कि मुंशीगिरि करते-करते हमारी स्मृति रसातल में पहुंच गई है। वे दिन भी थे जब ऋचाएं सदियों तक केवल अनुश्रुति से संरक्षित रहीं।
बहुत अच्छी जानकारी देती पोस्ट.... आभार
विजय पर्व "विजयादशमी" पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनायें
डॉ मोनिका जी सच कहा आप ने इन शब्दों के अनेक रूप हैं ....हंसाते हैं रुलाते हैं मीठी खट्टी यादें ....कागज़ पर उतर ...... आप सपरिवार और हमारे सभी मित्र मण्डली को भी नवरात्री और विजय दशमी की ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं
भ्रमर ५
कुछ शब्द जो समेट लाते हैं
भीतर का द्वंद और दर्द
स्वयं अपनी राह बनाते
कभी हंसाते कभी रुलाते
आशा और विश्वास जगाते
शब्द निःशब्द होकर भी अपने अहसासात को व्यक्त कर ही देते हैं ॥
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
"kuch godaap" likha hai :)
जब ये कविता कभी ना आने के लिए पर पहुँचती है तो उसकी गरिमा सर्वोच्च स्तर पर पहुँच जाती है और तब कविता भी जीवंत हो उठती है।
ढेर सारी शुभकामनायें.
सोचती हूँ ....
ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
सच कहा आपने ....इनके स्वाभिमान की रक्षा करनी चाहिए
बहुत सही कहा है आपने शब्द भी स्वाभिमानी होते है
जब तक इन्हें कागज पर नहीं उतारते लौट जाते है !
बहुत सुंदर रचना !
दशहरे क़ी हार्दिक शुभकामनायें !
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार....
वाह! बहुत सुन्दर... सचमुच स्वाभिमानी और साथ में शरारती भी बहुत होते हैं शब्द... कभी कभी तो आँखों के सामने नाचते रहते हैं... बस पकड़ नहीं आते...:))
विजयादशमी की सादर बधाईयाँ...
आप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
शब्दों की कारीगरी और उनका स्वाभिमान. क्या बात है. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
विजयादशमी की शुभकामनायें आपको व आपके परिवार को.
hollo mem..apne un svabhimani shabdo ko jod kar unki hi vyakhya kar di.umda likha hai..
meri post par comment kar apne meri jigyasa ko aur badaya hai.
sadhanyavaad.
Achhi kavita.
शब्द लेखनी को सदा समृद्ध करते रहें!
विजयादशमी की शुभकामनाएं!
विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक यह पर्व, सभी के जीवन में संपूर्णता लाये, यही प्रार्थना है परमपिता परमेश्वर से।
नवीन सी. चतुर्वेदी
आदरणीय मोनिकाजी आपने भाव विभोर कर देने वाली पोस्ट लिखी .....आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों क एबाद आना हुआ है ..बहुत अच्छा लगा .....धन्यवाद
bahut sundar likha hai mam aapne
jai hind jai bharat
क्या बात है मोनिका जी ,बहुत खूब शब्द , ही तो अमरता के हस्तक्षर हैं . अति सुन्दर , शुक्रिया जी /
कुछ शब्द देते हैं दस्तक
कभी चेतन कभी अवचेतन .
bhut acha
वाकई स्वाभिमानी । इनका स्वागत न करो तो फिर पलटकर आते ही नहीं ।
वाकई स्वाभिमानी । इनका स्वागत न करो तो फिर पलटकर आते ही नहीं ।
कुछ शब्द देते हैं दस्तक
कभी चेतन कभी अवचेतन
मन के आँगन में.....!
Nice post... visit on http://www.akashsingh307.blogspot.com/
true words r powerful...
can b constructive as well as destructive.
Nice read !!
बहुत सुन्दर लिखा है!!!
सुन्दर अभिव्यक्ति.
A beautiful play of words!!
arvind sir ki baat mein dam hai...sundar !
विचारों का भी यही हाल है...शब्दों का समूह है ये...और उतना ही स्वाभिमानी...
सही कहा आपने...कई बार ज़रा सी देर होती है इन्हें कागज़ पर उतारने में और ये शब्द ऐसे रूठते हैं की बाद में कितना भी याद करो.....नहीं आते ! कभी आये भी तो आधे-अधूरे.....!!
खूबसूरत....!!
सुंन्दर जानकारी...
एक ब्लोगर का सम्मान
http://vijaypalkurdiya.blogspot.com/2011/10/blog-post.html
"सोचती हूँ ....
ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए"
सुंदर..अभिराम...
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
"words" never relish 'ignorance' or 'rejection'.
well said.
nice.
शब्दशः निःशब्द किया आपकी इस शब्द -चर्चा ने . विजयदशमी की शुभकामनाये .
bahut hi ache tarah se aur kum lafzon me aapne shabd, kalam aur kalamkaar ke jazbaaton ko kavitabadhh kiya hai.
Bahut achi rachna,badhaai!
सुंदर कविता |
bhaut hi sunder rachna...
बहुत ही सुन्दरता से शब्दों को सजाया है आपने....
bahut achhi rachana shabadon ko shabad mile.
बड़ी ही सुन्दर शब्द वाटिकाए है भाव पूर्ण प्रस्तुति
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .सारा खेल शब्दों का है .ये मेला झमेला सब शब्दों का ही है .
Saty vachan! mai bhi kabhi asahaay sa ho jaata hun jab shabdon ki faslen bota hun...aur fasal katne ko jaise hi kagaz kalam dawat dhundhoo...tab tak faslen gayab ho jaati hai....bas uljhi-uljhi si khar-patwaaren rah jaati hain...bahut hi sundar rachna...aur mere aashiyane par dastak ...dene surre se yahan tak aane ke liye shukr gujaar hun...
लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
मोनिका जी! बिलकुल सही कहा आपने!
बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना !
लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
मोनिका जी! बिलकुल सही कहा आपने!
बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना !
शब्द कहाँ स्वाभिमानी हैं......... स्वाभिमानी तो व्यक्ति होता है.......... जो शब्दों को अर्थ देता है.......
डा. मोनिका जी,
आपके कोई भी पोस्ट प्रकाशित होने के 15 सैकिंड के बाद ही पानी पोस्ट को टिप्स हिंदी में ब्लॉग पर देखें | है न सबसे तेज | यकीन नहीं होता तो आप अपनी पोस्ट प्रकाशित करें व ठीक 15 सैकिंड बाद इस लिंक पर कलिक करके देख लें |
वाकई शब्दों का अपना ही स्वाभिमान होता है...
ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
..sach kaha apne shabdon mein swabhiman n jhalke to nirarthak jaan padte hai..
..bahut badiya rachna..
congrats for 101 comments. now 102.
सोचती हूँ ....
ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
बहुत सच्ची बात. सुन्दर कविता है मोनिका जी.
सही...बहुत बहुत सही...
sach men...badhiyaa kahaa aapne monikaa....
बहुतं दिनों के बाद और स्वाभिमानी शब्द ---बहुत कुछ कह गया ! बहुत बढ़िया ! शब्द समयानुसार रंग बदलते है
बहुत सुन्दरता से आपने हर एक शब्द लिखा है! उम्दा प्रस्तुती!
आपकी कविता पढ़कर एक शेर याद आ गया
अपनी अना के मतवाले हैं
शहर नहीं जाते हैं जुगनू.
गज़ब का शब्द संयोजन, बढ़िया कविता.
♥
डॉ॰ मोनिका शर्मा जी
सचमुच ! कई शब्द वाकई स्वाभिमानी शब्द होते हैं …
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
कुछ शब्द ....
स्वाभिमानी शब्द ....!
ख़ूबसूरत कविता
आभार और बधाई !
आपको सपरिवार त्यौंहारों के इस सीजन सहित दीपावली की अग्रिम बधाई-शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
शब्द ही सब कुछ हैं इस दुनिया में।
सुंदर प्रस्तुति।
sarthak rachna sandesh deti hui abhar
सुन्दर अभिव्यक्ति.
ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
बिलकुल सहमत हूँ आपसे, मेरी कवितायेँ भी विचार-प्रवाह सी हैं..अगर समय रहतें रूप न दे सकूं तो लौट जाती हैं, खो जातीं हैं.
बहुत सुन्दर रचना. मेरी नयी रचना पर एक नज़र डालें. www.belovedlife-santosh.blogspot.com
प्रभावशाली प्रस्तुति
मोनिका जी सचमुच ये शब्द ...बहुत कुछ कर जाते है दे जाते हैं ले जाते हैं यादों का कारवां है ..करवा चौथ की हार्दिक शुभ कामनाएं
भ्रमर ५
A famous song has lines
" Words are all I have to take your heart away"
It clearly shows how mere words can do wonders :)
now this wonder can be constructive as well as destructive depending purely upon the Words :)
Fantastic read !!
कुछ शब्द कभी नहीं आते ...बहुत सुंदर रचना
बहुत अच्छी प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ये शब्द जीवन का पर्याय बन चुके हैं...
अंतस के भावों का सुन्दर प्राकट्य...
शब्दों की दुनिया शब्दों ने बखानी है
इसीलिये ये शब्द इतने स्वाभिमानी हैं ......
Superb words used to actually explain the significance of words in our life.... :)
Beautiful. Shabdon par to aapko bhi maharath haasil hai.
बहुत खूब !
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
sunder abhivyakti
badhai
rachana
आपकी रचना ने सोचने पर विवश कर दिया. वाकई कितनी सारी सोच आकर चली जाती हैं. सचमुच ये शब्द बड़े स्वाभिमानी हैं.
कुछ शब्द देते हैं दस्तक
कभी चेतन कभी अवचेतन
मन के आँगन में.....!
कुछ शब्द जो समेट लाते हैं
भीतर का द्वंद और दर्द
स्वयं अपनी राह बनाते
कभी हंसाते कभी रुलाते
आशा और विश्वास जगाते
कुछ शब्द .........!
........सुन्दर अभिव्यक्ति........
कुछ शब्द जो समेट लाते हैं
भीतर का द्वंद और दर्द
स्वयं अपनी राह बनाते
कभी हंसाते कभी रुलाते
आशा और विश्वास जगाते
कुछ शब्द .........!
very nice.
बहुत सुन्दर एंव गहन अभिव्यक्ति....कई बार बरसों की घुटन एक शब्द से निकल जाती है और कई बार एक शब्द बरसों की घुटन दे जाता है...आभार
शब्दों को बहुत सुन्दर शब्दों में बांधा है ...
अच्छी प्रस्तुति
आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत ही सुन्दरता से शब्दों को सजाया है आपने....
स्वाभिमानी शब्द !!!
सचमुच शब्द ब्रह्म होते हैं !
बहुत सुंदर रचना !बधाई !
ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
बढिया ..
अच्छी कल्पनाशील रचना ............
सुन्दर सृजन , प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.
समय- समय पर मिले आपके स्नेह, शुभकामनाओं तथा समर्थन का आभारी हूँ.
प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.
kathor sach lekin kitni aasani se aapne kaha h, beshak aapke shabdon me jadu h.
"स्वाभिमानी शब्द" बहुत ही हटकर है ये अभिव्यक्ति! बहुत सुंदर! बधाई!
दीपावली की शुभकामनाएँ
happy deepawali monika
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए.
एकदम सच.
Very Beautiful expressions!!!
Very Beautiful expressions!!!
बहुत खूब आप मेरी रचना भी देखे ...........
स्वाभिमानी शब्द ..एक सशक्त रचना के लिए साधुवाद.
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