हमारे जीवन को गढने , संस्कारित करने वाली माँ हो या घर आँगन की इठलाती रौनक बेटी । भाई की खुशियों के लिए दुआएं मांगती बहन हो या फिर पत्नी के रूप में एक पुरूष की प्रेरणा।
उनके हर रूप में जिंदगी बसती है। उनकी हर भूमिका परिवार और समाज की भावी रूपरेखा तैयार करती है। हर परिस्थिति हर हाल में अपनों के साथ खङी महिलाओं का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष योगदान समाज, राष्ट्र और परिवार सभी के लिए अतुलनीय है। या यों कहें कि उनके बिना अधूरी है जिंदगी ।
भावुक क्षणों में स्नेहिल और कठिन घङी में शक्ति स्तंम्भ उनकी भूमिका हमारी जीवनधारा के प्रवाह को बनाये रखने का माध्यम है। ईश्वर की एक प्रतिनिधि के रूप में महिला को सृष्टि की संचालिका भी कहा जा सकता है। शायद इसीलिए ममतामयी माँ की भूमिका के लिये तो कहा भी जाता है कि ईश्वर हर जगह नहीं हो सकते इसलिए उन्होनें माँ को बनाया। सामाजिक दायित्वों की निर्वाहिका के रूप में नारी की भूमिका निर्विवाद है।
एक स्त्री में जो जिजीविषा और संघर्ष करने शक्ति होती है उसकी बानगी किसी उच्च पद पर आसीन महिला से लेकर आम गृहणी तक हर कहीं देखी जा सकती है।
रिश्तों को संजोने से लेकर बच्चों को संस्कारित करने तक , बङे बुजुर्गों की देखभाल से लेकर पति के जीवन को दिशा देने तक, महिलाओं का बहुमुखी गुणों से अलंकृत व्यक्तित्व समाज और परिवार को सुदृढ बनाये रखने में महती भूमिका निभाता है। इन सभी अलग-अलग रूपों में स्त्री जीवन भर पुरूषों का जीवन संवारती रहती है।
स्त्री में जन्मजात रूप से परिस्थितियों को समझने और उनका सामना करने की समझ होती है। उसका मनोविज्ञान ही कुछ ऐसा होता है कि जीवन के हर मोङ पर पति बेटे या भाई को भावनात्मक संबल देने की शक्ति रखती है। फ्रेंड ,फिलॉसोफर या गाइड कुछ भी कहिए पुरूषों के जीवन को संवारने और सुव्यवस्थित करने वाली माँ, बहन, बेटी या पत्नी की भूमिका का महत्व तो स्वप्रमाणित है।
आज के दौर में महिलाओं की भूमिका और महत्वपूर्ण हो चली है। उनकी विशिष्ट भूमिका समाज में नवसृजन- नवनिर्माण कर रही है। समय के साथ कदमताल करते हुए हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी जगह बनाई है। समाज को समर्पित एक व्यक्तित्व का जीवन जीते हुए भी खुद को साबित किया है। ऐसे में महिला दिवस के सौ बरस पूरे होने पर आइए उसकी हर भूमिका को नमन कर सम्मान और कृतज्ञता के साथ उनके योगदान को ह्दय से स्वीकार करें।
उनके हर रूप में जिंदगी बसती है। उनकी हर भूमिका परिवार और समाज की भावी रूपरेखा तैयार करती है। हर परिस्थिति हर हाल में अपनों के साथ खङी महिलाओं का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष योगदान समाज, राष्ट्र और परिवार सभी के लिए अतुलनीय है। या यों कहें कि उनके बिना अधूरी है जिंदगी ।
भावुक क्षणों में स्नेहिल और कठिन घङी में शक्ति स्तंम्भ उनकी भूमिका हमारी जीवनधारा के प्रवाह को बनाये रखने का माध्यम है। ईश्वर की एक प्रतिनिधि के रूप में महिला को सृष्टि की संचालिका भी कहा जा सकता है। शायद इसीलिए ममतामयी माँ की भूमिका के लिये तो कहा भी जाता है कि ईश्वर हर जगह नहीं हो सकते इसलिए उन्होनें माँ को बनाया। सामाजिक दायित्वों की निर्वाहिका के रूप में नारी की भूमिका निर्विवाद है।
एक स्त्री में जो जिजीविषा और संघर्ष करने शक्ति होती है उसकी बानगी किसी उच्च पद पर आसीन महिला से लेकर आम गृहणी तक हर कहीं देखी जा सकती है।
रिश्तों को संजोने से लेकर बच्चों को संस्कारित करने तक , बङे बुजुर्गों की देखभाल से लेकर पति के जीवन को दिशा देने तक, महिलाओं का बहुमुखी गुणों से अलंकृत व्यक्तित्व समाज और परिवार को सुदृढ बनाये रखने में महती भूमिका निभाता है। इन सभी अलग-अलग रूपों में स्त्री जीवन भर पुरूषों का जीवन संवारती रहती है।
स्त्री में जन्मजात रूप से परिस्थितियों को समझने और उनका सामना करने की समझ होती है। उसका मनोविज्ञान ही कुछ ऐसा होता है कि जीवन के हर मोङ पर पति बेटे या भाई को भावनात्मक संबल देने की शक्ति रखती है। फ्रेंड ,फिलॉसोफर या गाइड कुछ भी कहिए पुरूषों के जीवन को संवारने और सुव्यवस्थित करने वाली माँ, बहन, बेटी या पत्नी की भूमिका का महत्व तो स्वप्रमाणित है।
आज के दौर में महिलाओं की भूमिका और महत्वपूर्ण हो चली है। उनकी विशिष्ट भूमिका समाज में नवसृजन- नवनिर्माण कर रही है। समय के साथ कदमताल करते हुए हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी जगह बनाई है। समाज को समर्पित एक व्यक्तित्व का जीवन जीते हुए भी खुद को साबित किया है। ऐसे में महिला दिवस के सौ बरस पूरे होने पर आइए उसकी हर भूमिका को नमन कर सम्मान और कृतज्ञता के साथ उनके योगदान को ह्दय से स्वीकार करें।
84 comments:
सार्थक लेख ..महिला दिवस की शुभकामनायें
महिला दिवस के सौ बरस पूरे होने तथा पुरुषों का जीवन संवारने में उनकी हर भूमिका को सादर नमन
महिलाएं अपनी हर भमिका में निर्माणकर्ता होती हैं।
बेहतरीन पोस्ट।
महिला दिवस की शुभकामनाएं।
सार्थक लेख,स्त्री की मन स्थिति, समाज में उसकी स्थिति सबको शब्दों के पंख दिए हैं
आदरणीय डॉ॰ मोनिका शर्माजी
प्रणाम
आपका लेख बहुत पसंद आया है !
बहुत सच्ची बातें कहीं हैं!
"अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस"की शुभकामनायें एक दिन पहले!
सामाजिक दायित्वों की निर्वाहिका के रूप में नारी की भूमिका निर्विवाद है।
महिला दिवस पर सारगर्भित एवं सार्थक आलेख।
शुभकामनाएं
सार्थक लेख ..महिला दिवस की शुभकामनायें
आपने नारी के विभिन्न सम्मानजनक रूपों की अहमियत बहुत सार्थक ढंग से प्रस्तुत की है । इस अवसर पर आप जैसी प्रबुद्ध महिला को मेरा सम्मान के साथ अभिवादन ।
सदियों से यह चलता आ रहा है, इतिहास का कोई पन्ना ऐसा नही है जिसमे महिलाओं की भूमिका की चर्चा नहीं हो, आज़ादी आंदोलन से लेकर समाज के निर्माण में और व्यक्तिगत रूप से भी इनकी भूमिका को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता| अफ़सोस तब होता है जब पुरुषप्रधान मानसिकता में जी रहा यह समाज उसे उनके अधिकारों से वंचित करने की कोशिश करता है और महिलाऐं उसे चुपचाप सह लेती हैं| बहरहाल हालात बदल रहे हैं और उम्मीद की जा सकती है कि फिर ऐसा कहने की ज़रूरत ना पड़े|
महिलाओं की भूमिका को शब्दों में ढाल पर पेश करने के लिए धन्यवाद|
यह आश्चर्यजनक नहीं है कि सफलता के शिखर पर पहुंचे हर पुरुष ने अपनी उपलब्धि का श्रेय किसी न किसी महिला को दिया है।
बहुत ही सुन्दर विचार है आपके और उतनी सुन्दर आपकी हर पोस्ट बहुत ही अच्छा लगा आपके विचार जन के |
कभी मेरे ब्लॉग पे पधारिये शायद कुछ आपके विचारो से मिलती जुलती कुछ पोस्ट मेरे ब्लॉग पे भी मिलेंगी
http://vangaydinesh.blogspot.com/
wah. bahut sundar lekh likhi hain.
बहुत ही सार्थक और सच्चा लेख लिखा है!
आपके विचार महिलाओं की विस्तृत भूमिका मे एकदम सटीक हैं! महिला दिवस के मौके पर आपको पढ़कर अच्छा लगा!
जारी रहें.
आदरणीया मोनिका जी ,
बहुत ही सार्थक और शत प्रतिशत सच्चाई भरा आपका लेख सराहनीय है | 'नारी बिना अनारी नर ' सत्य वचन है | माँ, बहन , बेटी और सहधर्मिणी जैसी बिभिन्न भूमिकाओं में ,जन्म से मृत्यु तक - नारी ही है जो पुरुष को जीवन , प्रेम ,सम्मान और जीने की कला देती है | नारी शक्ति है -पुरुष स्वरुप | बिना शक्ति के स्वरुप की कल्पना ही नही की जा सकती | 'महिला दिवस' कोई एक दिन ही नहीं बल्कि जिन्दगी का हर दिन इन्ही का है |
एक भी दिन- बिना इनके, रेगिस्तान में भटकना जैसा ही है | शत शत naman है , कोटि-कोटि वंदन है |
सार्थक लेख ..महिला दिवस की शुभकामनायें..
नवसृजन- नवनिर्माण करने के साथ - साथ महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं अपितु बराबरी की भागीदार हैं.. बेहतरीन पोस्ट।
इसमें कोई संदेह नहीं की सामाजिक दायित्वों की निर्वाहिका के रूप में नारी की भूमिका निर्विवाद है। महिला दिवस से एक दिन पूर्व लिखी गई एक संतुलित एवं निष्पक्ष पोस्ट, महिला दिवस की शुभकामनायें एवं सुंदर प्रस्तुति हेतु आभार............
mahila diwas par saarthak lekh.
नारी शक्ति विजय हो ... जिस समाज और घर में नारी को आदर मिलता है वो हमेशा उन्नति प्राप्त करता है ...
अप इतिहास देख लें ... वर्तमान देख लें
आपकी बातों से सहमत हूँ......महिलाओं की भूमिका को कोई नज़रंदाज़ नहीं कर सकता जीवन में.......वो हर रूप में सशक्त है.....मेरा सलाम सभी महिलाओं को ........
उल्लिखित बातें बिलकुल ठीक हैं.
आप सब को विश्व-महिला दिवस की शुभकामनाएं.
monika ji, sunder post ke liye badhai........
महिला दिवस पर आपने बहुत ही प्रभावशाली लेख लिखा है.यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता.
सादर
असहमति का कारण नहीं
नारी बिना निवारण नहीं!
महिलाओं के बिना तो समाज,देश,दुनिया और पुरुष का कोई अर्थ ही नहीं है.जननी से ऊपर भला कोई हो सकता है.सार्थक पोस्ट के लिए बधाई और सौवे अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर शुभकामनाएं
mahila divas par bahut badiya aalekh...
आपसे बिलकुल सहमत हूँ मोनिका जी ... जिस तरह नारी ने हर क्षेत्र में ... हर रूप में अपने आप को साबित किया है ... वो नमन करने योग्य है ... 'नारी दिवस' की हार्दिक शुभकामनाएं ...
महिला दिवस पर आपका सार्थक लेख पढ़कर महिला शक्ति को नमन करता हूँ !
समाज महिलाओं का शोषण करते समय यह बात भूल जाता है कि महिलायें ही श्रृष्टि की धुरी हैं इनके बिना यह संसार एक क्षण भी नहीं चल सकता !
आपका विचारोत्तेजक लेख संग्रहणीय है !
आभार !
बेजोड़ लेखनी .बहुत अच्छी जानकारी आप ने दी है ! !संयोजन बिलकुल ही काबिले तारीफ...! बहुत - बहुत धन्यवाद ..! महिला दिवस पर दुनिया , बिशेष तौर पर भारतीय महिला वर्ग को बहुत सारी शुभ कामनाये !
रिश्तों को संजोने से लेकर बच्चों को संस्कारित करने तक कितनी जिम्मेदार नारी सुंदर रचना , शुभकामनायें
महिलाएं माँ बहन बेटी पत्नी हर रूप में वन्दनीय हैं और इनके बिना वाकई जीवन अधूरी है.....
नारी शक्ति को शत शत प्रणाम करते हुए महिला दिवस की शुभकामनायें !!
महिला दिवस पर सारगर्भित एवं सार्थक आलेख।
धन्यवाद|
बहुत सुन्दर और सार्थक आलेख..महिला दिवस की शुभकामनायें
नारी का स्थान इसीलिए पूज्य माना जाता है. बहुत सार्थक लेख ! आभार.
स्त्री पुरुष पूरक है एक दूसरे के .नारी का अतुलनीय
योगदान है घर-परिवार और समाज में .सभी रिश्तों को निभाने में सक्षम.बहुत ठीक कहा आपने
"हमारे जीवन को गढने , संस्कारित करने वाली माँ हो या घर आँगन की इठलाती रौनक बेटी........... भाई की खुशियों के लिए दुआएं मांगती बहन हो या फिर पत्नी के रूप में एक पुरूष की प्रेरणा।"
हम जब जन्म के समय आंख खोलते हे सब से पहले नारी के दर्शन ही करते हे, मां बहन,बीबी ओर बेटी ओर भी बहुत से रुप हे नारी हे, ओर बिना नारी के जीवन की आशा भी नही हो सकती, बहुत ही सुंदर लेख अति सुंदर विचार, आज आप को स्पेशल धन्यवाद, मै कोई भी दिवस नही मनाता, क्योकि मेरे लिये सभी दिवस सब के लिये रोज ही होते हे, फ़िर किसी को बस एक दिन ही क्यो याद करूं
नारी के हर रूप का खूबसूरती से चित्रण किया है आपने !!
हर रूप में नारी समाज में अपना योगदान देने से पीछे नहीं हटती !!
खूबसूरत और सार्थक लेख.... !!
सामाजिक दायित्वों की निर्वाहिका के रूप में नारी की भूमिका निर्विवाद है......
आपने सही कहा...सार्थक लेख .
आपको "अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस" की शुभकामनायें!
नमन है. क्योंकि वह नहीं होती तो हम नहीं होते. सारगर्भित, प्रासंगिक और सार्थक लेख के लिए बधाई और विश्व महिला दिवस की शुभकामनायें.
महिला के बिना महिमा संभव नहीं है. यह एक ऐसी शक्ति है जिसके बिना सृष्टि की गति संभव नहीं है.महिला को आपने बखूबी चित्रित किया है.महिला दिवस की शुभकामनाएं.
mahila divas ki shubhkamnayein monika
देखिये, मैंने सोचा था की महिला दिवस पे मैं भी कुछ लिखूं, पिछले साल लिखा था, लेकिन कुछ काम में व्यस्तता के कारण ब्लॉग से दूर हूँ...खैर, आपने लिख दिया...अच्छा लिखा है..और सही भी..
Really mahila divas par hi nahi ,aapka yah aalekh Hamesha prasangikhai.Mere blog par aatey rahiye,aapki tippaniya prerna deti hai.
sader,
dr.bhoopendra
rewa mp
aapko nahika divas ki bahut shubkamnaye
sundar prastuti
जीवन की अहम कड़ी हैं महिलाएं। बचपन में किताबों में पढ़ा था कि एक लड़के का शिक्षित होना मतलब एक नागरिक का शिक्षित होना है और एक लड़की का शिक्षित होना मतलब एक परिवार का शिक्षित होना। महिला के विकास के बिना समाज अधूरा है।
शानदार लेखन के लिए बधाई।
www.dunali.blog.com
पुरूष ओर महिला समाज की गाड़ी के दो पहिये है ये बात बचपन से सुनते आ रहे है | लेकिन अब तो यह महशूस होता है कि परुष गाड़ी है तो महिला उसका पेट्रोल है |बिना पेट्रोल के गाड़ी चलने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है | आपको महिला दिवस की शुभकामनाये एवं बधाई |
आज मंगलवार 8 मार्च 2011 के
महत्वपूर्ण दिन अन्त रार्ष्ट्रीय महिला दिवस के मोके पर देश व दुनिया की समस्त महिला ब्लोगर्स को सुगना फाऊंडेशन जोधपुर की ओर हार्दिक शुभकामनाएँ..
बहुत प्रभावपूर्ण आलेख...महिला दिवस की शुभकामनायें...
"हमारे जीवन को गढने , संस्कारित करने वाली माँ हो या घर आँगन की इठलाती रौनक बेटी........... भाई की खुशियों के लिए दुआएं मांगती बहन हो या फिर पत्नी के रूप में एक पुरूष की प्रेरणा।
उनके हर रूप में जिंदगी बसती है। "
बहुत सुन्दर भाव हैं आपके. बधाई स्वीकारें - अवनीश सिंह चौहान
अन्तरार्ष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ|
जय हिंद जय हिंद जय हिंद
महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
बेहतरीन पोस्ट.
इन के बिना तो जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती..
बेशक...आपने बिल्कुल सही लिखा है। सहमत हूँ।
आपको "अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस" की ढेरों शुभकामनाएँ।
आज का पूरा दिन इन्ही चार शब्दों के आसपास ही सोचते हुये बीता है, आपने वही शब्द यथावत रख दिये।
राम राम .. यत्र नार्येस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता .. .. कि संस्कृति हमारी नारी के प्रति आदर भाव कि आदिकाल से ही रही है
आपने achi पोस्ट लिखी है
bahut hi badhiya likha aur uchit bhi ,
mahila divas ki badhai ek mahila ki or se .
..सही है।
प्रवाहपूर्ण अभिव्यक्ति -सच है यह नारी ही है जिसने मनुष्य के जीवन में इन्द्रधनुषी रंग भरे हैं ..और......!
सार्थक सुन्दर और समसामयिक आलेख। बधाई।
bahut sunder abhivyakti aapki ...
mahila ke bina sama ki kalpna bhi bemani hai ,bahut sunder
यही सच है...महिला दिवस पर एक सार्थक पोस्ट..बधाई
जीवन को संवारने में सबसे अधिक योगदान महिलाओं का ही है अगर ये ना हों तो स्नेह रहित जीवन में केवल रूखापन ही बचेगा !
इनका हर रूप वन्दनीय है !!
Absolutely right u are.
नारी समाज के हर क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दे रही है .जो देश और समाज में सुखकारी बदलाव के लिए अपरिहार्य है . सुन्दर विचार परक आलेख .
bahut sundar
आदरणीय डॉ. मोनिका जी , सादर प्रणाम
आपके बारे में हमें "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" पर शिखा कौशिक व शालिनी कौशिक जी द्वारा लिखे गए पोस्ट के माध्यम से जानकारी मिली, जिसका लिंक है...... http://www.upkhabar.in/2011/03/jay-ho-part-2.html
इस ब्लॉग की परिकल्पना हमने एक भारतीय ब्लॉग परिवार के रूप में की है. हम चाहते है की इस परिवार से प्रत्येक वह भारतीय जुड़े जिसे अपने देश के प्रति प्रेम, समाज को एक नजरिये से देखने की चाहत, हिन्दू-मुस्लिम न होकर पहले वह भारतीय हो, जिसे खुद को हिन्दुस्तानी कहने पर गर्व हो, जो इंसानियत धर्म को मानता हो. और जो अन्याय, जुल्म की खिलाफत करना जानता हो, जो विवादित बातों से परे हो, जो दूसरी की भावनाओ का सम्मान करना जानता हो.
और इस परिवार में दोस्त, भाई,बहन, माँ, बेटी जैसे मर्यादित रिश्तो का मान रख सके.
धार्मिक विवादों से परे एक ऐसा परिवार जिसमे आत्मिक लगाव हो..........
मैं इस बृहद परिवार का एक छोटा सा सदस्य आपको निमंत्रण देने आया हूँ. यदि इस परिवार को अपना आशीर्वाद व सहयोग देने के लिए follower व लेखक बन कर हमारा मान बढ़ाएं...साथ ही मार्गदर्शन करें.
आपकी प्रतीक्षा में...........
हरीश सिंह
संस्थापक/संयोजक -- "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" www.upkhabar.in/
मैं पिछले कुछ महीनों से ज़रूरी काम में व्यस्त थी इसलिए लिखने का वक़्त नहीं उम्दा और आपके ब्लॉग पर नहीं आ सकी!
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत सुन्दर और उम्दा लेख! बेहतरीन प्रस्तुती!
सामयिक प्रविष्टि! महिला दिवस की बधाई!
औरत कभी मॉं है
कभी बहन, कभी बेटी
तो कभी पत्नी या प्रेयसी
इन सबसे अलग
औरत एक औरत भी है
अपने आप में मरती है
उफ! तक भी नहीं करती है और
पुरूष के अहं मो टूटने से
बचाए रखती है
वह जानती है
पुरूष एक बार टूट जाएगा तो
दुबारा जुड़ नहीं पाएगा
जबकि औरत?
औरत ने पाई है मिट्टी की प्रकृति
टूटते ही अपने आंसुओं से
गुथेगी खुद को, और जुड़ जाएगी
नई परिस्थितियों से।
महिलाएं अपनी हर भमिका में निर्माणकर्ता होती हैं। महिला दिवस पर सारगर्भित एवं सार्थक आलेख।
मैं ज़रूरी काम में व्यस्त थी इसलिए पिछले कुछ महीनों से ब्लॉग पर नियमित रूप से नहीं आ सकी!
बहुत सुन्दर और सार्थक लेख ! बढ़िया लगा! उम्दा प्रस्तुती!
bahut khubsurat likhti hain aap .
u r so sweet dost
sarthk aur sundr prstuti bdhai aur holi ki rngbhari shubhkamnayen chaitnya ko shubhashish
वाकई महिला ईश्वरीय शक्ति का जीता जगता स्वरुप है ! सिर्फ सही नज़र की आवश्यकता होती है ! मेरे विचार में अगर घर में यह शक्ति न हो तो उसे घर कहा ही नहीं जा सकता ! शुभकामनायें अच्छे लेख के लिए
सत्य कहा आपने...सार्थक लेख हेतु साधुवाद...
आदरणीया डॉ.मोनिका शर्मा जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
"मां, बेटी, बहन, पत्नी.......जिनके बिना अधूरी है ज़िंदगी......!"
मैं तो कहता हूं ज़िंदगी ज़िंदगी रह ही कहां जाती है इनके बिना ?
आपने बिलकुल सच कहा कि -पुरूषों के जीवन को संवारने और सुव्यवस्थित करने वाली मां, बहन, बेटी या पत्नी की भूमिका का महत्व स्वप्रमाणित है ।
एक बात कहूंगा , आपकी इस पोस्ट और मेरी पोस्ट में कितनी समानता है … !
अब जा'कर पहुंचा हूं आपके यहां , चार दिन विलंब से ही स्वीकार करें -
विश्व महिला दिवस की हार्दिक बधाई !
शुभकामनाएं !!
मंगलकामनाएं !!!
♥ मां पत्नी बेटी बहन;देवियां हैं,चरणों पर शीश धरो!♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
पूरी सहमति.....
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए तथा प्रत्येक भारतीय लेखको को एक मंच पर लाने के लिए " भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" का गठन किया गया है. आपसे अनुरोध है कि इस मंच का followers बन हमारा उत्साहवर्धन करें , साथ ही इस मंच के लेखक बन कर हिंदी लेखन को नई दिशा दे. हम आपका इंतजार करेंगे.
हरीश सिंह.... संस्थापक/संयोजक "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच"
बेहतरीन पोस्ट। आपके विचार महिलाओं की विस्तृत भूमिका मे एकदम सटीक हैं!
काश यह दिवस साल में एक दिन के बजाय हर रोज मनाया जाता !
भाईचारे के पर्व होली पर आपको अग्रिम हार्दिक शुभकामनायें!!
बिल्कुल सही कहा आपने-
ईश्वर हर जगह नहीं हो सकते इसलिए उन्होनें माँ को बनाया।
प्रेरक आलेख।
शुभकामनाएं।
आपका पोस्ट अच्छा लगा। क़ृपया महिला विषयक इस पोस्ट को भी देखें: महिला दिवस पर
यही सच है...
यही सच है...
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