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पढ़ने लिखने में रुचि रखती हूँ । कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं । "परिसंवाद" मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं । अर्थशास्त्र और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर | हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित सामाजिक विज्ञापनों से जुड़े विषय पर शोधकार्य। प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ( समाचार वाचक, एंकर) के साथ ही अध्यापन के क्षेत्र से भी जुड़ाव रहा | प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के परिशिष्टों एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएं प्रकाशित | सम्प्रति --- समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन । प्रकाशित पुस्तकें------- 'देहरी के अक्षांश पर', 'दरवाज़ा खोलो बाबा', 'खुले किवाड़ी बालमन की'

ब्लॉगर साथी

20 August 2011

श्याम.....जीवन चेतना का नाम...!

   

भगवान कृष्ण, नटखट गौपाल, या सुदामा के बाल सखा......कृष्ण  भारतीय जनमानस की आत्मा में बसे ऐसे अवतार हैं जिनका जीवन अनगिनत कहानियों और लीलाओं से भरा है । ईश्वर का हर अवतार पूजनीय है पर कृष्ण तो मानो हर घर में बसे हैं। नंदगांव के कन्हैया से लेकर अर्जुन के पार्थ तक उनका चरित्र  जीवन जीने के अर्थपूर्ण संदेश संजोये हुए है | बालपन से लेकर कुटुम्बीय जीवन तक, उनकी हर बात में जीवन सूत्र छुपे हैं।  


कृष्ण यह समझाते, सिखाते हैं  कि जीवन जङ नहीं हैं। पेङ पौधे हों या जीव जन्तु सम्पूर्ण प्रकृति की चेतना से जुङना ही सच्ची मानवता है। कान्हा का गायों की सेवा और पक्षियों से प्रेम यह बताता है कि जीवन प्रकृति से ही जन्म लेता है और मां प्रकृति ही इसे विकसित करती है, पोषित करती है।  सच में कभी कभी लगता है कि हम सबमें इस चेतन तत्व का विकास होगा तभी तो आत्मतत्व जागृत हो पायेगा। 


नीतिराज कृष्ण का चरित्र सदैव चमत्कारी और कृतित्व कल्याणकारी रहा है। उनका जीवन इस बात को रेखांकित करता है कि जीवन में आने वाली हर तरह की परिस्थितियों में कहीं धैर्य तो कहीं गहरी समझ आवश्यक है। कृ ष्ण का जीवन हर तरह से एक आम इंसान का जीवन लगता है। तभी तो किसी आम मनुष्य के समान भी वे दुर्जनों के लिए कठोर रहे तो सज्जनों के लिए कोमल ह्दय। जब सीमायें पार हो जाये तो बस ..... उनका यह व्यवहार भी तो प्रकृति से प्रेरित ही लगता है | 

कृष्ण का जीवन प्रकृति के बहुत करीब रहा | कदम्ब का पेड़ और यमुना का किनारा उनके लिए बहुत विशेष स्थान रखते थे | प्रकृति का साथ ही उनके   विलक्षण चरित्र को आनन्द और उल्लास का प्रतीक बनाता है | शायद यह भी  एक कारण है कि कान्हा का नाम लेने से ही मन में  उल्लास और उमंग छा जाती है। उन्होनें कष्ट में भी चेहरे पर मुस्कुराहट और बातों में धैर्य की मिठास को बनाये रखा। कोई अपना रूठ जाए तो मनुहार कैसे करनी है....?  किस युक्ति से अपनों को मनाया जाता है...? यह तो स्वयं कृष्ण के चरित्र से ही सीखना चाहिए। 

वसुधैव कुटम्बकम के भाव को वासुदेव कृष्ण ने जिया है। मनुष्यों और मूक पशुओं से ही नहीं मोरपंख और बांसुरी से भी उन्होनें मन से प्रेम किया। कई बार तो ऐसा लगता मानो कृष्ण ने किसी वस्तु को भी जङ नहीं समझा। तभी तो आत्मीय स्तर का लगाव रहा उन्हें हर उस वस्तु से भी जो उस परिवेश का हिस्सा थी जहाँ वे रहे | 


कृष्ण से जुड़ी हर बात हमें जीवन के प्रति जागृत होने का सन्देश देती है | मानव मन और जीवन के कुशल अध्येता कृष्ण यह कितनी सरलता और सहजता से बताते हैं कि जीवन जीना भी एक कला है | उनके चरित्र को जितना जानो उतना ही यह महसूस होता है कि इस धरा पर प्रेम का शाश्वत भाव वही हो सकता है जो कृष्ण ने जिया है | यानि कि सम्पूर्ण प्रकृति से प्रेम | यही अलौकिक प्रेम हम सबको  को आत्मीय सुख दे सकता है और इसी में समाई है  जनकल्याणकारी चेतना भी  |

88 comments:

Anupama Tripathi said...

यही अलौकिक प्रेम हम सबको को आत्मीय सुख दे सकता है और इसी में समाई है जनकल्याणकारी चेतना भी |


पान के पत्ते पर शबनम की बूँद सा ....प्रसाद रुपी ...सुबह-सुबह .....इतना सुंदर आलेख पढ़ कर मनो मन की आखें खुल गयीं .....!!!
आभार मोनिका जी ....
जन्माष्टमी पर्व पर आइये प्रेम बाँटते चलें....ज्ञान बँटाते चलें....!!

Anupama Tripathi said...

पान के पत्ते पर शबनम की बूँद सा ....प्रसाद रुपी ...सुबह-सुबह .....इतना सुंदर आलेख पढ़ कर मनो मन की आखें खुल गयीं .....!!!
आभार मोनिका जी ....
जन्माष्टमी पर्व पर आइये प्रेम बाँटते चलें....ज्ञान बँटाते चलें....!!

Sunil Kumar said...

सत्य कहा आपने कृष्ण का चरित्र अपने आसपास का ही लगता है | सुंदर आलेख , आभार

केवल राम said...

कृष्ण के व्यक्तित्व और चरित्र को समझना आसान नहीं .....उनका जीवन मानव के लिए अनुकरणीय रहा है ...और आगे भी रहेगा ...!

ashish said...

श्रीकृष्ण को उनके सर्वसुलभ गुणों के कारण लोकमानस में प्रणेता , सखा , और नायक की तरह देखा जाता है . बहुत ही सारगर्भित आलेख . जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये .

Unknown said...

DR.MONIKA JI JAI SHREE KRISHAN,SOME THINGS FOR U,

इन्हें भी आजमायें ..........
मधुमक्खी के काटने पर तुरंत चीनी का गाढ़ा घोल लगायें .दर्द व सूजन नहीं होगी .
पापड़ सेकने के लिए गर्म प्रेस का प्रयोग करे ,साफ-सुथरे सिके पापड़ का आंनंद उठायें .
कपड़ों पर लगे जंग के निशान दूध से धोंयें साफ हो जायेंगे
कपड़ों पर लगी बालपन की स्याही के निशान नेलपॉलिश रिमूवर लगाने से दूर हो जायेंगे
पसीने के दाग लगे कपडे नौसादर मिले पानी से धोएं दाग उतर जायेंगे
कपड़ों पर लगे तेल के निशान शेम्पू से धोएं ठीक हो जायेंगे
कपड़ों पर लगी च्युंगम हटाने के लिए जैतून का तेल लगायें,आसानी से उतर जाएगी

Arvind Mishra said...

बहुत सुन्दर डॉ. मोनिका जी ,कृष्ण के बहुआयामी व्यक्तित्व के कुछ पहलुओं को अआप्की दृष्टि से देखना आनंदपूर्ण रहा

Smart Indian said...

सुन्दर आलेख, जय श्री कृष्ण!

प्रवीण पाण्डेय said...

कृष्ण के अलौकिक रूप का सुन्दर चित्रण।

virendra sharma said...

नीतिराज कृष्ण का चरित्र सदैव चमत्कारी और कृतित्व कल्याणकारी रहा है। उनका जीवन इस बात को रेखांकित करता है कि जीवन में आने वाली हर तरह की परिस्थितियों में कहीं धैर्य तो कहीं गहरी समझ आवश्यक है.जन्माष्टमी की शुभ कामनाएं ,मौजू विश्लेषण परक बेहतरीन पोस्ट .बधाई कृष्णा ,जन्म दिवस मुबारक कृष्णा ...... ram ram bhai

शनिवार, २० अगस्त २०११
कुर्सी के लिए किसी की भी बली ले सकती है सरकार ....
स्टेंडिंग कमेटी में चारा खोर लालू और संसद में पैसा बंटवाने के आरोपी गुब्बारे नुमा चेहरे वाले अमर सिंह को लाकर सरकार ने अपनी मनसा साफ़ कर दी है ,सरकार जन लोकपाल बिल नहीं लायेगी .छल बल से बन्दूक इन दो मूढ़ -धन्य लोगों के कंधे पर रखकर गोली चलायेगी .सेंकडों हज़ारों लोगों की बलि ले सकती है यह सरकार मन मोहनिया ,सोनियावी ,अपनी कुर्सी बचाने की खातिर ,अन्ना मारे जायेंगे सब ।
क्योंकि इन दिनों -
"राष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,महाराष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,
मनमोहन दिल हाथ पे रख्खो ,आपकी साँसे अन्नाजी .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
Saturday, August 20, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....

http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

रश्मि प्रभा... said...

प्रेम का शाश्वत भाव वही हो सकता है जो कृष्ण ने जिया है |...
प्रेम न तिरस्कार है, न बदला , न सबक.... प्रेम एक अक्षुण भावना है , जो अक्षुण ही रहता है

vijai Rajbali Mathur said...

योगीराज श्री कृष्ण ने जीवन की कठोर वासतिवक्ताओं को सरल ढंग से मनुष्य को समझाया है वह तत्कालीन राजनीति के सफल नेता थे। वस्तुतः वह जन नेता थे इसी लिए शोशंकारी व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह सिखाया है -चाहे वह मक्खन की मटकी फोड़ कर व्यापारियों को वह जनता के लिए खोलने का उपक्रम हो या तानाशाही व्यवस्था का विरोध हो।
गोवर्धन पहाड़ की कहानी पौराणिकों ने विदेशी शासकों के इशारे पर गढ़ी है। वस्तुतः 'गो-संवर्धन'वह प्रयोगशाला थी जो उस क्षेत्र मे श्री कृष्ण ने गो-वंश के संवर्धन हेतु स्थापित कराई थी।

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत सही लिखा है आपने।
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
--------
कल 22/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

महेन्‍द्र वर्मा said...

@इस धरा पर प्रेम का शाश्वत भाव वही हो सकता है जो कृष्ण ने जिया है , यानि कि सम्पूर्ण प्रकृति से प्रेम ।

जीवन-दर्शन का सार यही है।
प्रेरक आलेख।

वर्षा said...

कृष्ण ऐसे भगवान हैं जो इंसान सरीखे लगते हैं।

हरकीरत ' हीर' said...

मोरे तो नटखट गोपाल
दुसरो न कोई
जा के सर मोर मुकुट
मेरे पति सोई ...

जन्माष्टमी की शुभकामनाएं .....

virendra sharma said...

इस दुर्योधन की सेना में सब शकुनी हैं ,एक भी सेना पति भीष्म पितामह नहीं हैं ,शूपर्ण -खा है ,मंद मति बालक है जिसे भावी प्रधान मंत्री बतलाया समझाया जा रहा है .एक भी कृपा -चारी नहीं हैं काले कोट वाले फरेबी हैं जिन्होनें संसद को अदालत में बदल दिया है ,तर्क और तकरार से सुलझाना चाहतें हैं ये मुद्दे .एक अरुणा राय आ गईं हैं शकुनियों के राज में ,ये "मम्मीजी" की अनुगामी हैं इसीलिए सरकारी और जन लोक पाल दोनों बिलों की खिल्ली उड़ा रहीं हैं.और हाँ इस मर्तबा पन्द्रह अगस्त से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है सोलह अगस्त अन्नाजी ने जेहाद का बिगुल फूंक दिया है ,मुसलमान हिन्दू सब मिलकर रोजा खोल रहें हैं अन्नाजी के दुआरे ,कैसा पर्व है अपने पन का राष्ट्री एकता का ,देखते ही बनता है ,बधाई कृष्णा ,जन्म दिवस मुबारक कृष्णा ....
लीला पुरुष का गायन इस दौर में बहुत ज़रूरी है ,........ ., . ram ram bhai


कुर्सी के लिए किसी की भी बली ले सकती है सरकार ....
स्टेंडिंग कमेटी में चारा खोर लालू और संसद में पैसा बंटवाने के आरोपी गुब्बारे नुमा चेहरे वाले अमर सिंह को लाकर सरकार ने अपनी मनसा साफ़ कर दी है ,सरकार जन लोकपाल बिल नहीं लायेगी .छल बल से बन्दूक इन दो मूढ़ -धन्य लोगों के कंधे पर रखकर गोली चलायेगी .सेंकडों हज़ारों लोगों की बलि ले सकती है यह सरकार मन मोहनिया ,सोनियावी ,अपनी कुर्सी बचाने की खातिर ,अन्ना मारे जायेंगे सब ।
क्योंकि इन दिनों -
"राष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,महाराष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,
मनमोहन दिल हाथ पे रख्खो ,आपकी साँसे अन्नाजी .
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Saturday, August 20, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....

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निवेदिता श्रीवास्तव said...

लोगों ने कान्हा के बारे में बहुत कुछ कहा है ,पर वास्तविक अर्थों में मर्यादा पुरुष तो नटखट कान्हा ही है ...... शुभकामनायें !

विभूति" said...

सार्थक पोस्ट....

Maheshwari kaneri said...

कृष्णमयी सुन्दर और सारगर्भित आलेख . जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये .

Satish Saxena said...

बहुत प्यारा रूप देखा श्याम का ....
आभार आपका !

अरुण चन्द्र रॉय said...

जन्माष्ठमी की हार्दिक शुभकामना...कृष्ण पर कुछ भी कहना कम है...

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 22-08-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

Shalini kaushik said...

कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर आपकी ये पोस्ट भी बहुत ज्ञान प्रदान करने वाली है.आपको कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें

दिगम्बर नासवा said...

कृष्ण के चमत्कारी चरित्र में बहुत कुछ है जो सीखा जा सकता है ... और कृष्णमय हुवा जा सकता है .. बहुत कुछ कृष्ण से पहले जी नहीं था .. कृष्ण के साथ ही दुनिया में आया ...

Dev said...

krishnalila ki jhalak ....bahut sundar. jay shreekrishna

रेखा said...

मन आनंदित हो गया ......जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ

रेखा said...

मन आनंदित हो गया ......जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

pप्रेरणादायक लेख। जन्माष्टमी की शुभकामनाएं॥

Rakesh Kumar said...

आपका लेख और अनुपमा त्रिपाठी जी की यह टिपण्णी कि"पान के पत्ते पर शबनम की बूँद सा ....प्रसाद रुपी ...सुबह-सुबह .....इतना सुंदर आलेख पढ़ कर मनो मन की आखें खुल गयीं .....!!!"
पढकर मन गद गद हो गया है.

सुन्दर सार्थक लेख के लिए आभार.
कृष्ण का हृदय श्रीमद्भगवद्गीता है,जिसका
हम सभी को श्रद्धा पूर्वक मनन चिंतन
करना चाहिये.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

:)

Vaanbhatt said...

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाएं...

Unknown said...

डा० मोनिका जी ...सुन्दर सार्थक भक्तिपूर्ण ज्ञान वर्धक आलेख के लिए हार्दिक आभार ..जन्माष्टमी के पावन पर्व पर हार्दिक शुभ कामनाएं !!!

Roshi said...

sunder lekh ke liye badhaye

राजन said...

सुंदर लेख...
जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ.

Shikha Kaushik said...

sundar aadhyatmik post .aapko bhi krishn janmashtmi kee bahut bahut hardik shubhkamanyen.
BHARTIY NARI

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

shandaar.lekh ke liye hardik badhayee

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

कृष्ण को समझना सरल नहीं ... जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

आज कुशल कूटनीतिज्ञ योगेश्वर श्री किसन जी का जन्मदिवस जन्माष्टमी है, किसन जी ने धर्म का साथ देकर कौरवों के कुशासन का अंत किया था। इतिहास गवाह है कि जब-जब कुशासन के प्रजा त्राहि त्राहि करती है तब कोई एक नेतृत्व उभरता है और अत्याचार से मुक्ति दिलाता है। आज इतिहास अपने को फ़िर दोहरा रहा है। एक और किसन (बाबु राव हजारे) भ्रष्ट्राचार के खात्मे के लिए कौरवों के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ है। आम आदमी लोकपाल को नहीं जानता पर, भ्रष्ट्राचार शब्द से अच्छी तरह परिचित है, उसे भ्रष्ट्राचार से मुक्ति चाहिए।

आपको जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं एवं हार्दिक बधाई।

Unknown said...

dr.monika ji,jaishree krishana,umada lekh,badhayi

virendra sharma said...

जीवन सूत्र पिरोये है कृष्ण का जीवन चरित ,डॉ .मोनिका कृष्ण आज भी कितने प्रासंगिक हैं ,सर्व -कालीन ,सार्वत्रिक हैं राधाकृष्ण .बधाई अभिसारिका राधा को मान दिलवाने वाले ,उसे ये भी समझाने वाले ,कृष्ण एक तत्व है ,सब का है सिर्फ "मानिनी राधा "का नहीं ,गोपियों का भी है ,गैयन का भी .यमुना का भी बांसूरी का भी ,के जनम दिवस की .
कृष्ण का जीवन प्रकृति के बहुत करीब रहा | कदम्ब का पेड़ और यमुना का किनारा उनके लिए बहुत विशेष स्थान रखते थे | प्रकृति का साथ ही उनके विलक्षण चरित्र को आनन्द और उल्लास का प्रतीक बनाता है | शायद यह भी एक कारण है कि कान्हा का नाम लेने से ही मन में उल्लास और उमंग छा जाती है। उन्होनें कष्ट में भी चेहरे पर मुस्कुराहट और बातों में धैर्य की मिठास को बनाये रखा। कोई अपना रूठ जाए तो मनुहार कैसे करनी है....? किस युक्ति से अपनों को मनाया जाता है...? यह तो स्वयं कृष्ण के चरित्र से ही सीखना चाहिए।
रविवार, २१ अगस्त २०११
गाली गुफ्तार में सिद्धस्त तोते .......
http://veerubhai1947.blogspot.com/2011/08/blog-post_7845.html

Saturday, August 20, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
http://sb.samwaad.com/

रविवार, २१ अगस्त २०११
सरकारी "हाथ "डिसपोज़ेबिल दस्ताना ".

http://veerubhai1947.blogspot.com/

वीरेंद्र सिंह said...

उत्तम लेख उत्तम विचार!
आप को श्री कृष्णजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Kunwar Kusumesh said...

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.

Amrita Tanmay said...

सुंदर आलेख ,जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये |

Arvind kumar said...

श्याम तेरी बंशी पुकारे राधा नाम ....

vandana gupta said...

बिल्कुल सही कहा।
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें।

संध्या शर्मा said...

सारगर्भित आलेख ... जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये...

डॉ. मनोज मिश्र said...

बढ़िया पोस्ट,,आभार.
आपको कृष्ण जन्माष्टमी पर्व की शुभकामनायें और बधाइयाँ.

गिरधारी खंकरियाल said...

निश्छलता और निस्वार्थ भाव ही जीवन को सार्थक बनाता है

Jyoti Mishra said...

Happy janmashtmi ..
u r right characterization of Krishna is so close to reality that everyone can relate to it.

Nice read !!!

Sawai Singh Rajpurohit said...

आपको एवं आपके परिवार "सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया"की तरफ से भारत के सबसे बड़े गौरक्षक भगवान श्री कृष्ण के जनमाष्टमी के पावन अवसर पर बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें लेकिन इसके साथ ही आज प्रण करें कि गौ माता की रक्षा करेएंगे और गौ माता की ह्त्या का विरोध करेएंगे!

मेरा उदेसीय सिर्फ इतना है की

गौ माता की ह्त्या बंद हो और कुछ नहीं !

आपके सहयोग एवं स्नेह का सदैव आभरी हूँ

आपका सवाई सिंह राजपुरोहित

सबकी मनोकामना पूर्ण हो .. जन्माष्टमी की आपको भी बहुत बहुत शुभकामनायें

prerna argal said...

बहुत ही बदिया लेख लिखा है आपने किशनाजी के बारे में/के भले ही किशनाजी ने कई रूप दिखाए /परन्तु अपने हर रूप में उन्होंने अत्याचार खिलाफ लड़ाई ही लड़ी है /वो सच में मर्यादा पुरसोत्तम थे / शानदार अभिब्यक्ति के लिए बधाई आपको /जन्माष्टमी की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं /
आप ब्लोगर्स मीट वीकली (५) के मंच पर आयें /और अपने विचारों से हमें अवगत कराएं /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /प्रत्येक सोमवार को होने वाले
" http://hbfint.blogspot.com/2011/08/5-happy-janmashtami-happy-ramazan.html"ब्लोगर्स मीट वीकली मैं आप सादर आमंत्रित हैं /आभार /

ASHOK BAJAJ said...

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

P.N. Subramanian said...

"सम्पूर्ण प्रकृति की चेतना से जुङना ही सच्ची मानवता है" बहुत ही सुन्दर पोस्ट. आभार.

Dr (Miss) Sharad Singh said...

कृष्ण के बहुआयामी व्यक्तित्व की सुन्दर व्याख्या...
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं ...

rashmi ravija said...

कृष्ण के बहुयामी..अलौकिक रूप का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं

दिवस said...

भगवान् कृष्ण पर सुन्दर लेख| पढ़कर बहुत आनंद आया| ऐसा लगा जैसे गोलुल गाँव के गोपाल बन गए हों|
बहुत बहुत धन्यवाद....
भगवान् श्री कृष के जन्म दिवस पर दिवस की ओर से आपको व आपके परिवार को बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं...

ज्योति सिंह said...

बालपन से लेकर कुटुम्बीय जीवन तक, उनकी हर बात में जीवन सूत्र छुपे हैं।
ye baat to bilkul satya hai . janmashtami ki dhero badhai aapko .

ज्योति सिंह said...

बालपन से लेकर कुटुम्बीय जीवन तक, उनकी हर बात में जीवन सूत्र छुपे हैं।
ye baat to bilkul satya hai . janmashtami ki dhero badhai aapko .

पी.एस .भाकुनी said...

सुंदर एवं भक्तिमयी प्रस्तुति हेतु आपका आभार एवं शुभकामनाएं.

Urmi said...

आपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !

anita agarwal said...

वसुधैव कुटम्बकम के भाव को वासुदेव कृष्ण ने जिया है। मनुष्यों और मूक पशुओं से ही नहीं मोरपंख और बांसुरी से भी उन्होनें मन से प्रेम किया। कई बार तो ऐसा लगता मानो कृष्ण ने किसी वस्तु को भी जङ नहीं समझा।
एक नयी तरीके से कृष्ण का प्रेम इन वस्तुओं के प्रति दिखाई दे रहा है .... बधाई इस नयेपन के लिये ...

virendra sharma said...

veerubhai ने कहा…

शर्म उनको फिर भी नहीं आती ,संवेदन हीन प्रधान मंत्री इस मौके पर भी इफ्त्यार पार्टी का न्योंता दे रहें हैं .मुस्लिम भाइयों को इस न्योंते को राष्ट्र हित में ठुकरा देना चाहिए .डॉ मोनिका जी , आपका बड़ा हौसला है हम तो अन्ना जी की सेहत को लेकर .....बेशक शरीर और मन -बुद्धि संस्कार का संयुक्त रूप चेतन ऊर्जा अलग है ...शरीर का क्या है लेकिन उपभोक्ता तो आत्मा ही है ,.........
अन्ना जी की सेहत खतरनाक रुख ले रही है .जय अन्ना ,जय कृष्णा यौना -प्रचोदयात .........
गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
Posted by veerubhai on Sunday, August 21
२३ अगस्त २०११ १:३६ अपराह्न

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर और ज्ञानवर्धक आलेख..

मेरा साहित्य said...

sunder lekh bavvibhor kar gaya
bahut bahut shubhkamnayen
rachana

Saru Singhal said...

It is a beautiful post, feeling so calm after reading it.

Shikha Kaushik said...

कृष्ण यह समझाते, सिखाते हैं कि जीवन जङ नहीं हैं। पेङ पौधे हों या जीव जन्तु सम्पूर्ण प्रकृति की चेतना से जुङना ही सच्ची मानवता है।
सच कहा आपने -सच्ची मानवता यही है .सार्थक प्रस्तुति .आभार

ARE YOU READY FOR BLOG PAHELI -2

Dinesh pareek said...

आपने सही कहा पर होना तो वही है जो सदियों से होता आया है क्यों की ये भारत की जनता है जिसे कुछ दिखाई नहीं देता बस उसे दिखाना पड़ता है जनता तो वही है जो अन्ना के अनसन से पहले थी क्या ये जनता पहले मर गई थी क्या क्या हुआ था इस जनता को १२५ करोड़ जनता में १ अन्ना ही क्यों निकला १ गाँधी जी क्यों निकले बात वही है की अब कलयुग आज्ञा है अभी तो कुछ हुआ भी नहीं है होना तो बाकि है और होना भी क्या है इस देश में आँखों के अंधे रहते है उस देश की दशा असी होती है फूट डालो राज करो इस समय bhrstachar जसे खाने की कोई वस्तु का नाम है जो खरब हो चुकी है अब उसे फेंकना है अरे मेरे देश वाशियो जागो अब भी कुछ हुआ नहीं है पर इस जनता को कुछ कहना भी बेकार लगता है क्यों की सब अपना पेट पलते नजर आते है किसी को नहीं लगता की ये मेरा भारत है मेरा भारत महँ जेसा नारा लगाने से कुछ नहीं होगा कुछ महान कर्म करो अन्ना के पीछे तो तुम लोग हो पर क्या इस लोक पल बिल से सब कुछ सही हो जायेगा ये नेता लोग सब कुछ छोड़ देगे अरे मेरे भाइयो आज अगर किसी ने किसी को मर दिया है तो उस को जेल होते होते २० साल गुजर जाते है फिर जज बदल जाते है मुंबई बम धामके के आरोपी १ अज भी जेल में है पैर उसको फंसी देने की जगह पोलिस उसकी हिफाजत में लगी है उसकी मेहमान नवाजी कर रही है हर रोज़ उसका मेडिकल होता है लाखो रूपया खर्चा होता है जेसे पोलिश का या सरकार का वो जवाई है कुछ नहीं होने वाला इस देश का और नेताओ का जय जवान जय किशन
अगर आप मेरी बैटन से सहमत नहीं है तो करपिया मेरे ब्लॉग लिंक पे क्लिक करे और अपनी राय देवे
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/

Dinesh pareek said...

आपने सही कहा पर होना तो वही है जो सदियों से होता आया है क्यों की ये भारत की जनता है जिसे कुछ दिखाई नहीं देता बस उसे दिखाना पड़ता है जनता तो वही है जो अन्ना के अनसन से पहले थी क्या ये जनता पहले मर गई थी क्या क्या हुआ था इस जनता को १२५ करोड़ जनता में १ अन्ना ही क्यों निकला १ गाँधी जी क्यों निकले बात वही है की अब कलयुग आज्ञा है अभी तो कुछ हुआ भी नहीं है होना तो बाकि है और होना भी क्या है इस देश में आँखों के अंधे रहते है उस देश की दशा असी होती है फूट डालो राज करो इस समय bhrstachar जसे खाने की कोई वस्तु का नाम है जो खरब हो चुकी है अब उसे फेंकना है अरे मेरे देश वाशियो जागो अब भी कुछ हुआ नहीं है पर इस जनता को कुछ कहना भी बेकार लगता है क्यों की सब अपना पेट पलते नजर आते है किसी को नहीं लगता की ये मेरा भारत है मेरा भारत महँ जेसा नारा लगाने से कुछ नहीं होगा कुछ महान कर्म करो अन्ना के पीछे तो तुम लोग हो पर क्या इस लोक पल बिल से सब कुछ सही हो जायेगा ये नेता लोग सब कुछ छोड़ देगे अरे मेरे भाइयो आज अगर किसी ने किसी को मर दिया है तो उस को जेल होते होते २० साल गुजर जाते है फिर जज बदल जाते है मुंबई बम धामके के आरोपी १ अज भी जेल में है पैर उसको फंसी देने की जगह पोलिस उसकी हिफाजत में लगी है उसकी मेहमान नवाजी कर रही है हर रोज़ उसका मेडिकल होता है लाखो रूपया खर्चा होता है जेसे पोलिश का या सरकार का वो जवाई है कुछ नहीं होने वाला इस देश का और नेताओ का जय जवान जय किशन
अगर आप मेरी बैटन से सहमत नहीं है तो करपिया मेरे ब्लॉग लिंक पे क्लिक करे और अपनी राय देवे
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/

G.N.SHAW said...

कृष्णमय करती पोस्ट ! अगर हम तैयार हो जाय , तो कृष्ण की कहानी बहुत कुछ सिख देती है ! बधाई !

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

मनमोहन का सौंदर्य वर्णन अलौकिक है.आपकी लेखन शैली ने आलेख को कृष्णमय बना दिया.

Asha Joglekar said...

कृष्ण जन्माष्टमी पर आपका ये आलेख मन को राधा बना गया ।

alka mishra said...

१६ कलाओं युक्त किशन को हम क्या कह सकते हैं.

पल में रत्ती ,पल में माशा.

Ankit pandey said...

बहुत सुन्दर रचना प्रभावशाली पंक्तियाँ।

Anonymous said...

बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ।

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी कृष्ण को स्वयं देवता ही नहीं पहिचान पाये तो हम तो सामान्य मानवी हैं।

सु-मन (Suman Kapoor) said...

jai shree krishna.... read this pls

http://arpitsuman.blogspot.com/2011/03/blog-post.html

सुधीर राघव said...

कृष्ण के अलौकिक रूप का सुन्दर चित्रण। बहुत सुन्दर मोनिका जी

रजनीश तिवारी said...

बहुत ही सुंदर कृष्णमय लेख...प्रेम,भक्ति ,धर्म,कर्म,ज्ञान जीवन के हर आयाम में कृष्ण का संदेश एक दीपक की तरह है ...

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

राधे कृष्ण के अनुपम प्रेम की तरह सुन्दर प्रस्तुति !
आभार !

कुमार राधारमण said...

Krishn hamari sanskriti ke pehle poorna vyakti hain.Unki baaten chahe baalpan ki hon ya phir rankshetra ki,chetana sarvatra parilakshit hoti hai.

Kunwar Kusumesh said...

जैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
दुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मनाले ईद.
ईद मुबारक

Dr.R.Ramkumar said...

रसिक शिरोमणि की रसमय याद बहुत आकर्षक और सुखदायक

virendra sharma said...

ईद और गणेश चतुर्थी की बधाई ,डॉ मोनिका जी !
बुधवार, ३१ अगस्त २०११
जब पड़ी फटकार ,करने लगे अन्ना अन्ना पुकार ....
ईद और गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई

VIJAY PAL KURDIYA said...

जय श्री कृष्ण!

virendra sharma said...

डॉ मोनिका जी "इन दिनों कुछ लोग विदेशी बाप के पैसे पर अन्ना जी की भी रेंगिंग करना चाह रहें हैं .सावधान रहें इन देश -घातियों,पंचान्गियों से .आदर एवं नेहा से -

Dr.NISHA MAHARANA said...

वास्तव में जीने की कला सिखना चाहिये हमें कृष्ण के जीवन से
अच्छी रचना।धन्यवाद।

Unknown said...

आपको मेरी तरफ से नवरात्री की ढेरों शुभकामनाएं.. माता सबों को खुश और आबाद रखे..
जय माता दी..

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