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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

14 December 2014

मशीनी बटन और मानवीय संवेदनशीलता

फेसबुक टीम इस बात पर विचार कर रही है कि इसके उपयोक्ताओं को लाइक बटन की तरह ही एक डिसलाइक बटन का विकल्प भी दे । यानि कि एक क्लिक भर से जिस तरह किसी पोस्ट पर प्रस्तुत विचारों, चित्रों या सृजनात्मक कार्य को पसंद कर अपना समर्थन किया जाता है ठीक उसी तरह पसंद न आने पर अनलाइक भी किया जा सकता है । फेसबुक की यह पहल विचार पढ़ने वालों को क्लिक भर करके अपना समर्थन या विरोध जताने का मौका देने वाली है । गौरतलब है कि फेसबुक पर अब तक केवल लाइक यानि कि किसी पोस्ट को पसंद करने भर का विलकप था । 

कई बार देखने आता है कि किसी दुखद सूचना  वाली पोस्ट को लाइक  बटन पर क्लिक कर उसे पसंद कर लिया जाता है । इस विषय पर वर्चुअल वर्ल्ड में कई बार बात भी होती है । यह अभिव्यक्ति का एक गैरजिम्मेदार स्वरुप लगता है । जब लाइक बटन पर क्लिक करते हुए प्रस्तुत विचारों या चित्रों को गौर से देखा भी नहीं जाता । इसी के चलते ये अजब परिस्थितियां सामने आती हैं । जब किसी की मौत या दुर्घटना की सूचना को भी पसंद किया जाता है । जो बात लिखकर विचार बताने और सहानुभूति जताने के लिए होती है उसे पसंद कर आगे बढ़ जाना एक तरह की असंवेदनशीलता को दिखाता है । 

वास्तविक दुनिया की तरह आभासी संसार में भी परिस्थिति और प्रस्तुत विचारों के अनुरूप प्रतिक्रिया देना सीखना ज़रूरी है ।  फेसबुक अगर नया नापसंदगी (डिसलाइक ) बटन जोड़ती है तो उस पर भी सोच विचार कर और साझा की गयी सामग्री को देख जान कर ही क्लिक करना उचित होगा । निश्चित रूप से डिसलाइक बटन नकारात्मक प्रतिक्रिया के रूप में लिया जायेगा । इसे दुराग्रह के साथ प्रस्तुत विरोध के तौर पर लिया जाय ये भी संभव है । साथ ही जिस तरह मौजूद विकल्प लाइक को कई बार साझा की गयी दुखद जानकारी के लिए भी क्लिक कर दिया जाता है उसी तरह किसी के ख़ुशी और उपलब्धि साझा करनी वाली पोस्ट्स को यदि डिसलाइक किया गया तो ये भी असंवेदनशील अभिव्यक्ति की ही बानगी होगी । 

हालात जो भी हों, मानवीय मन की अभिव्यक्ति का स्थान कोई मशीनी बटन नहीं ले सकता । परिस्थिति और सामने वाले की मनोदशा को समझते हुए जो प्रतिक्रियां हमारे विचार दे सकते हैं वो एक क्लिक भर से व्यक्त नहीं की जा सकती । यह बात असल दुनिया के साथ ही आभासी दुनिया में भी लागू होती है । हाँ, तकनीक की जितनी पैठ आज हमारे जीवन में है उसे देखते हुए इतना  ज़रूर कहा जा सकता है कि मशीनी बटन को यदि मानवीय मन की समझ और संवेदनशीलता का साथ मिले तो संभव है कि अभियक्त की गयी प्रतिक्रिया के अर्थ का अनर्थ ना हो | 


30 comments:

निर्मला कपिला said...

बिलकुल सही बात है ।कोशिश तो रहती है की लाइक न करें कई बसर आदतन हो भी सकता है । मशीन तो गलती नहीं बताएगी। अच्छा आलेख।

निर्मला कपिला said...

बहुत अच्छा आलेख ।

रश्मि प्रभा... said...

मौत एक स्तब्द्धता है, जहाँ मौन शब्द ही साथ होते हैं
'लाइक' तो नहीं ही करना चाहिए …
यद्यपि इसका अर्थ हुआ कि हमने देखा, हमने जाना
फिर भी अटपटा दिखाई देता है !
इसके अतिरिक्त नापसंदगी का बटन !!
यूँ ही गालियों का बेधड़ल्ले उपयोग होता है, उसके बाद तो फेसबुक एक कुरुक्षेत्रबुक हो जायेगा

shashi purwar said...

satye kaha aapne ... sarthak alekh

Vandana Sharma said...

absolute truth!!!!!!!!

डॉ. मोनिका शर्मा said...

यक़ीनन दुराग्रह पैदा होंगें ही । खासकर सोचे-समझे, पढ़े-जाने बिना क्लिक किया तो.....

संध्या शर्मा said...

बहुत मुमकिन है कि यह "dislike" का बटन अर्थ का अनर्थ लेकर आए … विचारणीय आलेख

शारदा अरोरा said...

sach kaha ..

कविता रावत said...

सार्थक चिंतन ...

Ramakant Singh said...

आपकी बातें और विचार 99 प्रतिशत सच हैं जी

दिगम्बर नासवा said...

इसलिए भी मुझे ब्लोगिंग का माध्यम अच्छा लगता है ... कम से कम कुछ संवेदनशीलता, सृजन प्रक्रिया अभी भी है इस माध्यम में ...
सहमत हूँ आपकी बात से ...

गिरधारी खंकरियाल said...

समय के अनुसार शब्द नये नये रूप में परिभाषित होते रहते है। सब कुछ भविष्य़ के गर्भ में है।

Himkar Shyam said...

सही कहा है आपने. मौत या दुर्घटना जैसे दुखद घटनाओं के स्टेटस पर लाइक बहुत अटपटा दिखता है. डिसलाइक बटन आ जाने पर भी एक नयी किस्म की बहस शुरू हो जाएगी. वैसे फेसबुक पर 'डिसलाइक' बटन की मांग समय-समय पर उठती रही है, लेकिन फेसबुक के कर्ता-धर्ता मार्क ज़करबर्ग इसके पक्ष में नहीं दिखाई दे रहे हैं.

Anil Dayama EklA said...

बिलकुल सही कहा है मोनिका जी आपने 'मानवीय मन की अभिव्यक्ति का स्थान कोई मशीनी बटन नहीं ले सकता'...Anil Dayama 'Ekla': निर्भया: सभ्य समाज का सच

Suman said...

अच्छा आलेख सोचनीय बाते है पर मै भी मानती हूँ रश्मि जी की तरह फेसबुक कुरुक्षेत्र बुक बन जायेगा :)
शायद ऐसे ही बहुत से कारणों की वजह से इस कंपनी के सीईओ मार्क ज़करबर्ग डिसलायिक बटन के पक्ष में नहीं हैं।

Vandana Ramasingh said...

सच है मोनिका जी मशीनी संवेदना से तो अच्छा है कि कम मित्र हों लेकिन जो हों वो सच्चे हों और अगर यही सोच रहे तो पास पड़ोस से भाग कर वर्चुअल वर्ल्ड की शरण में क्यों जाना पड़े

अभिषेक शुक्ल said...

सार्थक कदम होगा, कम से कम जबरन फ़ोटो टैग करने वाले दुबारा टैग करने के लिए सोचेंगे।

जयकृष्ण राय तुषार said...

सार्थक आलेख

महेन्‍द्र वर्मा said...

मानवीय मन की अभिव्यक्ति का स्थान कोई मशीनी बटन नहीं ले सकता ।
सही है।

मननीय प्रस्तुति ।

Jyoti Dehliwal said...

मानवीय मन की अभिव्यक्ति का स्थान कोई मशीनी बटन नहीं ले सकता । परिस्थिति और सामने वाले की मनोदशा को समझते हुए जो प्रतिक्रियां हमारे विचार दे सकते हैं वो एक क्लिक भर से व्यक्त नहीं की जा सकती ।सार्थक आलेख.

महेन्‍द्र वर्मा said...

मशीनी बटन संवेदनशीलता का माध्यम नहीं बन सकती।

Arvind Mishra said...

मशीन और मानवीय संवेदना अलग ध्रुव हैं!

Harivansh sharma said...

युधिस्टर के सम्मुख यक्ष प्रश्न।यक्ष का समाधान हो गया। मृत्यु के प्रति लाइक करना,वह जानते है,मृत्यु तो सभी को आनी है,और फिर दुखद प्रतिक्रिया व्यक्त करना।ना जाने कैसे किसी को सांत्वना मिलती है।
बीना पड़े ही लाइक कर देना, किसी प्राइमरी कक्षा में उपस्थिति समान लगता है।अर्ध निंद्रा में सोया व्यक्ति ना को भी हाँ कहता है।

Kailash Sharma said...

सच में केवल मशीन की तरह बटन दबा देने से मानवीय संवेदनशीलता कहाँ अभिव्यक्त हो सकती है...

कविता रावत said...

मकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें!

Harshita Joshi said...

उत्तम रचना

Shanti Garg said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति.....
गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ।

Shanti Garg said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति.....
गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ।

VIJAY KUMAR VERMA said...

सुन्दर प्रस्तुति

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

उम्दा....बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो
मुकेश की याद में@चन्दन-सा बदन

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