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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

01 September 2011

परिवार और समाज को जोड़ती हमारी उत्सवधर्मिता...!


हमारे पर्व त्योंहार हमारी संवेदनाओं और परंपराओं का जीवंत रूप हैं जिन्हें मनाना या यूँ कहें की बार-बार मनाना, हर साल मनाना हर भारतीय को  अच्छा लगता है। पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जहां मौसम के बदलाव की सूचना भी त्योंहारों से मिलती है। इन मान्यताओं, परंपराओं और विचारों में हमारी सभ्यता और संस्कृ ति के अनगिनत सरोकार छुपे हैं। जीवन के अनोखे रंग समेटे हमारे जीवन में रंग भरने वाली हमारी उत्सवधर्मिता की सोच मन में उमंग और उत्साह के  नये प्रवाह का जन्म देती है। 

आजकल तो गणेश उत्सव की धूम है। बच्चे बङे सभी बप्पा की मान मनवार में जुटे इस उत्सव का हिस्सा बने नजर आ रहे हैं। हम भारतीय स्वाभाव से ही उत्सवधर्मी हैं | तभी तो पूरे मन से इन उत्सवों का हिस्सा बनते हैं | सच कितना कुछ बदल जाता है त्योहारों की दस्तक से हमारे जीवन में । दिनचर्या से लेकर दिल के विचारों तक। इन पर्वों की हमारे जीवन में क्या भूमिका है इसका अंदाज इसी बात से लगा लीजिये कि ये  त्योंहार हमारे जीवन को प्रकृति की ओर मोड़ने से लेकर घर-परिवारों में मेलजोल बढाने तक, सब कुछ करते हैं और हर बार यह सिखा जाते हैं कि जीवन भी एक उत्सव ही है। 

हमारा मन और जीवन दोनों ही उत्सवधर्मी है | मेलों और मदनोत्सव के इस देश में ये उत्सव हमारे मन में संस्कृति बोध भी उपजाते हैं | हमारी उत्सवधर्मिता परिवार और समाज को एक सूत्र में बांधती है। संगठित होकर जीना सिखाती है। सहभागिता और आपसी समन्वय की सौगात देती है । 


दुनियाभर के लोगों को हिन्दुस्तानियों की उत्सवधर्मिता चकित करती है | आज भी घर से दूर जा बसे परिवार के सदस्य तीज त्योहारों पर ज़रूर मिलते हैं | उत्सवी माहौल में एक दुसरे से जुड़ते हैं | हमारी ऐतिहाहिक विरासत और जीवंत संस्कृति के गवाह ये त्योंहार विदेशी सैलानियों को भी बहुत लुभाते हैं| हमारे सरस और सजीले सांस्कृतिक वैभव की जीवन रेखा  हैं हमारे त्योंहार, जो हम सबके जीवन को रंगों से सजाते हैं | 

सभी को गणेश उत्सव की हार्दिक शुभकामनायें....