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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

04 October 2011

स्वाभिमानी शब्द ....!



कुछ शब्द देते हैं दस्तक 
कभी चेतन कभी अवचेतन 
मन के आँगन में.....!
कुछ शब्द जो समेट लाते  हैं  
भीतर का द्वंद और दर्द 
स्वयं अपनी राह बनाते 
कभी हंसाते कभी रुलाते 
आशा और विश्वास जगाते 
कुछ शब्द .........! 

सोचती हूँ ....
 ये शब्द हैं कितने  स्वाभिमानी 
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार 
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं 
कभी ना आने के लिए
 कुछ  शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....! 

139 comments:

shikha varshney said...

एकदम सच कहा. जरा इग्नोर करो इनको और बस ..रूठ जाते हैं.
सुन्दर अभिव्यक्ति.

Asha Joglekar said...

जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!

शब्दों की दुनिया में शब्दों के कारीगरों के लिये कितनी सुंदर उपहार हैं ये स्वाभिमानी शब्द ।

ASHOK BIRLA said...

nice one mem swabhimani sabd....

Rakesh Kumar said...

बहुत सुन्दर,मोनिका जी.
शब्द सच में स्वाभिमानी होते हैं.
पर भाव और विचारों से ऐसा प्रेम हैं
उन्हें कि अपना दर्शन करा ही देते हैं.
हाँ,उनका स्वागत तो करना ही होगा न.
वर्ना 'ढूंढते ही रह जाईयेगा जी '

अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.

Smart Indian said...

अक्षर तो अक्षर ही है, और उससे बने शब्द, क्या कहने!

Arvind Mishra said...

एक रचनाकार और शब्द प्रेमी को इसलिए काफी सतर्क रहना चाहिए ..:)
सुन्दर अभिव्यक्ति ! दशहरा की शुभकामनाएं!

Saru Singhal said...

Expressing words in words is so beautiful. Profound post and last paragraph stands out.

विवेक रस्तोगी said...

शब्दों की महिमा ही निराली है।

Kunwar Kusumesh said...

शब्दों पर बहुत अच्छी पकड़ है आपकी .
सुन्दर रचना है.

vijai Rajbali Mathur said...

शब्द ही तो सफलता की पूंजी होते हैं।

प्रवीण पाण्डेय said...

मैं तुरन्त ही इन शब्दों को सहेज कर रख लेता हूँ, भविष्य के लिये।

केवल राम said...

शब्दों की अपनी महिमा है ....शब्दों का है अपना संसार ..हम जो भी सोचते हैं शब्द उसे अभिव्यक्त करते हैं ...लेकिन थोड़ी सी भी बेरुखी इनके प्रति हो तो बस यह अपना रूप दिखा देते हैं.. सही कहा आपने शब्द स्वाभिमानी होते हैं ..!

anshumala said...

न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
बिल्कुल सही लिखा है कई बार ऐसा होता है की कुछ काम करते समय कोई अच्छा विचार, शब्द आता है पर उसे लिख नहीं पाते है और जब लिखते है तो वो विचार वो शब्द ही नहीं याद आते है |

upendra shukla said...

bahut hi acchi post monika ji thanks

Yashwant R. B. Mathur said...

"ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए"

बेहद खूबसूरत कविता।
------
कल 06/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

सुज्ञ said...

पहली बार किसी नें शब्दों का अन्तर्मन भांपने का प्रयास किया है।

शब्द आज आपकी कलम से मुखर हुआ, और अपने स्वभाव से परिचय करवाया।

अशोक सलूजा said...

सुंदर शब्दों में ...एक स्वाभिमानी सच्चाई !!!
शुभकामनाएँ!

Patali-The-Village said...

शब्द ही तो सफलता की पूंजी होते हैं|

Suresh kumar said...

मोनिका जी नमस्कार,
सही कहा आपने शब्द स्वाभिमानी होते हैं ..!
बहुत ही खुबसूरत रचना है |

अजित गुप्ता का कोना said...

शब्‍द स्‍वाभिमानी तो अवश्‍य है लेकिन धोखेबाज नहीं है। हमेशा साधक के आसपास ही बने रहते हैं।

Sonroopa Vishal said...

शब्दों का स्वाभिमान हमारी लेखनी से है ,हम अपनी रचनाधर्मिता से उसे बनाये रखें तो शब्द भी चहक उठेंगे ....बहुत सुंदर रचना ....बधाई !

Arun sathi said...

अतिसुन्दर

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बिल्कुल सच, कहा आपने। शब्दों को वाकई अगर ठीक ठाक सत्कार ना मिले तो वो चले जाते हैं और फिर वापस मनाना आसान भी नहीं।

ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!

बहुत सुंदर

कमलेश खान सिंह डिसूजा said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
कुछ शब्द.... ही तो हैं जो किसी के लिए प्रेरणाश्रोत तो किसी के विनाश का कारण बन जाते हैं !!
दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !!

Maheshwari kaneri said...

एकदम सच कहा. ..सुन्दर अभिव्यक्ति ! दशहरा की शुभकामनाएं!

वाणी गीत said...

ये कुछ शब्द ...स्वाभिमानी शब्द ...
शानदार!

संध्या शर्मा said...

तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!

स्वाभिमानी शब्द ... बहुत सुन्दर संबोधन दिया है आपने इन्हें, सच है ये ऐसे ही होते हैं... सुन्दर अभिव्यक्ति

rashmi ravija said...

जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!

बिलकुल जैसे सबके मन की बात कह दी....
सार्थक अभिव्यक्ति

सदा said...

बिल्‍कुल सच ...बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

दिगम्बर नासवा said...

शब्दों का मान रखना जरूरी है ... ये शब्द ही आसमां रक् उठाते अहिं और जमीन पे भी गिरा देते हैं ...

मनीष said...

स्वाभिमानी शब्द ....!

Kailash Sharma said...

..सच है शब्दों का भी अपना एक व्यक्तित्व होता है...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

मेरा मन पंछी सा said...

sahi kaha apne,
shabd bahut khatarnak hote hai,inka sahi upyog karna chahiye..
bahut hi sundr likhati hai aap
apko naman.

shabd ke bare me maine bhi apne blog par likha hai kabhi samay mile to padhiye...

प्रेम सरोवर said...

पोस्ट अच्छा लगा । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है .धन्यवाद ।

Anonymous said...

बहुत दिनों बाद कोई पोस्ट आई आपकी पर शानदार.......

तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!

मेरे ब्लॉग की नयी पोस्ट आपके ज़िक्र से रोशन है......जब भी फुर्सत मिले ज़रूर देखें|

रेखा said...

इन शब्दों का क्या कहना ...ये तो निराले ही होते हैं

Unknown said...

बहुत बहुत सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति ...वास्तव में ये स्वाभिमानी शब्द भावों कभी ना लौटने के लिये चले जाते हैं जबतक कागज़ पर नहीं लेते हैं उतार....आभार

Dr Varsha Singh said...

लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!

बिलकुल सही कहा आपने!शब्दों का संसार ही निराला होता है.....
विजयादशमी पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।

vandana gupta said...

न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
ऐसा भी होता है …………सुन्दर व्याख्या

Pallavi saxena said...

वाह बहुत खूब एकदम बढ़िया और सच बात कही है आपने जो न हो इंका स्वागत सत्कार लौट जाते हैं फिर कभी ना आने के लिए यह शब्द स्वाभिमानी.... सार्थक अभिवक्ती
समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/

मेरा मन पंछी सा said...

sahi kaha apne shabdo ka istemal sahi tarah se kiya jaye to hi accha hai.
bahut hi accha kikhti hai aap,
aapko sadar naman

shabdo ke vishay me maine bhi kuch likha hai ,samay mile to jarur dekhiye..

Khushi said...

मैम, आप की ये पंक्तियाँ बहोत ही खूबसूरत हैं...

Amrita Tanmay said...

सुन्दर लिखा है.शुभकामना...

पी.एस .भाकुनी said...

तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
और उपरोक्त भावमय प्रस्तुति हेतु आभार........
एवं आपको स:परिवार विजय दशमी की हार्दिक शुभकानाएं प्रेषित करता हूँ ,

वीरेंद्र सिंह said...

'शब्द' पर लिखी रचना बहुत अच्छी लगी है! आपको विजयदशमी की बधाईयाँ!

महेन्‍द्र वर्मा said...

ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए

शब्दों को नई दृष्टि से देखना बहुत अच्छा लगा।
सचमुच, शब्द स्वाभिमानी होते हैं।

अनामिका की सदायें ...... said...

sach kaha ye shabd kayi baar kitne swabhimani aur hathi ho jate hain jo baar baar bulane par bhi nahi aate.

sunder abhivyakti.

Unknown said...

Very nice Written Monika Ji..

Happy Durga Puja...

कुमार राधारमण said...

यह कविता बताती है कि मुंशीगिरि करते-करते हमारी स्मृति रसातल में पहुंच गई है। वे दिन भी थे जब ऋचाएं सदियों तक केवल अनुश्रुति से संरक्षित रहीं।

मदन शर्मा said...

बहुत अच्छी जानकारी देती पोस्ट.... आभार
विजय पर्व "विजयादशमी" पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनायें

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

डॉ मोनिका जी सच कहा आप ने इन शब्दों के अनेक रूप हैं ....हंसाते हैं रुलाते हैं मीठी खट्टी यादें ....कागज़ पर उतर ...... आप सपरिवार और हमारे सभी मित्र मण्डली को भी नवरात्री और विजय दशमी की ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं
भ्रमर ५

कुछ शब्द जो समेट लाते हैं
भीतर का द्वंद और दर्द
स्वयं अपनी राह बनाते
कभी हंसाते कभी रुलाते
आशा और विश्वास जगाते

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

शब्द निःशब्द होकर भी अपने अहसासात को व्यक्त कर ही देते हैं ॥

Manish Khedawat said...

जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!

"kuch godaap" likha hai :)

sourabh sharma said...

जब ये कविता कभी ना आने के लिए पर पहुँचती है तो उसकी गरिमा सर्वोच्च स्तर पर पहुँच जाती है और तब कविता भी जीवंत हो उठती है।

Unknown said...

ढेर सारी शुभकामनायें.

Vandana Ramasingh said...

सोचती हूँ ....
ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!

सच कहा आपने ....इनके स्वाभिमान की रक्षा करनी चाहिए

Suman said...

बहुत सही कहा है आपने शब्द भी स्वाभिमानी होते है
जब तक इन्हें कागज पर नहीं उतारते लौट जाते है !
बहुत सुंदर रचना !
दशहरे क़ी हार्दिक शुभकामनायें !

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार....
वाह! बहुत सुन्दर... सचमुच स्वाभिमानी और साथ में शरारती भी बहुत होते हैं शब्द... कभी कभी तो आँखों के सामने नाचते रहते हैं... बस पकड़ नहीं आते...:))

विजयादशमी की सादर बधाईयाँ...

vijai Rajbali Mathur said...

आप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।

रचना दीक्षित said...

जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए

शब्दों की कारीगरी और उनका स्वाभिमान. क्या बात है. बहुत सुंदर प्रस्तुति.

विजयादशमी की शुभकामनायें आपको व आपके परिवार को.

आशा बिष्ट said...

hollo mem..apne un svabhimani shabdo ko jod kar unki hi vyakhya kar di.umda likha hai..

meri post par comment kar apne meri jigyasa ko aur badaya hai.

sadhanyavaad.

हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संग said...

Achhi kavita.

अनुपमा पाठक said...

शब्द लेखनी को सदा समृद्ध करते रहें!
विजयादशमी की शुभकामनाएं!

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक यह पर्व, सभी के जीवन में संपूर्णता लाये, यही प्रार्थना है परमपिता परमेश्वर से।
नवीन सी. चतुर्वेदी

तरुण भारतीय said...

आदरणीय मोनिकाजी आपने भाव विभोर कर देने वाली पोस्ट लिखी .....आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों क एबाद आना हुआ है ..बहुत अच्छा लगा .....धन्यवाद

SAJAN.AAWARA said...

bahut sundar likha hai mam aapne
jai hind jai bharat

udaya veer singh said...

क्या बात है मोनिका जी ,बहुत खूब शब्द , ही तो अमरता के हस्तक्षर हैं . अति सुन्दर , शुक्रिया जी /

Dr.NISHA MAHARANA said...

कुछ शब्द देते हैं दस्तक

कभी चेतन कभी अवचेतन .
bhut acha

Sushil Bakliwal said...

वाकई स्वाभिमानी । इनका स्वागत न करो तो फिर पलटकर आते ही नहीं ।

Sushil Bakliwal said...

वाकई स्वाभिमानी । इनका स्वागत न करो तो फिर पलटकर आते ही नहीं ।

आकाश सिंह said...

कुछ शब्द देते हैं दस्तक
कभी चेतन कभी अवचेतन
मन के आँगन में.....!

Nice post... visit on http://www.akashsingh307.blogspot.com/

Jyoti Mishra said...

true words r powerful...
can b constructive as well as destructive.

Nice read !!

abhi said...

बहुत सुन्दर लिखा है!!!

डॉ. मनोज मिश्र said...

सुन्दर अभिव्यक्ति.

Rahul said...

A beautiful play of words!!

Parul kanani said...

arvind sir ki baat mein dam hai...sundar !

Vaanbhatt said...

विचारों का भी यही हाल है...शब्दों का समूह है ये...और उतना ही स्वाभिमानी...

***Punam*** said...

सही कहा आपने...कई बार ज़रा सी देर होती है इन्हें कागज़ पर उतारने में और ये शब्द ऐसे रूठते हैं की बाद में कितना भी याद करो.....नहीं आते ! कभी आये भी तो आधे-अधूरे.....!!
खूबसूरत....!!

VIJAY PAL KURDIYA said...

सुंन्दर जानकारी...
एक ब्लोगर का सम्मान
http://vijaypalkurdiya.blogspot.com/2011/10/blog-post.html

sanjay vyas said...

"सोचती हूँ ....
ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए"

सुंदर..अभिराम...

Urmi said...

बहुत बढ़िया लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

amit kumar srivastava said...

"words" never relish 'ignorance' or 'rejection'.

well said.

nice.

ashish said...

शब्दशः निःशब्द किया आपकी इस शब्द -चर्चा ने . विजयदशमी की शुभकामनाये .

Human said...

bahut hi ache tarah se aur kum lafzon me aapne shabd, kalam aur kalamkaar ke jazbaaton ko kavitabadhh kiya hai.
Bahut achi rachna,badhaai!

जयकृष्ण राय तुषार said...

सुंदर कविता |

सागर said...

bhaut hi sunder rachna...

विभूति" said...

बहुत ही सुन्दरता से शब्दों को सजाया है आपने....

Unknown said...

bahut achhi rachana shabadon ko shabad mile.

Unknown said...

बड़ी ही सुन्दर शब्द वाटिकाए है भाव पूर्ण प्रस्तुति

virendra sharma said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .सारा खेल शब्दों का है .ये मेला झमेला सब शब्दों का ही है .

RameshGhildiyal"Dhad" said...

Saty vachan! mai bhi kabhi asahaay sa ho jaata hun jab shabdon ki faslen bota hun...aur fasal katne ko jaise hi kagaz kalam dawat dhundhoo...tab tak faslen gayab ho jaati hai....bas uljhi-uljhi si khar-patwaaren rah jaati hain...bahut hi sundar rachna...aur mere aashiyane par dastak ...dene surre se yahan tak aane ke liye shukr gujaar hun...

मदन शर्मा said...

लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!

मोनिका जी! बिलकुल सही कहा आपने!
बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना !

मदन शर्मा said...

लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!

मोनिका जी! बिलकुल सही कहा आपने!
बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना !

मनोज कुमार श्रीवास्तव said...

शब्द कहाँ स्वाभिमानी हैं......... स्वाभिमानी तो व्यक्ति होता है.......... जो शब्दों को अर्थ देता है.......

tips hindi me said...

डा. मोनिका जी,
आपके कोई भी पोस्ट प्रकाशित होने के 15 सैकिंड के बाद ही पानी पोस्ट को टिप्स हिंदी में ब्लॉग पर देखें | है न सबसे तेज | यकीन नहीं होता तो आप अपनी पोस्ट प्रकाशित करें व ठीक 15 सैकिंड बाद इस लिंक पर कलिक करके देख लें |

अभिषेक मिश्र said...

वाकई शब्दों का अपना ही स्वाभिमान होता है...

कविता रावत said...

ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
..sach kaha apne shabdon mein swabhiman n jhalke to nirarthak jaan padte hai..
..bahut badiya rachna..

Kunwar Kusumesh said...

congrats for 101 comments. now 102.

वन्दना अवस्थी दुबे said...

सोचती हूँ ....
ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!

बहुत सच्ची बात. सुन्दर कविता है मोनिका जी.

रंजना said...

सही...बहुत बहुत सही...

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

sach men...badhiyaa kahaa aapne monikaa....

G.N.SHAW said...

बहुतं दिनों के बाद और स्वाभिमानी शब्द ---बहुत कुछ कह गया ! बहुत बढ़िया ! शब्द समयानुसार रंग बदलते है

Urmi said...

बहुत सुन्दरता से आपने हर एक शब्द लिखा है! उम्दा प्रस्तुती!

संतोष पाण्डेय said...

आपकी कविता पढ़कर एक शेर याद आ गया
अपनी अना के मतवाले हैं
शहर नहीं जाते हैं जुगनू.
गज़ब का शब्द संयोजन, बढ़िया कविता.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...




डॉ॰ मोनिका शर्मा जी
सचमुच ! कई शब्द वाकई स्वाभिमानी शब्द होते हैं …

जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
कुछ शब्द ....
स्वाभिमानी शब्द ....!

ख़ूबसूरत कविता

आभार और बधाई !


आपको सपरिवार त्यौंहारों के इस सीजन सहित दीपावली की अग्रिम बधाई-शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार

Atul Shrivastava said...

शब्‍द ही सब कुछ हैं इस दुनिया में।
सुंदर प्रस्‍तुति।

Sunil Kumar said...

sarthak rachna sandesh deti hui abhar

amrendra "amar" said...

सुन्दर अभिव्यक्ति.

Santosh Kumar said...

ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!

बिलकुल सहमत हूँ आपसे, मेरी कवितायेँ भी विचार-प्रवाह सी हैं..अगर समय रहतें रूप न दे सकूं तो लौट जाती हैं, खो जातीं हैं.

बहुत सुन्दर रचना. मेरी नयी रचना पर एक नज़र डालें. www.belovedlife-santosh.blogspot.com

शकुन्‍तला शर्मा said...

प्रभावशाली प्रस्तुति

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

मोनिका जी सचमुच ये शब्द ...बहुत कुछ कर जाते है दे जाते हैं ले जाते हैं यादों का कारवां है ..करवा चौथ की हार्दिक शुभ कामनाएं
भ्रमर ५

Jyoti Mishra said...

A famous song has lines
" Words are all I have to take your heart away"

It clearly shows how mere words can do wonders :)
now this wonder can be constructive as well as destructive depending purely upon the Words :)

Fantastic read !!

रजनीश तिवारी said...

कुछ शब्द कभी नहीं आते ...बहुत सुंदर रचना

प्रेम सरोवर said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

ये शब्द जीवन का पर्याय बन चुके हैं...
अंतस के भावों का सुन्दर प्राकट्य...

निवेदिता श्रीवास्तव said...

शब्दों की दुनिया शब्दों ने बखानी है
इसीलिये ये शब्द इतने स्वाभिमानी हैं ......

नश्तरे एहसास ......... said...

Superb words used to actually explain the significance of words in our life.... :)

Gopal Mishra said...

Beautiful. Shabdon par to aapko bhi maharath haasil hai.

virendra sharma said...

बहुत खूब !

मेरा साहित्य said...

तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
ये कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!
sunder abhivyakti
badhai
rachana

Hareesh Gupta said...

आपकी रचना ने सोचने पर विवश कर दिया. वाकई कितनी सारी सोच आकर चली जाती हैं. सचमुच ये शब्द बड़े स्वाभिमानी हैं.

mark rai said...

कुछ शब्द देते हैं दस्तक
कभी चेतन कभी अवचेतन
मन के आँगन में.....!
कुछ शब्द जो समेट लाते हैं
भीतर का द्वंद और दर्द
स्वयं अपनी राह बनाते
कभी हंसाते कभी रुलाते
आशा और विश्वास जगाते
कुछ शब्द .........!
........सुन्दर अभिव्यक्ति........

Dr.NISHA MAHARANA said...

कुछ शब्द जो समेट लाते हैं
भीतर का द्वंद और दर्द
स्वयं अपनी राह बनाते
कभी हंसाते कभी रुलाते
आशा और विश्वास जगाते
कुछ शब्द .........!
very nice.

Arvind Jangid said...

बहुत सुन्दर एंव गहन अभिव्यक्ति....कई बार बरसों की घुटन एक शब्द से निकल जाती है और कई बार एक शब्द बरसों की घुटन दे जाता है...आभार

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

शब्दों को बहुत सुन्दर शब्दों में बांधा है ...
अच्छी प्रस्तुति

Urmi said...

आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्दरता से शब्दों को सजाया है आपने....

Anonymous said...

स्वाभिमानी शब्द !!!
सचमुच शब्द ब्रह्म होते हैं !
बहुत सुंदर रचना !बधाई !

संगीता पुरी said...

ये शब्द हैं कितने स्वाभिमानी
जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए
कुछ शब्द ....स्वाभिमानी शब्द ....!

बढिया ..

sumeet "satya" said...

अच्छी कल्पनाशील रचना ............

S.N SHUKLA said...

सुन्दर सृजन , प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.

समय- समय पर मिले आपके स्नेह, शुभकामनाओं तथा समर्थन का आभारी हूँ.

प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.

Mukta Dutt said...

kathor sach lekin kitni aasani se aapne kaha h, beshak aapke shabdon me jadu h.

sushila said...

"स्वाभिमानी शब्द" बहुत ही हटकर है ये अभिव्यक्ति! बहुत सुंदर! बधाई!

दीपावली की शुभकामनाएँ

Minoo Bhagia said...

happy deepawali monika

Dr.NISHA MAHARANA said...

जब लगाते हैं ये कतार
जो न हो इनका स्वागत सत्कार
न लें इन्हें कागज़ पर उतार
तो लौट जाते हैं
कभी ना आने के लिए.
एकदम सच.

Mukesh Tyagi said...

Very Beautiful expressions!!!

Mukesh Tyagi said...

Very Beautiful expressions!!!

Ravikant yadav said...

बहुत खूब आप मेरी रचना भी देखे ...........

ओमप्रकाश यती said...

स्वाभिमानी शब्द ..एक सशक्त रचना के लिए साधुवाद.

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