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Book Introduction- Dehari Ke Akshansh Par



अपने समय और समाज को लेकर कितना कुछ विलक्षण और विचारणीय कहने की समझ और सलीका है उनके पास। एक ओर जहां स्‍त्री को लेकर हमारी समाज-व्‍यवस्‍था की जकड़बंदी को लेकर उनके भीतर गहरी अन्तर्वेदना और छटपटाहट है, घर-परिवार और सामाजिक नियम-कायदों में एक मानवी के रूप में स्‍त्री के विकास की सारी संभावनाओं को अवरुद्ध कर देने की पीड़ा है, वहीं दूसरी ओर इस बात का अहसास भी कि उसे घर-परिवार और जीवन को सहेजने संवारने की अपनी वृहत्तर भूमिका भी निभानी है। हमारे ही परिवेश और परिवार के विन्यास को रेखांकित करती इन कविताओं में सृजित आम से भाव भी विशेष प्रभाव रखते हैं, जो मर्मस्पर्शी भावबोध लिए हैं । 



मेरी किताब ' देहरी के अक्षांश पर' की भूमिका से... हौसला देने वाले ये शब्द आदरणीय नन्द भारद्वाज सर ने लिखे हैं । यह काव्य संग्रह स्त्रीमन और जीवन की भावभूमि से जुड़ी कवितायेँ लिए है । 


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