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21 May 2014

बेटियो- तुम पढ़ो-लिखो



बेटियो
तुम पढ़ो-लिखो
पढ़ोगी नहीं तो आगे बढ़ोगी कैसे
जीवन को समझोगी कैसे
समझीं नहीं तो जियोगी कैसे
पर स्मरण रहे
जब उठाओ कागज़ कलम
तो चाहे कहानी, किवदंती पढ़ो
या गीत, कविता गढ़ो
शब्दों से सबक लेना
बहकना नहीं
समाचारों की सुर्खियाँ पढ़ो तो
संभलना सीखना
डरना नहीं
पढऩा-गुनना संभलने के लिए
भटकने के लिए नहीं
शब्दों की अंगुलियाँ थाम
जाना उस मार्ग पर
जो समझाए सही प्रयोजन
शिक्षित होने का
कुछ बनो ना बनो
स्वयं को हरगिज ना खोने का
सही अर्थों में समझना
कल्पना और यर्थाथ का अंतर
उग्रता नहीं दृढ़ता को बनाना
अपना संबल और
साध लेना हर स्वपन

54 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 23/05/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !

प्रतिभा सक्सेना said...

बेटियोंके नाम बहुत सही संदेश !

Amrita Tanmay said...

बेटियो.....और जीत जाना अपने अस्तित्व से भी..

कौशल लाल said...

बहुत सुन्दर....

Rajendra kumar said...

आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (23.05.2014) को "धरती की गुहार अम्बर से " (चर्चा अंक-1621)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।

Tamasha-E-Zindagi said...

आपकी इस रचना को आज दिनांक २२ मई, २०१४ को ब्लॉग बुलेटिन - पतझड़ पर स्थान दिया गया है | बधाई |

Harihar (विकेश कुमार बडोला) said...

गहरे भावों से युक्‍त सुन्‍दर कविता।

निवेदिता श्रीवास्तव said...

काश बेटियाँ इस संदेश की गूढ़ता को समझ पाएँ ......

Rashmi Swaroop said...

सही है… :)

वाणी गीत said...

कल्पना और यथार्थ का अंतर सही अर्थों में समझना …अपने होने का अर्थ भी समझना !
मुश्किल दौर में उचित समझाईश बेटियों के लिए !

संतोष पाण्डेय said...

यह सन्देश सभी बेटियों तक पहुंचना चाहिए।

सदा said...

उग्रता नहीं दृढ़ता को बनाना
अपना संबल और
साध लेना हर स्वपन
................बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति !!

NKC said...

बहुत सुन्दर सन्देश युक्त रचना !

Vaanbhatt said...

सुन्दर कथ्य व सन्देश...

Arvind Mishra said...

प्रेरक आह्वान

रश्मि प्रभा... said...

हर अँधेरे उजाले का पता देते हैं
तुम उनको संजोती जाओ … अपने सपनों की सार्थकता के लिए
हर कदम समझकर उठाओ

धीरेन्द्र अस्थाना said...

बेटियाोँ को शिक्षित होना आवश्यक है।

संध्या शर्मा said...

सार्थक सन्देश … हर बेटी समझ ले तो जीत जाए हर मुश्किल ...

दिगम्बर नासवा said...

आमीन ... सार्थक दिशा देने का प्रयास है ये रचना ... आह्वान है की दृढ़ता से अपनी राह चुनो ...

गिरधारी खंकरियाल said...

संबलता प्रदान करती हुयी कविता।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

मां बाप को समझना चाहि‍ए

lori said...

खूबसूरत भाव !!
सच भी है, बेटी है और समझदार है तो
सोने सुहागा ………
इतनी प्यारी कविता के लिए शुक्रिया

lori said...

आपके आमीन पर हमारी सुम्मा आमीन :)

Satish Saxena said...

बढ़िया और गंभीर सन्देश बेटियों के लिए ! मंगलकामनाएं …….

Vandana Ramasingh said...

तो चाहे कहानी, किवदंती पढ़ो
या गीत, कविता गढ़ो
शब्दों से सबक लेना
बहकना नहीं
समाचारों की सुर्खियाँ पढ़ो तो
संभलना सीखना
डरना नहीं


बहुत जरूरी सन्देश .....बहुत सुन्दर

abhi said...

Sahi..bahut hi sahi baat kahi hai aapne is kavita se...
bahut sundar !

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

मैं तो बेटी का बाप हूँ और सदा यही शिक्षा देता हूँ अपनी बेटी को. एक सार्थक सीख!!

virendra sharma said...

बेटियों के प्रति सशक्त उदगार।

Himkar Shyam said...

सुंदर, सार्थक और प्रेरक संदेश... हर बेटी पढ़े और आगे बढे...

Maheshwari kaneri said...

बेटियो के लिए सुन्दर सार्थक संदेश....आभार मोनिका जी..

Pradeep said...

पढऩा-गुनना संभलने के लिए
भटकने के लिए नहीं.......................liked all

Pradeep said...

पढऩा-गुनना संभलने के लिए
भटकने के लिए नहीं.......................liked all

इमरान अंसारी said...

काफी दिनों बाद आना हुआ इसके लिए माफ़ी चाहूँगा । बहुत बढ़िया लगी पोस्ट |

Aditya Tikku said...

adutiy- ***

Aditya Tikku said...

Adutiy-****

Http://meraapnasapna.blogspot.com said...

आपकी लिखी बात इस बेटी तक पहुंची, आभार बेटियों का मनोबल बढ़ाने के लिए :-)
कुछ बनो ना बनो
स्वयं को हरगिज ना खोने का
बहुत खूब लिखा हैं मैम !!!!

महेन्‍द्र वर्मा said...

‘‘पढना-गुनना संभलने के लिए
भटकने के लिए नहीं
शब्दों की अंगुलियाँ थाम
जाना उस मार्ग पर
जो समझाए सही प्रयोजन
शिक्षित होने का‘‘

अमूल्य संदेश, अमोल विचार।
सभी को प्रेरित करती प्रभावी रचना।

समय चक्र said...

बहुत सुन्दर प्रेरक रचना प्रस्तुति .. आभार

G.N.SHAW said...

सार्थक विचार और सन्देश । एक क्रांति की ओर बढ़ते कदम ।

Unknown said...

सच्चा स्त्री-विमर्श, आपको इस कविता के लिये साधुवाद...

Vandana Sharma said...

bahut hee prernataamak:)

Unknown said...

एक सरल मोहकतापूर्ण रचीं अभिव्यक्ति |

virendra sharma said...

सारगर्भित पोस्ट उस वेला जब स्मृति ईरानी के मानव-संशाधन मंत्राणी का पद भार संभालने पर काफी चिल्ल पौ मचा चुकी है पिटी कुटी कांग्रेस।

Anonymous said...

i like this

संतोष पाण्डेय said...

मोनिका जी नमस्कार.
राजस्थान पत्रिका के आज के अंक के साथ प्रकाशित मी नेक्स्ट में आपके ब्लॉग का उल्लेख किया गया है.
बधाई।

Asha Joglekar said...

बेटियों के नाम सही संदेश ।

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

शब्दों से सबक लेना
बहकना नहीं
समाचारों की सुर्खियाँ पढ़ो तो
संभलना सीखना
डरना नहीं
पढऩा-गुनना संभलने के लिए
भटकने के लिए नहीं
आदरणीया डॉ मोनिका जी बहुत सुन्दर ..बेटियों को सजग रहने के लिए सदा सीख की जरुरत है सुन्दर रचना
भ्रमर ५

संजय भास्‍कर said...

बेटियो के लिए सुन्दर सार्थक संदेश

Rajput said...

बहुत खूबसूरत संदेश बेटियों के लिए।

virendra sharma said...

दृढ प्रतिज्ञ संकल्पों की रचना मार्ग निर्देशक यंत्र सी बेटियों के वास्ते बेटियों के द्वारा।

virendra sharma said...


शुक्रिया आपके प्रेरक टिप्पणियों के लिए

अनामिका की सदायें ...... said...

har mata-pita ke dar ko sambodhit kar diya apki kavita ne.

shephali said...

समाचारों की सुर्खियाँ पढ़ो तो
संभलना सीखना
डरना नहीं



बहुत सुन्दर

Jyoti Dehliwal said...

बेटियों के लिए बहुत ही सुंदर संदेश ! बधाई ---

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