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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

24 August 2020

गैर शिक्षण कार्यों का बोझ घटे


दैनिक हरिभूमि में प्रकाशित 

5 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

उपयोगी आलेख।
हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

सुशील कुमार जोशी said...

अगर सब काम करें तो भार कम अपने आप हो जाता है। ये सब असन्तुलन इसी कारण पैदा होता है। सु न्दर आलेख।

Rishabh Shukla said...

सुंदर लेख

विशाल सिंह (Vishaal Singh) said...

एक सार्थक लेख हेतु बधाई स्वीकारें....

गिरधारी खंकरियाल said...

बिलकुल सही कहा आपने। शिक्षको को तो चुनाव से लेकर जनगणना तक, और न जाने कितने सर्वेक्षण कार्य निष्पादित करने होते है।

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