शब्द ...
कभी धुन में गाये जाते हैं ......!
कभी वादे में निभाए जाते हैं ....!
शब्द .....
कभी मंदिर-मस्जिद तोड़ते हैं....!
कभी जनमानस को जोड़ते हैं......!
शब्द .......
कभी संबधों को बांधते हैं ......!
कभी सीमाओं को लांघते हैं .....!
शब्द ...
कभी बस मायाजाल लगते हैं......!
कभी मन को स्पंदित करते हैं.....!
शब्द .....
कभी बुजुर्गों के अनुभव में ढलते हैं.....!
कभी तुतलाहट से डगमगाते हैं .......!
शब्द ...
कभी मौन में भी बोलते हैं........!
कभी हर अक्षर को तोलते हैं ......!
शब्द .....
कभी तेरे , कभी मेरे होते हैं ........!
कभी अपनेपन के रंग उकेरे होते हैं....!
शब्द.....
कभी निशब्द कर जाते हैं......!
कभी सब कुछ कह जाते हैं .....!
शब्द ....
कभी मात्र कोलाहल लगते हैं.......!
कभी हर घुटन का हल लगते हैं....!
शब्द ....
कभी अमर हो जाते हैं ....!
कभी बस ख़बर हो जाते हैं....!
शब्द ......
कभी हृदय को विदीर्ण कर दें......!
कभी मन का हर घाव भर दें.....!
शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत सब कुछ समेटे हैं .....!
तभी तो .....!
तभी तो .....!
शब्दों बिना जीवन की बिसात क्या ...?
कोई बात -बेबात क्या ...?
121 comments:
बहुत उम्दा रचना..वाह!
बहुत सुन्दर रचना
कभी हमारे ब्लॉग पर भी आये
vikasgarg23.blogspot.com
बहुत सुन्दर रचना
कभी हमारे ब्लॉग पर भी आये
vikasgarg23.blogspot.com
शब्द .......
कभी संबधों को बांधते हैं ......!
कभी सीमाओं को लांघते हैं .....!
बेहतरीन शब्दों की श्रखला , रचना ने दिलों को छुआ बधाई
अति सुन्दर
वाह! शब्दों का अच्छा जाल बुना आपने...
बहुत खूब, हर शब्द मोती की तरह चुना हुआ।
---------
बाबूजी, न लो इतने मज़े...
चलते-चलते बात कहे वह खरी-खरी।
शब्दों का विस्तार ....अनंत ही है ...
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ..!!
shabd shabd zindagi bolti nazar aati hai....
शब्द.....
कभी निशब्द कर जाते हैं......!
कभी सब कुछ कह जाते हैं .....!
वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ सटीक और सच्चाई बयान करती है! उम्दा रचना!
वाह. शब्दों की महिमा का सुन्दर निरूपण.
एक शब्द से उत्पन्न है यह जगत।
...तभी तो शब्द ब्रह्म हैं!बेमिसाल शब्द -पोस्ट !
आपने शब्दों की विशेषता बता कर निशब्द कर दिया , सुंदर रचना , बधाई
सच, शब्दों की महिमा निराली है।
मोनिका जी...इस शानदार पोस्ट के लिए आप बधाई की पात्र है.......दो विपरीत बातों को जोड़ते हुए आपने 'शब्द' का जो रूप उजागर किया है वो काबिलेतारीफ है......इससे मिलती ही एक पोस्ट मैंने जज़्बात पर लिखी थी......'किसके हैं ये शब्द'......कभी फुर्सत मिले तो देखिएगा |
बढ़िया रचना
शब्दों को बहुत अच्छे शब्द दिये हैं आपने.
सादर
बहुत सुन्दर ....
हृदय को विदीर्ण करने वाले शब्द सबसे घातक है, उनके घाव भरने में बहुत समय लगता है. सुन्दर भाव, धन्यवाद.
शब्दों की दुनिया ही अनुपम है. बहुत सुन्दर ढंग से आपने शब्दों के अलग अलग रूप दर्शाए हैं.
आभार
फणी राज
शब्द ....
कभी अमर हो जाते हैं ....!
कभी बस ख़बर हो जाते हैं....!
bilkul satya .
शब्दों की महिमा की खूबसूरत तस्वीर। निशब्द हूँ।
बहुत उम्दा रचना.
मोनिका जी,
आप के 'शब्द'ने निशब्द कर दिया !
हर शब्द आप के बनाये शब्दों के हार में एक-एक
चुने हुए मोती की तरह फिट है |
फिर भी अपने उपर हुए फिट शब्दों से तो लगाव होगा ही ...
शब्द .....
कभी बुजुर्गों के अनुभव में ढलते हैं.....!
कभी तुतलाहट से डगमगाते हैं .......!
खुश रहें|
शुभकामनाएँ|
शब्दों में बहुत ताकत है ...और आपकी यह रचना सोचने पर विवश करती है ...सुन्दर प्रस्तुति
शब्द ....
कभी मात्र कोलाहल लगते हैं.......!
कभी हर घुटन का हल लगते हैं....!
shabdon ko bhalibhanti paribhashit kiya hai aapne..
शब्दै मारा गिर पड़ा, शब्दै छोड़ा राज
जिन जिन शब्द विवेकिया, तिन का सरिगो काज
शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत सब कुछ समेटे हैं .....!
तभी तो .....!
शब्दों बिना जीवन की बिसात क्या ...?
बहुत ही उत्कृष्ट रचना
शब्द ......
कभी हृदय को विदीर्ण कर दें......!
कभी मन का हर घाव भर दें.....!
प्रत्येक शब्द भावमय करता हुआ ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
शब्दों के बिना जीवन का कोइ अर्थ ही नहीं है |
वाकई बहुत ताक़त है शब्दों में. इसलिए सोचकर इस्तेमाल किये जाने चाहिए.
बहुत ही उम्दा रचना.
क्या भाव है,क्या चिंतन और क्या प्रवाह....बस मर्म को छू गयी आपकी यह लाजवाब रचना...
बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर...
कभी निशब्द कर जाते हैं......!
कभी सब कुछ कह जाते हैं .....!
सचमुच ये शब्द ही हैं जो हमारे विचारों को प्राणवान करते हैं !
इनका दुरूपयोग करने पर इन्हें कैसा लगता होगा यह विचारणीय है !
very true... words have immense power and scientifically spoken words are immortal as it is nothing but sound energy and it always there in space.
Nice post !!
शब्द जगत शाश्वत है
किन शब्दों में आपकी रचना की प्रशंशा की जाए...मिल ही नहीं रहे.
नीरज
वहा क्या खूब व् प्यारी बात कही बहुत अच्छे
मोनिका जी
बहुत खूब लिखा है आपने!
इस शानदार पोस्ट के लिए बधाई .....
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
बहुत देर से पहुँच पाया ....
आदरणीय डॉ॰ मोनिका शर्मा जी
सादर वंदे मातरम्!
शब्द की गरिमा का बखान करती बहुत अच्छी रचना के लिए साधुवाद !
शब्द ....कभी अमर हो जाते हैं ....!
कभी बस ख़बर हो जाते हैं....!
बहुत सुंदर !
शुभकामनाओं सहित
बहुत सुन्दर शब्दों से ‘शब्द’ को बाँधा…. सुन्दर अभिव्यक्ति् धन्यवाद
आज से बहुत पहले किसी कवि ने जीभ के वाबत कहा था " आप तो कह भीतर गई जूता खात कपार' कपार माने कपाल माने सिर
यह शब्दों के प्रस्तुतीकरण पर निर्भर है.
शब्द चलातें हैं दुनिया को ,शब्दों से चलती दुनियाहै ,
सारा दुःख शब्दों का खेला ,सारा सुख शब्दों का मेला ।
न कुछ तेरा न कुछ मेरा ,शब्दों का है एक झमेला ।
डॉ मोनिकाजी शब्दों की लीला अपरम्पार है .शब्द ब्रह्म है परमेशवर है ।
शब्दों के ही पंख लगें हैं ,शब्दों की परवाज़ अमर है ।
आपने क्या खूब कहा है -
"शब्द -
कभी तेरे, कभी मेरे होतें हैं ।
कभी अपने पन के, रंग उकेरे होतें हैं ."
मोनिका जी सारा दुःख शब्दों से जुड़ा हैं बाहर नहीं है ,शब्दों का रचा हुआ है .मसलन कुछ लोग कहतें हैं -हमारी तो किस्मत में ही यह लिखा था .दुःख ही दुःख .सुख कभी देखा ही नहीं ।
यदि'" इन शब्दों'' को बे दखल कर दिया जाए जीवन से तब जीवन सामान्य है .बाहर सिर्फ शब्द होतें हैं अर्थ उनके हमारे अन्दर होतें हैं .
दार्शनिक लेखन के लिए बधाई .
bahut hi umda rachna ........
मेरे उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद . बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आयी एक बार फिर अच्छा लगा.
एकदम सही व सटीक अर्थ बतला दिया आपने अब ज्यादा कहने को बचा ही नहीं ......बहुत अछि पोस्ट .......................मेरे ब्लॉग पर पधारे .......aawajapni.blogspot.com
शब्दों के चितेरे , शब्दों में प्राण फूक देते है . जैसे आपने किया . शब्दशः निःशब्द हूँ मै .
पर.... गूंगों की दुनिया में शब्द का क्या काम :)
शब्दों क्या है............एक जाल ही समझिए।
शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत सब कुछ समेटे हैं .....!
तभी तो .....!
शब्दों बिना जीवन की बिसात क्या ...?
कोई बात -बेबात क्या ...?
shabdo ka jadoo nirala hai ,sach kaha banaye bhi bigade bhi .bahut bahut pyari rachna hai
शब्द बात-मुलाकात है शब्द जान-पहचान.
शब्द है पुस्तक, शब्द ज्ञान है, शब्द वेद विज्ञान
अच्छी रचना.नमस्कार.
सही कहा, शब्दों के बिना जीवन ही कहां है।
---------
बाबूजी, न लो इतने मज़े...
चलते-चलते बात कहे वह खरी-खरी।
दिल पे लगे जख्म कभी मिटते नहीं
जीए जा रहे है हम क्यूंकि मरते नहीं
मुस्कराए जाते है हम...खुशियो की चाह में
पर ये जख्म देने वाले है की थकते नहीं
ye sabd hi hai jo bana de..chahe bigaad de...words r god..so always be selecting your words...regards
कभी निशब्द कर जाते हैं - क्या बात है? शब्द को ब्रह्म भी तो कहा जाता है. बहुत सुन्दर मोनिका जी.
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
bahut sunder rachna ........
खुबसूरत शब्द चित्रण के लिए बधाई !
dhanyawad
thanks for commenting on my blog post
शब्द ...
कभी बस मायाजाल लगते हैं......!
कभी मन को स्पंदित करते हैं.....!
sach hain chand shabd bhi bahut kuch kah jate hain aur kai shabd bhi duria nhi mita paatein hain
कभी तुतलाहट से डगमगाते हैं .......!
बहुत अच्छी पंक्तियाँ |
आसान सी कविता--सीधी और सपाट |
एक माँ को प्रणाम ----
सीख माँ की काम आये--
गर गलत घट-ख्याल आये,
रुत सुहानी बरगलाए
कुछ कचोटे काट खाए,
रहनुमा भी भटक जाए
वक्त न बीते बिताये,
काम हरि का नाम आये- सीख माँ की काम आये--
हो कभी अवसाद में जो,
या कभी उन्माद में हो
सामने या बाद में हो,
कर्म सब मरजाद में हो
शर्म हर औलाद में हो,
नाम कुल का न डुबाये-
काम हरि का नाम आये- सीख माँ की काम आये--
कोख में नौ माह ढोई,
दूध का न मोल कोई,
रात भर जग-जग के सोई,
कष्ट में आँखे भिगोई
सदगुणों के बीज बोई
पौध कुम्हलाने न पाए
काम हरि का नाम आये- सीख माँ की काम आये--
बढ़िया कविता... रचना ने दिलों को छुआ बधाई
Beautiful poem.
शब्दों की महिमा का सुन्दर निरूपण| धन्यवाद|
शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत सब कुछ समेटे हैं .....!
तभी तो .....!
शब्दों बिना जीवन की बिसात क्या ...?
कोई बात -बेबात क्या ...?
kya baat hai
shbd kabhi bematlab ke bhi hote hain jo suche nahi jate .
bahuut khub
sunder abhivyakti
rachana
शब्द .... शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत सब कुछ समेटे हैं .....!
सच है बिना शब्दों के जीवन की क्या बिसात है... सब कुछ कह रहे हैं आपके शब्द... बहुत सुन्दर तराशी हुई रचना...
शब्दों का विभिन्न सन्दर्भों में चित्रण लाज़वाब है..निशब्द कर दिया आपकी प्रस्तुति ने..मन के भाव व्यक्त करने के लिये शब्द मिल ही नहीं रहे..शब्द ही ब्रह्म है आज पूरी तरह महसूस हुआ..बहुत उत्कृष्ट..आभार
मोनिका जी कल ..जब मै अपने मुख्यालय से बाहर था ..तो सोंचा था की बाबा रामदेव अपने शब्दों पर नियंत्रण क्यों नहीं रखते है ? इसी के वजह से राजनीतिग्य उन्हें ..कुछ न कुछ कहते रहते है ! इस विषय पर कुछ लिखने की मंशा बनी थी ! जब आप का पोस्ट देखा तो भरपाई हो गयी ! यथार्थ को चीरती अतिसुन्दर अभिव्यक्ति ! यह सत्य है की हमें अपने शब्दों के इस्तेमाल पर समुचित रूप से परख रखने की आदत होनी चाहिए !अन्यथा लेने के देने पद जाते है ! बधाई !
मोनिका जी कल ..जब मै अपने मुख्यालय से बाहर था ..तो सोंचा था की बाबा रामदेव अपने शब्दों पर नियंत्रण क्यों नहीं रखते है ? इसी के वजह से राजनीतिग्य उन्हें ..कुछ न कुछ कहते रहते है ! इस विषय पर कुछ लिखने की मंशा बनी थी ! जब आप का पोस्ट देखा तो भरपाई हो गयी ! यथार्थ को चीरती अतिसुन्दर अभिव्यक्ति ! यह सत्य है की हमें अपने शब्दों के इस्तेमाल पर समुचित रूप से परख रखने की आदत होनी चाहिए !अन्यथा लेने के देने पद जाते है ! बधाई !
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...
शब्द :
एक शब्द मलहम कहे...एक शब्द घाव |
अति सुन्दर -- राजीव
निःशब्द!
बिल्कुल सही कहा है आपने। आभार।
DR.MONIKA JI "SHABADON KE BINA..."RACHANA PADHI SOCHA COMMENT KE ROOP M YADI KUCHH SHBAD NA LIKHE GAYE TO ADHURAPAN LAGEGA SHABD DHAYI AKSHAR HI TON HAI LEKIN PYAAR KE DHAYI AAKHAR INAKE BINA ADHUREN HAI SUNDAR,SARAL,SAHAJ RACHANA KE LIYE SADHUWAD SWIKAR KAREN
क्या बात है...शब्दों के बिना हममें और अन्य प्राणियों में भला क्या फर्क रह जाता...
शब्द .......
कभी संबधों को बांधते हैं ......!
कभी सीमाओं को लांघते हैं .....!
बहुत ही बढ़िया
साभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत खूब लिखा है आपने.
शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत सब कुछ समेटे हैं .....!
तभी तो .....!
शब्दों बिना जीवन की बिसात क्या ...?
कोई बात -बेबात क्या ...?
बहुत खूब !!
शब्द ... शब्द .. शब्द ... काश सब गूंगे होते .... सुअयाद यही जड़ हैं हर चीज़ की ....सुंदर कविता ....
बहुत सुन्दर ....
बहुत बढिया ...बिलकुल सटीक ...एक सुंदर रचना के लिए आपको शुभकामनाये...
shabd hi jodte hain, shabd hi todte hain....
hum din chaar rahen na rahen, shabd zindaa rahenge sadaa jab tak ye srishti hai.....
शब्द के हर रूप को सुन्दरता से कविता में बांधा गया है.शब्द का उपहार अनगिनत प्राणियों में केवल मनुष्य को मिला है.इनका सदुपयोग ही होना चाहिए.
शब्द ...
कभी धुन में गाये जाते हैं ......!
कभी वादे में निभाए जाते हैं ....!
बहुत सुन्दर रचना भाव...
इस पोस्ट की तारीफ़ के लिए तो मेरे पास 'शब्द' ही नहीं है.वैसे ये प्रस्तुति तो सहेजने लायक है.
waah bahut khoob....
कभी मात्र कोलाहल लगते हैं
कभी हर घुटन का हल लगते हैं
शब्दों की क्षमता की विवेचना करती उत्तम कविता।
जीवन का सुखी या दुखी होना भी शब्दों पर निर्भर है।
मोनिका जी, इस प्रभावशाली कविता के लिए आभार।
waah bahut sundar...shabd shabd shabd....sabhi taraf gunjate yahi shabd
बहुत बढि़या रचना। बधाई।
शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत सब कुछ समेटे हैं .....!
तभी तो .....!
शब्दों बिना जीवन की बिसात क्या ...?
कोई बात -बेबात क्या ...?
वाह वाह वाकई सब्दो का मायाजाल है .........
कमल है कमाल है
shabd hamari anubhuti hai jo bahar aakar kai artho me dhal jaati hai.
बहन मोनिका जी क्षमा चाहूँगा कि काफी समय बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ है...
सुन्दर रचना...एक शब्द में समस्त सृष्टि को बाँधा है...
डॉ० मोनिका जी बहुत सुंदर कविता बधाई |जून भर बहुत व्यस्तता रहेगी |तब -तक आशा है आप सभी शुभचिंतक नाराज नहीं होगें |
अंतरात्मा की आवाज प्रबुद्ध जनों की लेखनी से .वाणी से प्रवाहित होती है ,जो रस सिंचित कर रही है ..मनोहारी रचना को बधाई /
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी (कोई पुरानी या नयी ) प्रस्तुति मंगलवार 14 - 06 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच- ५० ..चर्चामंच
शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत सब कुछ समेटे हैं .....!बहुत सुन्दर रचना
शब्द.....
कभी निशब्द कर जाते हैं......!
कभी सब कुछ कह जाते हैं .....!
वाह बेहतरीन भावाभिव्यक्ति............
रचना ने वाकई दिल को छू लिया...........आभार
और कभी कभी शब्द भी व्यथित हो जाते हैं..
http://amit-nivedit.blogspot.com/2010/08/blog-post_28.html
शब्द मेल जोल बढवातें हैं .कहा गया है आदमी गुड न दे गुड़ जैसी बात तो कह दे .
शब्दों को व्याख्यायित करती इस बहुत सुन्दर और गहन विचारपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई ...
बहुत सुंदर रचना। छोटे छोटे शब्द बुने जाने के बाद गंभीर हो गए।
क्या बात है..वाह..वाह..वाह
आदरणीय बहन मोनिका जी आप चैतन्य के ब्लॉग द्वारा मेरे ब्लॉग को Follow कर रही हैं...मैंने अपने ब्लॉग के लिए Domain खरीद लिया है...पहले ब्लॉग का लिंक pndiwasgaur.blogspot.com था जो अब www.diwasgaur.com हो गया है...अब आपको मेरी नयी पोस्ट का Notification नहीं मिलेगा| यदि आप Notification चाहती हैं तो कृपया मेरे ब्लॉग को Unfollow कर के पुन: Follow करें...
असुविधा के लिए खेद है...
धन्यवाद....
शब्द, से सब कुछ संभव है
--------------------------------------------
क्या मानवता भी क्षेत्रवादी होती है ?
बाबा का अनशन टुटा !
Congrats for 101 comments.Now it has become 102.
शब्द ही रचते हैं संसार
विनाश का रास्ता भी करते हैं तैयार
शब्द हों प्रेम के
सहानुभूति के
सहनशीलता के
जो बन जाए पथ प्रदर्शक।
बेमिसाल रचना है आपकी
किशोर कुमार जैन गुवाहाटी असम
शब्दों बिना जीवन की बिसात क्या ...?
कोई बात -बेबात क्या ...?
शब्दों को तराश कर रची गई बेहद उत्कृष्ट रचना है यह. आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
शब्द-दर्शन को सरल शब्दों लिख कर हमें तो शब्दहीन कर दिया.
शब्द की व्याख्या बहुत ही सटीक प्रस्तुति के साथ किये हैं | उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद |
बहुत सुंदर संवेदनशील भाव समेटे हैं बहुत सुन्दर रचना.
monika ji
bahut hi behatreen tareeke se aapne shabd ki paribhashha ko vyakhit kiya hai .
bahut hi sundar .isse behtar shabd ki aur vyakhya ho bhi nahi sakti.
bahut bahut badhai
poonam
सुंदर रचना. शब्द सामर्थ्यवान है.
अति सुन्दर ....
'शब्द' को बहुत सुन्दर ढंग से परिभाषित करती ,व्यापक फलक पर
...........................शब्द-शब्द माणिक्य सरीखा
..................................बहुत प्यारी रचना
आप सभी के उत्साहवर्धक विचारों का आभार ......
वाह..अद्भुत रचना.. आपने तो शब्दों को ही शब्द दे दिए.. :)
Shabd hi to hain ..jo hame parichit karate hain..bada sundar shabd sanyojan....badhaiyaan...
आप तो शब्दों की चित्रकार निकली..........इतना खूबसूरत चित्र उकेरा है आपने!कोई रंग न कम न ज्यादा सटीक एवं मनमोहक चित्रकारिता की है........बधाई!!
aapki ye kavita aaj ke Prabhat Khabar ke Jamshedpur sanskaran me chhapi hai me chhapi hai,
टिप्पणियों के सैलाब में पता नही मेरी टिप्पणी आपतक पहुंचेगी या नही| बहरहाल कविता पढकर अच्छा लगा| शब्दों में कल्पनाशीलता के अद्भुत शब्द पिरोये हैं| आपकी यह कविता प्रभात खबर में 26-06-2011 को छपी थी वही पढकर लगा कि आपतक एक टिप्पणी छोड़ दूँ| लेखक(लेखिका) तक भी तो बात पहुंचनी चाहिए कि उसने अच्छा लिखा है?
धन्यवाद|
बहुत ही सुन्दर भावों को प्रकट करते शब्दों कि रचना .......!!!
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