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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

16 February 2018

बजट - महिलाओं की उम्मीदें, कुछ पूरी कुछ अधूरी


गांवों से लेकर शहरों तक आधी दुनिया की बढ़ती भागीदारी को देखते हुए बजट में कुछ कल्याणकारी योजनाओं और महिला सशक्तीकरण को लेकर सोचा जरूर गया है पर आधी आबादी से  जुड़ी कई अहम् बातों की अनदेखी भी हुई है | दरअसल, इस सरकार के इस आख़िरी पूर्ण बजट  को  लेकर महिलाओं के पास आशाओं की एक  लंबी सूची थी  |  महिलाओं के लिए सुरक्षा और विकास के साथ-साथ रसोई का खर्च भी मायने रखता है  | ( गंभीर समाचार पत्रिका में प्रकाशित ) 





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4 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-02-2017) को "कुन्दन सा है रूप" (चर्चा अंक-2884) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

गिरधारी खंकरियाल said...

लेख का चित्र पठनीय नही है जूम नही हो रहै है।

कविता रावत said...

अच्छा विश्लेषण

स्वदेश प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड said...

aapke lekh newspaper men dekhte hain, achcha lagta hai..... Congratulation
aap swadesh Gwalior ke liye bhi aalekh send kar sakti hain....
Email-swadeshgwl@gmail.com

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