भगवान कृष्ण, नटखट गौपाल, या सुदामा के बाल सखा......कृष्ण भारतीय जनमानस की आत्मा में बसे ऐसे अवतार हैं जिनका जीवन अनगिनत कहानियों और लीलाओं से भरा है । ईश्वर का हर अवतार पूजनीय है पर कृष्ण तो मानो हर घर में बसे हैं। नंदगांव के कन्हैया से लेकर अर्जुन के पार्थ तक उनका चरित्र जीवन जीने के अर्थपूर्ण संदेश संजोये हुए है | बालपन से लेकर कुटुम्बीय जीवन तक, उनकी हर बात में जीवन सूत्र छुपे हैं।
कृष्ण यह समझाते, सिखाते हैं कि जीवन जङ नहीं हैं। पेङ पौधे हों या जीव जन्तु सम्पूर्ण प्रकृति की चेतना से जुङना ही सच्ची मानवता है। कान्हा का गायों की सेवा और पक्षियों से प्रेम यह बताता है कि जीवन प्रकृति से ही जन्म लेता है और मां प्रकृति ही इसे विकसित करती है, पोषित करती है। सच में कभी कभी लगता है कि हम सबमें इस चेतन तत्व का विकास होगा तभी तो आत्मतत्व जागृत हो पायेगा।
नीतिराज कृष्ण का चरित्र सदैव चमत्कारी और कृतित्व कल्याणकारी रहा है। उनका जीवन इस बात को रेखांकित करता है कि जीवन में आने वाली हर तरह की परिस्थितियों में कहीं धैर्य तो कहीं गहरी समझ आवश्यक है। कृ ष्ण का जीवन हर तरह से एक आम इंसान का जीवन लगता है। तभी तो किसी आम मनुष्य के समान भी वे दुर्जनों के लिए कठोर रहे तो सज्जनों के लिए कोमल ह्दय। जब सीमायें पार हो जाये तो बस ..... उनका यह व्यवहार भी तो प्रकृति से प्रेरित ही लगता है |
कृष्ण का जीवन प्रकृति के बहुत करीब रहा | कदम्ब का पेड़ और यमुना का किनारा उनके लिए बहुत विशेष स्थान रखते थे | प्रकृति का साथ ही उनके विलक्षण चरित्र को आनन्द और उल्लास का प्रतीक बनाता है | शायद यह भी एक कारण है कि कान्हा का नाम लेने से ही मन में उल्लास और उमंग छा जाती है। उन्होनें कष्ट में भी चेहरे पर मुस्कुराहट और बातों में धैर्य की मिठास को बनाये रखा। कोई अपना रूठ जाए तो मनुहार कैसे करनी है....? किस युक्ति से अपनों को मनाया जाता है...? यह तो स्वयं कृष्ण के चरित्र से ही सीखना चाहिए।
वसुधैव कुटम्बकम के भाव को वासुदेव कृष्ण ने जिया है। मनुष्यों और मूक पशुओं से ही नहीं मोरपंख और बांसुरी से भी उन्होनें मन से प्रेम किया। कई बार तो ऐसा लगता मानो कृष्ण ने किसी वस्तु को भी जङ नहीं समझा। तभी तो आत्मीय स्तर का लगाव रहा उन्हें हर उस वस्तु से भी जो उस परिवेश का हिस्सा थी जहाँ वे रहे |
कृष्ण से जुड़ी हर बात हमें जीवन के प्रति जागृत होने का सन्देश देती है | मानव मन और जीवन के कुशल अध्येता कृष्ण यह कितनी सरलता और सहजता से बताते हैं कि जीवन जीना भी एक कला है | उनके चरित्र को जितना जानो उतना ही यह महसूस होता है कि इस धरा पर प्रेम का शाश्वत भाव वही हो सकता है जो कृष्ण ने जिया है | यानि कि सम्पूर्ण प्रकृति से प्रेम | यही अलौकिक प्रेम हम सबको को आत्मीय सुख दे सकता है और इसी में समाई है जनकल्याणकारी चेतना भी |
कृष्ण से जुड़ी हर बात हमें जीवन के प्रति जागृत होने का सन्देश देती है | मानव मन और जीवन के कुशल अध्येता कृष्ण यह कितनी सरलता और सहजता से बताते हैं कि जीवन जीना भी एक कला है | उनके चरित्र को जितना जानो उतना ही यह महसूस होता है कि इस धरा पर प्रेम का शाश्वत भाव वही हो सकता है जो कृष्ण ने जिया है | यानि कि सम्पूर्ण प्रकृति से प्रेम | यही अलौकिक प्रेम हम सबको को आत्मीय सुख दे सकता है और इसी में समाई है जनकल्याणकारी चेतना भी |