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21 November 2013

बाल मन की तटस्थता


चैतन्य


चैतन्य
चीज़ों से, बातों से
ऊब जाने का
तुम्हारा स्वभाव
नित नया पाने का भाव
बड़ा प्रबल है
तुम से जुड़ा कुछ भी
तुम्हारी निर्बलता नहीं बनता
ना ही उपजती है आसक्ति
तुम्हारे मन में
कुछ नहीं बांधता तुम्हें
मन से, विचार से, पूर्णतः स्वतंत्र
कितने ही आसुरी भावों से दूर
संतुष्टि भरी सोच और
भीतर का ठहराव लिए
तुम्हारे ऊर्जामयी मन में
न नकारात्मक वृत्ति है
न ही कोई भय
स्वयं को लेकर पूर्णता है
तुम्हारा अपना एक मार्ग है
जिस पर ना परम्पराएं हैं
ना विवशताएँ
तुम्हारे पास है
मन की कहने और करने
का असीम सामर्थ्य
बाल मन की ये तटस्थता
हर दिन एक नया पाठ पढ़ाती है
एक माँ के मन को
जीवन का सही अर्थ बताती है
नई  चेतना जगाती है

62 comments:

साहित्य और समीक्षा डॉ. विजय शिंदे said...

मां का बच्चे के प्रति विशेष भाव प्रकट करती कविता पर ध्यानाकर्षण इसमें है कि 'हर दिन का नया पाठ एक मां के मन को रोज अगर जीवन का सही अर्थ' बता रहा है चेतना दे रहा है। अत्यंत सुंदर और यशोदा मैया का बालकृष्ण के साथ अंतर्मन से संवाद।

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही अच्छे भाव!
प्रिय चैतन्य को जन्म दिन की अशेष शुभकामनाएँ!


सादर

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत ही सुंदर और प्रेरक.

रामराम.

anshumala said...

आज कल इस बाल मन पर बाहरी प्रभाव बहुत जल्दी और ज्यादा पड़ता है , ये बाल मन सदा मासूम ही रहे यही कामना । अच्छी कविता ।

राजीव कुमार झा said...

अत्यंत सुंदर.माँ का बच्चे के प्रति विशेष भाव लिए रचना.

Manisha Balotiya said...

अच्छी है

राजीव कुमार झा said...

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (23-11-2013) "क्या लिखते रहते हो यूँ ही" चर्चामंच : चर्चा अंक - 1438” पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 23/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!

Harihar (विकेश कुमार बडोला) said...

सुन्‍दर संवेदित भाव।

amit kumar srivastava said...

वात्सल्य रस से आपको यूं ही चैतन्य सराबोर करते रहे ।

प्रतुल वशिष्ठ said...

आपकी यह रचना बार-बार बुलाती है और अपने साथ कुछ देर 'पढ़ने का खेल' खेलने को कहती है। गज़ब है आपकी रचना क्षमता।

Amrita Tanmay said...

सच! जिसे देखकर थोड़ा सा बचपन हम भी पा लेते हैं..

virendra sharma said...

परमेश्वर का रूप कहा जाता बालक को इसी तटस्थता के चलते योग की स्थिति है यह।

तुम्हारे पास है
मन की कहने और करने
का असीम सामर्थ्य
बाल मन की ये तटस्थता
हर दिन एक नया पाठ पढ़ाती है
एक माँ के मन को
जीवन का सही अर्थ बताती है
नई चेतना जगाती है

Unknown said...

सुन्दर भावों की सुन्दर प्रस्तुति

Dr. sandhya tiwari said...

bahut sundar ma ke man aur bachhon ke man dono ek dusre ko samjhate hai ye sahi ki nit navinta bachhon ko bahut hi bhati hai...............

कविता रावत said...

बहुत बढ़िया बाल सुलभ मन की रचना!

संतोष पाण्डेय said...

बच्चे के मन को माँ से बेहतर कौन पढ़ सकता है आखिर वह माँ का ही एक हिस्सा है।
तस्वीर भी चैतन्य की मासूमियत को दर्शा रही है।

महेन्‍द्र वर्मा said...

बालमन का सुंदर चित्रण।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

God Bless.

Pallavi saxena said...

सच है ! जीवन जीने का सही नज़रिया तो बच्चों के पास ही होता है।

lori said...

चैतन्य से जागी चेतना को सलाम !
इतने प्यारे अल्फाज़ !!!! कहाँ मिले :)

वाणी गीत said...

बच्चे बहुत कुछ सिखाते हैं।
मातृत्व का यह गौरव यूँ ही बना रहे !

Arvind Mishra said...

निष्कलंक अकलुषित स्निग्ध बालमन

दिगम्बर नासवा said...

कोमल एहसास लिए है आपकी रचना ... बच्चे नित पल कुछ सीखें, आत्मविश्वास बने, कुछ सीखने की प्रबल इच्छा रहे उनके अंदर ... इससे ज्यादा एक माँ बाप चाहते भी क्या हैं ... भावमय रचना ...

मेरा मन पंछी सा said...

कोमल भाव लिए बहुत ही सुन्दर रचना....
बेहतरीन...
:-)

Kailash Sharma said...

बाल मन की ये तटस्थता
हर दिन एक नया पाठ पढ़ाती है
एक माँ के मन को
जीवन का सही अर्थ बताती है
नई चेतना जगाती है
....बहुत कुछ सीख सकते हैं हम बच्चों से...कोमल अहसासों से आपूर बहुत भावमयी रचना...

Jyoti Mishra said...

One word- Beautiful !!

Rajput said...

तुम्हारा अपना एक मार्ग है
जिस पर ना परम्पराएं हैं
ना विवशताएँ.....
बचपन सी बिंदास अवस्था कोई नहीं होती। बहुत खूब

G.N.SHAW said...

पवित्र बालमन का असीम सामर्थ्य

Anita Lalit (अनिता ललित ) said...

हर दिन कुछ नया सीखने को मिलता है, अगर हम अपने आस-पास हर चीज़ को सजग भाव से देखें-समझें तो...
बहुत सुंदर मोनिका जी!
~सादर!!!

इमरान अंसारी said...

बहुत सुन्दर |

सदा said...

भावमय करते शब्‍दों का संगम ....
चैतन्‍य के लिये अनंत शुभकामनाएं

Saras said...

आज से कुछ सालों बाद जब चैतन्य इन पंक्तियों को पढ़ेगा ..समझेगा ...वह उसकी ज़िन्दगी का कितना खूबसूरत..समृद्ध पल होगा ...!!!

virendra sharma said...


ना विवशताएँ
तुम्हारे पास है
मन की कहने और करने
का असीम सामर्थ्य
बाल मन की ये तटस्थता
हर दिन एक नया पाठ पढ़ाती है
एक माँ के मन को
जीवन का सही अर्थ बताती है
नई चेतना जगाती है

ऊर्ध्वगामी बनाती है चेतना को बालमन की अन्वेषण वृत्ति।

Vaanbhatt said...

बालपन ऐसा ही उन्मुक्त होना चाहिए...

Madhuresh said...

बहुत सुन्दर। लगा जैसे यशोदा मईया कन्हैया से कह रही हों!
चैतन्य को ढेर सारा आशीष।
सादर
मधुरेश

आशा बिष्ट said...

मन को छूती कोमल रचना

Jyoti khare said...

बाल मन की ये तटस्थता
हर दिन एक नया पाठ पढ़ाती है
एक माँ के मन को
जीवन का सही अर्थ बताती है
नई चेतना जगाती है-------

मन से निकली सच्ची अनुभूति
बहुत सुंदर अनुभूति
सादर

प्रवीण पाण्डेय said...

जानने की इच्छा बलवती है, उसे ऊर्जा दिये रहें।

Rachana said...

बाल मन की ये तटस्थता
हर दिन एक नया पाठ पढ़ाती है
एक माँ के मन को
जीवन का सही अर्थ बताती है
नई चेतना जगाती है
sachchi baat jo shayad har ma anubhav karti hai
sunder
rachana

virendra sharma said...

शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का समाज सापेक्ष लेखन का आपके।

virendra sharma said...

शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का सुन्दर सामाजिक लेखन का।

Suman said...

इस चैतन्य रूपी चित्त को बस प्रेरणा देते रहिये !
बहुत सुन्दर रचना है !

Maheshwari kaneri said...

संवेदित भावलिए सुन्दर रचना..चैतन्य को ढेर सारा आशीष।

tbsingh said...

bahut hi sunder prastuti. manovaigyanik vivechan

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

उत्तम...इस प्रस्तुति के लिये आप को बहुत बहुत धन्यवाद...

नयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी

Ankur Jain said...

उन नासमझी के दिनों में फिर घूम आने को जी चाहता है...सुंदर अभिव्यक्ति।।।

Ankur Jain said...

सुंदर प्रस्तुति।।।

virendra sharma said...

बेहद स्तरीय लेखन कर रहीं हैं आप अभिनव सामाजिक विषयों पर। शुक्रिया आपकी प्रेरक -उत्प्रेरक टिप्पणियों का।

Vandana Ramasingh said...

वाह !!! बहुत सुन्दर .....माँ बेटे के रिश्ते जैसी निर्मल रचना

Unknown said...

सच ... बच्चो से कितना कुछ सीखने को मिलता है
बहुत सुंदर रचना में आपने जो ये बात बाँधी है .... मन मोह लिया

Ramakant Singh said...

यही तो बाल मन और बचपन है

Smart Indian said...

काश हम भी सीख पाते ...

virendra sharma said...

आपकी सद्य प्रेरक टिप्पणियों का शुक्रिया।

Dr.R.Ramkumar said...

संतुष्टि भरी सोच और
भीतर का ठहराव लिए
तुम्हारे ऊर्जामयी मन में
न नकारात्मक वृत्ति है
न ही कोई भय
स्वयं को लेकर पूर्णता है
तुम्हारा अपना एक मार्ग है
जिस पर ना परम्पराएं हैं
ना विवशताएँ

सकारात्मक अवलोकन एवं विष्लेश्णात्मक अभिव्यक्ति


आपको नववर्ष 2014 की मंगल कामनाएं...

Rajput said...

बहुत खूबसूरत रचना।
नववर्ष की ढेरों मंगल कामनाएँ

Kunwar Kusumesh said...

आपको भी नव वर्ष 2014 के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ

Dr.NISHA MAHARANA said...

एक माँ के मन को
जीवन का सही अर्थ बताती है
नई चेतना जगाती है sahi bat hai jivan ka arth kai bar bacche anjaane me hamen sikha jaate hain ..sundar abhiwayakti ....

Jyoti khare said...

बहुत सुंदर----
उत्कृष्ट प्रस्तुति
नववर्ष की हार्दिक अनंत शुभकामनाऐं----

Rakesh Kumar said...

एक माँ अपने बच्चे की सच्ची दृष्टा होती है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ

वर्ज्य नारी स्वर said...

बहुत बढ़िया प्रस्तुति.

Http://meraapnasapna.blogspot.com said...

चैतन्य का कोना भी पढ़ा मैंने............बेहद अच्छा लगा :-)
तभी तो बच्चे भगवानजी का रूप माने जाते हैं !!
amazing post.

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