आज की युवापीढ़ी एक खास तरह की मनोवैज्ञानिक और व्यावहारिक समस्या से ग्रसित नज़र आ रही है.... वो है उग्रता । ऊँची आवाज़ में बात करना ...... किसी भी इंसान का किसी भी बात पर मजाक बनाना...दूसरों को नीचा दिखाना ....असभ्य भाषा ..... और मैं ही सही हूँ की सोच के साथ जीना ..... उन्हें आत्मविश्वास यानि सेल्फ कोंफिड़ेंस लगता है। नईपीढ़ी को लगता है की जो नौजवान या नवयुवती ( जी हाँ इस समस्या से लड़के ही नहीं लड़कियां भी ग्रसित हैं ) ऐसा नहीं कर सकते उनमे ना तो आत्मविश्वास का गुण है और ना ही आगे बढ़ने की काबिलियत ।
सच कहूं तो हमारी यह पीढ़ी दृढ़ता और उग्रता के अंतर को भूल गयी है। अपने व्यवहार और विचार की उग्रता उन्हें दृढ़ता लगती है .... आत्मविश्वास की कुंजी लगती है। जबकि सच तो यह है दृढ और उग्र सोच में ज़मीन आसमान का फर्क होता है। विचार और व्यवहार में दृढ़ता ना केवल हमें प्रोफेशनल फ्रंट पर कामयाबी दिलाती है बल्कि हमारे एक जिम्मेदार इंसान और नागरिक बनने के लिए भी ज़रूरी है जबकि उग्रता जीवन के हर क्षेत्र में आपको पीछे ही धकेलती है। उग्र व्यक्ति हमेशा अपनी ही बात कहने और मनवाने में विश्वास रखता है जबकि दृढ व्यक्ति अपने विचार रखने के साथ ही दूसरों के विचारों को भी धैर्य के साथ सुनता ,समझता और सम्मान देता है।
विचारों की उग्रता बहुत जल्दी हमारे व्यवहार में भी जगह बना लेती है । क्योंकि मन -मस्तिष्क जैसा सोचता है वैसे ही हम कर्म करते हैं और जैसे कर्म करते हैं वैसे ही परिणाम हमारे सामने होते हैं। तभी तो इस उग्र सोच के साथ बड़ी हो रही इस पीढ़ी के कृत्य आये दिन अख़बारों की सुर्खियाँ बनते हैं। कभी बातों बातों किसी परिवार को चलती ट्रेन से नीचे फेंक देने के लिए तो कभी शराब पीकर लोगों को कुचल देने के लिए। इस उर्जावान और आत्मविश्वासी नई पीढ़ी का यह उग्र चेहरा आप बस, ट्रेन , सड़क , पार्क, कालेज, घर यहाँ तक की किसी सामाजिक समारोह में भी देख सकते हैं। उनके लिए सेन्स ऑफ ह्यूमर और प्रभावी व्यक्तित्व के मायने हैं उदंडता और औरों के आत्मविश्वास को ठेस पहुंचाना।
सच कहूं तो हमारी यह पीढ़ी दृढ़ता और उग्रता के अंतर को भूल गयी है। अपने व्यवहार और विचार की उग्रता उन्हें दृढ़ता लगती है .... आत्मविश्वास की कुंजी लगती है। जबकि सच तो यह है दृढ और उग्र सोच में ज़मीन आसमान का फर्क होता है। विचार और व्यवहार में दृढ़ता ना केवल हमें प्रोफेशनल फ्रंट पर कामयाबी दिलाती है बल्कि हमारे एक जिम्मेदार इंसान और नागरिक बनने के लिए भी ज़रूरी है जबकि उग्रता जीवन के हर क्षेत्र में आपको पीछे ही धकेलती है। उग्र व्यक्ति हमेशा अपनी ही बात कहने और मनवाने में विश्वास रखता है जबकि दृढ व्यक्ति अपने विचार रखने के साथ ही दूसरों के विचारों को भी धैर्य के साथ सुनता ,समझता और सम्मान देता है।
विचारों की उग्रता बहुत जल्दी हमारे व्यवहार में भी जगह बना लेती है । क्योंकि मन -मस्तिष्क जैसा सोचता है वैसे ही हम कर्म करते हैं और जैसे कर्म करते हैं वैसे ही परिणाम हमारे सामने होते हैं। तभी तो इस उग्र सोच के साथ बड़ी हो रही इस पीढ़ी के कृत्य आये दिन अख़बारों की सुर्खियाँ बनते हैं। कभी बातों बातों किसी परिवार को चलती ट्रेन से नीचे फेंक देने के लिए तो कभी शराब पीकर लोगों को कुचल देने के लिए। इस उर्जावान और आत्मविश्वासी नई पीढ़ी का यह उग्र चेहरा आप बस, ट्रेन , सड़क , पार्क, कालेज, घर यहाँ तक की किसी सामाजिक समारोह में भी देख सकते हैं। उनके लिए सेन्स ऑफ ह्यूमर और प्रभावी व्यक्तित्व के मायने हैं उदंडता और औरों के आत्मविश्वास को ठेस पहुंचाना।
विचारों में स्थायित्व और दूसरों के प्रति सम्मानजनक भाषा एवं व्यवहार व्यवसायिक ही नहीं सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर भी स्वयं को सफल बनाने और बनाये रखने के बहुत ज़रूरी हैं। यह बात इस जनरेशन को समझना बहुत ज़रूरी है । आमतौर पर देखने में आता है की उग्रता विचारों को नकारात्मक दिशा देती है। क्योंकि हर हाल में खुद को सही साबित करने की धुन तटस्थ वैचारिक प्रवाह को अवरुद्ध कर देती है। नतीजा अक्सर गलत निर्णय पर आकर रुकता है। यह निर्णय परिवार , प्रोफेशन या दोस्ती किसी चीज़ से जुड़ा हो सकता है। जो की उग्र व्यवहार से ग्रसित इंसान को सिर्फ पश्च्याताप की सौगात देता है.......... !