हाल ही में आई नीति आयोग की रिपोर्ट ‘हेल्दी स्टेट प्रोगेसिव इंडिया’ ने देश की स्वास्थ्य सेवाओं की दयनीय स्थिति को सामने रखा है | ‘स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत’ रिपोर्ट के इस दूसरे संस्करण में सामने आये बिगड़ती चिकित्स्कीय सेवाओं के हालात वाकई चिंतनीय हैं | गौरतलब है कि इस अध्ययन के अंतर्गत नीति आयोग ने राज्यों की एक रैंकिंग जारी की है। 23 संकेतकों को आधार बनाकर राज्यों की सूची तैयार की गई है | ये सभी संकेतक जीवन सहेजने से जुड़ी बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं के सूचक हैं | इनमें नवजात मृत्यु दर, प्रजनन दर, जन्म के समय लिंगानुपात, संचालन व्यवस्था-अधिकारियों की नियुक्ति और अवधि के साथ ही नर्सों और डॉक्टरों के खाली पद आदि शामिल हैं | भारत में चिकित्सकीय सेवाओं की दुःखद हकीकत बयान करने वाली इस रिपोर्ट को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, विश्व बैंक और नीति आयोग ने मिलकर तैयार किया है। रिपोर्ट को तीन हिस्सों बड़े राज्य, छोटे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में बांटकर बनाया गया है | 21 प्रदेशों की इस फेहरिस्त में देश के सबसे बड़े राज्य, उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बदतर बताई गई है। यू पी के बाद क्रमश: बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों को स्थान दिया गया है | दरअसल, भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में स्वास्थ्य सेवाओं की जर्जर स्थिति हमेशा से ही चिंता का विषय रही है | जीवन रक्षा से जुड़ी चिकित्स्कीय सेवाओं की स्थिति नागरिकों को निराश ही करती आई है | ( जनसत्ता में प्रकाशित लेख का अंश )
5 comments:
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्मदिवस - मैथिलीशरण गुप्त और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (05-08-2019) को "नागपञ्चमी आज भी, श्रद्धा का आधार" (चर्चा अंक- 3418) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सही लिखा है आपने ... बुनियादी सेवायें नहीं हैं देश में और ५ ट्रिलियन की इकॉनमी तक जाने की बात करते हैं हम ... ये खुद से भी छलावा है ...
सच्चाई यही है कि मध्यम वर्गीय व्यक्ति तो इलाज से भी वंचित है।
सही कहा आपने
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