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09 January 2020

न्याय की आस को मिलेगा बल

  
सात साल पहले निर्भया के साथ राजधानी दिल्ली के मुनिरका में हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने ना केवल देश को दहला दिया था बल्कि बर्बरता की भी ऐसी बानगी सामने रखी थी कि हर माता-पिता के मन में भय का स्याह  अँधेरा छा गया था | इस अमानवीय और क्रूर मामले ने बेटियों की असुरक्षा से जुड़ीं दर्दनाक  स्थितियां ही नहीं, महिलाओं के प्रति पलती कुत्सित सोच को भी सामने रखा था | निर्ममता की सारी सीमायें पार करने वाली सामूहिक दुष्कर्म की इस घटना ने आमजन को भीतर तक झकझोर दिया था |  वैश्विक स्तर पर भी भारत को 'रेप केपिटल'  और सबसे असुरक्षित देश तक कहा गया | यही वजह थी कि लंबे समय से न्याय का इंतजार कर रहे निर्भया के परिवार को ही नहीं पूरे देश को निर्भया के साथ बर्बरता करने वालों को  फांसी पर लटकाने के निर्णय का इंतजार था | गौरतलब है कि निर्भया के दोषियों को फ़ास्ट ट्रैक अदालत और दिल्ली हाई कोर्ट पहले ही फाँसी की सजा सुना चुके हैं |  बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी ।  उच्चत्तम न्यायालय  के आदेश के बाद दोषियों को दी गई फांसी की सजा कायम रही । अब साल 2012 में  हुए निर्भया गैंगरेप के मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों का डेथ वॉरंट जारी  किया  है | इन चारों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी  दी जायेगी |  निर्भया के माता-पिता ने पिछले महीने चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने के लिए दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर की थी। पटियाला हाउस कोर्ट का यह  निर्णय आने के बाद  निर्भया की मां ने कहा है कि 'मेरी बेटी को न्याय मिल गया। अपराधियों को फांसी की सजा मिलने से देश की महिलाओं को ताकत मिलेगी। इस फैसले से लोगों का न्याय व्यवस्था में विश्वास बढ़ेगा। दोषियों को फांसी देने से अपराधी डरेंगे |' यकीनन महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के मोर्चे पर बिखरते भरोसे के इस दौर में  यह  फैसला एक उम्मीद जगाने वाला है |  डेली न्यूज- राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित लेख  का अंश ) 

2 comments:

गिरधारी खंकरियाल said...

अभी भी क्युरेटिव पिटिशन का पेंच फंसा हुआ है।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

जी ... :(

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