राजस्थान पत्रिका- डेलीन्यूज में प्रकाशित
- डॉ. मोनिका शर्मा
- पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'
2 comments:
सार्थक आलेख।
बधाई हो।
बहुत ही गंभीर एवं ज्वलंत समस्या पर एक सधा हुआ लेख... समस्या एक... पर कारण अलग - अलग...। अलग - अलग घटनायें... अलग - अलग परिस्थितियाँ... बदलते संस्कार... बदलती जीवन शैली... बदलते जीवन मूल्य... बदलती जीवन की रफ्तार... बदलते रिश्ते... बदलते परिवार...। और परिणाम... स्वार्थ - छल - कपट - झूठ - धोखा - षडयंत्र - भय - शंका - अंतर्द्वंद्व - क्रोध - उन्माद - अनिद्रा - निराशा... और इस तरह परिणति हत्या या आत्महत्या... बाद में अलग - अलग लोग - अलग आकलन... अलग - अलग कहानियाँ... अलग - अलग किस्से... अपने - अपने नफा - नुकसान के अनुसार... और कुछ के लिये मात्र मनोरंजन... किसी अपराध पर आधारित एक रोचक फिल्म की तरह...
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