इस देश में क्रिकेट को मजहब कहा जाता है। यह एक दीवानगी है........ एक पागलपन है........... कुछ खास मैच तो ऐसे होते हैं कि सङकें सूनी हो जाती हैं और बॉस के सामने उस दिन की छुट्टी चाहने वालों की कतार लग जाती है। यहां बच्चा-बच्चा इस खेल के पीछे पागल है बङों की तो पूछिये ही मत और बुजुर्गों की क्या बतायें............ ?
खैर इन सबके बीच एक ऐसा वर्ग भी है जिनके जीवन में यह क्रिकेटिया दीवानगी काफी हलचल मचा देती है......... वो हैं महिलाएं। हालांकि ऐसी महिलाओं का प्रतिशत काफी कम है जो खुद टीवी से चिपक कर मैच देखती हैं पर यकीन मानिए वर्ल्ड कप जैसे टूर्नामेंट उनकी पल दो पल की फुरसत भी छीन लेते हैं :)
क्रिकेट का मौसम आते ही उनकी दिनचर्या बदल जाती है। नई जिम्मेदारियां सिर आ जाती हैं, हजारों काम बढ जाते हैं। इन दिनों कितना भी व्यवस्थित किया जाए घर अस्त-व्यस्त ही रहता है ......... जिस दिन कोई खास मैच हो जैसा कि आज है चाय की चुस्कियों के दौर खत्म ही नहीं होते..................... बच्चों को स्कूल नहीं जाना होता और पतिदेव को ऑफिस.............. और तो और उनके पसंदीदा टेलीविजन धरावाहिकों पर भी इस क्रिकेट की गाज गिरे बिना नहीं रहती।
इन सबके बीच हार जीत के हालातों को भी महिलाओं को ही संभालना पङता है। हार गये तो कोई नहीं जी...... और जीत गये तो मैं ना कहती थी.................कभी कभी तो पकौङियां तलते हुए करची हाथ में लिये लिये ही पति और बच्चों को तस्सल्ली देनी पङती है अगर कोई खिलाङी अचानक बोल्ड हो जाये। कोई नहीं....... हम लोग जीत जायेंगें .......!
उधर मैदान में खिलाङी जितना जी जान से खेल रहे होते हैं इधर अपने ही घर में अपने ही लोगों की आवभगत उतनी ही जोरदार ढंग से चल रही होती है। एक भी बॉल मिस ना हो जाये इसलिए पानी से लेकर खाना तक बच्चों और बङों को टीवी के सामने ही चाहिए और मिलता भी है.......
क्रिकेट की इस दीवानगी के चलते हालात बङे अलग से हो जाते हैं । आम दिनों में बात-बात में समझाइशें देने वाली मम्मियां बच्चों से बङे प्यार से कभी किसी खिलाङी का नाम पूछती हैं तो कभी उसका देश। कभी-कभी रसोई से ही आवाज लगातीं हैं............... कौन आउट हुआ रे अबके ........!
कुछ पल सुकून के मिलें तो आसपङौस के हाल पूछ लेती हैं क्योंकि बगल वाले घर में भी तो यही हाल है। वहां भी अपनी पसंद के धारावाहिकों के किरदारों की कई दिनों से कोई खैर खबर जो नहीं है ..........मन को तस्स्ल्ली देती है तो बस एक बात कि कुछ दिन और सही....... बस वर्ल्ड कप का फाइनल मैच अब होने को है।
बावजूद इन सब बातों के, क्रिकेटिया फीवर को झेलती ये भारतीय महिलाएं ही हैं जो खुश रह सकती हैं। बस..................अपनों की खुशी के लिए।