पैसिव स्मोकिंग की समस्या जिसे वैज्ञानिक भाषा में सैकंड हैंड स्मोकिंग भी कहते हैं, उन लोगों के लिए सजा बन रही है जो खुद स्मोकिंग नहीं करते हैं। सैकंड स्मोकिंग यानि कि वह धूम्रपान जो व्यक्ति खुद नहीं करता पर दूसरे द्वारा धूम्रपान किए जाने पर उसके धुएं की ज़द में आ जाता है ।
पैसिव स्मोकिंग खासकर तब ज्यादा खतरनाक हो जाती है जब धूम्रपान करने वाला व्यक्ति घर का ही कोई सदस्य हो। नॉन स्मोकर्स जो कि धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के दोस्त, रिश्तेदार,सहकर्मी या फिर घर सदस्य होते हैं बिना खता के गंभीर बीमारियों की सजा पाते हैं।
सैंकड हैंड स्मोंकिंग की वजह से बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। आमतौर पर पेरेंटस का सोचना होता है कि अगर वे घर से बाहर जाकर धूम्रपान करते हैं , तो बच्चे पैसिव स्मोकिंग के खतरों से सुरक्षित रहते हैं। जबकि हकीकत यह है कि बच्चों की गैरमौजूदगी में धूम्रपान करने वाले अभिभावकों के बच्चे भी पैसिव स्मोकिंग के अनगिनत दुष्प्रभाव झेलते हैं।
धूम्रपान करने वाले अभिभावकों के घरों में सांस लेने वाली हवा में खतरनाक स्तर का निकोटीन पाया जाता है। निकोटीन के ये नुकसानदेह तत्व माता-पिता के कपङों और अन्य सामान में भी चिपके रहते हैं।
सैकंड हैंड स्मोकिंग से हमारा पूरा परिवेश ही प्रदूषित रहता है। यही वजह है कि इसे ईटीएस यानि कि एन्वॉयरमेंटल टॉबेको स्मोक भी कहा जाता है।
आज भी सैकंड हैंड स्मोकिंग को ज्यादा विचारणीय नहीं माना जाता। लोगों के मन यह सोच होती है अगर वे स्वयं धूम्रपान नहीं करते तो उसके खतरों से भी सुरक्षित हैं। स्वयं धूम्रपान करने वाले खुद भी नहीं जानते कि वे अपने परिवार, समाज , पर्यावरण और मासूम बच्चों की सेहत को जाने अनजाने कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं...........और उनके अपनों को बिना ख़ता के सजा मिल रही है |
कृपया धूम्रपान के खतरों से स्वयं को ......पर्यावरण को और हमारे परिवारों को बचाएं...... विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर एक अपील.....!
99 comments:
अब पता नहीं लोग समझते नहीं या समझना नहीं चाहते इस बारे में..
सच मे लोग खता नही मानते
विचारणीय लेख।
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर एक अपील...बहुत सामयिक पोस्ट ... इसी तरह की पोस्टें जन जागरण के बहुत ही उपयोगी हैं . बहुत ही आभारी ..
सच है बिना खता के ही अन्य लोगों का सजा मिलती है।
समस्या गम्भीर है, जाग्रतिप्रेरक आलेख
बहुत सुन्दर, महत्वपूर्ण और विचारणीय लेख! उम्दा प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
Your article reminds me of TV commercial on the passive smoking in which an old man forcibly feed an smoker and when the smoker tries to oppose then he says "Agar tum bina meri marzi ke mujhe dhuan pilaa sakte ho to tumhe bhi meri marzi se khaana padega"
There was a law to stop smoking in public places, it seems there is lack of awareness in people on this law cause I still see a people smoking in public places.
Very nice article on World No Tobacco Day.
Regards
Fani Raj
बिलकुल सही बात कही आपने.हम सभी जाने अनजाने पैसिव स्मोकिंग की चपेट में आ ही जाते हैं.आवश्यकता खुद को और दूसरों को जागरूक करने की है.
सादर
मोनिका जी,
आपने बेहद गंभीर और ज्वलंत विषय को उठाया है !
आपने सही लिखा है जो लोग स्मोकिंग नहीं करते वो इसकी सज़ा क्यों भुगतें !
आपने सही कहा कि पैसिव स्मोकिंग उन लोगों के लिए सजा बन रही है जो खुद स्मोकिंग नहीं करते हैं। स्मोकिंग करने वालों को इस बारे में कम से कम एक बार तो सोचना चाहिए.
बहुत अच्छा और प्रेरक आलेख!
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ek disha per sahi soch
सार्थक अपील ... जागरूक करती पोस्ट
सुंदर पोस्ट लेकिन जो लोग पीते हैं वो नही समझते दिमाग ठ्स्स होने लगता है बिना पिये
आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
चिट्ठे आपके , चर्चा हमारी
बिलकुल सही कहा ....बहुत बार बसों आदि में हमको भी ये सजा भुगतनी पड जाती है ....हालांकि बहुत से लोग तो समझाने से मान जाते हैं ...लेकिन फिर भी कुछ पलों के लिय तो सजा मिल ही जाती है
vicharniy post kintu koi bhi vichar nahi karta is samasya par .aabhar
very timely posted !!
I feel so blessed that no one in my whole family either smokes or drinks.
In this case people are not ignorant, rather they are careless. In spite of knowing the side-effects I don't know what pleasure they get in taking such shit things.
jagruk karti post .aabhar
मोनिकाजी बहुत ही सुन्दर बिषय ..मै इस तरह के परिवेश ..को बिरोध करने से नहीं चुकता !कई बार कुछ स्मोकरो से झगड़े भी हो जाते है !
प्रेरक एवं अनुकरणीय पोस्ट से पूर्ण सहमति है.आपकी अपील का हार्दिक समर्थन करते हैं.
बिलकुल सही बात कही है आपने.... हम सभी को जाने अनजाने पैसिव स्मोकिंग के दुष्प्रभाव झेलने ही पड़ते है....इस गंभीर समस्या के प्रति जागरूक होने की अत्यंत आवश्यकता है....महत्वपूर्ण और विचारणीय लेख.....
मोनिका जी इसी समस्या की वजह से अब यहाँ तो ज्यादातर जगह पर स्मोकिंग मना हो गई है. पर हाँ घर पर अभी भी बनी हुई है हालाँकि समझदार लोग ख़याल रखते हैं.
अच्छा आलेख.
bahut badhiya sarthak post....
Monika ji,vishva tambaaku divas par janjaagrat karti hui post bahut saraahniye ,ati uttam hai.bahut achcha likha.aabhar.
is khubsurat jankari ke liye shukriya dost :)
ये बहुत सही लेख लिखा आपने...मैं तो खुद परेशान हो चूका हूँ इस पैसिव स्मोकिंग से...मेरे अधिकतर दोस्त धूम्रपान करते हैं...कभी ऑफिस के बाहर, कभी किसी दोस्त के घर, कभी कार में, तो कभी पता नहीं कहाँ-कहाँ? मैं खुद सिगरेट नहीं पीता किन्तु पीने वालों के साथ खड़े रहने से ही उसकी चपेट में आ जाता हूँ...अब बताइये क्या करें? अच्छा आलेख...स्मोकर्स को सोचना चाहिए कि खुद तो धुंएँ के साथ मर ही रहे हैं, अपने पास वाले को भी फ़ोकट में मार रहे हैं...
समसामयिक पोस्ट्।
बहुत ही सामयिक पोस्ट..
इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है .
बिल्कुल सही कहा है आपने ...विचारात्मक प्रस्तुति ।
डॉ. मोनिका जी,
आपकी अपील ने मेरी विवशता को रुला दिया...
"जब बड़े अधिकारी ऑफिस के कक्ष में सिगरेट पीते हुए बहुत देर तक जमे रहें ... तब एक्सोज़ फेन सालाना भी बेकार हो जाता है."
घर पर किरायेदारों को 'धूम्रपान न करें' कहने का तो हौसला है लेकिन इस आज़ाद देश में आम नागरिक को बस-स्टेंड, बस के भीतर, अन्य सार्वजनिक स्थानों पर कहना भारी पड़ जाता है.. सभी शिक्षित और सभ्य जो ठहरे.. प्रकृति प्रेम उनकी रग-रग में बसता है.. जगह-जगह सिगरेट-बीड़ी के टोटे, गुटके-तम्बाकू के सुन्दर पाउच और पान की पीक के निशानों से अपनी प्यारी धरा पर रंगोली सजाते रहते हैं. धन्य हैं ऐसे सदा-स्वतंत्र भारतवासी.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति : सच में तम्बाकू एक भयावह सच है जिसे हम नकार नहीं सकते |
सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान के प्रतिबंध के बाद लोगों ने घर के भीतर धूम्रपान अधिक करना शुरू कर दिया है। इससे सबसे ज्यादा खतरा परिवार के सदस्यों को है। हालांकि सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान निषेध का कानून कितना अमल में लाया जा रहा है, यह सभी का पता है।
How can this b controlled,if govt.s don't care. Good going! A commendable article.
मोनिका ,सही लिखा है ...ये सच हम सब जानते हैं पर तब भी इससे अनजाने ही बने रहते हैं ....कम से कम अब तो जागरूक हो जायें !
सही है !
उपयोगी आलेख.
मोनिका जी,
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर एक बहुत सुंदर, बेहतरीन संदेश
आप से सहमत हे, युरोप (जर्मन) मे ज्यादातर घरो के अंदर लोग स्मोकिंग (धूम्रपान ) नही करते, ओर अब तो पिछले १०,२० सालो से आम स्थान पर भी, रेस्ट्रारेंट ,डिश्को,होटल, बस, रेल, ओर पब्लिक स्थानो पर भी धूम्रपान सख्त मना हे, अगर आप किसी धूम्रपान करने की वजह से परेशान हे तो उसे टोक सकते हे... लेकिन फ़िर भी इस के नुकसान तो परिवार वालो को भुगतने ही पडते हे, एक अति सुंदर लेख, धन्यवाद
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर आपका यह लेख प्रेरणादायी एवं सराहनीय है है .
सत्संग का असर तो होगा ही।
अच्छा हो कि लोग [धूम्रपान करने वाले] इस विषय पर ध्यान दें और धूम्रपान नहीं करने वाले इनका बहिष्कार करें ॥
‘बिना खता के ही लोगों को सजा मिलती है।‘ बहुत सुन्दर विचारणीय लेख….. धन्यवाद
आज का सार्थक लेख ... बहुत विचारणीय बात कह है आपने ... दूसरों का सोचना भी ज़रूरी है ... इसलिए धूम्रपान जो करते हैं सोच समझ कर करें ...
मोनिका जी आपने बहुत ही महत्वपूर्ण एवं गंभीर समस्या के बारे में जानकारी दी है ! आपका बहुत बहुत आभार !
बहुत ही उपयोगी पोस्ट. वैसे तो हमें ये अधिकार नहीं है की हम खुद के शरीर को नशे में खराब करे क्योँ की ये हमारा नहीं है. ये ईश्वर ने हमें दिया है. कोई अगर न समझे तो उसे कम से कम दूसरों के जीवन से खिलवाड़ करने का अधिकार तो कतई नहीं है....आभार.
जागृति और कडे कानून, दोनों की ही आवश्यकता है।
baat bahut pate ki kahee aapne...chahe jaise bhi ho, smoking buri hai.....active ya passive
बिल्कुल सही कहा। विचारणीय व सुन्दर प्रस्तुति।
यदि बस में सफ़र कर रहे है तब कोई धुम्रपान करता है तो धुंए की टांस सीधे दिमाग को असर करती है इसीलिए लोगो को उल्टियाँ भी हो जाती है सोचिये कितना खतरनाक है .
बहुत सार्थक प्रस्तुति..
:(
मै स्वय बचपन में इसका भुक्तभोगी रहा हूँ |क्यों कि मेरे पापा जी चेन स्मोकर है |
har koi firk ko dhuye main uda raha hain aur sath main jindagi gava raha hain
पैसिव स्मोकिंग ज्यादा खतरनाक है ..पिने वाला तो फिल्टर धुआं अन्दर लेता है मगर पैसिव स्मोकर सिर्फ जहरीला अन्फिल्टर धुआं..
एक एक्स धूम्र पानी के तजुर्बे से मैं यह कहूंगा -जैसे बीमारियों में मधुमेह सब रोगों की माँ है वैसे ही ऐबों,कुटेबों में स्मोकिंग है .एक धूप बत्ती सारी हवा को सुवासित कर देती है और एक सिगरेट सारे परिवेश को नष्ट कर देती है .दूसरों के संस्कार काटती है सिगरेट .करे मुल्ला पिटे जुम्मा .जब हम धूम्र पान करते थे ,मूर्खता के शिखर पर थे ,सरे आम करते थे ,इसे अपना बुनियादी हक़ समझते थे कोई टोकता तो कहते भाई साहब अपनी सोसल टोलेरेंस बढ़ाओ .हम सारे अल्पसंख्यक इकठ्ठा हो जाते न पीने वालों की नाक में दम कर देते ..विभाग में बतौर व्याख्याता सबसे छोटे थे (बीस बरस के होते होते व्याख्याता बन गये थे और पहला काम यह किया अपने वयस्क होने का एक सबूत जुटाया .कोई न कोई हीरो रहा होगा घर में ही हीरो हमारा .बाहर उन दिनों देवानंद साहब थे -मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया ,हर फ़िक्र को धुएं मैं उडाता चला गया,गाइड में तो उनके सिगरेट पीने का अंदाज़ ही अलग था . .बंद कमरों में खूब धूम्रपान कियाहमने ,तिस पर तुर्रा यह खुद को इन्तेलेक्च्युअल भी मानते थे .छल्ले बनाते थे धुएं के ।
एक दौर आया हालाकि हम सिगरेट छोड़ चुके थे ,पत्नी के चले जाने केबाद .लेकिन एक तरफ स्मोकिंग स्टेंस नेहमारी मुक्तावली को मुक्त नहीं किया दूसरी तरफ दंतावाली भी गई .गम डिजीज के हवाले . दूसरी तरफ बंद धमनियों ने हमारा बीस क्या पच्चीस साल बाद भी पीछा किया .७० %बंद धमनी हो तो गुज़ारा हो जाता है यहाँ तो एक १००%,दूसरी ९०%तथा तीसरी ७०%बंद थी .उसी के सहारे हम एंजाइना झेल भोग रहे थे .ओपन हार्ट सर्जरी हुई ।
छोटी बिटिया जब तक भारत में रही क्रोनिक ब्रोंकाइटिस (श्व्शनी शोथ) से ग्रस्त रही .अब यहाँ अमरीका की साफ़ हवा में ज़िंदा है ।ब्रों -काई -टिस हमें तो घेरे ही रही .
लेकिन हमारे दो पौते उतना नसीब लेकर नहीं आये ,दोनों दमे से ग्रस्त रहतें हैंबेशक दमा हमारे पिताजीको भी था ,जो डीएम के साथ ही गया पहले नहीं सिगरेट वह भी पीते थे ,पोतों के नाना को भी हैदमा .लेटेस्ट खबर यह है अब मछली चिकित्सा के लिए हैदराबाद जा रहें हैं .होम्यो -पैथी ,एलो -पैथी और आयुर्वैदिक चिकित्सा की त्रिवेणी बच्चों ने उनपे आजमाई है .विशेष कुछ निकला नहीं है ।
तो ज़नाब पीढ़ी दर पीढ़ी पीछा नहीं छोडती है यह लत .मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया ...
रेड एंड वाईट पीने वालों की बात ही कुछ और है ........भरमाने वाले बहुत हैं .समझाने वाले बहुत कम हैं ।
डॉ .मोनिका सिंह सारगर्भित पोस्ट के लिए आपका आभार .
आज अखबार में किसी कैंसर पीड़ित का लेख पढ़ा...उसकी बात एकदम जायज़ थी...कि कुछ टैक्स के लिए सरकार अपनी भावी पीढ़ी को ख़राब करने को भी तैयार रहती है...
अपने क्षणिक सुख के लिए दूसरों को संकट में डालना !!! ,पता नहीं लोग कब समझेंगे.जन हित और विश्व हित में लिखा गया उद्देश्यपूर्ण आलेख.
Upyogi lekh.
बहुत सुन्दर लेख.... बड़े बच्चे जल्दी नहीं समझते ना ....
बहुत सार्थक लेख हमेशा की तरह......
An Applaudable Article.......
people are still ignoring it n continuing to smoke inspite of knowing all the worst results that can come to them.
सच में बहुत ही बेहतर जानकारी मिली। शुक्रिया
सच में बहुत ही बेहतर जानकारी मिली। शुक्रिया
Very meaningful post....Congrats.
पता नहीं लोग समझकर भी क्यों नहीं छोड़ पाते...
we all know about it but.......the problem is that we never try to tell a singal person about the harms of smoking.........
इसीलिए नो स्मोकिंग ज़ोन बनाये जाते हैं । पैसिव स्मोकिंग से भी बचना ज़रूरी है ।
विचारणीय लेख....
आपका यह लेख एक कोशिश है समाज में जागरूकता फ़ैलाने की ...
बहुत सार्थक सन्देश !
kash is apil ko gambhirta se liya jaata aur sudhar pe dhyaan jiya jata to kai rog kam ho jaate .badhiya lekh
कृपया धूम्रपान के खतरों से स्वयं को ......पर्यावरण को और हमारे परिवारों को बचाएं...... विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर एक अपील.....!
kash is apil ko gambhirta se liya jaata aur sudhar pe dhyaan jiya jata to kai rog kam ho jaate .badhiya lekh
कृपया धूम्रपान के खतरों से स्वयं को ......पर्यावरण को और हमारे परिवारों को बचाएं...... विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर एक अपील.....!
गेहूँ के साथ घुन तो पिसता ही है,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सच कह रही हैं आप.... पैसिव स्मोकिंग भी उतना ही खतरनाक है...
हमेशा की तरह...अच्छा लिखा है...
hallo
बरसात का मौसम था और गौरैया अपने घोंसले में बैठी थी। बंदर भीग रहा था। उसके पास तो घर नहीं था। गौरैया ने बंदर को सलाह दे दी कि भगवान ने हाथ पैर दिए हैं घर क्यों नहीं बना लेते। बंदर को सलाह अच्छी नहीं लगी और ग़ुस्से में आकर उसने गौरैया का ही घोंसला उजाड़ दिया। अतः संस्कृत में एक कहीवत है - उपदेशो ही मूर्खाणां प्रकोपाय न शांतये। जब सिगरेट पीने वालों को अपने ही सेहत का ख्याल न हो तो वे दूसरों के बारे में क्या सोचेंगे। यह तो उन लोगों का कर्तव्य और अधिकार भी है कि धूम्रपान करने वालों से कहें कि आपको अपने सेहत और परिवार की चिंता भले ही न हो, हमें अपनी सेहत और परिवार की चिंता है। अतः हमारे पास धूम्रपान न करें क्योंकि पैसिव स्मोकिंग सिगरेट पीने से भी ज़्यादा ख़तरनाक है क्योंकि मुंह से मोनोऑक्साइड बन कर निकलती है।
आपने अच्छा विषय चुना। बधाई।
beautiful and meaningful post. passive smoking is as dangerous as active smoking. awareness about it is extreme necessity of keeping our society healthy,
bahut jaruri poet hai .aapki baat sabhi ko sunni chahiye
rachana
छोटी कहानी के माध्यम से कही गई डॉ यादव जी की सारगर्भित बात अच्छी लगी.
२३ फरवरी १९८२ को छोड़ी थी स्मोकिंग ....एक अच्छा सन्देश |
जो दिल ने कहा ,लिखा वहाँ
पढिये, आप के लिये;मैंने यहाँ:-
http://ashokakela.blogspot.com/2011/05/blog-post_1808.html
पैसिव स्मोकिंग .....बिना खता की सजा '
बिलकुल सही लिखा है आपने ...लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए |
इसके सबसे ज्यादा शिकार बच्चे होतेहैं, पर खुदगर्ज बाप फिरभी नहीं सोचता।
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कौमार्य के प्रमाण पत्र की ज़रूरत किसे है?
ब्लॉग समीक्षा का 17वाँ एपीसोड।
"पैसिव स्मोकिंग" हर बार नया और ज़रूरी विषय आप चुनती हैं.वाह मोनिका जी,मैं अगर प्रकाशक होता तो आपकी किताब छापता .
बहुत से धूम्रपान करने वाले passive smoking के बारे में अनभिज्ञ होते हैं. उन्हें भी जागरूक करने की उतनी ही ज़रूरत है.
सामयिक और उपयोगी आलेख।
धूम्रपान करने वालों और उनके नजदीक रहने वालों को सचेत रहना होगा।
भारत में तो अब इसके विरुद्ध स्पष्ट क़ानून है मगर समस्या बनी हुयी है
हम कुछ भी कर लें,बचना संभव नहीं है। कभी कहीं पढ़ने में नहीं आया कि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान न करने का उल्लंघन होने पर आज तक किसी का चालान किया गया हो।
सार्थक आह्वान !!!!
आपके आह्वान में हम भी अपना स्वर मिलाते हैं...
लोग अपने,अपने परिवेश और अपने अपनों के विषय में सोच पायें...ईश्वर सबको सद्बुद्धि दें..
स्मोकिंग के दुस्परिणामों के प्रति आगाह करता प्रभावशाली लेख
aapne bahut sahi baat sheyar kee...vakai kai log is vishay me jaante nahi...aur jaante bhi hain to laaparvahi hiti hai... Sadar...
monika ji
aapke blog par aakar nit naye vishhhyo ki jankaari se dil ko bahut hi sakun milta hai
yah to aapki lekhni ka hi kamaal hai jo bhanumati ke pitare ki tarah ek k
baad ek ki tarah khulta hi chala jata hai .
aapne bahut hi bareeki ke saath is paisiv smoking ke baae me likha hai .
jahan tak mera manana hai ki bahut se hi log is jakari se achhute honge .
itni badi baat jaankar kam se kam logo ko sachet jarur ho jana chahiye.
bahut hi anukarniy parstuti ke liye
hadik badhai
poonam
Recent research suggests passive smokingis no less injurious than active .It contains (1)primary smoke inhaled by smoker .(2)secondary smoke exhaled (3)side stream smoke between two puffs .The no .of carcinogens in second hand exceeds all others .
Thanks for yr appreciation for my Hindi couplets .
स्मोकिंग के खतरे से तो लोग वाकिफ है पर पैसिब स्मोकिंग से उतना नहीं. जबकि दोनों ही उतने ही खतरनाक. जागरूक करती सुंदर आलेख के लिए बहुत बधाई.
फिर भी लोग खता करने से बाज नही आते। बहुत सार्थक सन्देश है। शुभकाम.
इस विषय पर सार्थक विचारों को साझा करने का आप सबका आभार
इस जानकारी के लिए आपका आभार |
विचारणीय,उपयोगी पोस्ट..
dr.monika ji vasatav m aapaki parivar ke baare m hi nahi dusare logo ke baare m bhi chinta hai ,sadhuwad swikar karen
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