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08 June 2011

शब्दों बिना जीवन की बिसात क्या ...?


शब्द ...
कभी धुन में गाये जाते हैं ......!
कभी वादे में निभाए जाते हैं ....!

शब्द .....
कभी मंदिर-मस्जिद तोड़ते हैं....!
 कभी जनमानस को जोड़ते हैं......!

शब्द .......
कभी संबधों को बांधते हैं ......!
कभी सीमाओं को लांघते हैं .....!

शब्द ...
कभी बस मायाजाल लगते हैं......!
 कभी मन को स्पंदित करते  हैं.....!

शब्द .....
कभी बुजुर्गों के अनुभव में ढलते हैं.....!
कभी तुतलाहट से डगमगाते हैं .......!

शब्द ...
कभी मौन में भी बोलते हैं........!
कभी हर अक्षर को तोलते हैं ......!

शब्द .....
  कभी तेरे , कभी मेरे होते हैं ........!
    कभी अपनेपन के रंग उकेरे होते  हैं....!

शब्द..... 
कभी निशब्द कर जाते हैं......!
कभी सब कुछ कह जाते हैं .....!


शब्द ....
कभी मात्र कोलाहल लगते हैं.......!
कभी हर घुटन का हल लगते हैं....!


शब्द ....
कभी अमर हो जाते हैं ....!
कभी बस ख़बर हो जाते हैं....!


शब्द ......
कभी हृदय को विदीर्ण कर दें......!
कभी मन का हर घाव भर दें.....!

शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत  सब कुछ समेटे हैं .....!
तभी तो .....!  
 शब्दों बिना जीवन की बिसात क्या ...?
कोई बात -बेबात क्या ...? 

121 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा रचना..वाह!

Unknown said...

बहुत सुन्दर रचना
कभी हमारे ब्लॉग पर भी आये
vikasgarg23.blogspot.com

Unknown said...

बहुत सुन्दर रचना
कभी हमारे ब्लॉग पर भी आये
vikasgarg23.blogspot.com

Unknown said...

शब्द .......
कभी संबधों को बांधते हैं ......!
कभी सीमाओं को लांघते हैं .....!

बेहतरीन शब्दों की श्रखला , रचना ने दिलों को छुआ बधाई

Arun sathi said...

अति सुन्दर

Shah Nawaz said...

वाह! शब्दों का अच्छा जाल बुना आपने...

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत खूब, हर शब्‍द मोती की तरह चुना हुआ।

---------
बाबूजी, न लो इतने मज़े...
चलते-चलते बात कहे वह खरी-खरी।

Anupama Tripathi said...

शब्दों का विस्तार ....अनंत ही है ...
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ..!!

रश्मि प्रभा... said...

shabd shabd zindagi bolti nazar aati hai....

Urmi said...

शब्द.....
कभी निशब्द कर जाते हैं......!
कभी सब कुछ कह जाते हैं .....!
वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ सटीक और सच्चाई बयान करती है! उम्दा रचना!

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

वाह. शब्दों की महिमा का सुन्दर निरूपण.

प्रवीण पाण्डेय said...

एक शब्द से उत्पन्न है यह जगत।

Arvind Mishra said...

...तभी तो शब्द ब्रह्म हैं!बेमिसाल शब्द -पोस्ट !

Sunil Kumar said...

आपने शब्दों की विशेषता बता कर निशब्द कर दिया , सुंदर रचना , बधाई

Smart Indian said...

सच, शब्दों की महिमा निराली है।

Anonymous said...

मोनिका जी...इस शानदार पोस्ट के लिए आप बधाई की पात्र है.......दो विपरीत बातों को जोड़ते हुए आपने 'शब्द' का जो रूप उजागर किया है वो काबिलेतारीफ है......इससे मिलती ही एक पोस्ट मैंने जज़्बात पर लिखी थी......'किसके हैं ये शब्द'......कभी फुर्सत मिले तो देखिएगा |

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

बढ़िया रचना

Yashwant R. B. Mathur said...

शब्दों को बहुत अच्छे शब्द दिये हैं आपने.

सादर

Coral said...

बहुत सुन्दर ....

Sunil Deepak said...

हृदय को विदीर्ण करने वाले शब्द सबसे घातक है, उनके घाव भरने में बहुत समय लगता है. सुन्दर भाव, धन्यवाद.

Fani Raj Mani CHANDAN said...

शब्दों की दुनिया ही अनुपम है. बहुत सुन्दर ढंग से आपने शब्दों के अलग अलग रूप दर्शाए हैं.

आभार
फणी राज

Shikha Kaushik said...

शब्द ....
कभी अमर हो जाते हैं ....!
कभी बस ख़बर हो जाते हैं....!
bilkul satya .

निर्मला कपिला said...

शब्दों की महिमा की खूबसूरत तस्वीर। निशब्द हूँ।

vandana gupta said...

बहुत उम्दा रचना.

अशोक सलूजा said...

मोनिका जी,
आप के 'शब्द'ने निशब्द कर दिया !
हर शब्द आप के बनाये शब्दों के हार में एक-एक
चुने हुए मोती की तरह फिट है |
फिर भी अपने उपर हुए फिट शब्दों से तो लगाव होगा ही ...
शब्द .....
कभी बुजुर्गों के अनुभव में ढलते हैं.....!
कभी तुतलाहट से डगमगाते हैं .......!
खुश रहें|
शुभकामनाएँ|

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

शब्दों में बहुत ताकत है ...और आपकी यह रचना सोचने पर विवश करती है ...सुन्दर प्रस्तुति

Shalini kaushik said...

शब्द ....
कभी मात्र कोलाहल लगते हैं.......!
कभी हर घुटन का हल लगते हैं....!
shabdon ko bhalibhanti paribhashit kiya hai aapne..

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

शब्दै मारा गिर पड़ा, शब्दै छोड़ा राज
जिन जिन शब्द विवेकिया, तिन का सरिगो काज

rashmi ravija said...

शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत सब कुछ समेटे हैं .....!
तभी तो .....!
शब्दों बिना जीवन की बिसात क्या ...?

बहुत ही उत्कृष्ट रचना

सदा said...

शब्द ......
कभी हृदय को विदीर्ण कर दें......!
कभी मन का हर घाव भर दें.....!

प्रत्‍येक शब्‍द भावमय करता हुआ ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

naresh singh said...

शब्दों के बिना जीवन का कोइ अर्थ ही नहीं है |

shikha varshney said...

वाकई बहुत ताक़त है शब्दों में. इसलिए सोचकर इस्तेमाल किये जाने चाहिए.
बहुत ही उम्दा रचना.

रंजना said...

क्या भाव है,क्या चिंतन और क्या प्रवाह....बस मर्म को छू गयी आपकी यह लाजवाब रचना...

बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर...

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

कभी निशब्द कर जाते हैं......!
कभी सब कुछ कह जाते हैं .....!
सचमुच ये शब्द ही हैं जो हमारे विचारों को प्राणवान करते हैं !
इनका दुरूपयोग करने पर इन्हें कैसा लगता होगा यह विचारणीय है !

Jyoti Mishra said...

very true... words have immense power and scientifically spoken words are immortal as it is nothing but sound energy and it always there in space.

Nice post !!

गिरधारी खंकरियाल said...

शब्द जगत शाश्वत है

नीरज गोस्वामी said...

किन शब्दों में आपकी रचना की प्रशंशा की जाए...मिल ही नहीं रहे.

नीरज

Vishu Singh Disodia said...

वहा क्या खूब व् प्यारी बात कही बहुत अच्छे

संजय भास्‍कर said...

मोनिका जी
बहुत खूब लिखा है आपने!
इस शानदार पोस्ट के लिए बधाई .....

संजय भास्‍कर said...

कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
बहुत देर से पहुँच पाया ....

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

आदरणीय डॉ॰ मोनिका शर्मा जी
सादर वंदे मातरम्!

शब्द की गरिमा का बखान करती बहुत अच्छी रचना के लिए साधुवाद !

शब्द ....कभी अमर हो जाते हैं ....!
कभी बस ख़बर हो जाते हैं....!

बहुत सुंदर !

शुभकामनाओं सहित

Maheshwari kaneri said...

बहुत सुन्दर शब्दों से ‘शब्द’ को बाँधा…. सुन्दर अभिव्यक्ति् धन्यवाद

BrijmohanShrivastava said...

आज से बहुत पहले किसी कवि ने जीभ के वाबत कहा था " आप तो कह भीतर गई जूता खात कपार' कपार माने कपाल माने सिर

vijai Rajbali Mathur said...

यह शब्दों के प्रस्तुतीकरण पर निर्भर है.

virendra sharma said...

शब्द चलातें हैं दुनिया को ,शब्दों से चलती दुनियाहै ,
सारा दुःख शब्दों का खेला ,सारा सुख शब्दों का मेला ।
न कुछ तेरा न कुछ मेरा ,शब्दों का है एक झमेला ।
डॉ मोनिकाजी शब्दों की लीला अपरम्पार है .शब्द ब्रह्म है परमेशवर है ।
शब्दों के ही पंख लगें हैं ,शब्दों की परवाज़ अमर है ।
आपने क्या खूब कहा है -
"शब्द -
कभी तेरे, कभी मेरे होतें हैं ।
कभी अपने पन के, रंग उकेरे होतें हैं ."
मोनिका जी सारा दुःख शब्दों से जुड़ा हैं बाहर नहीं है ,शब्दों का रचा हुआ है .मसलन कुछ लोग कहतें हैं -हमारी तो किस्मत में ही यह लिखा था .दुःख ही दुःख .सुख कभी देखा ही नहीं ।
यदि'" इन शब्दों'' को बे दखल कर दिया जाए जीवन से तब जीवन सामान्य है .बाहर सिर्फ शब्द होतें हैं अर्थ उनके हमारे अन्दर होतें हैं .
दार्शनिक लेखन के लिए बधाई .

Roshi said...

bahut hi umda rachna ........

रेखा said...

मेरे उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद . बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आयी एक बार फिर अच्छा लगा.

तरुण भारतीय said...

एकदम सही व सटीक अर्थ बतला दिया आपने अब ज्यादा कहने को बचा ही नहीं ......बहुत अछि पोस्ट .......................मेरे ब्लॉग पर पधारे .......aawajapni.blogspot.com

ashish said...

शब्दों के चितेरे , शब्दों में प्राण फूक देते है . जैसे आपने किया . शब्दशः निःशब्द हूँ मै .

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

पर.... गूंगों की दुनिया में शब्द का क्या काम :)

कुमार राधारमण said...

शब्दों क्या है............एक जाल ही समझिए।

ज्योति सिंह said...

शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत सब कुछ समेटे हैं .....!
तभी तो .....!
शब्दों बिना जीवन की बिसात क्या ...?
कोई बात -बेबात क्या ...?
shabdo ka jadoo nirala hai ,sach kaha banaye bhi bigade bhi .bahut bahut pyari rachna hai

संतोष पाण्डेय said...

शब्द बात-मुलाकात है शब्द जान-पहचान.
शब्द है पुस्तक, शब्द ज्ञान है, शब्द वेद विज्ञान
अच्छी रचना.नमस्कार.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

सही कहा, शब्‍दों के बिना जीवन ही कहां है।

---------
बाबूजी, न लो इतने मज़े...
चलते-चलते बात कहे वह खरी-खरी।

Anonymous said...

दिल पे लगे जख्म कभी मिटते नहीं
जीए जा रहे है हम क्यूंकि मरते नहीं
मुस्कराए जाते है हम...खुशियो की चाह में
पर ये जख्म देने वाले है की थकते नहीं
ye sabd hi hai jo bana de..chahe bigaad de...words r god..so always be selecting your words...regards

श्यामल सुमन said...

कभी निशब्द कर जाते हैं - क्या बात है? शब्द को ब्रह्म भी तो कहा जाता है. बहुत सुन्दर मोनिका जी.
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

Suman said...

bahut sunder rachna ........

Satish Saxena said...

खुबसूरत शब्द चित्रण के लिए बधाई !

Anonymous said...

dhanyawad

thanks for commenting on my blog post

Anonymous said...

शब्द ...
कभी बस मायाजाल लगते हैं......!
कभी मन को स्पंदित करते हैं.....!

sach hain chand shabd bhi bahut kuch kah jate hain aur kai shabd bhi duria nhi mita paatein hain

रविकर said...

कभी तुतलाहट से डगमगाते हैं .......!


बहुत अच्छी पंक्तियाँ |

आसान सी कविता--सीधी और सपाट |

एक माँ को प्रणाम ----


सीख माँ की काम आये--
गर गलत घट-ख्याल आये,
रुत सुहानी बरगलाए
कुछ कचोटे काट खाए,
रहनुमा भी भटक जाए
वक्त न बीते बिताये,
काम हरि का नाम आये- सीख माँ की काम आये--
हो कभी अवसाद में जो,
या कभी उन्माद में हो
सामने या बाद में हो,
कर्म सब मरजाद में हो
शर्म हर औलाद में हो,
नाम कुल का न डुबाये-
काम हरि का नाम आये- सीख माँ की काम आये--
कोख में नौ माह ढोई,
दूध का न मोल कोई,
रात भर जग-जग के सोई,
कष्ट में आँखे भिगोई
सदगुणों के बीज बोई
पौध कुम्हलाने न पाए
काम हरि का नाम आये- सीख माँ की काम आये--

मेरे भाव said...

बढ़िया कविता... रचना ने दिलों को छुआ बधाई

Rajesh said...

Beautiful poem.

Patali-The-Village said...

शब्दों की महिमा का सुन्दर निरूपण| धन्यवाद|

Rachana said...

शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत सब कुछ समेटे हैं .....!
तभी तो .....!
शब्दों बिना जीवन की बिसात क्या ...?
कोई बात -बेबात क्या ...?
kya baat hai
shbd kabhi bematlab ke bhi hote hain jo suche nahi jate .
bahuut khub
sunder abhivyakti
rachana

संध्या शर्मा said...

शब्द .... शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत सब कुछ समेटे हैं .....!
सच है बिना शब्दों के जीवन की क्या बिसात है... सब कुछ कह रहे हैं आपके शब्द... बहुत सुन्‍दर तराशी हुई रचना...

Kailash Sharma said...

शब्दों का विभिन्न सन्दर्भों में चित्रण लाज़वाब है..निशब्द कर दिया आपकी प्रस्तुति ने..मन के भाव व्यक्त करने के लिये शब्द मिल ही नहीं रहे..शब्द ही ब्रह्म है आज पूरी तरह महसूस हुआ..बहुत उत्कृष्ट..आभार

G.N.SHAW said...

मोनिका जी कल ..जब मै अपने मुख्यालय से बाहर था ..तो सोंचा था की बाबा रामदेव अपने शब्दों पर नियंत्रण क्यों नहीं रखते है ? इसी के वजह से राजनीतिग्य उन्हें ..कुछ न कुछ कहते रहते है ! इस विषय पर कुछ लिखने की मंशा बनी थी ! जब आप का पोस्ट देखा तो भरपाई हो गयी ! यथार्थ को चीरती अतिसुन्दर अभिव्यक्ति ! यह सत्य है की हमें अपने शब्दों के इस्तेमाल पर समुचित रूप से परख रखने की आदत होनी चाहिए !अन्यथा लेने के देने पद जाते है ! बधाई !

G.N.SHAW said...

मोनिका जी कल ..जब मै अपने मुख्यालय से बाहर था ..तो सोंचा था की बाबा रामदेव अपने शब्दों पर नियंत्रण क्यों नहीं रखते है ? इसी के वजह से राजनीतिग्य उन्हें ..कुछ न कुछ कहते रहते है ! इस विषय पर कुछ लिखने की मंशा बनी थी ! जब आप का पोस्ट देखा तो भरपाई हो गयी ! यथार्थ को चीरती अतिसुन्दर अभिव्यक्ति ! यह सत्य है की हमें अपने शब्दों के इस्तेमाल पर समुचित रूप से परख रखने की आदत होनी चाहिए !अन्यथा लेने के देने पद जाते है ! बधाई !

कमलेश खान सिंह डिसूजा said...

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...

शब्द :
एक शब्द मलहम कहे...एक शब्द घाव |

Rajiv Ranjan Singh said...

अति सुन्दर -- राजीव

Arvind Mishra said...

निःशब्द!

Amit Chandra said...

बिल्कुल सही कहा है आपने। आभार।

Unknown said...

DR.MONIKA JI "SHABADON KE BINA..."RACHANA PADHI SOCHA COMMENT KE ROOP M YADI KUCHH SHBAD NA LIKHE GAYE TO ADHURAPAN LAGEGA SHABD DHAYI AKSHAR HI TON HAI LEKIN PYAAR KE DHAYI AAKHAR INAKE BINA ADHUREN HAI SUNDAR,SARAL,SAHAJ RACHANA KE LIYE SADHUWAD SWIKAR KAREN

Vaanbhatt said...

क्या बात है...शब्दों के बिना हममें और अन्य प्राणियों में भला क्या फर्क रह जाता...

Vivek Jain said...

शब्द .......
कभी संबधों को बांधते हैं ......!
कभी सीमाओं को लांघते हैं .....!

बहुत ही बढ़िया
साभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Kunwar Kusumesh said...

बहुत खूब लिखा है आपने.

संगीता पुरी said...

शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत सब कुछ समेटे हैं .....!
तभी तो .....!
शब्दों बिना जीवन की बिसात क्या ...?
कोई बात -बेबात क्या ...?

बहुत खूब !!

दिगम्बर नासवा said...

शब्द ... शब्द .. शब्द ... काश सब गूंगे होते .... सुअयाद यही जड़ हैं हर चीज़ की ....सुंदर कविता ....

Arunesh c dave said...

बहुत सुन्दर ....

Prity said...

बहुत बढिया ...बिलकुल सटीक ...एक सुंदर रचना के लिए आपको शुभकामनाये...

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" said...

shabd hi jodte hain, shabd hi todte hain....

hum din chaar rahen na rahen, shabd zindaa rahenge sadaa jab tak ye srishti hai.....

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

शब्द के हर रूप को सुन्दरता से कविता में बांधा गया है.शब्द का उपहार अनगिनत प्राणियों में केवल मनुष्य को मिला है.इनका सदुपयोग ही होना चाहिए.

समय चक्र said...

शब्द ...
कभी धुन में गाये जाते हैं ......!
कभी वादे में निभाए जाते हैं ....!

बहुत सुन्दर रचना भाव...

Anonymous said...

इस पोस्ट की तारीफ़ के लिए तो मेरे पास 'शब्द' ही नहीं है.वैसे ये प्रस्तुति तो सहेजने लायक है.

Manav Mehta 'मन' said...

waah bahut khoob....

महेन्‍द्र वर्मा said...

कभी मात्र कोलाहल लगते हैं
कभी हर घुटन का हल लगते हैं

शब्दों की क्षमता की विवेचना करती उत्तम कविता।
जीवन का सुखी या दुखी होना भी शब्दों पर निर्भर है।
मोनिका जी, इस प्रभावशाली कविता के लिए आभार।

सु-मन (Suman Kapoor) said...

waah bahut sundar...shabd shabd shabd....sabhi taraf gunjate yahi shabd

जीवन और जगत said...

बहुत बढि़या रचना। बधाई।

अभिव्यक्ति said...

शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत सब कुछ समेटे हैं .....!
तभी तो .....!
शब्दों बिना जीवन की बिसात क्या ...?
कोई बात -बेबात क्या ...?



वाह वाह वाकई सब्दो का मायाजाल है .........
कमल है कमाल है

Dr. sandhya tiwari said...

shabd hamari anubhuti hai jo bahar aakar kai artho me dhal jaati hai.

दिवस said...

बहन मोनिका जी क्षमा चाहूँगा कि काफी समय बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ है...
सुन्दर रचना...एक शब्द में समस्त सृष्टि को बाँधा है...

जयकृष्ण राय तुषार said...

डॉ० मोनिका जी बहुत सुंदर कविता बधाई |जून भर बहुत व्यस्तता रहेगी |तब -तक आशा है आप सभी शुभचिंतक नाराज नहीं होगें |

udaya veer singh said...

अंतरात्मा की आवाज प्रबुद्ध जनों की लेखनी से .वाणी से प्रवाहित होती है ,जो रस सिंचित कर रही है ..मनोहारी रचना को बधाई /

Anonymous said...

बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी (कोई पुरानी या नयी ) प्रस्तुति मंगलवार 14 - 06 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

साप्ताहिक काव्य मंच- ५० ..चर्चामंच

सुधीर राघव said...

शब्द अर्थ-अनर्थ , अंत-अनंत सब कुछ समेटे हैं .....!बहुत सुन्दर रचना

गौरव शर्मा "भारतीय" said...

शब्द.....
कभी निशब्द कर जाते हैं......!
कभी सब कुछ कह जाते हैं .....!

वाह बेहतरीन भावाभिव्यक्ति............
रचना ने वाकई दिल को छू लिया...........आभार

amit kumar srivastava said...

और कभी कभी शब्द भी व्यथित हो जाते हैं..

http://amit-nivedit.blogspot.com/2010/08/blog-post_28.html

virendra sharma said...

शब्द मेल जोल बढवातें हैं .कहा गया है आदमी गुड न दे गुड़ जैसी बात तो कह दे .

Dr (Miss) Sharad Singh said...

शब्दों को व्याख्यायित करती इस बहुत सुन्दर और गहन विचारपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई ...

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत सुंदर रचना। छोटे छोटे शब्द बुने जाने के बाद गंभीर हो गए।

Amrita Tanmay said...

क्या बात है..वाह..वाह..वाह

दिवस said...

आदरणीय बहन मोनिका जी आप चैतन्य के ब्लॉग द्वारा मेरे ब्लॉग को Follow कर रही हैं...मैंने अपने ब्लॉग के लिए Domain खरीद लिया है...पहले ब्लॉग का लिंक pndiwasgaur.blogspot.com था जो अब www.diwasgaur.com हो गया है...अब आपको मेरी नयी पोस्ट का Notification नहीं मिलेगा| यदि आप Notification चाहती हैं तो कृपया मेरे ब्लॉग को Unfollow कर के पुन: Follow करें...
असुविधा के लिए खेद है...
धन्यवाद....

Manoranjan Manu Shrivastav said...

शब्द, से सब कुछ संभव है
--------------------------------------------
क्या मानवता भी क्षेत्रवादी होती है ?

बाबा का अनशन टुटा !

Kunwar Kusumesh said...

Congrats for 101 comments.Now it has become 102.

Kishore Kumar Jain said...

शब्द ही रचते हैं संसार
विनाश का रास्ता भी करते हैं तैयार
शब्द हों प्रेम के
सहानुभूति के
सहनशीलता के
जो बन जाए पथ प्रदर्शक।
बेमिसाल रचना है आपकी
किशोर कुमार जैन गुवाहाटी असम

Dr Varsha Singh said...

शब्दों बिना जीवन की बिसात क्या ...?
कोई बात -बेबात क्या ...?

शब्दों को तराश कर रची गई बेहद उत्कृष्ट रचना है यह. आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) said...

शब्द-दर्शन को सरल शब्दों लिख कर हमें तो शब्दहीन कर दिया.

आकाश सिंह said...

शब्द की व्याख्या बहुत ही सटीक प्रस्तुति के साथ किये हैं | उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद |

Sawai Singh Rajpurohit said...

बहुत सुंदर संवेदनशील भाव समेटे हैं बहुत सुन्दर रचना.

पूनम श्रीवास्तव said...

monika ji
bahut hi behatreen tareeke se aapne shabd ki paribhashha ko vyakhit kiya hai .
bahut hi sundar .isse behtar shabd ki aur vyakhya ho bhi nahi sakti.
bahut bahut badhai
poonam

PN Subramanian said...

सुंदर रचना. शब्द सामर्थ्यवान है.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

अति सुन्दर ....
'शब्द' को बहुत सुन्दर ढंग से परिभाषित करती ,व्यापक फलक पर
...........................शब्द-शब्द माणिक्य सरीखा
..................................बहुत प्यारी रचना

डॉ. मोनिका शर्मा said...

आप सभी के उत्साहवर्धक विचारों का आभार ......

Brijendra Singh said...

वाह..अद्भुत रचना.. आपने तो शब्दों को ही शब्द दे दिए.. :)

RameshGhildiyal"Dhad" said...

Shabd hi to hain ..jo hame parichit karate hain..bada sundar shabd sanyojan....badhaiyaan...

नश्तरे एहसास ......... said...

आप तो शब्दों की चित्रकार निकली..........इतना खूबसूरत चित्र उकेरा है आपने!कोई रंग न कम न ज्यादा सटीक एवं मनमोहक चित्रकारिता की है........बधाई!!

Manoranjan Manu Shrivastav said...

aapki ye kavita aaj ke Prabhat Khabar ke Jamshedpur sanskaran me chhapi hai me chhapi hai,

News And Insights said...

टिप्पणियों के सैलाब में पता नही मेरी टिप्पणी आपतक पहुंचेगी या नही| बहरहाल कविता पढकर अच्छा लगा| शब्दों में कल्पनाशीलता के अद्भुत शब्द पिरोये हैं| आपकी यह कविता प्रभात खबर में 26-06-2011 को छपी थी वही पढकर लगा कि आपतक एक टिप्पणी छोड़ दूँ| लेखक(लेखिका) तक भी तो बात पहुंचनी चाहिए कि उसने अच्छा लिखा है?
धन्यवाद|

Unknown said...

बहुत ही सुन्दर भावों को प्रकट करते शब्दों कि रचना .......!!!

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